सर्व सफलतादायक है मां बगलामुखी उपासना आचार्य डाॅ. लक्ष्मी नारायण शर्मा बगलामुखी महाविद्या दस महाविद्याओं में से एक हैं। इन्हें ब्रह्मास्त्र विद्या, षड्कर्मधार विद्या, स्तंभिनी विद्या, त्रैलोक्य स्तंभिनी विद्या आदि नामों से भी जाना जाता है। माता बगलामुखी साधक के मनोरथों को पूरा करती है। जो व्यक्ति मां बगलामुखी की पूजा-उपासना करता है, उसका अहित या अनीष्ट चाहने वालों का शमन स्वतः ही हो जाता है। मां भगवती बगलामुखी की साधना से व्यक्ति स्तंभन, आकर्षण, वशीकरण, विद्वेषण, मारण, उच्चाटन आदि के साथ अपनी मनचाही कामनाओं की पूर्ति करने में समर्थ होता है।
बगलामुखी देवी का अवतरण: कथा है कि माता पार्वती के भगवान शिव से माता बगलामुखी के अवतरण के संबंध में पूछने पर भगवान ने कहा, ‘हे देवी! मैं बगलामुखी देवी के अवतरण की कथा कहता हंू। सत युग में एक भीषण तूफान उठा। उस तूफान से समस्त जगत का विनाश होने लगा जिसे देखकर भगवान विष्णु चिंतित हो उठे। उन्होंने तपस्या करके श्री महात्रिपुर संुदरी को प्रसन्न किया। तब सौराष्ट्र नामक क्षेत्र में स्थित हरिद्रा नामक झील के किनारे जलक्रीड़ा करती महापीत देवी के हृदय से एक तेज निकला जो इधर-उधर फैल कर उस भीषण तूफान का अंत कर दिया।
जिस रात्रि देवी के हृदय से वह तेज निकला, उसका नाम वीर रात्रि पड़ा। उस समय आकाश ताराओं से अत्यंत सुशोभित था। उस दिन चतुर्दशी और मंगलवार था। पंचमकार से सेवित देवी जनित तेज से दूसरी त्रैलोक्य स्तंभिनी विद्या ब्रह्मास्त्र विद्या उत्पन्न हुई। उस ब्रह्मास्त्र विद्या का तेज विष्णु से उत्पन्न तेज में विलीन हुआ और फिर वह तेज विद्या और अनु विद्या में विलीन हुआ। इस प्रकार लोक कल्याण के लिए मां बगलामुखी का अवतरण हुआ। मां बगलामुखी मंत्र का जप-अनुष्ठान नियम-संयम तथा विधि विधानपूर्वक करने से अभीष्ट की प्राप्ति होती है।
इस मंत्र के जप से युद्ध, चुनाव और वाद-मुकदमे में जीत होती है। इससे अन्य कामनाओं की पूर्ति भी होती है। जप सवा लाख करना चाहिए और तदनुसार हवन, तर्पण, मार्जन एवं ब्राह्मण भोजन कराना चाहिए, तभी अनुष्ठान पूर्ण होता है। जपादि कार्य यदि साधक स्वयं न कर सके तो किसी कर्मकांडी ब्राह्मण से करवाना चाहिए। साधक को प्रतिदिन स्नानादि से निवृत्त होकर मां की पंचोपचार पूजा करके पीला वस्त्र धारण कर पीले आसन पर बैठ कर मां का ध्यान करना चाहिए।
मां के मंत्र का हल्दी की माला पर एक माला जप करना चाहिए। पूजा स्थल पर गाय के घी का दीपक जलाना, पीली मिठाई का भोग लगाना तथा जप के बाद स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। मां बगलामुखी सभी शत्रुओं का नाश करके सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं। पूजा करते समय बगलामुखी यंत्र एवं मां का चित्र अपने सामने रखना चाहिए । फिर ध्यान विनियोग आदि करके शतनाम स्तोत्र का पाठ करना चाहिए।