हस्तरेखा एवं आजीविका
हस्तरेखा एवं आजीविका

हस्तरेखा एवं आजीविका  

ईश्वर लाल खत्री
व्यूस : 9243 | मई 2015

आज के युग में व्यक्ति द्वारा चुना हुआ व्यवसाय/व्यापार उसके जीवन में खुशी, सुख, आत्मविश्वास एवं प्रगति का े प ्रभावित करता ह ै। एक सही व्यवसाय के चुनाव द्वारा वह-

Û अपने जीवन एवं कार्य में संतुलन बनाये रखेगा।

Û ज्ञान एवं व्यवसाय के बीच में संबंध बना कर सफल हो सकेगा।

Û अपने व्यावसायिक उद्देश्यों का निर्धारण कर पायेगा।

Û एक प्रतिफलित व्यवसाय के मार्ग की जानकारी प्राप्त कर सकेगा।

Û अपने जीविका के उद्देश्य को समझ सकेगा। शिक्षा एवं व्यवसाय में संबंध जब जातक के जीवन में उच्च शिक्षा प्राप्त करने का समय आता है तो उसे यह निर्धारित करना पड़ता है कि वह शिक्षा के किस क्षेत्र को चुने जिसके आधार पर वह उत्तम भविष्य की ओर अग्रसर हो सके। इस शिक्षा के क्षेत्र का निर्धारण हाथ में विकसित पर्वत के आधार पर किया जाता है क्योंकि प्रत्येक पर्वत किसी न किसी कार्य की ओर संकेत करता है। हाथ पर पाय े जान े वाला म ुख्य विकसित पर्वत तथा उसके साथ ही दूसरा सहायक विकसित पर्वत व्यक्ति की शिक्षा के क्षेत्र का निर्धारण करता है जो उसके व्यवसाय एवं भविष्य का निर्धारण करेगा। प्रत्येक ग्रह शिक्षा एवं व्यवसाय के निम्नलिखित क्ष ेत्र की आ ेर स ंक ेत करता है-


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1. बृहस्पति पर्वत: अच्छा नेता या शासक, प ्रशासक, इ ंजीनियर, डाॅक्टर, व्यवसायी या राजनेता, उच्च सरकारी नौकरी, धार्मिक संस्था में उच्च स्थान, अध्यापन, ज्योतिष तथा हस्तरेखा विशेषज्ञ।

2. शनि पर्वत: वैज्ञानिक, इंजीनियर, डा ॅक्टर, सर्ज न, उद्या ेगपति, माली तथा अनुसंधान करने वाला, वैज्ञानिक किताबें लिखने वाला, गंभीर संगीत का सृजन करना।

3. सूर्य पर्वत: इल ेक्टि ªीशियन, चश्मा बनाने वाला कारीगर, विज्ञापन, रूपर ेखा बनाना, स ृजन करना, सजावट, शिल्पकार स ंगीत, प े ंटि ंग, गृह शिल्प विद्या।

4. बुध पर्वत: विज्ञान तथा औषधि, कान ून, व्यापार, ब ैकि ंग, ल ेखक, इंजीनियर, वकील, सी. ए.।

5. मंगल पर्वत: प ुलिस, गार्ड , जेलर, खान का कार्य, संस्थायें, आर्मी से संबंधित, खेल से संबंधित, जमीन जायदाद से संबंधित काम।

6. चंद्र पर्वत: स ंगीत, शायरी, स ंगीतकार, कलाकार, ल ेखक, संपादक, ड्रामा, कला, यात्रा, साहित्य तथा गीतकार।

7. शुक्र पर्वत: आभ ूषण, कवि, विज्ञापन, संगीत, कला एवं सजावट, सौंदर्य से संबंधित कार्य। शिक्षा के उपरांत समय आता है नौकरी अथवा स्वयं के व्यवसाय का निर्णय करने का और हस्तरेखा ज्ञान यहां पर अत्यंत सहायक है। व्यवसाय या नौकरी का चुनाव हस्तरेखा शास्त्र व्यक्ति को नौकरी या स्वयं के व्यवसाय का चुनाव करने में बहुत उत्तम सहयोग दे सकती है। सबस े महत्वप ूर्ण बात यह जानना होता है कि व्यक्ति करना क्या चाहता है तथा उसको प्राप्त करने के लिये कितनी मेहनत करता है। इस प्रकार किये गये व्यवसाय का चुनाव उस व्यक्ति को सबसे उत्तम श्रेणी का मार्ग दर्शाता है। अपने पसंद का काम करने से उसके अंदर एक संतुष्टि की भावना होती है तथा वह केंद्रित रहकर एक सुखी व संपूर्ण जीवन का आनंद लेता है।

नौकरी

1. नौकरी के उत्तम संयोग व्यक्ति नौकरी करने के लिए योग्य ै जब उसके हाथ में निम्न संयोग प्राप्त होते हैं:

1. भाग्य रेखा शनि पर्वत पर समाप्त होती।

2. उत्तम व लंबी शनि उंगली

3. उत्तम विकसित शनि पर्वत

4. उत्तम विकसित मस्तिष्क रेखा चित्र-2 नौकरी के उत्तम संयोग

2. नौकरी में सफलता एक अच्छी नौकरी की प्राप्ति, उस नौकरी में लगन से काम करना तथा सफलता प्राप्त करना तब संभव है जब हाथ में निम्न संयोग हो-

1. सीधी व लंबी भाग्य रेखा

2. उत्तम विकसित शनि, बृहस्पति व सूर्य पर्वत

3. एक विस्तृत हथेली तथा उत्तम विकसित पर्वत

4. बृहस्पति एवं शनि की लंबी व उत्तम उंगलिया

3. ना ैकरी म े ं महत्वाका ंक्षी व कर्तव्यपरायण व्यक्ति एक द ृढ ़ स ंकल्प क े साथ नौकरी में अपने कर्तव्य का पालन करता है जब वह महत्वाकांक्षी होता है तथा हाथ पर निम्न संयोग मिलते हैंः

1. उत्तम विकसित भाग्य रेखा

2. बृहस्पति पर्वत के समीप प्रांरभ होती जीवन रेखा।

3. उत्तम विकसित शनि व बृहस्पति पर्वत 4. उत्तम विकसित मानसिक व व्यावहारिक क्षेत्र 4. नौकरी में असफलता कई बार व्यक्ति एक डरपोक स्वभाव और आत्मविश्वास की कमी के कारण अपनी जिम्मेदारियों को ठीक से नहीं निभा पाता। यह एक कमजोर हथेली के कारण भी हो सकता है।

नौकरी में असफलता के संयोग निम्न हैं:

1. कमजोर भाग्य रेखा

2. दोषपूर्ण भाग्य रेखा व मस्तिष्क रेखा

3. दोषपूर्ण हथेली

4. कम विकसित बृहस्पति व शनि पर्वत

5. पतली हथेली

6. कमजोर जीवन रेखा एवं शुक्र पर्वत Û यदि हाथ का अंगूठा सीधा तथा पीछे की ओर किंचित झुका हो, मस्तिष्क रेखा स्पष्ट व सीधी हो, बुध पर्वत ऊंचा उठा हो तथा इस पर कोई जाल न हो तो वह जातक सफल व्यवसायी या व्यापारी होता है। यदि यह पर्वत नीचा हो तो जातक छोटा व्यापार ही कर पाता है।

Û यदि अनामिका अंगुली का ऊपरी सिरा वर्गाकार हो तथा बुध पर्वत उठा हो तो वह जातक दूरदराज क्षेत्रों तक व्यापार कर सफल व्यापारी होता है।

Û यदि हृदय रेखा बुध पर्वत को घेरे हो, आधे अंडे के आकार की हो और सूर्य क्षेत्र काफी बड़ा हो तो जातक बड ़ा कारा ेबार कर कामयाब हा ेता है। ऐसे जातकों का कारोबार क्षेत्र ज्या ेतिष, दर्श न, ग ुप्त विद्या आदि होता है। व्यक्ति एक सफल व्यापारी बनता है जब उसके हाथ में निम्न संयोग होते हैं:

1. उत्तम विकसित भाग्य रेखा

2. बुध उंगली का दूसरा पोर लंबा

3. उत्तम विकसित मस्तिष्क रेखा

4. उत्तम विकसित बुध पर्वत

5. उत्तम विकसित बुध रेखा

6. भाग्य रेखा व मस्तिष्क रेखा से उपर की ओर निकलती हुई रेखाओं का बुध पर्वत की ओर जाना।

7. समकोण हाथ 2. व्यापार में सफलता एक उत्तम व्यवसाय एवं व्यापार में सफलता के लिये कठिन परिश्रम की आवश्यकता होती है और यह तभी संभव है जब हाथ में निम्न संयोग उपलब्ध हों-

1. एक द्विशाखित बुध रेखा की एक है जब उसके हाथ में निम्न संयोग होते हैं:

1. उत्तम विकसित भाग्य रेखा

2. बुध उंगली का दूसरा पोर लंबा

3. उत्तम विकसित मस्तिष्क रेखा

4. उत्तम विकसित बुध पर्वत

5. उत्तम विकसित बुध रेखा

6. भाग्य रेखा व मस्तिष्क रेखा से उपर की ओर निकलती हुई रेखाओं का बुध पर्वत की ओर जाना।

7. समकोण हाथ शाखा का बुध पर्वत पर जाना।

2. एक पतली व उत्तम बुध रेखा।

3. मणिबंध से प्रारंभ होती बुध रेखा

4. बुध पर्वत पर जाती भाग्य रेखा की एक शाखा

5. दोनों हाथों पर उत्तम बुध पर्वत

3. व्यापार में व्यावहारिक होना व्यक्ति में अच्छी व्यावहारिक क्षमता निम्नलिखित संयोगों द्वारा होती है-

1. उत्तम विकसित भाग्य रेखा

2. मस्तिष्क रेखा का मंगल पर्वत पर समाप्त होना

3. दोनों हाथों में उत्तम बुध पर्वत

4. उत्तम विकसित हथेली

5. उत्तम विकसित मस्तिष्क रेखा

6. व्यावहारिक क्षमता लिय े ह ुए समकोण हाथ

4. व्यापार में असफलता हर व्यक्ति एक सफल व्यापारी नहीं बन सकता। हाथ में निम्न संयोग क े कारण व्यक्ति का े व्यापार म े ं असफलता मिलती है।

1. टूटी हुई बुध रेखा

2. बुध पर्वत पर छोटी-छोटी प्रभावित रेखाएं

3. एक कमजोर भाग्य रेखा

4. सूर्य व बृहस्पति पर्वत का कम उभरा होना। नौकरी/व्यवसाय में भाग्य एवं धन समृद्धि एक अच्छी नौकरी अथवा व्यवसाय के पश्चात व्यक्ति एक समृद्धि एवं संपन्नता से भरपूर जीवन की इच्छा रखता है। भाग्य एवं धन एक प्रकार की समृद्धि है। आगे बढ़ने की खुशी है, उत्तम सेहत एवं सफल सामाजिक स्थिरता है। इसमें धन की अधिकता, बहुमूल्य साधन एवं स्रोत भी शामिल हंै। व्यावहारिक जीवन म े ं व्यक्ति इस समृद्धि का इच्छुक है। कई बार वह जीवन में इस भाग्य एवं धन की प्राप्ति नहीं कर पाता तथा उसे आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है तो कभी वह इस धन एवं समृद्धि को बहुत अच्छी तरह से प्राप्त कर लेता है।

1. भाग्य एव ं धन सम ृद्धि म े ं सफलता व्यक्ति की हमेशा इच्छा होती है कि उसका जीवन उत्तम भाग्य, धन, वैभव एवं संपत्ति तथा समृद्धि एवं संपन्नता से भरपूर हो। निम्न संयोग व्यक्ति के जीवन में उत्तम भाग्य, धन दौलत, संपत्ति एवं वैभव प्राप्त करने के योग बनाते हैं।

1. उत्तम विकसित हथेली

2. समकोण एवं चमसाकार हाथ

3. उत्तम विकसित पर्वत

4. उत्तम विकसित भाग्य रेखा एवं सूर्य रेखा।

5. उत्तम विकसित जीवन रेखा

6. दोहरी जीवन रेखा

7. उत्तम विकसित अंगूठा एवं पहले पोर पर खड़ी रेखायें।

8. मंगल पर्वत से निकली एक और भाग्य रेखा।

9. हथेली पर शुभ चिह्न चित्र -9 व्यापार में असफलता चित्र

10.: भाग्य एवं धन समृद्धि में सफलता 2. आर्थिक हानि के संयोग व्यक्ति हमेशा इस इच्छा से मेहनत करता है कि उसे अपने जीवन में धन दौलत, नाम, यश एवं समृद्धि प्राप्त हो। परंतु कई बार वह इसे पाने में असमर्थ हो जाता है। उसे जीवन में रुकावट सहन करनी पड़ती है और वह हिम्मत हार जाता है। निम्न संयोग इसकी ओर संकेत देते हैं-

1. पतली व दबी हुई हथेली

2. टूटी हुई भाग्य रेखा

3. भाग्य रेखा को काटती हुई शत्रु रेखायें।

4. शनि मुद्रिका का होना

5. भाग्य रेखा पर तारा या नीचे की ओर गिरती हुई शाखायें।

6. भाग्य रेखा का मस्तिष्क रेखा से नीचे समाप्त होना

7. हथेली पर क्राॅस की अधिकता होना संपूर्ण हाथ के अध्ययन से व्यक्ति का मार्गदर्शन किया जा सकता है कि वह किस प्रकार ऐसी परिस्थितियों से अपना बचाव कर सके तथा कौन से व्यवसाय का चुनाव करे। उदाहरण के साथ इसकी पुष्टि की जा सकती है। अतः विशेष व्यवसायों के विषय में चर्चा सहायक होगी। डाॅक्टर चिकित्सक (डाॅक्टर योग) जिनके हाथ में बुध पर्वत विकसित हो तथा कनिष्ठिका अंगुली का सिरा अनामिका अंगुली के ऊपरी पोर के मध्य तक पहुंच रहा हो तथा बुध पर्वत पर तीन खड़ी रेखायें हो तो जातक सफल डाॅक्टर होता है। - यदि उपरोक्त में सूर्य रेखा उत्तम हो, अंगुलियां लंबी हो तो भी जातक चिकित्सक होता है। - जिसके हाथ में सूर्य रेखा अच्छी स्थिति के साथ चंद्र पर्वत भी ऊंचा हो तो जातक औषधि चिकित्सक होता है। - मंगल व बुध पर्वत उच्च के हों, अंगुलियां लंबी व पतली हों तो जातक बड़ा सर्जन होता है।


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- जिसके हाथ की हथेली व मध्य भाग पुष्ट हो, अंगुलियों के अग्र भाग मोटे हों व सूर्य रेखा प्रबल हो तो जातक पशुओं का डाॅक्टर होता है। एक डाॅक्टर औषधि व चिकित्सा संबंधी ज्ञान प्राप्त करके मरीजों को इलाज करने के लिये पेशेवर काम करता है। एक कार्यकुशल डाॅक्टर बनने के लिए निम्न संयोग आवश्यक है।

1. बृहस्पति बुध संबंध

2. उत्तम विकसित मानसिक तथा व्यावहारिक क्षेत्र

3. उत्तम विकसित भाग्य व सूर्य रेखा

4. उत्तम विकसित चंद्र पर्वत

5. बुध पर्वत पर खड़ी रेखायें डाॅक्टर बनकर नौकरी करना निम्न संयोग दर्शाते हैं कि वह डाॅक्टर बनने के पश्चात नौकरी करेगा।

1. भाग्य रेखा का शनि पर्वत पर समाप्त होना, उत्तम विकसित शनि उ ंगली एव ं शनि पर्व त (यह या ेग नौकरी के स्थान पर निर्धारित समय पर पहुंचने के लिये आवश्यक है)।

2. बुध रेखा का हाथ में न होना (यह योग व्यवसाय/व्यापार के गुणों की कमी करता है)।

3. मस्तिष्क रेखा एवं भाग्य रेखा का जीवन रेखा के साथ जुड़कर प्रारंभ होना। यह योग दूसरे व्यक्ति की बात सुनकर तथा किसी के अधीन होकर कार्य करने का योग देता है। डाॅक्टर बन कर अपना व्यवसाय करना दूसरी ओर डाॅक्टर बनने के पश्चात निम्न स ंया ेग उस े अपन े व्यवसाय या व्यापार को प्रारंभ करने की ओर आकर्षित करेगा।

1. हाथ में एक उत्तम बुध रेखा। यह रेखा व्यापार के उत्तम गुण उत्पन्न करती है।

2. एक द्विशाखित बुध रेखा की एक शाखा का बुध पर्वत की ओर मुड़ना व्यापार में उत्तम एवं कठिन परिश्रम करने के संयोग उत्पन्न करती है।

3. एक विस्त ृत हथ ेली एव ं उत्तम विकसित बुध पर्वत (अपने अनुसार कार्य करने की क्षमता रखना)।

4. मस्तिष्क एवं भाग्य रेखा का जीवन रेखा से अलग एवं दूर प्रारंभ होना। ए ेसा व्यक्ति अपन े अन ुसार कार्य करता है। क ुछ अन्य व्यवसाया े ं का े हस्तर ेखा द्वारा निर्धारण निम्न प्रकार कर सकते हैं: वकील एवं न्यायाधीश - यदि जातक के हाथ की तर्जनी अ ंग ुली अनामिका स े ल ंबी हा े, कनिष्ठका अंगुली अनामिका के तीसरे पोर से ऊपर उठी हो, अंगुलियां सुंदर हों, गुरु पर्वत पूर्णतः विकसित हो तथा उस पर क्राॅस का चिह्न हो तो जातक वकील होता है। यदि इनके अतिरिक्त भाग्य रेखा में कोई दोष न हो, साफ सुथरी व स्पष्ट हो, सूर्य प्रभावशाली हो और अंगूठा लंबा तथा पीछे की ओर झुका हो तो जातक न्यायाधीश होता है। - यदि जातक की अंगुलियां लंबी और आपस में सटी हुई हों, अंगूठा लंबा और सीधा हो, मस्तक रेखा सीधी और जिह्वा वाली हो तथा हथेली चपटी हो तो वह जातक वकील होता है। - बुध, शनि व सूर्य पर्वत ऊंचे हांे, अंगुलियां चैकोर हो तो वह श्रेष्ठ वकील होता है। - यदि शनि व गुरु रेखा विकसित हो अथवा मणिबंध से गुरु पर्वत तक कोई रेखा पहुंचती हों तो वह जातक कान ून विश ेषज्ञ अर्था त ् वकील या न्यायाधीश हा ेता ह ै। इस े ‘‘कान ून योग’’ भी कहते हैं। शिक्षक: जिसके हाथ में जीवन, भाग्य व सूर्य रेखाओं के साथ गुरु पर्वत भी विकसित हो और इस पर क्राॅस का चिह्न हो तथा अनामिका से तर्जनी अंगुली लंबी हो तो वह जातक शिक्षक होता है। साहित्यकार योग: यदि गुरु, चंद्र तथा स ूर्य पर्व त प ूर्ण विकसित हा े और चंद्र रेखा, बुध पर्वत तक जाती हो अथवा सूर्य पर्वत के नीचे सफेद धब्बे या बुध पर्वत पर तारे का चिह्न हो तो वह जातक सफल साहित्यकार होता है। राजनीतिक योग: - यदि मध्यमा अंगुली का अग्र भाग नुकीला हो तथा सूर्य रेखा विकसित और लंबी हो अथवा बुध पर्वत पर त्रिका ेण का चिह्न हा े ता े जातक राजनीतिज्ञ (नेता) बनता है।


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मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के पद पर होता है। - यदि मस्तिष्क रेखा बृहस्पति पर्वत से तर्जनी के मूल से आरंभ हो वह राजनीतिज्ञ एवं कूटनीतिज्ञ होता है। - यदि मस्तिष्क रेखा बृहस्पति पर्वत के मध्य से आरंभ हो तथा हृदय रेखा भी बृहस्पति पर्वत से मस्तिष्क रेखा को काटती हुई आरंभ हो तो जातक कुशल राजनीतिज्ञ होता है। - जिनके हाथ में गुरु व मंगल पर्वत ऊंचे उठे हांे मस्तक रेखा द्विजिह्वा हो, कनिष्ठका अंगुली लंबी व नुकीली हो तथा नाखून चमकदार हो वह जातक राजदूत बनता है। - जिनके हाथ के बीच में कलश, स्तंभ, दंड या घोड़े का चिह्न हो वह राजा/महाराजा व करोड़पति, अरब, खरब पति होता है। अन्वेषक या आविष्कारकत्र्ता योग: - जिनके हाथ में मस्तिष्क रेखा पर सफेद चिह्न हो तो वह व्यक्ति, जातक अन्वेषक या आविष्कारकर्ता होता है। - अभियंता (इंजीनियर) योग: जिसकी अंगुलियों के नोक मोटे हों, अंगुलियां गोल व चपटी हों, अंगूठा छोटा हो, हथेली चैड़ी व ग्रहों के पर्वत चपटे हो तो वह इंजीनियर होता है। सेना के तीनों अंगों के योग- वायु, जल, थल। पायलट (वायुयान चालक एयरफोर्स योग): जिस जातक के हाथ की चारों अंगुलियों के पर्वत हों और सूर्य पर्वत के नीचे ‘मुद्रा चिह्न’ हो तो जातक एयरफोर्स से जुड़ा रहता है। समुद्री जहाज चालक (नेवी) योग ः हाथ में चंद्र रेखा, जीवन रेखा से मिले तथा बुध व गुरु पर्वत ऊंचे हांे, हृदय रेखा स्वच्छ हो तो नेवी से जुड़ा रहता है। सैनिक (थल सेना) योग: जिसके हाथ में मंगल क्षेत्र बड़ा व ऊंचा हो तथा उस पर तारे का चिह्न हो तथा भाग्य रेखा विकसित, स्वच्छ व स्पष्ट हो तो जातक थल सैनिक होता है। वीर योग: यदि मंगल पर्वत पुष्ट व दृढ़ हो तथा उस पर वृत्त का चिह्न हो तो वह रक्षा विभाग या मिलिट्री क्षेत्र में कार्य करता है तो इसे वीर योग कहते हैं। उच्च राज अधिकारी योग: जिसके हाथ के शनि पर्वत पर त्रिशूल का चिह्न हो, चंद्र रेखा, भाग्य रेखा से मिलती हो या भाग्य रेखा हथेली के बीच से आरंभ होकर उसकी एक शाखा गुरु पर्वत पर, दूसरी सूर्य पर्वत पर जाये तो वह उच्च राज अधिकारी होता है। अधिकारी योग: कनिष्ठिका अंगुली लंबी हो और उसका अंतिम सिरा अनामिका के तीसरे पोर से ऊपर हो और सूर्य रेखा अत्यंत उच्च कोटि की हो तो वह जातक अधिकारी होता है।

कलेक्टर (जिलाधीश) या कमिश्नर योग: जिसके दायें हाथ की तर्जनी और कनिष्ठिका अंगुली बायें हाथ की इन्हीं अंगुलियों की तुलना में मोटी और बडी हो, मंगल पर्वत अधिक ऊंचा उठा हो तथा सूर्य रेखा प्रबल हो तो वह जातक कल ेक्टर या कमिश्नर होता है। एकाउंटेंट योग: जिसके हाथ में बुध व सूर्य पर्वत ऊंचे हों, सूर्य व भाग्य रेखा स्पष्ट हो तथा भाग्य रेखा शनि पर्वत तक जाती हो तो ऐसा जातक सफल एकाउंटेंट होता है। नर्स योग: जिसकी हथेली गोल, पतली या चपटी हो तथा सृदृढ़ भी हो साथ ही बुध पर्वत पर खड़ी रेखायें हांे तथा शुक्र व चंद्र पर्वत उच्च के हो तो वह नर्स होता/होती है। गुप्तचर योग: हाथ में शनि व बुध पर्वत दबे हों पर भाग्य रेखा पूरी लंबाई लिये हो तथा मंगल पर्वत पर त्रिभुज हो तो व्यक्ति सफल गुप्तचर होता है। लेखक योग: जिसके हाथ में सूर्य पर्व त अधिक ऊ ंचा हा े तथा शनि रेखा मस्तक रेखा से मिल रही हो तो जातक लेखक होता है। सामान्य लिपिक: अनामिका के ठीक नीचे सूर्य पर्वत अधिक उठा हो तो वह जातक कलर्क, लिपिक या सामान्य नौकरी ही करता है। राजदूत या विदेश सेवा योग: गुरु पर्वत ऊठा हो, मस्तिष्क रेखा उत्तम पर द्विशाखी हो, बुध की अंगुली नुकीली व लंबी व नख चमकीले हांे तो जातक विदेश सेवा में या राजदूत होता है। अब यदि हाथ में निम्न प्रकार के योग हा े ं ता े जातक व्यवसाय (बिजन ेस) करता है, पद व क्षेत्र के अनुसार हस्त रेखाओं के कुछ प्रमुख योग निम्न हैं: कलाकार योग: यदि जातक की हथेली पूर्ण लंबी हो, अंगुलियां लंबी हांे और उनके सिरे नुकीले हों तो वह सफल कलाकार होता है। -जिसक े हाथ की सभी अ ंग ुलिया ं कोमल तथा सूर्य की अनामिका अंगुली अधिक लंबी और ऊपर से नोकदार हो तथा मस्तक व भाग्य रेखायें पूरी लंबाई लिये हो तो जातक कलाकर होता है। कुशल चित्रकार-कलाकर: जिसकी हथेली बड़ी हो, अंगुलियां लंबी हो, अनामिका अंगुली का प्रथम पर्व अच्छा हो, चंद्र पर्वत ऊंचा हो तथा शनि की मध्यमा अंगुली टेढ़ी हो तो व्यक्ति उदासीनता भरे चित्र बनाता है।


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अभिनेता-अभिनेत्री: (फिल्मी स्टार) योग: यदि हाथ की सभी अंगुलियां कोमल तथा लंबी हांे, सूर्य की अंगुली अधिक लंबी तथा ऊपर से नोकदार हो और मस्तिष्क और शनि रेखा पूरी लंबी हो तो जातक फिल्मी स्टार होता है। शिल्पकार योग: जिसके हाथ की अंगुलियां लंबी व व ऊपर के सिरे चा ैका ेर हा े ं, अ ंग ूठा पतला व ल ंबा हो तथा सूर्य रेखा स्पष्ट गहरी व पूर्ण विकसित हो तो जातक सफल शिल्पकार, मूर्तिकार होता है। ज्योतिषी योग: यदि हाथ म े ं बुध पर्वत ऊंचा उठा हो, गुरु पर्वत पर एक सूक्ष्म क्राॅस हो, शुक्र पर्वत लालिमायुक्त व ऊंचा उठा हो तथा इस पर वर्म का चिह्न भी हो तो जातक ज्योतिषी एवं भविष्यवक्ता होता है। पंडित या विद्वान योग: अनामिका व मध्यमा अंगुलियां चिपकी हों, अनामिका अंगुली गोल, पतली या चपटी हो, कनिष्ठा अंगुली का प्रथम पर्व लंबा हो, अंगूठे का दूसरा पर्व लंबा हो, सूर्य व मस्तिष्क रेखा लंबी हो तथा साथ ही बुध, गुरु, शनि, सूर्य व चंद्र पर्वत ऊंचे उठे हों तो वह पंडित या उच्च कोटि का विद्वान होकर अनेक शास्त्रों का ज्ञाता होता है। संगीतज्ञ -गायक योग: जिनके हाथ की अंगुलियां चैरस हांे, अंगूठे का निम्न कोण चिह्नित हो और उसके ऊपर शुक्र पर्वत दृढ हो तो गायक संगीतज्ञ होता है। एजेंट या दलाल योग: यदि हाथ में अनामिका व मध्यमा अंगुली एक सी लंबाई की हो, मस्तिष्क रेखा सीधी हो, हाथ गोल, पतला, चपटा हो तो एजेंट योग होता है। कृषक या जमींदार योग: जिसकी मध्यमा अंगुली लंबी व विस्तृत हो तथा इसका दूसरा पर्व लंबा व अच्छा हो, हथेली कठोर व चैड़ी हो तो जातक कृषक होता है। महापुरूष योग: यदि हाथ म े ं कनिष्ठिका अंगुली में अनामिका से अधिक ऊध्र्व रेखाएं हों तथा बुध व मस्तिक रेखा का पारस्परिक संबंध हो तो ऐसा जातक देश-विदेश में भ्रमण करने वाला ख्याति प्राप्त महापुरूष होता है। मुनि योग: यदि तर्ज नी अ ंग ुली अनामिका स े ल ंबी हा े, ग ुरु पर्व त उठा हा े (उच्च हा े) तथा इस पर स्वास्तिक का चिह्न हो तो वह जातक मुनि होता है। साधु/संन्यासी योग: यदि हाथ में गुरु व शनि पर्वत उच्च (उठे) हों, शनि पर्वत पर त्रिकोण का चिह्न हो अथवा जीवन रेखा के उद्गम स्थान के आस-पास चिड़िया सा चिह्न हो तो जातक संन्यासी होकर साधु बनता है। धर्मशास्त्री योग: यदि मणिबंध से निकलकर कोई रेखा शुक्र पर्वत तक जाती हो तथा हाथ की सभी अंगुलियों के सिरे नुकीले हांे तो वह व्यक्ति धार्मिक क्षेत्र में उच्च पद प्राप्त करता है तथा अनेक धार्मिक ग्रंथ लिखकर ख्याति और सम्मान अर्जित करता है।



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