प्रश्न: ऐसे कौन से वास्तुदोष हैं जिसके कारण दांपत्य जीवन कलहपूर्ण हो जाता है?
दांपत्य जीवन में दाम्पत्य संबंधों में प्रगाढ़ता, आपसी प्रेम तथा खुशियों के अनवरत प्रवाह के लिए शयन कक्ष सही दिशा में होना परम आवश्यक है। नव दंपत्ति को उत्तर-पश्चिम के क्षेत्र में अर्थात वायव्य कोण की ओर शयन कक्ष बनाना चाहिए। नव दंपत्ति को दक्षिण-पूर्व की ओर शयन करना चाहिए। दक्षिण-पूर्व पर शुक्र का आधिपत्य एवं एवं अग्नि का वास होता है जिससे प्रेम संबंधों में वेग और ऊष्मा के लिए यह क्षेत्र उपयुक्त है। इस दिशा में शयनकक्ष होने पर ऊर्जा व स्फूर्ति का समुचित संचार होता है। वंश वृद्धि की इच्छा पूर्ण होती है। गर्भवती होने के बाद दंपत्ति को दक्षिण की तरफ सुलाया जा सकता है। अच्छे दांपत्य सुख के लिए पति के बायें पत्नी को सोना चाहिए। विपरीत दिशा में शयन करने से आपसी प्रेम में कमी एवं तकरार की स्थिति बन सकती है। शयन कक्ष दांपत्य जीवन की नींव कहा जाता है। दांपत्य जीवन कलहपूर्ण होने के अधोलिखित वास्तुदोष हैं:
1. मकान के वास्तु में ब्रह्म स्थान खुला न होने, ऊंचाई कम होने, भारी निर्माण एवं अस्वच्छता कलह व तनाव का कारण बनता है।
2. नैर्ऋत्य कोण नीचा होना, कटा, बढ़ा होना तथा अग्नि तत्त्व में वास होने से दांपत्य पक्ष में तनाव रहता है।
3. ईशान कोण कटा, बढ़ा होने से आर्थिक पक्ष से दांपत्य जीवन में तनाव बढ़ता है।
4. गर्भवती महिला के लिए दक्षिण-पूर्व की दिशा अच्छी नहीं होती है। यहां नींद में कमी आती है तथा गर्भपात का भय बना रहता है जिससे दांपत्य जीवन में तनाव बनता है।
5. नव विवाहित दंपत्ति के कमरे में दर्पण का होना हानिकारक होता है। ड्रेसिंग टेबल की आवश्यकता हो तो उसे उत्तरी, पूर्वी दीवार पर इस तरह से रखें कि सोते समय अपना प्रतिबिंब या शरीर का कोई हिस्सा दिखाई न पड़े अन्यथा वह हिस्सा पीड़ित रहेगा।
6. पूर्व दिशा व उत्तर में टंकी रखने से पूर्व दिशा भारी व ऊंची हो जायेगी जिससे पुत्र संतति में कमी तथा महिला में बांझपन की शिकायत तनाव का कारण बनेगी।
7. शयन कक्ष में टी. वी. नहीं होनी चाहिए इससे पति पत्नी में दरार पैदा होती है।
8. दक्षिण-पूर्व (आग्नेय कोण) में टंकी होने से आग्नेय कोण भारी हो जाता है जिससे गृह स्वामी ऋण ग्रस्त, आगजनी की घटना व असामयिक मृत्यु की संभावना बनती है।
9. शयन कक्ष में अगर बिस्तर डबल बेड का हो, उसमें गद्दे अलग-अलग हों, पति पत्नी अलग सोते हों तो तनाव रहेगा। आगे चलकर वे अलग हो जाते हंै।
10. बेडरूम में पौधे कदापि न रखें।
11. मनुष्य का सिर उत्तरायण और पैर दक्षिणायन माना गया है। यदि सिर उत्तर की ओर रखेंगे तो पृथ्वी क्षेत्र का उत्तरी ध्रुव मानव के उत्तर ध्रुव से घृणा कर चुंबकीय प्रभाव को अस्वीकार करेगा जिससे शरीर में रक्त संचार हेतु उचित और अनुकूल चंुबकीय क्षेत्र का लाभ नहीं मिल सकेगा। मस्तिष्क में तनाव व शरीर में शांतिमय निद्रा की अवस्था प्राप्त नहीं होगी। अतः सोते समय सिर दक्षिण दिशा में रखकर सोना लाभप्रद होगा। पश्चिम व पूर्व की ओर सिर रखकर सोने से भाग्यवृद्धि, मानसिक शांति तथा धार्मिक प्रवृत्ति में वृद्धि होगी।
12. शयन कक्ष में पलंग की स्थिति कभी भी इस तरह न रखें जिससे सोने वाले का सिर अथवा पैर सीधे द्वार की तरफ हो। ऐसी स्थिति में सोने वाले को हमेशा मृत्यु का भय रहेगा। शयन कक्ष में पलंग द्वार के विपरीत कोने में रखें।
13. यदि ईशान में शौचालय हो तो दाम्पत्य जीवन कलहपूर्ण होने के साथ तलाक की नौबत तक आती है। यदि यह कोण कटा हुआ, ऊंचा, रसोईघर, चबूतरा हो तो भी दांपत्य जीवन खराब होता है। यदि यह स्थान गंदा, बंद एवं भारी सामान युक्त हो तो भी उपरोक्त परेशानी देगा।
14. यदि आग्नेय कोण में पानी का स्रोत हो तो दांपत्य जीवन में तनाव रहता है।
15. यदि नैर्ऋत्य कोण या दक्षिण दिशा में जल कुंड या अंडरग्राउंड जल स्रोत हो तो दांपत्य जीवन खराब होने के साथ घर की स्त्रियों पर बुरा असर पड़ता है। यदि यह कोण कटा हुआ, हल्का, गीला, नीला हो या तहखाना हो तो भी यह दिक्कत रहती है। यदि मकान का मुख्यद्वार भी नैर्ऋत्य में हो तो उपरोक्त परेशानी रहती है यदि नैर्ऋत्य पर मार्ग प्रहार हो।
16. यदि आग्नेय कोण कटा हो या वायव्य से नीचा हो।
17. बाहर से आने वाले किसी भी व्यक्ति की सीधी दृष्टि पलंग पर नहीं पड़नी चाहिए। शयन कक्ष में एक ही दरवाजा रखना ठीक रहता है। यदि टाॅयलेट शयनकक्ष में ही हो तो दरवाजा बंद रखें अन्यथा उसकी नकारात्मक ऊर्जा नुकसान करेगी। उतारे (गंदे) कपड़े भी टाॅयलेट में ही रखें। यदि ऐसा न हो तो दांपत्य जीवन में कलह होता है।
18. पलंग के नीचे कबाड़ सामान आदि हो तो आपसी कलह होता है।
19. शयन कक्ष में आईना दांपत्य सुख में कमी लाता है। इसके अलावा ड्रेसिंग-टेबल, विद्युत उपकरण, भौतिक सुख-सुविधा की वस्तुएं भी दांपत्य जीवन में कलह पैदा करती हैं।
20. तिजोरी, कैश, धन आदि शयन कक्ष में हो।
21. शयन कक्ष में पूजा गृह हो।
22. शयन कक्ष में नकारात्मक ऊर्जा देने वाले फोटो, डूबते जहाज, महाभारत युद्ध, हिंसक पशु-पक्षी आदि हों।
23. कमरे में कैक्टस, कटीली झाड़ियों वाले पौधे या कांटों वाले पौधे हों।
24. शयन कक्ष में वाॅश-बेसिन होने से।
25. शयन कक्ष आयताकार या वर्गाकार न हो तो कलह होता है।
26. यदि कक्ष की दीवार पर गहरा लाल रंग हो तो भी कलह होता है।
27. पश्चिम दिशा और वायव्य दिशा के मध्य का क्षेत्र यानी पश्चिम-उत्तर-पश्चिम तक का क्षेत्र भी दांपत्य जीवन के लिए अनुकूल नहीं होता, राजाओं के समय इस क्षेत्र में कोप भवन बनाया जाता था। यह क्षेत्र मानसिक तनाव का क्षेत्र है। यहां भी शयन होने से दांपत्य जीवन में कलह होना लाजमी है।
28. पूर्व दिशा में स्टोर रूम का निर्माण भी दांपत्य जीवन में तनाव पैदा करता है।
29. उत्तर-उत्तर-पश्चिम में यदि पति या पत्नी की अकेले की फोटो लगी हो तो जिसकी फोटो है उसके पथभ्रष्ट होने की संभावना बनेगी। जिससे दाम्पत्य में कलह बढ़ेगी
30. अग्निकोण में रसोई घर में गलीनुमा स्टोर हो तो उस घर के पुरूष के घर से बाहर नाजायज संबंध हो सकते हैं जिस कारण दांपत्य जीवन में कलह संभव है।
31. उत्तर-पूर्व में नवविवाहित दम्पत्ति का शयन कक्ष भी दाम्पत्य में कलह का कारण बनता है। वजह है जल के क्षेत्र में अग्नि अथवा पृथ्वी तत्व की क्रिया शुभ फल नहीं देगी। अग्नि अर्थात काम क्रीड़ा-पृथ्वी अर्थात रिश्तों में स्थिरता। सो यहां शयन कक्ष बनाने से बचें। चीनी ज्योतिष के अनुसार इस सृष्टि की रचना पंच तत्व धातु, जल काष्ठ, अग्नि, पृथ्वी से हुई है जिसे पंच महाभूत की संज्ञा दी गई है। प्रत्येक मनुष्य के जन्म के साथ एक तत्व का निर्धारण होता है। निर्धारक तत्व के अनुरूप उपाय से जीवन में खुशहाली का रंग भर सकता है।
अपने तत्वों के अनुरूप फेंगशुई उपाय से जीवन की समस्या का समाधान कर सकते हंै।
वास्तु दोष में फेंगशुई के साधन/ उपाय :
- परिवार के सदस्यों में बार-बार निराशा का सामना करना पड़ता हो तो नौ छड़ी वाली पवन घंटी लगायें।
- चीनी देवताओं लुक, फुक साऊ की मूर्ति वंश वृद्धि के लिए घर में किसी भी दिशा में स्नानघर व शौचालय को छोड़कर लगायें।
- दाम्पत्य जीवन में अलगाव व निराशा हो तो शयनकक्ष में दक्षिण-पश्चिम भाग में क्रिस्टल (स्फटिक) बाॅल लटकायें जिससे परिवार के सदस्यों में प्रेम भाव आपस में जागृत होगा।
- घंटी युक्त भाग्यशाली सिक्का आर्थिक स्थिति की सुदृढ़ता हेतु दरवाजे के अंदर हैंडिल में लटकायें।
- प्रेम प्रसंग की सफलता हेतु लव बर्ड तथा मेंडेरिन डक रखें।
- दांपत्य में मधुरता के लिए कबूतर का जोड़ा दक्षिण पश्चिम कोण में रखें। मूर्ति की उपलब्धता न हो तो चित्र लगायें।
- शयन कक्ष में अपने पति/पत्नी का फोटो लगायें।
- कुंवारी कन्या का बेडरूम उत्तर-पश्चिम में होने से विवाह सही समय में होता है।
- एक्वेरियम में सुनहरी मछली पालना सौभाग्य का सूचक है। एक्वेरियम में आठ मछली जिसमें सात सुनहरी तथा एक मछली काले रंग की होनी चाहिए। एक्वेरियम मुख्य द्वार के समीप नहीं रखें।
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