सामान्यतः कहा जाता है कि रुचक योग में जन्म लेने वाला जातक साहसी, नेतृत्वकर्ता, यशस्वी, प्रभावशाली व्यक्तित्व वाला, शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने वाला, उद्यमशील, लीक से हटकर चलने वाला और परिश्रमी होता है। वस्तुतः अन्य योगों की भांति रुचक योग भी लग्न, भाव एवं भावेश के अनुरूप तथा मंगल की नक्षत्रीय स्थिति के अनुरूप फल देता है। मंगल को दशम भाव में विशेष बली माना जाता है। दशम भावगत उच्चस्थ मंगल से कुलदीपक योग की रचना होती है।
हालांकि मंगल को अनिष्टकारी ग्रह माना गया है लेकिन किसी भी प्रकार का कोई फैसला तात्कालिक आधार पर लेना श्रेयस्कर नहीं है, क्योंकि पापी ग्रहों के शुभ भावों के स्वामी होने पर इनके पापत्व में क्षीणता आती है। मंगल भाई का कारक होते हुए भी क्रूर ग्रहों में अग्रणी है। कर्क व सिंह लग्न की कुंडली देखते ही ज्योतिषी के मुंह से पहला शब्द निकलता है राजयोग की कुंडली, क्योंकि इन दोनों लग्नों के लिए मंगल सदैव राजयोग कारक कहा गया है। इन दोनों लग्नों वालों के लिए मंगल की महादशा व अंतर्दशा काल जीवन का स्वर्णिम काल होता है।
बशर्ते यह दशा सही उम्र में आए। ज्योतिष में कहा गया है कि राजा को संतोषी व ज्योतिषी को असंतोषी नहीं होना चाहिए, क्योंकि ज्योतिष शुभ ग्रहों के प्रभाव से बनता है और राजयोग बनाने वाले क्रूर ग्रह होते हैं जिनमंे मंगल मुख्य है। यदि मंगल केंद्र, तृतीय आदि में हो या कर्म स्थान पर दृष्टि आदि द्वारा प्रभाव बनाए तो जातक पुलिस विभाग में नौकरी करता है। यदि चंद्र लग्न बलवान है तो उससे भी यही फल होता है। निम्न कुंडलियों के अध्ययन से यह विषय स्पष्ट हो जाएगा।
कुंडली नं. 1 एक आइ.पी.एस. की है जिनका जन्म उ.प्र. में 22.10.1979 को 14.30 बजे हुआ। इसमें लग्न में रुचक योग बना है जिसने जातक को कर्मशील व निर्भीक बनाया औरत तीनों गड्ढे खाली होने से प्रबल राजयोग बना। नवमेश व दशमेश की युति ने पुनः राजयोग बनाया। कुंडली में केंद्र में सूर्य व चंद्रमा के अलावा कोई भी दो ग्रह यदि पंचमहापुरुष योग का निर्माण कर रहें हो तो जातक राजा होता है। आइ.पी.एस. अफसर राजा की श्रेणी में ही आते हैं। जातक के भाग्येश बुध की महादशा भी शिक्षा के समय व भाग्योदय के समय में रहने के कारण योगों ने अपना शुभ फल समय पर दिया। नवांश में मकर के मंगल ने अपना शुभ फल करने में कोई कमी नहीं रखी, हालांकि सप्तम के केतु व लग्न के राहु ने अंतर्जातीय प्रेम विवाह कराया। आज ये प्रसिद्ध व ईमानदार वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक है।
कुंडली नं. 2 एक अन्य आइ.पी.एस. अधिकारी की है जिनका जन्म उ.प्र. में दिनांक 3.2.1956 को 14.00 बजे हुआ। इनकी कुंडली में सप्तम में रुचक योग बना है व नवांश में मंगल मकर का है। केंद्र के चारों भावों में ग्रह होने से उच्च पद की प्राप्ति हुई। किंतु सप्तम में मंगल, शनि व राहु की युति के कारण इनका विवाह नहीं हो सका। आज ये आइ.जी. पद पर हैं।
कुंडली नं. 3 के जातक भी एक आइ.पी.एस. अधिकारी की हैं जिनका जन्म उ.प्र. में दिनांक 26.12.1953 को 13.40 पर हुआ। इन्हें सप्तम में अपने उच्चनाथ दिग्बली शनि से बल मिला व नवांश में मकर के मंगल होने, दशम भाव में मंगल की उच्च की मकर राशि पर दृष्टि होने व तीनों गड्ढे खाली होने से उच्च पद प्राप्त हुआ। आज ये आइ.जी. पद पर हंै। पंचम में मात्र स्त्री ग्रह चंद्रमा के होने व पंचमेश सूर्य पर किसी पुरुष ग्रह का प्रभाव न होने से इनके दो पुत्रियां ही हंै।
कुंडली नं. 4 एक पी.पी.एस. अधिकारी की है। इनका जन्म उ.प्र. में दिनांक 19.4.1958 को 19.00 बजे हुआ। चतुर्थ भाव में उच्च के मंगल ने इन्हें पी.पी.एस. स्तर का राजपित्रत अधिकारी तो बनाया लेकिन नवांश में सिंह के मंगल के कारण आइ.पी.एस. न हो सके। इन्हें भी लग्न के राहु व सप्तम के केतु ने प्रेम विवाह करने को मजबूर किया। पंचम में स्त्री ग्रह शुक्र के होने से, पंचमेश शनि पर किसी भी पुरुष ग्रह का प्रभाव न होने से व पुत्र कारक ग्रह गुरु को राहु द्वारा निगले जाने से इनके तीन पुत्रियां ही हुईं। मंगल यदि तीसरे, छठे, दशम या एकादश भाव में हो तो उत्तम फल करता है। इसका स्पष्ट उदाहरण है
कुंडली सं 5। इनका जन्म उ.प्र. में दिनांक 1.11.1947 को 4.02 बजे हुआ। इनकी चंद्र कुंडली बलवान है जिससे भी मंगल ने तीसरे भाव में व नवांश में शनि की कुंभ राशि में होकर व अपने उच्चनाथ के साथ बल पाकर इन्हंे एक पी.पी.एस. अधिकारी बनाया और आज वे विभागीय पदोन्नति पाकर डी.आइ.जी. पद पर हैं। तीनों गड्ढे खाली होने से बने राजयोग ने उच्च पद पर पहुंचाया।
कुंडली न. 6 उ.नि. स्तर के एक पुलिस अधिकारी की है। इनका जन्म उ.प्र. में दिनांक 7.10.1967 को हुआ। चतुर्थ में रुचक योग ने पुलिस की नौकरी तो दिलाई किंतु नवांश में कुंभ के मंगल ने राजपत्रित अधिकारी का पद नहीं दिया। अष्टम के शनि व सुख स्थान में नीच के चंद्रमा तथा मंगली योग के कारण इनका विवाह नहीं हुआ है और आज एक अधेड़ आयु की कई बच्चों की मां के साथ जीवन व्ययतीत कर रहे हैं।
कुंडली नं. 7 उ.नि. स्तर के एक अधिकारी की है जो विभागीय पदोन्नति पाकर आज डिप्टी एस.पी. पद पर हंै। इनका जन्म 26.12.1944 को 11.30 बजे उ.प्र. में हुआ। इनका मंगल दशम में दिग्बली व स्वराशि का होकर बलवान तो है, किंतु मीन के नवांश में होने से व धनेश गुरु के अष्टम में जाने से प्रारंभ में उच्च पद से नौकरी शुरू न हो सकी।
कुंडली नं. 8 कानि. स्तर के एक पुलिस कर्मी की है। इनका जन्म उत्तरांचल में दिनांक 13.1.1962 को सुबह 6.00 बजे हुआ। ये कानि. पद पर भर्ती हुए और अब तक हेड कानि. ही हो पाए हैं। मंगल ने लग्न पर प्रभाव डालकर पुलिस में आने के योग तो बनाए पर नवांश में तुला के होने से तथा लग्नेश गुरु के नींच के होने से आंशिक कालसर्प योग व केमदु्रम योग के कारण उच्च पद की प्राप्ति नहीं हो सकी।
कुंडली नं. 9 कानि. स्तर के एक पुलिस कर्मी की है। इनका जन्म उ.प्र. में दिनांक 15.10.1965 को सुबह 5.05 बजे हुआ। तृतीय के मंगल ने कर्म स्थान पर दृष्टि द्वारा पुलिस में आने का योग बनाया पर चंद्रमा पर शनि व मंगल की दृष्टि, गंडमूल नक्षत्र के जन्म व केमदु्रम योग के कारण उच्च पद नहीं मिल सका।
नोट: इन योगों में एक तथ्य विशेष ध्यातव्य है कि कोई भी गजेटेड पद बिना धनेश की मजबूती के नहीं मिलता है और यदि मंगली योग बना है तो किसी न किसी प्रकार से मंगल ने दाम्पत्य जीवन को प्रभावित भी किया है।