कस्पल ज्योतिष पद्धति में कस्पल कुंडली को किस प्रकार पढ़ा जाए? कस्पल कुंडली सिर्फ एक ही पृष्ठ में बन जाती है। इसे आप उदाहरण कंुडली ‘एक’ से समझने का प्रयास करें। इस कुंडली में सबसे ऊपर आपको बेसिक डिटेल मिल जायेगी यानि कि जातक का नाम, जन्म का समय, जन्म का स्थान इत्यादि। कंुडली बनाने का सिस्टम, रूलिंग प्लैनेट (किसी विशिष्ट क्षण को कंट्रोल करने वाले ग्रह) इत्यादि। आगे आप पायेंगे बाएं में राशि चार्ट तथा दायें में भाव चार्ट, उसके नीचे ग्रहों की स्थिति वाला Planetary Position Chart चार्ट सब-सब लेवल तक, इसी के दायें में दशा स्वामी ग्रह अपने समाप्ति काल की अवधि तक। ग्रहों की स्थिति वाले चार्ट के ठीक नीचे 12 के 12 भावांे की स्थिति को बतलाने वाला चार्ट ‘कस्पल पोजीशन चार्ट’ Cuspal Position Chart सब सब लेवल तक।
आगे ठीक इसी के दायें में वर्तमान भुक्ति स्वामियों का चार्ट अपने समाप्ति काल की अवधि के साथ और कुंडली के सबसे दायें में अन्तर, सूक्ष्म और प्राण दशा स्वामी ग्रह अपने-अपने समाप्ति काल की अवधि के साथ आपको मिल जायेंगे तथा कंुडली के सबसे नीचे आपको अपनी टिप्पणी लिखने के लिये जगह का भी प्रावधान है। पाठकों जैसा कि आप को विदित है कस्पल ज्योतिष प्रणाली में हर एक ग्रह अपने नक्षत्र स्वामी/स्टार लाॅर्ड का फल प्रदान करता ही है तथा ग्रह अपना फल प्रदान करने में तभी सक्षम होता है जब कुंडली में किसी विशिष्ट ग्रह का पोजीशनल स्टेटस Positional status होता है। इस प्रकार कुंडली में कोई भी ग्रह सिर्फ दो ही प्रकार से फल प्रदान करने में सक्षम होता है। पहला स्टेलर स्टेटस Steller Status लेवल पर और दूसरा पोजीशनल स्टेटस लेवल पर।
इस विचार को हम अपने लेख ‘‘सिगनिफिकेटर का तात्पर्य क्या है’’ में बहुत विस्तार और सटीक ढंग से प्रस्तुत कर चुके हैं। आईये अब जरा समझने का प्रयास करें कि कस्पल कंुडली में कोई भी ग्रह चाहे वह दशा स्वामी (दशा, भुक्ति, अन्तर, सूक्ष्म या प्राण) ग्रह बने या एक से लेकर बारह भावों में किसी भी भाव का सब सब लाॅर्ड बने क्योंकि कुंडली में जिस भाव का भी प्रोमिस/पोटेंशियल/संकेत पढ़ना हो तो उस भाव के सब सब लाॅर्ड से पढ़ा जाता है। अगर आपको लग्न का प्रोमिस पढ़ना है तो आप लग्न के सब सब लाॅर्ड से पढ़ंेगे। अगर आप 7वें भाव का प्रोमिस पढ़ना चाहते हंै तो आप 7वें भाव के सब सब लाॅर्ड से पढ़ेंगे। अगर आप 10वें भाव का प्रोमिस पढ़ना चाहें तो आपको 10वें भाव के सब सब लाॅर्ड ग्रह को पढ़ना होगा।
अब प्रश्न यह उठता है कि कोई भी सब सब लाॅर्ड ग्रह या दशा स्वामी ग्रह किस प्रकार लिंकेज/योग स्थापित करेगा। आईये इसे विस्तार से समझें मान लीजिये ग्रह ‘ए’ का अध्ययन करना है तो आप ग्रह ‘ए’ को उठायें और ऊपर (प्लैनेटरी पोजीशन) ग्रहों की स्थिति बतलाने वाले चार्ट में देखें कि ग्रह ‘ए’ किस ग्रह के नक्षत्र / स्टार में है, किस ग्रह के सब (उप) में और किस ग्रह के सब सब (उप उप) में है। मान लीजिये ग्रह ‘ए’ ग्रह ‘बी’- ग्रह ‘सी’ - ग्रह ‘डी’ (ग्रह ‘ए’ ग्रह ‘बी’ के स्टार में, ग्रह ‘सी’ के सब में और ग्रह ‘डी’ के सब सब (उप उप) में है। (Planet 'A' is in the star of planet 'B' in the sub of planet 'C' and in the sub sub of planet 'D') अब यहाँ ग्रह ‘ए’ सोर्स (स्रोत) ग्रह के रूप में काम करेगा, ग्रह ‘बी’ इन्वाॅल्वमेन्ट (सम्बद्ध), ग्रह ‘सी कमिटमेंट (प्रतिबद्धता) और ग्रह ‘डी’ फाईनल कन्फर्मेशन यानि कि अन्तिम पुष्टिकरण करेगा।
हमने ऊपर लिखा कि हर ग्रह अपने स्टार लाॅर्ड का फल देता ही है और हर एक ग्रह के स्टार लाॅर्ड का कार्य होता है इन्वाॅल्वमेंट करना और यह स्टार लाॅर्ड ग्रह से लेकर 12वीं कस्पल पोजीशन्स में जिन-जिन कस्पल पोजीशन्स में या तो राशि स्वामी के रूप में या नक्षत्र स्वामी या सब लाॅर्ड या सब सब लाॅर्ड के रूप में प्रकट होगा या, भाव चार्ट में जिस भाव में बैठा होगा उन-उन कस्पल पोजीशन्स या भाव का फल प्रदान करने में वह ग्रह सक्षम हो जायेगा। मान लीजिये स्टार लाॅर्ड ग्रह 5वीं, 7वीं और 11वीं कस्पल पोजीशन में प्रकट हो जाता है और स्टार लाॅर्ड ग्रह 7वें भाव में बैठा भी है। इसका तात्पर्य वह विशिष्ट ग्रह अपने स्टार लाॅर्ड के माध्यम से 5वें, 7वें और 11वें भावों/कस्प के फल प्रदान करेगा।
5वें, 7वें और 11वें भावों के फल हाँ होंगे या न, पोजीटिव होंगे या नेगेटिव यह बतलायेगा उस विशिष्ट ग्रह का सब लाॅर्ड जिस ग्रह का हम अध्ययन कर रहे हैं। जैसा कि हमने ऊपर पढ़ा है कि किसी भी ग्रह के सब लाॅर्ड का कार्य कमिटमेंट करना है तथा ग्रह के सब सब लाॅर्ड का कार्य अन्तिम पुष्टिकरण यानि कि फाईनल कन्फर्मेशन करना है। अगर उस विशिष्ट ग्रह जिसका हम अध्ययन कर रहे हंै अगर कुंडली में उस ग्रह का पोजीशनल स्टेटस होगा तो वह ग्रह जिन-जिन कस्पल पोजीशन में प्रकट होगा, राशि स्वामी, नक्षत्र स्वामी, सब लाॅर्ड स्वामी या सब सब लाॅर्ड के रूप में या जिस भाव में बैठा होगा वह विशिष्ट ग्रह उन उन भावांे का फल प्रदान करने में भी सक्षम हो जायेगा तथा हम इस सोर्स ग्रह को इन्वोल्वमेंट वाले (स्टार लाॅर्ड) के साथ मिला दंेगे।
ऊपर हमने पढ़ा कि ग्रह का (जिस ग्रह का अध्ययन किया जा रहा है) स्टार लाॅर्ड 5वें, 7वें और 11वें भाव में प्रकट हो रहा है तथा इन भावों का फल मिलना है,दूसरा हमने ऊपर देखा कि ग्रह का अपना पोजीशनल स्टेटस भी है और यह विशिष्ट ग्रह जिसका अध्ययन किया जा रहा है, कुंडली में इस ग्रह को पोजीशनल स्टेटस भी मिला हुआ है और यह ग्रह 4थी, 8वीं और 12वीं कस्पल पोजीशन्स में प्रकट हो रहा है तथा 6ठे भाव में बैठा भी है।
अब हम यहाँ यह सुनिश्चित कर सकने में सक्षम हो गये हंै कि जहाँ स्टेलर स्टेटस (नक्षत्रीय बल स्तर) लेवल पर ग्रह 5वें, 7वें और 11वें भावों के फल प्रदान करने में सक्षम हुआ था वहीं यह विशिष्ट ग्रह पोजीशनल स्टेटस (स्थान बल स्तर) लेवल पर 4थे 6ठे, 8वें और 12वें भावों के फल प्रदान करने में भी सक्षम हो गया तो हम यहाँ यह कह सकते हैं कि यह विशिष्ट ग्रह जिसका अध्ययन किया जा रहा है 4थे, 5वें, 6ठे, 7वें, 8वें, 11वें और 12वें भावांे के इन्वाॅल्वमेंट लेवल (स्टार लेवल) पर फल प्रदान करेगा और इन लिखित भावांे के फल हाँ में होंगे या न में यह सुनिश्चित करेगा इस विशिष्ट ग्रह का सब लाॅर्ड जिसका कार्य कमिटमेंट करना है तथा अंत में ग्रह का सब सब लाॅर्ड अंतिम पुष्टिकरण यानि कि फाईनल कन्फर्मेशन करेगा।