नीरजा भनोट मुंबई में पैन एम एयरलाइन्स (Pan Am Airlines) की विमान परिचारिका थीं। 5 सितंबर 1986 के मुम्बई से न्यूयॉर्क जा रहे पैन एम फ्लाइट 73 के अपहृत विमान में यात्रियों की सहायता एवं सुरक्षा करते हुए वे आतंकवादियों की गोलियों का शिकार हो गईं थीं। उनकी बहादुरी के लिये मरणोपरांत उन्हें भारत सरकार ने अपने सर्वोच्च वीरता पुरस्कार अशोक चक्र से सम्मानित किया और साथ ही पाकिस्तान सरकार और अमरीकी सरकार ने भी उन्हें इस वीरता के लिये सम्मानित किया है।
वर्ष 2011 में उनके ऊपर एक फिल्म के निर्माण की घोषणा हुई, जिसमें उनका किरदार सोनम कपूर द्वारा अदा किया जाना निश्चित किया गया। फिल्म की शुरूआत 2015 में हुई और इसे 19 फरवरी 2016 को रिलीज किया गया। नीरजा का जन्म 7 सितंबर 1963 को पिता हरीश भनोट और माँ रमा भनोट की पुत्री के रूप में चंडीगढ़ में हुआ।
जब 7 सितंबर 1962 को चंडीगढ़ में अस्पताल से मैटरनिटी वार्ड मैट्रन ने यह सूचित करने के लिए फोन किया कि आपके यहां बेटी हुई है तो नीरजा के पिता ने प्रसन्नता से फोन करने वाले को हैरान करते हुए दो बार धन्यवाद दिया क्योंकि नीरजा ने दो पुत्रों के बाद प्रार्थनाओं के फलस्वरूप जन्म लिया था। नीरजा परिवार की लाडो व सबसे छोटी थी। नीरजा अत्यंत संवेदनशील, स्नेह से भरी हुई तथा अत्यंत सुशील थी जो लोगों से अपने सुख तो बांटती थी परंतु अपनी तकलीफें कभी जाहिर नहीं करती थी।
उसके अपने निर्धारित कुछ सिद्धांत थे जिनका वह अडिग व अटल रहकर पालन करती थी। उनके पिता बंबई (अब मुंबई) में पत्रकारिता के क्षेत्र में कार्यरत थे और नीरजा की प्रारंभिक शिक्षा अपने गृहनगर चंडीगढ़ के सैक्रेड हार्ट सीनियर सेकेण्डरी स्कूल में हुई। इसके पश्चात् उनकी शिक्षा मुम्बई के स्कोटिश स्कूल और सेंट जेवियर्स कॉलेज में हुई।
नीरजा का विवाह वर्ष 1985 में संपन्न हुआ और वे पति के साथ खाड़ी देश को चली गयीं लेकिन कुछ दिनों बाद दहेज के दबाव को लेकर इस रिश्ते में खटास आयी और विवाह के दो महीने बाद ही नीरजा वापस मुंबई आ गयीं। इसके बाद उन्होंने पैन एम में विमान परिचारिका की नौकरी के लिये आवेदन किया और चुने जाने के बाद मियामी में ट्रेनिंग के बाद वापस लौटीं।
मुम्बई से न्यूयॉर्क के लिये रवाना पैन एम-73 को कराची में चार आतंकवादियों ने अपहृत कर लिया और सारे यात्रियों को बंधक बना लिया। नीरजा उस विमान में सीनियर पर्सर के रूप में नियुक्त थीं और उन्हीं की तत्काल सूचना पर चालक दल के तीन सदस्य विमान के कॉकपिट से तुरंत सुरक्षित निकलने में कामयाब हो गये।
पीछे रह गयी सबसे वरिष्ठ विमानकर्मी के रूप में यात्रियों की जिम्मेवारी नीरजा के ऊपर थी और जब 17 घंटों के बाद आतंकवादियों ने यात्रियों की हत्या शुरू कर दी और विमान में विस्फोटक लगाने शुरू किये तो नीरजा विमान का इमरजेंसी दरवाजा खोलने में कामयाब हुईं और यात्रियों को सुरक्षित निकलने का रास्ता मुहैय्या कराया।
वे चाहतीं तो दरवाजा खोलते ही खुद पहले कूदकर निकल सकती थीं किन्तु उन्होंने ऐसा न करके पहले यात्रियों को निकालने का प्रयास किया। इसी प्रयास में तीन बच्चों को निकालते हुए जब एक आतंकवादी ने बच्चों पर गोली चलानी चाही नीरजा के बीच में आकर मुकाबला करते वक्त उस आतंकवादी की गोलियों की बौछार से नीरजा की मृत्यु हुई। नीरजा के इस वीरतापूर्ण आत्मोत्सर्ग ने उन्हें अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर हीरोइन ऑफ हाईजैक के रूप में मशहूरियत दिलाई।
नीरजा को भारत सरकार ने इस अद्भुत वीरता और साहस के लिए मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्मानित किया जो भारत का सर्वोच्च शांतिकालीन वीरता पुरस्कार है। अपनी वीरगति के समय नीरजा भनोट की उम्र 23 साल थी। इस प्रकार वे यह पदक प्राप्त करने वाली पहली महिला और सबसे कम आयु की नागरिक भी बन गईं। पाकिस्तान सरकार की ओर से उन्हें तमगा-ए-इन्सानियत से नवाजा गया।
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नीरजा का नाम हीरोइन ऑफ हाईजैक के तौर पर मशहूर है। वर्ष 2004 में उनके सम्मान में भारत सरकार ने एक डाक टिकट भी जारी किया और अमेरिका ने वर्ष 2005 में उन्हें जस्टिस फॉर क्राइम अवार्ड दिया है। नीरजा की स्मृति में मुम्बई के घाटकोपर इलाके में एक चैराहे का नामकरण किया गया जिसका उद्घाटन 90 के दशक में अमिताभ बच्चन ने किया।
इसके अलावा उनकी स्मृति में एक संस्था नीरजा भनोट पैन एम न्यास की स्थापना भी हुई है जो उनकी वीरता को स्मरण करते हुए महिलाओं को अदम्य साहस और वीरता हेतु पुरस्कृत करती है। उनके परिजनों द्वारा स्थापित यह संस्था प्रतिवर्ष दो पुरस्कार प्रदान करती है जिनमें से एक विमान कर्मचारियों को वैश्विक स्तर पर प्रदान किया जाता है और दूसरा भारत में महिलाओं को विभिन्न प्रकार के अन्याय और अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाने और संघर्ष के लिये।
प्रत्येक पुरस्कार की धनराशि 1,50,000 रुपये है और इसके साथ पुरस्कृत महिला को एक ट्राॅफी और स्मृतिपत्र दिया जाता है। महिला अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाने के लिये प्रसिद्ध हुई राजस्थान की दलित महिला भंवरीबाई को भी यह पुरस्कार दिया गया था। नीरजा के इस साहसिक कार्य और उनके बलिदान को याद रखने के लिये उन पर फिल्म निर्माण की घोषणा वर्ष 2010 में ही हो गयी थी परन्तु किन्हीं कारणों से यह कार्य टलता रहा।
अप्रैल 2015 में यह खबर आयी कि राम माधवानी के निर्देशन में इस फिल्म की शूटिंग शुरू हुई है। इस फिल्म में नीरजा का किरदार अभिनेत्री सोनम कपूर न अदा किया है। यह फिल्म 19 फरवरी 2016 को रिलीज हुई है। इस फिल्म के प्रोड्यूसर अतुल काशबेकर हैं। नीरजा भनोट भारत में सर्वाधिक शानदार व प्रसिद्ध नामों में से एक है। सोने के दिल वाली नीरजा की निर्भयता व धैर्य से इन्हें अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान और प्रशंसा मिली।
नीरजा ने कठिन घड़ी में समय व परिस्थिति की आवश्यकता को भांप कर ऐसे साहस व समझदारी का प्रदर्शन किया कि इन्हें सबसे छोटी आयु में वीरता के सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार अशोक चक्र से सम्मानित किया गया। बलिदान की प्रतिमूर्ति नीरजा भनोट की कुंडली का ज्योतिषीय विश्लेषण - आखिर कौन से ऐसे ग्रह योग थे जिनके प्रभाव से नीरजा इतनी साहसी व वीर थी यह जानने के लिए इनके जन्म काल की ग्रह स्थिति का अध्ययन करना होगा।
नीरजा के जन्म समय की जानकारी के अभाव में इनकी चंद्र कुंडली का विश्लेषण दिया जा रहा है। नीरजा की मेष राशि है। मेष राशि के जातकों को वीरता तथा तुरंत निर्णय लेने की क्षमता के लिए जाना जाता है। इन्हें खतरों से खेलने में मजा आता है। समंदर के झंझावातों से टकराना, युद्ध भूमि में तुरंत निर्णय लेकर पूरी शक्ति से शत्रु पर टूट पड़ना तथा कठिन से कठिन परिस्थति में अदम्य साहस व शौर्य का प्रदर्शन करना आदि मेष राशि व मेष लग्न के जातकों का मुख्य गुण होता है।
इन्हें प्रत्येक ऐसे कार्य में सफलता प्राप्त होती है जहां वीरता ही श्रेष्ठता का मापदंड हो। ऐसा उस समय विशेष रूप से होता है जब मेष राशि पर वीरता व बल के कारक मंगल का पूर्ण प्रभाव पड़ रहा हो। नीरजा की कुंडली में भी मेष राशि में स्थित चंद्रमा पर मंगल की पूर्ण दृष्टि है। इनकी चंद्र कुंडली में पंचम भाव में सिंह राशि में स्वगृही सूर्य के साथ शुक्र विद्यमान है तथा मंगल सप्तम भाव में विराजमान है।
जातक ग्रंथों में ऐसा लिखा गया है कि यदि पंचम में सूर्य तथा लग्न या सप्तम में मंगल हो तो ऐसे योग वाले बालक को जंगल में भी परित्यक्त कर दिया जाय तो भी उसके विश्वविख्यात होने में संदेह नहीं। मेष राशिस्थ चंद्रमा पर मंगल की दृष्टि होने तथा पंचम भाव में सूर्य के प्रभाव से ही नीरजा निर्भय व वीर बनी। कुंडली में सूर्य, गुरु, शनि व बुध ये चारों ग्रह स्वगृही हंै। बुध उच्च का होकर स्वगृही गुरु के साथ परस्पर दृष्टि योग बनाकर इन्हें तीव्र बुद्धि संपन्न बना रहा है।
चंद्रमा से पंचम भाव में स्वगृही सूर्य के फलस्वरूप इन्होंने प्रत्येक जरूरतमंद को सहायता व जीवन सुरक्षा प्रदान की। स्वगृही बुध पर स्वगृही बृहस्पति के दृष्टि प्रभाव से ये अपने कर्तव्य के प्रति सजग, ईमानदार व निष्ठावान थीं। द्वादश भाव दान, उदारता, बलिदान व परलोक का द्योतक होता है अतः चंद्रमा से द्वादश में गुरु के होने के कारण ही नीरजा बचपन से ही उदार स्वभाव की तथा बलिदान की भावनाओं से ओतप्रोत थी तथा ग्रहों की उपरोक्त स्थिति के फलस्वरूप सोने के हृदय तथा स्टील की नाड़ियों वाली नीरजा अन्याय व क्रूरता के विरूद्ध लड़ने में सक्षम थी।
सूर्य की श्रेष्ठतम स्थिति जातक को उस स्थिति में प्रसिद्धि दिलाने में अवश्य ही सहायक होती है जब कुंडली में कुल चार या चार से अधिक ग्रह स्वगृही या उच्च राशिस्थ हों। ऐसे में यदि सूर्य स्वगृही या उच्च राशिस्थ हो जाय तो यह संभावना और अधिक बढ़ जाती है तथा जातक सत्तारूढ़ लोगों व सरकार से सम्मान प्राप्त करता है।
सूर्य-शुक्र की युति अच्छे दिल वाले लोगों को शीघ्रता से आभा संपन्न करती है क्योंकि सूर्य व शुक्र जीवन में चमक के प्रतीक हंै। बुध के उच्च राशिस्थ होने तथा गुरु से दृष्ट होने के कारण वे अत्यंत कुशाग्र बुद्धि संपन्न तथा त्वरित निर्णय लेने में सक्षम थीं। गुरु की दृढ़ स्थिति के कारण वे अच्छे विचारों वाली, बड़े दिल वाली तथा मानवता का महत्व समझने वाली दयालु हृदय महिला थी जिसने दूसरों की जान बचाने के लिए अपने जीवन को खतरे में डालने का साहसिक निर्णय लिया।
शनि के मकर राशि में होने के कारण भी इन्होंने अपने कर्तव्य का निर्वहन करके अक्षय कीर्ति को प्राप्त किया। मंगल शनि का परस्पर दृष्टि योग जीवन में कभी भी किसी भी समय हाई प्रेशर सिचुएशन उत्पन्न करता है और कई अनहोनी घटनाओं को भी जन्म देता है विशेष रूप से उस परिस्थिति में जब गुरु, शनि, बुध वक्री हों, शुभ ग्रह शुक्र भी अस्त हो तथा गुरु केंद्र से बाहर हो इसलिए ऐसे ग्रह योग के कारण नीरजा भनोट अल्पायु में वीरगति को प्राप्त हुईं।
इस भयानक दुर्घटना वाले दिन के ग्रह गोचर के अनुसार मंगल का गोचर नीरजा के जन्मकालीन केतु पर हो रहा था तथा यह उनके मीन राशिस्थ वक्री गुरु व मिथुन राशिस्थ राहु पर दृष्टि डाल रहा था।
गोचर में वृश्चिक राशि का शनि जन्मकालीन सूर्य, शुक्र व वक्री शनि को देख रहा था। राहु जन्मकालीन गुरु तथा केतु जन्मकालीन बुध को पीड़ित कर रहा था। गोचर में सभी क्रूर ग्रहों मंगल, शनि, राहु व केतु का जन्मकालीन केतु, गुरु, शनि, राहु व सूर्य तथा शुक्र इन सभी पर क्रूर प्रभाव होने के फलस्वरूप इनके जीवन में इतनी विभत्स घटना हुई जिसमें इन्होंने वीरता का अनुपम प्रदर्शन करके सैकड़ों लोगों की जान बचाते हुए वीरगति प्राप्त की।