ज्योतिष में अक्सर ग्रहों की शांति के लिए रत्न दान और मंत्र जप के उपाय बताए जाते हैं और बहुत लोगों का मुझसे यह प्रश्न रहता है कि क्या ये उपाय वास्तव मंे असरदार होते हैं और इनको करने से क्या निश्चित रूप से लाभ होगा? इस प्रश्न का उŸार इतना सरल नहीं है जितना प्रतीत होता है क्योंकि केवल यह कहने भर से कि उपाय निश्चित रूप से लाभदायक हंै किसी को संतुष्टि नहीं मिलती हर व्यक्ति पै्रक्टीकल तौर पर जानना चाहता है कि क्या-क्या फायदे होंगे। इन्हीं सवालों का जवाब प्रस्तुत कथा से मिलेगा। नलिनेश का जन्म जमशेदपुर में हुआ था। बचपन से ही उसे इंजीनियर बनने का शौक था और इसी दिशा में वह पूरे मनोयोग से पढ़ाई भी करता था।
उसे पूरी आशा थी कि वह इंजीनियर बनके कुछ बड़ा करके दिखाएगा। इंजीनियरिंग डिग्री में दाखिले के लिए वह बहुत सी परीक्षाओं में बैठा, पर हर जगह उसे निराशा हाथ लगी और किसी भी अच्छे कालेज में उसका दाखिला नहीं हो सका। कई वर्षों की लगातार प्रयासों के बावजूद जब नलिनेश को कोई सफलता हाथ नहीं लगी तो वह बुरी तरह निराश हो गया और एक तरह से जिंदगी से हताश हो गया। उसके पिता ने उसको अपने एक रिश्तेदार के घर दिल्ली भेज दिया और उनसे नलिनेश के लिए कुछ मदद करने की सिफारिश की। दिल्ली आकर भी नलिनेश को कोई काम नहीं मिला और वह इधर-उधर ही भटकता रहा तभी उसकी मुलाकात एक पंडित जी से हुई और उन्होंने उसे शनिदेव की पूजा का सुझाव दिया।
नलिनेश ने उनके कहे अनुसार शनि महाराज जी की पूजा प्रारंभ कर दी और शीघ्र ही थोड़े से प्रयास से ही उसको एक बड़ी कंपनी के नियति विभाग में अफसर के पद पर नियुक्ति हो गई। यह कंपनी खाने का तेल बनाती थी। इस कंपनी में उसे टूर पर रहना पड़ता था लेकिन नलिनेश ने इसकी बिल्कुल भी परवाह नहीं की और उसकी मेहनत और पूजा ने उसकी जिंदगी में नये रंग भरने शुरू कर दिये और कुछ वर्ष में उसका विवाह एक अत्यंत खूबसूरत सरल व सुशील लड़की से हो गया। विवाह के पश्चात नलिनेश सफलता की सीढ़ियां लगातार चढ़ता रहा और इस दौरान वह लगभग पंद्रह देशों की सैर कर चुका था तथा आज बारह वर्ष की कड़ी मेहनत के पश्चात तेल कंपनी में वाइस प्रेसीडेंट के पद पर कार्यरत हैं।
उन्हें यही आश्चर्य होता है कि कैसे शनि भगवान ने उन्हें जिंदगी में नीचे से उठाकर आसमान पर पहुंचा दिया और तेल के व्यवसाय में इतना नाम, पैसा और शोहरत दी कि आज नलिनेश का मुंबई में अपना घर है और दो प्यारे बच्चे व सुशील पत्नी है। लेकिन अभी हाल ही में नलिनेश की ंिजंदगी में कुछ परिवर्तन आ रहे हैं। इनकी कंपनी सरसो के तेल की बहुत बड़ी कंपनी थी वह अब कुछ परेशानियों में आ गई है और नलिनेश को अपना भविष्य सुरक्षित दिखाई नहीं देता और वह इसी दुविधा में है कि उसे इस कंपनी को छोड़ना चाहिए या नहीं। जिस तेल कंपनी ने उसे इतने ऊंचे सोपान पर पहुंचाया उसे छोड़कर जाने में उसका दिल गवारा नहीं करता उसे लगता है कि वह वापिस उसी स्थान पर खड़ा है जहां 1994 में खड़ा था और उसे इंतजार है शनि महाराज की निर्णायक दिशा की।
नलिनेश: नलिनेश की कुंडली कुंभ लग्न व मकर राशि की है। कुंभ लग्न नलिनेश को स्वतंत्र रूप से कार्य करने का गुण दे रहा है। साथ ही यह इन्हें भविष्योन्मुखी भी बना रहा है। जन्म राशि मकर के प्रभाव से ये परिश्रमी व निष्ठावान है। लग्न व जन्म राशि दोनों पर शनि का स्वामित्व होने के कारण जीवन की विपरीत परिस्थितियों में इनमें निराशा भाव आने की प्रवृति भी बन रही है। इनकी कुंडली में विशेष शुभ योग बन रहे हैं जो निम्न हैं-
Û लखपति योग: इनकी कुंडली में धनेश व लाभेश गुरु सप्तम भाव में बैठकर अपनी पंचम दृष्टि से आय भाव को देख रहे हैं। आय भाव के स्वामी का आय भाव को देखना, इनकी आय में बढ़ोŸारी कर इनके आय भाव को बली कर रहा है।
Û भाग्यवान योग: कुंडली के नवम भाव में बुध व शुक्र की युति जिसमें बुध पंचमेश व शुक्र नवमेश है। दो त्रिकोण भाव के स्वामियों का युति संबंध भाग्य और धन आगमन के नए स्रोत खोल रहा है।
Û राज योग: कुंडली में नवम भाव में बुध शुभ ग्रह शुक्र के साथ है,व इन्हें राजा के समान सुख दे रहा है। नलिनेश की कुंडली में लग्नेश शनि धन स्थान में गुरु के घर मीन राशि में राहू के साथ बैठे हैं और नवांश में भी शनि मीन राशि में ही है।
इसलिए वर्गोŸाम हो गये हैं, सप्तम भाव में मंगल और गुरु दोनों मित्र ग्रहों की युति है। अष्टम भाव में सप्तमेश सूर्य, केतु के साथ बली होकर शुभकर्Ÿारी योग में बैठे हैं और पूर्ण दृष्टि से द्वितीय भाव तथा द्वितीय भाव में बैठे शनि और राहू से संबंध बना रहे हैं। नलिनेश को 1984 के समय राहू/शुक्र की दशा के फल प्राप्त हुए। शुक्र इनकी कुंडली में भाग्येश व चतुर्थेश होने के कारण योगकारी ग्रह है।
साथ ही इनकी युति कुंडली में पंचमेश बुध के साथ भाग्य भाव में हो रही है। बुध व शुक्र दोनों पर किसी प्रकार का कोई अशुभ प्रभाव नहीं है। इसलिए शुक्र की अंतर्दशा इनके कैरियर के लिए सर्वोŸाम रही है। नलिनेश के जीवन पर शनि की साढ़ेसाती का घोर प्रभाव 1988 से 1994 तक रहा और इस अवधि में इन्हें निराशा, नाकामयाबी और हर तरफ से संकटों का सामना करना पड़ा। लेकिन 1994 के बाद साढ़ेसाती जब तीसरी ढैया चल रही थी तब नलिनेश ने शनि की पूजा अर्चना आरंभ कर दी शनिदेव महाराज ने प्रसन्न होकर नलिनेश के भाग्य को चमका दिया और वह एक के बाद एक सफलता की सीढ़ियां चढ़ने लगे शनि के प्रभाव से ही सरसों के तेल की कंपनी में काम मिला और उसकी कृपा से वाइस प्रेसीडेंट की कुर्सी तक पहुंच गये।
नलिनेश की कुंडल में राहू उ.भाद्रपद नक्षत्र में स्थित है जिसके स्वामी शनि हैं और कुंडली में राहू शनि के साथ ही बैठे हैं इसलिए राहू की दशा में शनि का पूर्ण प्रभाव इनके जीवन में रहा। इनके दशमांश में शनि आय भाव के स्वामी है व सेवा भाव में लगनस्थ भाग्येश शुक्र से सम सप्तक योग बना रहे हैं। लग्न चार्ट व दशमांश चार्ट दोनों में ही शुक्र और शनि का संबंध इनके आजीविका भाव से आ रहा है। शनि के आशीर्वाद और शुक्र की शुभता ने इनकी सफलता के नए मार्ग खोले। बुध की दशा मार्च 2001 में शुरू हुई और इसके अंतर्गत जितनी भी अंतर्दशा चलीं और वह नलिनेश के भाग्य वृद्धि में सहायक रहीं।
अभी गुरु में सूर्य की अंतर्दशा चल रही है और शनि सूर्य के ऊपर अष्टम भाव में गोचर कर रहे हैं। इसलिए आजकल कैरियर में परेशानी चल रही है फिर भी चूंकि इनकी कुंडली में कई राजयोग हैं जैसे दशमेश मंगल दशम भाव को देख रहे हैं पंचमेश बुध भाग्य स्थान में भाग्येश के साथ दशमेश मंगल व धनेश गुरु लग्न को देख रहे हैं। चंद्र लग्न से बुध और शुक्र दशम में बैठकर राजयोग प्रदान कर रहे हैं इसलिए गुरु की दशा में उतार-चढ़ाव अवश्य आएगा परंतु जीवन में प्रगति ही होगी।
और किसी न किसी रूप में शनि से संबंधित कार्य करने में ही प्रगति होगी। गुरु की महादशा के पश्चात् लग्नेश शनि की दशा जीवन का सर्वोŸाम समय होगा एवं शनि जिसने जीवन को एक नई दिशा और प्रगति दी वहीं अपनी दशा में नये आयाम स्थापित करेगा और नलिनेश अपनी मन पंसद ऊंचाइयों को छुएंगे।