अध्यात्म, धर्म आदि (पृष्ठ-16)

अध्यात्म, धर्म आदि


क्यों?

क्यों?

यशकरन शर्मा

अनादि काल से ही हिंदू धर्म में अनेक प्रकार की मान्यताओं का समावेश रहा है। विचारों की प्रखरता एवं विद्वानों के निरंतर चिंतन से मान्यताओं व आस्थाओं में भी परिवर्तन हुआ। क्या इन मान्यताओं व आस्थाओं का कुछ वैज्ञानिक आधार भी है? यह ... more

अध्यात्म, धर्म आदिविविध

गुरु कौन?

गुरु कौन?

संजय लोढ़ा जैन

प्रत्येक धर्म में गुरुओं का अति विषिष्ठ स्थान है, उन्हें देवतुल्य माना जाता है। उन्होंने धर्म की उचित व्याख्या कर उसके अनुयायियों को अनुकूल मार्गदर्षन कर कभी न समाप्त होने वाले अद्भुत व अलौकिक संस्कार प्रदान किए। हजारों वर्ष... more

देवी और देवअध्यात्म, धर्म आदिविविध

जून 2016

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रक्षाबंधन

रक्षाबंधन

फ्यूचर पाॅइन्ट

रक्षा बंधन का पर्व श्रावण शुक्ल पूर्णिमा को होता है। विशेष रूप से भद्रा को त्यागकर ही रक्षा बंधन करना चाहिए क्योंकि शास्त्र निर्देशानुसार भद्रा में रक्षाबंधन करने से राजा के लिए अनिष्टकारी होता है तथा भद्रा में होली दहन करने से... more

देवी और देवअध्यात्म, धर्म आदिपर्व/व्रत

ज्योतिषीय उपाय का लाभ

ज्योतिष में अक्सर ग्रहों की शांति के लिए रत्न दान और मंत्र जप के उपाय बताए जाते हैं और बहुत लोगों का मुझसे यह प्रश्न रहता है कि क्या ये उपाय वास्तव मंे असरदार होते हैं और इनको करने से क्या निश्चित रूप से लाभ होगा?... more

ज्योतिषअध्यात्म, धर्म आदिविविध

बिना सुरति राम नहीं मिलते

tरा भी लोगों को गुमराही मालूम होती थी। जिन्होंने भी पाया है परमात्मा को, उनकी राह सभी को गुमराह मालूम होती है। स्वाभाविक यहां करोड़ों लोग धन के पीछे दौड़ रहे हैं।... more

अध्यात्म, धर्म आदिविविध

श्री कृष्ण जी का भगवत्प्राप्ति संदेश

सनातन धर्म अथवा समस्त संसार का एकमात्र विशिष्ट ज्ञान से परिपूर्ण ग्रंथ ‘‘भगवत गीता’ संपूर्ण संसार के प्राणियों के लिए सुमार्ग निर्देशित करता है। लगभग 5000 वर्ष पूर्व महाभारत के युद्ध के पूर्व श्री कृष्ण प्रभु के द्वारा दिया गया,... more

देवी और देवअध्यात्म, धर्म आदिविविध

वाराह अवतार व हिरण्याक्ष उद्धार लीला

वाराह अवतार व हिरण्याक्ष उद्धार लीला

ब्रजकिशोर शर्मा ‘ब्रजवासी’

श्री शुकदेव जी ने महाराज परीक्षित को कथा श्रवण कराते हुए कहा - राजन् ! श्री ब्रह्माजी ने अनेक प्रकार की सृष्टि की, परंतु सृष्टि का विस्तार न हो सका। श्री ब्रह्माजी दैव के विषय में विचार करने लगे, उसी समय अनेक शरीर के द... more

अध्यात्म, धर्म आदिविविध

गीता के शब्दार्थों का मूल

गीता के अध्यायों के विषय: श्रीमद्भगवद्गीता का उपदेश भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को दिया था, उसे दिव्य द्रष्टा श्री व्यासजी ने देख-सुन लिया था। बाद में इस उपदेश को छंदों में ढालने का कार्य व्यासजी ने किया। श्री गीता को अठारह ... more

देवी और देवअध्यात्म, धर्म आदिपर्व/व्रत

क्यों

क्यों

यशकरन शर्मा

अनादि काल से ही हिंदू धर्म में अनेक प्रकार की मान्यताओं का समावेश रहा है। विचारों की प्रखरता एवं विद्वानों के निरंतर चिंतन से मान्यताओं व आस्थाओं में भी परिवर्तन हुआ। क्या इन मान्यताओं व आस्थाओं का कुछ वैज्ञानिक आधार भी है? यह ... more

उपायअध्यात्म, धर्म आदिविविध

क्यों?

क्यों?

यशकरन शर्मा

प्रश्न: मूर्ति-पूजा क्यों? उत्तर: उपासना की पांचवीं श्रेणी मूर्तिपूजा है। चंचल मन को चारों और से रोक कर एकाग्र करने का एकमात्र उपाय है- मूर्तिपूजा। वैदिक काल से ही मूर्ति-पूजा का विधान है। शास्त्रों में कहा है- ‘‘मनोधृतिर्ध... more

अध्यात्म, धर्म आदिविविध

क्यों?

क्यों?

यशकरन शर्मा

अनादि काल से ही हिंदू धर्म में अनेक प्रकार की मान्यताओं का समावेश रहा है। विचारों की प्रखरता एवं विद्वानों के निरंतर चिंतन से मान्यताओं व आस्थाओं में भी परिवर्तन हुआ। क्या इन मान्यताओं व आस्थाओं का कुछ वैज्ञानिक आधार भी है? यह ... more

अध्यात्म, धर्म आदिविविध

विवाह संस्कार

विवाह संस्कार

विजय प्रकाश शास्त्री

सोलह संस्कारों में विवाह संस्कार का विशेष स्थान है। एक प्रकार से विवाह संस्कार के द्वारा ही स्त्री तथा पुरुष मिल कर पूर्णता को प्राप्त करते हैं। विवाह के बिना व्यक्ति का जीवन अधूरा एवं व्यर्थ माना गया है। विवाह संस्कार द्वार... more

अध्यात्म, धर्म आदिविविध

मई 2015

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