आग्नेय तथा वायव्य में दोष, जीवन में अशांति एवं रोष पं. गोपाल शर्मा (बी.ई.) पिछले सप्ताह लुधियाना के एक प्रसिद्ध व्यापारी के यहां पं. जी वास्तु निरीक्षण के लिए गये। उनसे मिलने पर पता चला कि वह काफी समय से कानूनी मसलों में उलझे पड़े हंै। व्यापार में हानि एवं साझेदारी में मतभेद की वजह सें उनके जीवन में दिनों-दिन तनाव बढ़ता जा रहा है। एक बार घर में चोरी भी हो चुकी है जिससे उन्हें काफी नुकसान हुआ। परिवार में भी छोटी-छोटी बातों पर लड़ाई-झगडे़ होते रहते हैं जिससे सुख-चैन खत्म हो गया है। उन्होंने पं. जी से आग्रह किया कि कृपया अपनी कृपा दृष्टि उनके घर पर डालंे तथा वास्तु निरीक्षण करके सही मार्गदर्षन करें जिससे उनके जीवन में सुख-षांति आ सके। वास्तु निरीक्षण करने पर पाए गए वास्तु दोष: उनके घर का उŸार-पष्चिम भाग बढ़ा हुआ था जो कि आर्थिक हानि, अपयष तथा मुकद्दमेबाजी का कारण होता है, अपने भी पराए हो जाते हैं। दक्षिण-पूर्व भाग भी बढ़ा हुआ था जो लड़ाई-झगडे़ चोरी, आग से दुर्घटना और धन-हानि का कारण होता है। दक्षिण-पूर्व कोना बंद भी था, जिससे घर में उत्साह, जोश व ऊर्जा का अभाव रहता है। घर के सदस्यो में नकारात्मक सोच उत्पन्न होने से जीवन में अशांति बनी रहती है । बिल्डिंग का उŸार-पष्चिम कोना कटना भी उपरोक्त समस्याओं को बढ़ाता है। घर की महिलाओं को भी स्वास्थ्य समस्याएं होने की संभावना रहती है। सुझाव: दक्षिण-पूर्व का कोना खुलवाया तथा नौकरों के कमरांे को पष्चिम में बनाने की सलाह दी। दक्षिण-पूर्व की दीवार सीधी करने को कहा गया। उŸार-पष्चिम चूंकि काफी बढ़ा हुआ था, 3 फीट की दीवार बनाकर सीधा कराया गया तथा आने-जाने के लिए सीढ़ियां बनाने को कहा। बिल्डिंग के उŸार-पष्चिम के कटे हुए कोने को मैटल का परगोला बनाकर आयताकार करने को कहा गया। पं. जी ने उन्हें कहा, चंूकि उनके घर में काफी कुछ वास्तु सम्मत भी बना है, जैसे कि मुख्य द्वार का पूर्व में होना, बिल्डिंग में रसोई का दक्षिण-पूर्व में होना तथा उŸार-पूर्व का बढ़ना उनके बताए सुझावा कार्यांवित करने के बाद जीवन में खुषहाली आने एवं सभी समस्याओं से छुटकारा मिलने की पूर्ण संभावना है।