संतान की प्राप्ति हेतु एक अनुष्ठान
यह अनुष्ठान 90 दिनों में पूरा किया
जाता है। केवल नब्बे दिनों में सवा
लाख मंत्रों का जाप पति-पत्नी दोनों
को परस्पर मिलकर करना है।
‘‘सर्व प्रथम संतान गोपाल यंत्र’’ तांबा
अथवा रजत पत्र पर गुरु पुष्य नक्षत्र
में बनवाकर किसी कर्मकांडी पंडित
को बुलाकर यंत्र की प्राण प्रतिष्ठा
अवश्य कराएं। करने वाला अच्छा विद्वान पंडित होना चाहिए तथा कर्मकांडी
ब्राह्मण हो। किसी गुरुवार से यह
प्रयोग प्रारंभ करा दें तथा स्थान,
आसन, जल का स्रोत, गंगाजल से
पृथ्वी आसन आदि को पवित्र करना
चाहिए। पूजा के समय मुंह पूर्व दिशा
की ओर रहना चाहिए। आसन पीले
रंग का होना चाहिए तथा पहनने के
कपड़े भी पीले रंग का होना चाहिए।
पूजा में फूल भी पीले ही रंग का होना
चाहिए। वस्त्र दोनों के शुद्ध पवित्र हों
व यंत्र की पूजा दोनों में से एक करें।
ऊँ क्लीं देवकी सूत गोविन्द
वासुदेव जगतपति।
देहि में तनय कृष्ण, त्वाम अहम शरणं
गतः श्री उच्चै।
थाली में केसर हल्दी से अष्टदल
बनायें। पीला पुष्प या केसर या हल्दी
से रंगे थोड़े पीले चावल चढ़ाना चाहिए।
अष्टदल पर यंत्र को विराजमान करें
और थाली को चैकी या पटरे पर रखें
तब पूजा शुरू करें। पूजा मूल मंत्र से
ही करना चाहिए।
पुत्र प्राप्ति हेतु कुछ विशेष मंत्रों
का जाप
1. ऊँ विचाराय नमो नमः।
2. ऊँ संतानाप नमो नमः।
3. ऊँ गोदाय नमो नमः।
4. ऊँ संतानाप नमः
5. ऊँ शुभम् नमः नमः।
6. ऊँ सुखाय नमो नमः।
7. ऊँ हरये नमः।
8. ऊँ शिशुया नमः।
9. ऊँ स्वाश्य नमः।
10. ऊँ कौति नमः नमः।
इन दस मंत्रों में से किसी एक मंत्र
का लाॅटरी द्वारा चयन करके एक-एक
माला का जाप प्रातः, मध्याह्न एवं
सायंकाल में करें।
सर्प विष को उतारने का उपाय
ऐसी अनेक जड़ी बूटियां हैं जिनके
सेवन से रोगी ठीक हो जाते हैं।
लेकिन यदि अधिक जहरीला सांप
ने काटा है तो उसको अस्पताल में
ही दिखाना चाहिए समय अधिक नष्ट
होने पर मरीज मर सकता है।
जैसे बांस बसौड़ा को सफेद मूसली
सूत के धागे में बांध लें तथा इसको
दाहिने हाथ में बांधकर हमेशा साथ
रखेंगे तो सर्प का विष नहीं चढ़ता है।