एरोमा - थेरैपी पुष्पों द्वारा रोग निदान विभिन्न प्रकार के रंग-बिरंगे सुंदर पुष्प प्राकृतिक रूप से मानव मन-मस्तिष्क को प्रफुल्लित एवं आनन्दित तो करते ही हैं, साथ ही पुष्पों में मीठी-मीठी सुगंध रहती है इसीलिए कहा जाता है कि हमें अपने घरों में थोड़ा खुला स्थान पुष्पों को लगाने के लिए भी अवश्य ही रखना चाहिए ताकि हमारा पारिवारिक परिवेश सदैव ही इन पुष्पों की मधुर सुगंध से सुवासित होता रहे तथा हम उन पुष्पों से प्राप्त होंने वाली आध्यात्मिक शक्ति से नैसर्गिक औषधियों के सेवन के द्वारा स्वस्थ एवं निरोगी भी रहें। ग्रहों से संबंधित रोगों के निदान में पुष्प प्राकृतिक रूप से ‘रामबाण औषधि’ का कार्य करते हैं।
पुष्पों की मधुर सुगंध अपने आस-पास के वातावरण में घुलकर उसे पूर्णरूपेण स्वच्छ एवं आध्यात्मिक बनाती है। पुष्पों की सुगंध से जो अति सूक्ष्म परमाणु निकलते हैं वे स्वतः ही हमारी नासिका के द्वारा श्वास नली में जाकर मस्तिष्क पर अप्रत्यक्ष रूप से प्रत्यक्ष प्रभाव डालते हैं जो हमारे शरीर, मन और मस्तिष्क के लिए प्राकृतिक औषधि का कार्य करते हैं। इसी प्रकार पुष्पों के रंगों एवं विभिन्न प्रकार की सुगंध का सीधा-सीधा असर शरीर के विभिन्न भागों पर होता है, जो तनाव, अनिद्रा एवं थकान से भरे मानव शरीर एवं मस्तिष्क को सकारात्मक ऊर्जा एवं शांति प्रदान करती है।
यही कारण है कि अति प्राचीनकाल से पुष्पों को शरीर के विभिन्न भागों पर गजरे एवं आभूषणों के रूप में धारण करने की परंपरा रही है। अतः पुष्पों को जहां एक ओर शारीरिक कान्ति तथा श्री और बुद्धि प्रदाता कहा जाता है, वहीं दूसरी ओर पुष्प प्राकृतिक चिकित्सक अथवा वैद्य के रूप में भी सामने आते हैं। पुष्पों की सुगंध, रंग तथा उनसे निर्मित उत्पादों के द्वारा जो चिकित्सा पद्धति अपनाई जाती है, उसे ही दूसरे शब्दों में ‘‘एरोमा-थेरैपी’’ कहा जाता है। आइये जानें, कौन-कौन से पुष्पों के औषधीय प्रयोगों द्वारा हम किन-किन रोगों से मुक्ति पा सकते हैं-
गुलाब: गुलाब का पुष्प प्रेम एवं सौंदर्य का प्रतीक तथा दुर्गा जी का अति प्रिय माना जाता है। गुलाब का गुलकंद पेट की गर्मी को शांत करता है तथा हृदय रोगों के लिए भी अच्छा होता है। आंखों में लाली तथा सूजन होने पर गुलाब जल से आंखें धोने से लाभ होता है।
गुड़हल: लाल गुड़हल का फूल मंगल ग्रह, सूर्य तथा हनुमान जी से संबंधित माना जाता है। गुड़हल के फूल का रस झड़ते हुए केशों के लिए अचूक दवा है। गुड़हल के फूल का रस बालों में 1 घंटे लगाकर बाल धो लें। यह बालों के लिए प्राकृतिक ‘कलर’ का भी काम करेगा।
कमल: अनंतकाल से कमल के पुष्प का धन की देवी लक्ष्मी जी के साथ अविच्छिन्न एवं अविभाज्य संबंध माना गया है। कमल के पुष्प का प्रत्येक अंग प्राकृतिक रूप से औषधि का कार्य करता है। कमल की डंडी की सब्जी खाने से शरीर में लौह तत्व का निर्माण होता है। कमल के फूल के अंदर से जो हरे रंग के दाने निकलते हैं, उनसे मखाने बनाये जाते हैं। मखाने की खीर का सेवन करना एवं गरीब को दान करना, शुक्र एवं चंद्र ग्रह से उत्पन्न रोगों का अद्भुत एवं प्राकृतिक इलाज है। कमल की पंखुड़ियों को पीसकर चेहरे पर लगाने से चेहरे की कान्ति बढ़ती है।
चमेली: चमेली के पुष्प से निर्मित तेल हनुमान जी को प्रसन्न करने का एक अचूक उपाय है। साथ ही बुध एवं शनि ग्रह जनित रोगों जैसे दंत रोग, चर्मरोग एवं फोड़े-फुंसी होने पर भी चमेली का तेल लगाने से लाभ मिलता है। चमेली के पŸो चबाने से मुख की दुर्गंध एवं मुंह के छाले दूर होते हैं।
केसर: केसर को त्रिदोषों (वात-पिŸा एवं कफ) का शमन कर्ता कहा गया है। आध्यात्मिक दृष्टि से भी केसर के पुष्प का बड़ा महत्व है। हिंदू धर्म में शायद ही कोई भी पूजा व अनुष्ठान केसर के बिना पूर्ण माना जाता हो। केसर का तिलक लगाने से मस्तिष्क को अत्यंत शांति मिलती है। हल्के गुनगुने दूध में केसर डालकर पीने से पुरानी खांसी एवं कफ दूर होता है तथा शरीर में बल, वीर्य, शक्ति एवं स्फूर्ति की वृद्धि होती है।
गेंदा: गेंदे के पीले फूलों को गुरु ग्रह एवं विष्णु जी से संबंधित माना गया है। लीवर की सूजन, चर्मरोग एवं पथरी रोगों में इसका प्रयोग लाभकारी होता है। घर के अंदर गेंदे और तुलसी का पौधा साथ-साथ लगाने से सदैव लक्ष्मी एवं विष्णु जी की कृपा बनी रहती है तथा गुरु ग्रह से संबंधित रोगों के होने का भय भी नहीं रहता है।
रात की रानी: रात की रानी का पौधा घर में लगाने से मच्छर इत्यादि घर में नहीं आते हैं। इसकी गंध अत्यधिक मादक एवं उŸोजक होती है जिससे अनिद्रा के रोगियों को अत्यंत लाभ मिलता है। इसकी सुगंध से तनाव एवं अनिद्रा में राहत मिलती है।
शंखपुष्पी: शंखपुष्पी का प्रयोग स्मृतिवर्धक होता है। शंखपुष्पी के चूर्ण में मिट्टी मिलाकर पीने से स्वास्थ्य, सुंदर मस्तिष्क एवं कुशाग्र बुद्धि की प्राप्ति होती है। विद्यार्थियों के लिए शंखपुष्पी अत्यंत लाभदायक औषधि है।