पितृ ऋण और पितृ पक्ष
पितृ ऋण और पितृ पक्ष

पितृ ऋण और पितृ पक्ष  

अंजना अग्रवाल
व्यूस : 6784 | सितम्बर 2014

भारतीय धर्म ग्रंथों में मनुष्य को तीन प्रकार के ऋणों-देवऋण, ऋषिऋण व पितृऋण से मुक्त होना आवश्यक बताया गया है। इनमें पितृ ऋण सर्वोपरि है। पितृऋण यानि हमारे उन जन्मदाता एवं पालकों का ऋण, जिन्होंने हमारे इस शरीर का लालन-पालन किया, बड़ा और योग्य बनाया। हमारी आयु, आरोग्य एवं सुख-सौभाग्य आदि की अभिवृद्धि के लिए सदैव कामना की। यथासंभव प्रयास किए, उनके ऋण से मुक्त हुए बिना हमारा जीवन व्यर्थ ही होगा।

इसलिए उनके जीवन काल में उनकी सेवा-सुश्रुषा द्वारा और मरणोपरांत श्राद्धकर्म द्वारा पितृऋण से मुक्त होना अत्यंत आवश्यक है। ज्योतिष में पितृऋण को बहुत बड़ा दोष माना जाता है। यह दुर्भाग्य को बढ़ाने वाला होता है। जिस जातक की कुंडली में यह दोष उपस्थित होता है उनको अनेक प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है जिसका और परिणाम परिवार में क्लेश का होना, वंशवृद्धि में रूकावट, आकस्मिक संकट का सामना, धनहानि तथा मानसिक ’शांति का भंग हो जाना आदि होता है। पितृऋण की मुक्ति के लिए, श्राद्ध से बढ़कर कोई कर्म नहीं है। श्राद्ध शब्द की व्युत्पत्ति से ही यह तथ्य स्पष्ट हो जाता है कि इस कार्य को श्रद्धा के साथ करना चाहिए (श्रद्धया दीयतेयस्मात्तच्छ्राद्धम्)। पूर्वजों की पुण्यतिथि अथवा पितृपक्ष में उनकी मरण-तिथि के दिन उनकी आत्मा की संतुष्टि के लिए किया जाने वाला श्राद्ध-कर्म सही मायनों में पूर्वजों के प्रति श्रद्धांजलि ही है।

इसीलिए सनातन धर्म में श्राद्ध को देव-पूजन की तरह ही आवश्यक एवं पुण्यदायक माना गया है। देवताआंे से पहले पितरों को प्रसन्न करना अधिक कल्याणकारी होता है। वायु पुराण, मत्स्य पुराण, गरुड़ पुराण, विष्णु पुराण आदि पुराणों तथा अन्य शास्त्रों जैसे मनुस्मृति इत्यादि में भी श्राद्ध कर्म के महत्व के बारे में बताया गया है । भाद्रपद पूर्णिमा से आश्विन मास के कृष्णपक्ष की अमावस्या तक की (कुल 15 दिन) अवधि को पितृपक्ष (श्राद्धपक्ष) कहा गया है। श्राद्ध यानी श्रद्धया दीयतेयत् तत श्राद्धम् अर्थात् श्रद्धा से जो कुछ दिया जाए वही श्राद्ध है। वेदों में 1500 मंत्र श्राद्ध के बारे में हैं। पुराणों, स्मृतियों व अन्य प्राचीन ग्रंथों में भी श्राद्ध का बहुतायत उल्लेख है। श्राद्धपक्ष को कनागत नाम भी से भी जाना जाता है। कनागत, (कन्यागत सूर्य, क्वार के महीने का कृष्ण पक्ष, जिसमें पितरा का श्राद्ध किया जाता है)। कनागत, कन्यार्कगत का अपभ्रंश है, जिसका अर्थ है सूर्य (अर्क) का कन्या राशि में जाना।


जीवन की सभी समस्याओं से मुक्ति प्राप्त करने के लिए यहाँ क्लिक करें !


श्राद्धपक्ष में सूर्य कन्या राशि में होता है, इसीलिए इसे कन्यार्कगत (कनागत) कहा जाता है। आश्विन मास के कृष्णपक्ष में पितृलोक हमारी पृथ्वी के सबसे ज्यादा समीप होता है। अतएव इस पक्ष को पितृपक्ष माना जाना बिल्कुल ठीक है। कनागत में पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त करने और सुख सौभाग्य की वृद्धि के लिए पितरों के निमित्त तर्पण किया जाता है। श्राद्ध और तर्पण वंशज द्वारा पूर्वजों को दी गई श्रद्धांजलि है। हमें किसी भी स्थिति में अपने इस आध्यात्मिक कत्र्तव्य से विमुख नहीं होना चाहिए। पितृपक्ष में पितृगणों के निमित्त तर्पण करने से वे तृप्त होकर अपने वंशज को सुख-समृद्धि-सन्तति का शुभाशीर्वाद देते हैं। पूर्णिमा से लेकर अमावस्या के मध्य की अवधि अर्थात पूरे 16 दिनों तक पूर्वजों की आत्मा की शान्ति के लिये कार्य किये जाते है। पूरे 16 दिन नियम पूर्वक कार्य करने से पितृ-ऋण से मुक्ति मिलती है। पितृ श्राद्ध पक्ष में ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है। भोजन कराने के बाद यथाशक्ति दान-दक्षिणो दी जाती है।

इससे स्वास्थ्य समृद्धि, आयु व सुख शान्ति रहती है। श्राद्ध पक्ष भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा से आश्विन कृष्ण अमावस्या के मध्य जो भी दान-धर्म किया जाता है वह सीधा पितरों को प्राप्त होने की मान्यता है। पितरों तक यह भोजन ब्राह्माणों व पक्षियों के माध्यम से पहुंचता है। कौवे एवं पीपल को पितरों का प्रतीक माना गया है। पितृपक्ष के इन 16 दिनों में कौवे को ग्रास एवं पीपल को जल देकर पितरों को तृप्त किया जाता है। बुद्धि एवं तर्क प्रधान इस युग में श्राद्धों के औचित्य को सामान्यतः स्वीकार नहीं किया जाता। किंतु इस रूप में इस पर कोई विवाद नहीं होना चाहिए कि श्राद्ध पितरों के प्रति हमारी श्रद्धा के प्रतीक हैं। श्राद्ध हमसे श्रद्धा चाहते हैं, पाखंड नहीं। यह श्रद्धा सभी बुजुर्गों के प्रति होनी चाहिए, चाहे वे जीवित हों या दिवंगत। आत्मकल्याण के इच्छुक लोग अपने पूर्वजों का श्राद्ध अवश्य करें।



Ask a Question?

Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

  • Health

  • Family

  • Marriage

  • Career

  • Finance

  • Business


.