ग्रह-राशि-नक्षत्र के अनुसार रुद्राक्ष धारण नवीन चितलांगिया लग्न के अनुसार रुद्राक्ष धारण रत्न मानव जाति को प्रकृति का एक अनुपम उपहार है। आदि काल से ग्रह दोषों तथा अन्य समस्याओं से मुक्ति हेतु रत्न धारण करने की परंपरा है। कुंडली के अनुरूप सही और दोषमुक्त रत्न धारण करना फलदायी होता है। अन्यथा उपयोग करने पर यह नुकसानदेह भी हो सकता है।
वर्तमान समय में शुद्ध एवं दोषमुक्त रत्न बहुत कीमती हो चले हैं, जिससे वे जनसाधारण की पहुंच के बाहर हो गए हैं। अतः विकल्प के रूप में रुद्राक्ष धारण एक सरल एवं सस्ता उपाय है। साथ ही रुद्राक्ष धारण से कोई नुकसान भी नहीं है, बल्कि यह किसी न किसी रूप में जातक को लाभ ही प्रदान करता है। कुंडली में त्रिकोण सर्वाधिक बलद्गााली माना गया है।
त्रिकोण अर्थात लग्न, पंचम एवं नवम भाव। लग्न अर्थात जीवन आयुष्य एवं आरोग्य, पंचम अर्थात बल, बुद्धि, विद्या एवं प्रसिद्धि, नवम अर्थात भाग्य एवं धर्म। अतः लग्न के अनुसार कुंडली के त्रिकोण भाव के स्वामी ग्रह का रुद्राक्ष धारण करना सर्वाधिक शुभ है। इस संदर्भ में एक संक्षिप्त विवरण यहां तालिका में प्रस्तुत है।
कई बार देखने में आता है कि कुंडली में शुभ-योग मौजूद होने के बावजूद उन योगों से संबंधित ग्रहों के रत्न धारण करना लग्नानुसार अद्गाुभ होता है। उदाहरण के रूप में मकर लग्न में सूर्य अष्टमेद्गा हो, तो अद्गाुभ और चंद्र सप्तमेद्गा हो, तो मारक होता है। मंगल चतुर्थेद्गा-एकादद्गोद्गा होने पर भी लग्नेद्गा शनि का शत्रु होने के कारण अशुभ नहीं होता। गुरु तृतीयेद्गा-व्ययेद्गा होने के कारण अत्यंत अद्गाुभ होता है।
ऐसे में मकर लग्न के जातकों के लिए माणिक्य, मोती, मूंगा और पुखराज धारण करना अशुभ है। परंतु यदि मकर लग्न की कुंडली में गजकेसरी, लक्ष्मी या बुधादित्य जैसा शुभ योग हो और वह सूर्य, चंद्र, मंगल या गुरु से संबंधित हो, तो इन योगों के शुभाद्गाुभ प्रभाव में वृद्धि हेतु इन ग्रहों से संबंधित रुद्राक्ष धारण करना चाहिए, अर्थात गजकेसरी योग के लिए दो और पांच मुखी, लक्ष्मी योग के लिए दो और तीन मुखी और बुधादित्य योग के लिए चार और एक मुखी रुद्राक्ष।
अंकद्गाास्त्र के अनुसार रुद्राक्ष-धारण अंक ज्योतिष के अनुसार जातक को अपने मूलांक, भाग्यांक और नामांक के अनुरूप रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। 1 से 9 तक के अंक मूलांक होते हैं।
प्रत्येक अंक किसी ग्रह विशेष का प्रतिनिधित्व करता है, जैसे अंक 1 सूर्य, 2 चंद्र, 3 गुरु, 4 राहु, 5 बुध, 6 शुक्र, 7 केतु, 8 शनि और 9 मंगल का। अतः जातक को मूलांक, भाग्यांक और नामांक से संबंधित ग्रह के रुद्राक्ष धारण करने चाहिए। कार्य-क्षेत्र के अनुरूप रुद्राक्ष कार्य की प्रकृति के अनुरूप रुद्राक्ष-धारण करना कैरियर के सर्वांगीण विकास हेतु शुभ एवं फलदायी होता है। किस कार्य क्षेत्र के लिए कौन सा रुद्राक्ष धारण करना चाहिए, इसका एक संक्षिप्त विवरण यहां प्रस्तुत है।
नेता-मंत्री-विधायक सांसदों के लिए - 1 और 14 मुखी।
प्रशासनिक अधिकारियों के लिए - 1 और 14 मुखी।
जज एवं न्यायाधीशों के लिए - 2 और 14 मुखी।
वकील के लिए - 4, 6 और 13 मुखी।
बैंक मैनेजर के लिए - 11 और 13 मुखी।
बैंक में कार्यरत कर्मचारियों के लिए - 4 और 11 मुखी।
चार्टर्ड एकाउन्टेंट एवं कंपनी सेक्रेटरी के लिए - 4, 6, 8 और 12 मुखी।
एकाउन्टेंट एवं खाता-बही का कार्य करने वाले कर्मचारियों के लिए - 4 और 12 मुखी।
पुलिस अधिकारी के लिए - 9 और 13 मुखी।
पुलिस/मिलिट्री सेवा में काम करने वालों के लिए - 4 और 9 मुखी।
डॉक्टर एवं वैद्य के लिए - 1, 7, 8 और 11 मुखी।
फिजीशियन (डॉक्टर) के लिए - 10 और 11 मुखी।
सर्जन (डॉक्टर) के लिए - 10, 12 और 14 मुखी।
नर्स-केमिस्ट-कंपाउण्डर के लिए - 3 और 4 मुखी।
दवा-विक्रेता या मेडिकल एजेंट के लिए - 1, 7 और 10 मुखी।
मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव के लिए - 3 और 10 मुखी।
मेकैनिकल इंजीनियर के लिए - 10 और 11 मुखी।
सिविल इंजीनियर के लिए - 8 और 14 मुखी।
इलेक्ट्रिकल इंजीनियर के लिए - 7 और 11 मुखी।
कंप्यूटर सॉफ्टवेयर इंजीनियर के लिए - 14 मुखी और गौरी-शंकर।
कंप्यूटर हार्डवेयर इंजीनियर के लिए - 9 और 12 मुखी।
पायलट और वायुसेना अधिकारी के लिए - 10 और 11 मुखी।
जलयान चालक के लिए - 8 और 12 मुखी।
रेल-बस-कार चालक के लिए - 7 और 10 मुखी।
प्रोफेसर एवं अध्यापक के लिए - 4, 6 और 14 मुखी।
गणितज्ञ या गणित के प्रोफेसर के लिए - 3, 4, 7 और 11 मुखी।
इतिहास के प्रोफेसर के लिए - 4, 11 और 7 या 14 मुखी।
भूगोल के प्रोफेसर के लिए - 3, 4 और 11 मुखी।
क्लर्क, टाइपिस्ट, स्टेनोग्रॉफर के लिए - 1, 4, 8 और 11 मुखी।
ठेकेदार के लिए - 11, 13 और 14 मुखी।
प्रॉपर्टी डीलर के लिए - 3, 4, 10 और 14 मुखी।
दुकानदार के लिए - 10, 13 और 14 मुखी।
मार्केटिंग एवं फायनान्स व्यवसायिओं के लिए - 9, 12 और 14 मुखी।
उद्योगपति के लिए - 12 और 14 मुखी।
संगीतकारों-कवियों के लिए - 9 और 13 मुखी।
लेखक या प्रकाशक के लिए - 1, 4, 8 और 11 मुखी।
पुस्तक व्यवसाय से संबंधित एजेंट के लिए - 1, 4 और 9 मुखी।
दार्शनिक और विचारक के लिए - 7, 11 और 14 मुखी।
होटल मालिक के लिए - 1, 13 और 14 मुखी।
रेस्टोरेंट मालिक के लिए - 2, 4, 6 और 11 मुखी।
सिनेमाघर-थियेटर के मालिक या फिल्म-डिस्ट्रीब्यूटर के लिए - 1, 4, 6 और 11 मुखी।
सोडा वाटर व्यवसाय के लिए - 2, 4 और 12 मुखी।
फैंसी स्टोर, सौन्दर्य-प्रसाधन सामग्री के विक्रेताओं के लिए - 4, 6 और 11 मुखी रुद्राक्ष।
कपड़ा व्यापारी के लिए - 2 और 4 मुखी।
बिजली की दुकान-विक्रेता के लिए - 1, 3, 9 और 11 मुखी।
रेडियो दुकान-विक्रेता के लिए - 1, 9 और 11 मुखी।
लकडी़ या फर्नीचर विक्रेता के लिए - 1, 4, 6 और 11 मुखी।
ज्योतिषी के लिए - 1, 4, 11 और 14 मुखी रुद्राक्ष ।
पुरोहित के लिए - 1, 9 और 11 मुखी।
ज्योतिष तथा धार्मिक कृत्यों से संबंधित व्यवसाय के लिए - 1, 4 और 11 मुखी।
जासूस या डिटेक्टिव एंजेसी के लिए - 3, 4, 9, 11 और 14 मुखी।
जीवन में सफलता के लिए - 1, 11 और 14 मुखी।
जीवन में उच्चतम सफलता के लिए - 1, 11, 14 और 21 मुखी।
विद्गोष : इनके साथ-साथ 5 मुखी रुद्राक्ष भी धारण किया जाना चाहिए।