कस्पल पद्धति
कस्पल पद्धति

कस्पल पद्धति  

आर.एस. चानी
व्यूस : 6249 | अप्रैल 2016

कस्पल इंटर लिंक प्रणाली, के. पी सिस्टम से कैसे भिन्न है ? कृष्णमूर्ति जी ने वैदिक ज्योतिष से थोड़ा इतर एक अलग पद्धति का सृजन किया जिसका नाम इन्होंने केपी. ज्योतिष पद्धति दिया। कृष्णमूर्ति जी ने एक नक्षत्र जिसकी अवधि 130 -20’’ (13 डिग्री 20 मिनट) यानि कि 800 मिनट है उसको विशोंत्तरी दशा नियम के अनुसार नौ असमान हिस्सों में बांटा।

एक नक्षत्र को नौ असमान (नदमुनंस) हिस्सों में बांटने पर एक नक्षत्र का जो प्रतिभाग ;ेनइकपअपेपवदद्ध हुआ, उस सब डिविजन को कृष्णमूर्ति जी ने नाम दिया सब लाॅर्ड। जो भचक्र अभी तक 12 भावों, 27 नक्षत्रों और उससे आगे 108 नवांशांे में बंटा हुआ था, अब उस भचक्र ;्रवकपंबद्ध के 249 (246$3) प्रतिभाग/ हिस्से कर दिए गए ताकि कुंडली का और बारीक अध्ययन किया जा सके।

आईये इस विचार को और विस्तार से समझने का प्रयास करें। जैसा कि पाठकगण जानते हैं कि एक नक्षत्र की अवधि 130 20’’ यानि की 800 मिनट होती है। अब इस 800 मिनट में से प्रत्येक ग्रह को विशोंत्तरी दशा में मिले हुए वर्षाें के अनुसार और अनुपात में नौ के नौ ग्रहों को कितना समय मिलना है इसका निर्धारण किस प्रकार हो, इसको हम यहाँ एक उदाहरण सहित प्रस्तुत कर रहे हैं।

सूर्य ग्रह को विंशोत्तरी दशा में 6 वर्ष का समय मिला हुआ है। अब हमें तय करना है कि एक नक्षत्र की अवधि काल 800 मिनट में से सूर्य को कितना भाग मिलना है। इसको जानने का फाॅर्मूला/सूत्र बहुत सरल है, आईये इस सूत्र को प्रयोग में लायें। 800’ग6ल/120ल = 40’ (800’ मिनट नक्षत्र की अवधि 6 वर्ष सूर्य का अवधि काल विंशोत्तरी दशा में और 120 वर्ष विंशोत्तरी दशा के पूर्ण काल वर्ष)। इसका तात्पर्य यह निकला कि एक नक्षत्र जिसका अवधिकाल 800 मिनट है

और उस 800 मिनट में से सूर्य के प्रतिभाग/सब डिवीजन/सब लाॅर्ड को समय मिला सिर्फ 40 मिनट। इसी प्रकार अगर हम चन्द्र के सब लाॅर्ड की अवधि जानना चाहें तो 800’ ग 10ल / 120ल = 66‘-40’’ यानि कि 1 डिग्री 6 मिनट और 40 सेकेन्ड) मंगल को 46’-40’’ (छयालीस मिनट चालीस सेकंड), राहु को दो डिग्री यानि कि 120 मिनट, गुरु को 106’-40’’ (1 डिग्री 46 मिनट और 40 सेकेंड), शनि को 126’-40’’ (2 डिग्री, 6 मिनट और 40 सेकेंड), बुध को 113’-20’’ (1डिग्री, 53मिनट और 20 सेकेंड), केतु को 46’-40’’ (छयालीस मिनट चालीस सेकेंड) और शुक्र को 133’-20’ (2डिग्री, 13 मिनट और 20 सेकेंड)।


अपनी कुंडली में राजयोगों की जानकारी पाएं बृहत कुंडली रिपोर्ट में


इसी प्रकार सभी 27 नक्षत्रों को बांट दिया जाता है और नक्षत्र का जो उपभाग (सब डिविजन) होता है उस भाग को सब लाॅर्ड कहा जाता है और के. पी. पद्धति में सब लाॅर्ड को सुप्रीमो कहा जाता है। कुंडली का प्रोमिस /पोटंेशियल/ संकेत पढ़ने के लिए विभिन्न भावों के सब लाॅर्ड का अध्ययन करने के अलावा ग्रह का वक्री होना, युति इत्यादि को भी पढ़ा जाता है।

अगर लग्न का सब लाॅर्ड सूर्य भी बन जाए जिसकी अवधि 40 मिनट है (नक्षत्र की अवधि में से) और समय के अनुसार तकरीबन 3 मिनट होती है और शुक्र के सब लाॅर्ड की अवधि समयानुसार तकरीबन नौ मिनट की होती है। कहने का तात्पर्य है कि सूर्य का सब लाॅर्ड तीन मिनट और शुक्र का सब लाॅर्ड नौ मिनट तक बदलने वाला नहीं है और बहुत संभावना है

कि किसी विशिष्ट दिन, समय और विशिष्ट रेखांश /अंक्षाश पर अगर एक से अधिक बच्चों का जन्म होता है तो उस कंडीशन/ स्थिति में उस समय विशिष्ट में जन्मे सभी बच्चों के लग्न का सब लाॅर्ड एक ही होगा और उसी के अनुसार बाकी भावों के सब लाॅर्ड की भी रचना होती है और यह संभावना बहुत प्रबल रहने की आशंका है।

कहने का तात्पर्य है कि उस तीन से नौ मिनट के काल में जन्मे सभी बच्चों की कंुडली एक ही होगी और कुंडली में योग भी एक समान होंगे तो आप किस प्रकार से फलादेश कर पायेंगे। कौन सी कुंडली किस जातक की है। यह संभावना और भी गंभीर हो जाती है जुड़वां ;जूपदेद्ध बच्चों के केस में तो आप किस प्रकार अध्ययन कर पायेंगे क्योंकि संसार में जन्मा प्रत्येक जातक अद्वितीय (नदपुनम) है।

इन्हीें समस्याओं को हल करने हेतु कस्पल पद्धति का निर्माण किया गया। प्रत्येक जातक अपने आप में अलग है तो हमने अनुभव किया है कि हमें जन्म के उस क्षण ;उवउमदजद्ध पर पहुंचने की आवश्यकता है जब वास्तव में जातक जन्म लेता है। कहने का तात्पर्य है जब बच्चा माता के गर्भ से बाहर आता है और अपनी माता से अलग किया जाता है।

वास्तव में किसी भी जातक का जन्म समय वही विशिष्ट क्षण होता है। आईये अब जरा कस्पल पद्धति के सिद्धांतों को जानने का प्रयास करें। हमने ऊपर पढ़ा कि एक नक्षत्र के नौ असमान हिस्से करने पर नक्षत्र का जो प्रतिभाग ;चंतजद्ध हुआ, उसको नाम दिया गया सब लाॅर्ड। अब जरा कस्पल इन्टरलिंक पद्धति का विचार करें। कस्पल पद्धति का आविष्कार श्रीमान एस. पी. खुल्लर जी के अथक प्रयासों और वर्षों के अनुसंधान के बाद संभव हो पाया है।

जहां के. पी. पद्धति में भचक्र को 249 (246$3) हिस्सों में बांटा गया वहीं कस्पल प्रणाली में भचक्र ;्रवकपंबद्ध को 2193 (2187$6) हिस्सों में बांट दिया गया। भचक्र को बंाटने का तरीका भी बहुत सरल है। हमने ऊपर पढ़ा कि एक नक्षत्र को नौ असमान हिस्सों में बांटने पर जो नक्षत्र का उपभाग हुआ उस उपभाग को नाम दिया गया सबलाॅर्ड। जब कुंडली विश्लेषण में कमियंों का अनुभव किया गया तो उन कमियों से निपटने के लिए उस एक सब लाॅर्ड को भी आगे नौ असमान ;नदमुनंसद्ध हिस्सों में बांट दिया गया। 


जीवन की सभी समस्याओं से मुक्ति प्राप्त करने के लिए यहाँ क्लिक करें !


दशा के नियम अनुसार और अनुपात में एक सब लाॅर्ड के जब नौ हिस्से किए गए तो उस उपभाग को नाम दिया गया सब सब लाॅर्ड। आज की तारीख में सब सब लाॅर्ड लेवल पर काम किया जा रहा है और आगे भी अनुसंधान जारी है। इस प्रकार जब 243 सब लाॅर्ड को आगे नौ-नौ हिस्सों में बांटा गया तो टोटल सब सब लाॅर्ड की संख्या हो गई 2193(2187$6)। कहने का तात्पर्य है कि जो भचक्र अभी तक 249 हिस्सों में बंटा हुआ था

अब वह भचक्र 2193 असमान हिस्सों में बंट गया ताकि हम समय के उस क्षण के नजदीक पहुंच सकें जब वास्तव में किसी जातक का जन्म हुआ। एक बार अगर हम उस क्षण को जान लें कि जिस समय विशेष पर जातक का जन्म हुआ है तो हम कुंडली का विश्लेषण बहुत हद तक सही कर सकते हैं क्योंकि उस समय विशेष पर कंुडली में जो कस्पल इंटरलिंक स्थापित होगी, वही कस्पल इंटरलिंक (कस्पल योग) उस जातक के भविष्य के बारे में बताने में सक्षम होंगे।

जो कस्पल इंटरलिंक उस विशेष समय में स्थापित हो गई वही कस्पल योग जातक के पूर्ण जीवन काल को कंट्रोल करने वाले हंै। आईये अब जरा अध्ययन करें कि सब लाॅर्ड से सब सब लाॅर्ड की डिविजन किस प्रकार होती है। कस्पल ज्योतिष नवांश तथा नाड़ी ज्योतिष पर आधारित है। कस्पल चार्ट /कुंडली का निर्माण प्लासिडियस सिस्टम ;चसंबपकपने ेलेजमउद्ध के आधार पर किया जाता है।

प्लासिडियस सिस्टम कुंडली बनाने की एक प्रणाली है जिस प्रकार श्रीपति सिस्टम और दूसरी प्रणालियां।

1). इस प्रणाली में वैदिक कंुडली की भांति किसी भी भाव को भाव मध्य से भाव मध्य नहीं लिया जाता बल्कि यहंा लग्न तथा अन्य भाव शुरुआती बिन्दु ;ेजंतजपदह चवपदज व िं बनेचद्ध पर आधारित है। आईये अब जरा कस्पल ज्योतिष के सिद्धांत को दोबारा समझने का प्रयास करें। कस्पल ज्योतिष नवांश तथा नाड़ी ज्योतिष पर आधरित है।

कस्पल चार्ट/कुंडली का निर्माण प्लासिडियस सिस्टम ;च्संबपकपने ेलेजमउद्ध के आधार पर किया जाता है। इस प्रणाली में वैदिक कुंडली की भांति भाव मध्य से भाव मध्य के आधार को नहीं लिया जाता बल्कि यहां लग्न और अन्य भाव/कस्प शुरुआती बिन्दु ;ेजंतजपदह चवपदज व िं बनेचद्ध पर आधारित है। 

कातात्पर्य यह है कि अगर कोई लग्न 280 पर उदय हो रहा है तो यह इस विशिष्ट लग्न का शुरुआती बिन्दु है। दूसरा हर एक भाव/ कस्प एक समान अवधि का न होकर छोटा या बड़ा हो सकता है। कस्पल प्रणाली में पूरे भचक्र ;्रवकपंबद्ध को 2193 असमान हिस्सों में बांटा गया है।

उसका आधार यह है कि ऊपर हमने देखा जब एक नक्षत्र के नौ हिस्से ;असमानद्ध किए गए तो उस प्रतिभाग को नाम दिया गया सब लाॅर्ड, इस प्रकार के. पी. सिस्टम में भचक्र को 249 (246$3) हिस्सों में बांटा गया और हर सब लाॅर्ड को विंशोत्तरी दशा नियम के अनुसार और अनुपात में अलग-अलग समय मिला। जहां सूर्य के सब लाॅर्ड को 800’ (मिनट) (नक्षत्र की अवधि) में से सिर्फ 40’ (मिनट) का समय मिल पाया ठीक उसी प्रकार शुक्र के सब लाॅर्ड को 133’-20’’ (133 मिनट, 20 सेकंड) की अवधि प्राप्त हुई क्योंकि शुक्र को विंशोत्तरी दशा में 20 वर्ष का समय मिला हुआ है।

जैसा कि हमने ऊपर पढ़ा कि सूर्य का सब लाॅर्ड लगभग 3 मिनट की अवधि तक रहता है और वहीं शुक्र के सब लाॅर्ड की अवधि लगभग 9 मिनट तक रहने वाली है और बहुत प्रबल संभावना है कि इस 3 मिनट और 9 मिनट की अवधि में एक विशिष्ट रेखांश/अक्षांश पर एक से अधिक बच्चों/जातकों का जन्म हो सकता है।


Get Detailed Kundli Predictions with Brihat Kundli Phal


फिर हम सब लाॅर्ड के माध्यम से भी किस प्रकार किसी कंुडली की विवेचना/अध्ययन कर पाएंगे ? इसलिए हमें सब लाॅर्ड से भी आगे जाने की आवश्यकता महसूस हुई। इसलिए आगे कस्पल पद्धति में ठीक उसी प्रकार एक सबलाॅर्ड को भी 9 असमान हिस्सों में बांटा गया जिस प्रकार एक नक्षत्र को बांटा गया था और इस सब लाॅर्ड के जब आगे 9 हिस्से किए गए तो उस हिस्से / प्रतिभाग को नाम दिया गया सब सब लाॅर्ड।

इस प्रकार जब सभी 243 सब लाॅर्ड को नौ हिस्सों (असमान) में विंशोत्तरी दशा नियम के अनुसार और अनुपात में बांटा गया तो भचक्र के टोटल हिस्से 2193 (2187$6) हो गये। कहने का तात्पर्य यह है कि जो भचक्र र्;वकपंबद्ध अभी तक 249 हिस्सों में बंटा हुआ था उसको अब 2193 में बांट दिया गया और जो आगे प्रतिभाग हुए उनको नाम दिया गया सब सब लाॅर्ड का। इससे अब यह लाभ मिलेगा कि आप जन्म के उस क्षण तक पहुंचने में काफी हद तक सफल हो पाएंगे, जब जातक का वास्तव में जन्म होता है यानि कि जातक जब अपनी माँ से अलग होता है या वह पहली सांस लेता है।

इस प्रकार कस्पल कुंडली मंे अगर लग्न का प्रोमिस पढ़ना है तो लग्न के सब सब लाॅर्ड से पढ़ेंगे। अगर सातवंे भाव का प्रोमिस या पोटेंशियल ;चतवउपेम वत चवजमदजपंसद्ध पढ़ना है तो सातवें भाव के सब सब लाॅर्ड से पढ़ेंगे और अगर किसी भी भाव का प्रोमिस पढ़ना है तो उस विशिष्ट भाव के सब सब लाॅर्ड से अध्ययन करेंगे। एक सब लाॅर्ड की अवधि जहां 3 से 9 मिनट की रहने वाली थी, सब सब लाॅर्ड की अवधि वहीं कुछ सेकंड की रहेगी और बड़ी ही प्रबल संभावना है

कि हम जातक के जन्म क्षण तक पहुंचने में सफल होंगे। सब सब लाॅर्ड प्रणाली (कस्पल प्रणाली) गणना करने में सक्षम है और यह पद्धति फलादेश करने, जन्म समय को शुद्ध करने, कंुडली का प्रोमिस/संकेत पढ़ने तथा इवंेट की टाईमिंग करने में बहुत ही कारगर सिद्ध हुई है।

इस पद्धति द्वारा दिया गया फलादेश और जन्म समय का शुद्धिकरण ;इपतजी जपउम तमबजपपिबंजपवदद्ध किया गया बहुत ही सटीक बैठता है तथा इस पद्धति की विशेषता यह है कि आपको किसी भी प्रकार के योगों को स्मरण रखने की आवश्यकता नहीं क्योंकि इस प्रणाली में किसी भी प्रकार के विकसित योगों को नहीं पढ़ा जाता तथा किसी भी ग्रह का उच्च होना, नीच होना, वक्री होना, वृद्धावस्था में होना, बाल अवस्था में होना इत्यादि तथा दृष्टि संबंधों तथा युति इत्यादि संबंधों को नहीं पढ़ा जाता।

अब प्रश्न यहां यह उठता है कि कस्पल पद्धति यानि कि सब सब लाॅर्ड थ्योरी में ग्रह किस प्रकार फल देता है। आप यह समझिये कि कस्पल पद्धति में हर ग्रह अपने नक्षत्र स्वामी ग्रह का फल प्रदान करता है तथा दूसरे ग्रह अपना फल प्रदान करने में तभी सक्षम होते हैं

जब उस विशिष्ट ग्रह का पोजीशनल स्टेटस होता है तथा ग्रह पोजीशनल स्टेटस या स्टैलर स्टेटस लेवल पर जिस प्रकार कस्पल लिंकेज स्थापित करता है तथा जिन-जिन भावों से लिंकेज स्थापित करेगा वह विशिष्ट ग्रह उन-उन भावों का फल प्रदान करने में सक्षम हो जाएगा। कस्पल लिंकेज किस प्रकार उत्पन्न होती है इसे अगले अंक में विस्तार से समझाने का प्रयत्न करेंगे।



Ask a Question?

Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

  • Health

  • Family

  • Marriage

  • Career

  • Finance

  • Business


.