टेस्ट ट्यूब बेबी: एक ज्योतिषीय अध्ययन
टेस्ट ट्यूब बेबी: एक ज्योतिषीय अध्ययन

टेस्ट ट्यूब बेबी: एक ज्योतिषीय अध्ययन  

फ्यूचर पाॅइन्ट
व्यूस : 7943 | सितम्बर 2014

आई. वी. एफ. यानि इन विट्रो फर्टिलाइजेशन तकनीक निःसंतान दंपत्तियों के लिए वरदान है। आधुनिक चिकित्सा विज्ञान को इस तकनीक के जरिए महिला में कृत्रिम गर्भाधान किया जाता है। इस प्रक्रिया में गर्भाशय से बाहर, अर्थात इन विट्रो यानि कृत्रिम परिवेश में शुक्राणुओं द्वारा अंडकोशिकाओं का निषेचन किया जाता है। महिलाओं में बांझपन दूर करने की इस तकनीक में महिला के अंडाशय आई. वी. एफ. यानि इन विट्रो फर्टिलाइजेशन तकनीक निःसंतान दंपत्तियों के लिए वरदान है। आधुनिक चिकित्सा विज्ञान को इस तकनीक के जरिए महिला में कृत्रिम गर्भाधान किया जाता है।

इस प्रक्रिया में गर्भाशय से बाहर, अर्थात इन विट्रो यानि कृत्रिम परिवेश में शुक्राणुओं द्वारा अंडकोशिकाओं का निषेचन किया जाता है। महिलाओं में बांझपन दूर करने की इस तकनीक में महिला के अंडाशय से अंडे को अलग कर उसका संपर्क द्रव माध्यम में शुक्राणुओं से कराया जाता है। इसके बाद निषेचित अंडे को महिला के गर्भाशय में रख दिया जाता है। इसका प्रयोग वे महिलाएं भी कर सकती हैं जिनमें रजोनिवृत्ति हो चुकी है और फैलोपियन ट्यूब बंद हो चुके हैं। से अंडे को अलग कर उसका संपर्क द्रव माध्यम में शुक्राणुओं से कराया जाता है। इसके बाद निषेचित अंडे को महिला के गर्भाशय में रख दिया जाता है। इसका प्रयोग वे महिलाएं भी कर सकती हैं जिनमें रजोनिवृत्ति हो चुकी है और फैलोपियन ट्यूब बंद हो चुके हैं।

बुकी विंशोत्तरी दशा के दौरान इनकी पत्नी को गर्भपात करवाने पड़े। बुध से पंचम भाव पर जन्मकुंडली, नवांश तथा सप्तांश में पड़ने वाला पाप ग्रहों का प्रभाव इसकी पुष्टि करता है। पर वर्ष 2007 के अंत में बुध-गुरु की विंशोत्तरी दशा में जातक व उसकी पत्नी ने एक बालक को गोद लिया। छठा घर गोद ली गई संतान को दर्शाता है। गुरु जन्म कुंडली व सप्तांश में छठे घर में स्थित है। भाग्य का खेल देखिये, उसी समय इस जातक की पत्नी का इलाज कर रहे डाॅक्टरों ने आईवीएफ से कृत्रिम गर्भाधान में सफलता पाई। बुध-गुरु-चंद्रमा की विंशोत्तरी दशा में 26 अगस्त 2008 को जातक एक टेस्ट ट्यूब बेबी का पिता बना। गुरु से पंचमेश चंद्रमा जो कि राहु-केतु अक्ष में है कृत्रिम उपाय से संतान का जन्म दर्शाता है।

सप्तांश कुंडली में पंचमेश शनि भी राहु-केतु अक्ष में स्थित है। उदाहरण 2 में अपने विवाह के समय वर्ष 1998 में इस स्त्री जातक की कुंभ लग्न की कुंडली में बुध-राहु की विंशोत्तरी दशा चल रही थी। बुध संतान कारक बृहस्पति से युत है। इनसे पंचम भाव में राहु स्थित है तथा उस पर शनि की दृष्टि है। सप्तांश कुंडली में पंचम भाव में राहु स्थित है तथा उस पर मंगल, जो कि वृषभ लग्न के सप्तांश में मारकेश है तथा गुरु की दृष्टियां हैं। बुध की दशा में स्त्री जातक के गर्भपात हुये जो कि स्पष्ट है।


अपनी कुंडली में राजयोगों की जानकारी पाएं बृहत कुंडली रिपोर्ट में


केतु-शुक्र की विंशोत्तरी दशा में वर्ष 2007 के अंत में इन्होंने एक बच्चा गोद लिया। केतु षष्ठेश चंद्रमा के साथ गोद ली गई संतान दर्शाता है। छठा घर तथा षष्ठेश गोद ली गई संतान को दर्शाते हैं। केतु-सूर्य (अगस्त 2007 से जनवरी 2009) की दशा में इस स्त्री ने गर्भ धारण किया तथा केतु-मंगल (अगस्त 2008 से जनवरी 2009) की दशा में 26 अगस्त 2008 को यह स्त्री टेस्ट ट्यूब बेबी की माता बनीं। केतु सप्तांश कुंडली में 5/11 के अक्ष पर गुरु से युत है। अंतर्दशानाथ मंगल सप्तांश कुंडली के लग्नेश के साथ युत है। उदाहरण 3 में धनु लग्न के इस पुरूष जातक का विवाह 2 मई 1991 को हुआ। उस समय वह गुरु में बुध की विंशोत्तरी दशा में चल रहा था। पंचम भाव तथा पंचमेश पर पाप ग्रह शनि, जो कि धनु लग्न के लिए मारक भी है, की दृष्टि है।

सप्तांश में गुरु तथा लग्न से पंचम भाव पर पाप ग्रहों का प्रभाव संतान में विलंब दर्शाता है परंतु निषेध नहीं। शनि-बुध (दिसंबर 2005 से अगस्त 2008) की विंशोत्तरी दशा में यह जातक अपनी पत्नी के साथ वर्ष 2006 के शुरू में दुबई गया। वहां आइवीएफ तकनीक के प्रयोग से विवाह के 14 वर्षों के बाद जातक को संतान सुख प्राप्त हुआ। जातक की पत्नी ने 03 दिसंबर -2006 को एक बालक को जन्म दिया। जातक उस समय शनि-बुध-शुक्र की विंशोत्तरी दशा में चल रहा था। शनि जन्म कुंडली में पंचम भाव, पंचमेश से संबंध बना रहा है। सप्तमांश में शनि लग्न का स्वामी है तथा गुरु से दृष्ट है जो कि मीन में स्थित राहु का राशि अधिपति है। दशा नाथ शनि तथा संतानकारक गुरु का राहु से संबंध कृत्रिम गर्भ धारण के उपाय बता रहा है।

उदाहरण 4 में मकर लग्न की इस स्त्री जातक की जन्मकुंडली में लग्न से पंचम भाव तथा पंचमेश पर शनि मंगल का प्रभाव संतान में विलंब व बाधा दर्शाता है। बृहस्पति निर्दोष अपनी उच्च राशि में है तथा उससे पंचम भाव पर शुभ ग्रहों की दृष्टि संतान के जन्म की संभावना दर्शाती है। परंतु बृहस्पति के पंचमेश मंगल दशम भाव में राहु-केतु अक्ष में है जो कि संतान प्राप्ति के लिए कृत्रिम उपायों को अपनाने का संकेत है। इस संकेत की पुष्टि सप्तांश कुंडली में होती है, जहां गुरु स्वयं पंचम भाव में राहु-केतु अक्ष में स्थित हैं।

अपने विवाह के 14 वर्षों के बाद गुरु-बुध (अक्तूबर 2004 से जनवरी 2007) की विंशोत्तरी दशा में 03 दिसंबर 2006 को यह स्त्री दुबई में आईवीएफ तकनीक की मदद से मां बन सकी। अंतर्दशा नाथ बुध जन्म कुंडली में नवमेश (नवम भाव जो कि पंचम भाव से पंचम है, भी संतान क जन्म को दर्शाता है) तथा सप्तांश कुंडली में लग्नेश है।


करियर से जुड़ी किसी भी समस्या का ज्योतिषीय उपाय पाएं हमारे करियर एक्सपर्ट ज्योतिषी से।




Ask a Question?

Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

  • Health

  • Family

  • Marriage

  • Career

  • Finance

  • Business


.