बगलामुखी महाविद्या की विभिन्न शक्तिपीठ पं. मनोहर शर्मा ‘पुलस्त्य’ यूंतो देश भर में शक्ति उपासना से जुड़ी कई पीठें हैं, पर मां बगलामुखी से जुड़ी पीठ अथवा बगला शक्तिपीठ कम ही हैं। वैसे, इस संबंध में विद्वानों में मतभेद भी हैं, लेकिन कुछ ऐसे स्थलों के नाम हम यहां दे रहे हैं जो बगला शक्तिपीठ के रूप में जाने जाते हैं अथवा प्रसिद्ध हैं।
दतिया: यहां मां बगलामुखी शक्ति का ऐतिहासिक मंदिर है। यह मंदिर महाभारतयुगीन का बताया जाता है। यह पीतांबरा शक्तिपीठ के नाम से जाना जाता है। यह झांसी से 30 कि.मी. दिल्ली की ओर ग्वालियर व झांसी के मध्य है। इस स्थान को भक्तजन ‘पीतवसन धारिणी का न्यायालय भी मानते हैं। मान्यता है कि आचार्य द्रोण के पुत्र अश्वत्थामा चिरंजीवी होने के कारण आज भी इस मंदिर में पूजा-अर्चना करने आते हैं। इसके परिसर में भगवान आशुतोष भी वनखंडेश्वर रूप में विद्यमान हैं।
वाराणसी: यह उŸार प्रदेश में हिन्दुओं का तीर्थ स्थल एवं प्रसिद्ध नगर है। यहां पर भी माता बगला की शक्तिपीठ है।
वनखंडी: जिला कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) में मां बगलामुखी का मंदिर ज्वालामुखी वनखंडी नामक स्थान पर है। इस मंदिर का नाम श्री 1008 बगलामुखी वनखंडी मंदिर है। यह मंदिर भी महाभारतयुगीन है। इस मंदिर में कांगड़ा के राजा सुशर्मा चंद्र घटोच ने महाभारत काल में पूजा की थी।
कोटला: यह स्थान भी जिला कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) में स्थित है। यह शक्तिपीठ पठानकोट से 45 कि.मी. दूर पठानकोट-कांगड़ा मार्ग पर है सड़क से 50 मी. दूर पहाड़ी पर पुराने किले की परिक्रमा करने में मां बगलामुखी का भव्य मंदिर है जिसके रास्ते में 138 सीढ़ियां हैं। मंदिर की स्थापना सन् 1810 में हुई थी।
गंगरेट: यह स्थान भी हिमाचल प्रदेश के जिला ऊना में स्थित है। यहां मां बगलामुखी का भव्य मंदिर है। यहां प्रति वर्ष भव्य मेला लगता है।
त्रिशक्ति माता: यह मध्य प्रदेश के नलखेड़ा में लखुंदर नदी के किनारे स्थित है। द्वापरयुगीन यह मंदिर अत्यंत चमत्कारिक है। इसकी स्थापना महाभारत में विजय प्राप्त करने के लिए महाराजा युधिष्ठिर ने श्रीकृष्ण के निर्देश पर की थी। इस मंदिर में बेलपत्र, चंपा, सफेद आक, आंवला, नीम व पीपल के वृ़क्ष भी हैं।
मां बमलेश्वरी: यह छŸाीसगढ़ के राजनांदगांव जिले से लगभग 40 कि.मी. दूर पहाड़ी पर स्थित है। यहां माता व बगलामुखी मां बम्लेश्वरी कहलाती हैं यहां प्रतिवर्ष आश्विन एवं चैत्र की नवरात्रियों में भव्य मेले लगते हैं। यहां बहुत दूर से लोग मां के दर्शन करने आते हैं।
बिलई माता: यह छŸाीसगढ़ के धमतरी जिले में रायपुर से 80 किमी. दूर जगदलपुर (बस्तर) मार्ग पर स्थित है। यहां माता बगलामुखी बिलईमाता के नाम से प्रसिद्ध हैं।
मुम्बादेवी: महाराष्ट्र में भगवत पूजा का स्वरूप मुख्यतः देवीपरक ही है। माता बगला शक्ति ही ‘तुलजा भवानी के रूप में इस प्रदेश की कुल देवी हैं। इनका दूसरा नाम ‘मुम्बा देवी भी है। ‘मुम्बादेवी’ के नाम पर ही इस प्रदेश की राजधानी का नाम रखा गया ‘मुम्बई’ है।