पितृ दोष
पितृ दोष

पितृ दोष  

डॉ. अरुण बंसल
व्यूस : 7173 | सितम्बर 2014

हमारे पूर्वज या पारिवारिक सदस्य जिनकी मृत्यु हो चुकी है उन्हें पितृ कहते हैं। पितृ हमारे व ईश्वर के बीचकी एक महत्वपूर्ण कड़ी हैं। इनकी क्षमता व ताकत ईश्वरीय शक्ति जैसी होती है। पितृ मानव और ईश्वर के बीच की एक योनि है जिसमें मरणोपरांत मनुष्य की आत्मा कुछ समय के लिए वास करती है।।

पितृ दोष कैसे जन्म लेता है?

काल सर्प योग को समझने के लिए सर्वप्रथम आवश्यक है राहु और केतु को समझना। राहु और केतु क्या हैं यह निम्नलिखित तथ्यों से समझा जा सकता है। पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा एक समतल में करती है। चंद्रमा भी पृथ्वी की परिक्रमा एक समतल में करता है। लेकिन यह पृथ्वी के समतल से एक कोण पर रहता है। दोनों समतल एक दूसरे को एक रेखा पर काटते हैं। एक बिंदु से चंद्रमा ऊपर और दूसरे से नीचे जाता है। इन्हीं बिंदुओं को राहु और केतु की संज्ञा दी गई है।

यदि पितृ आपके कर्मों से संतुष्ट व सुखी हैं तो आपको इसका विशेष लाभ भी मिलता है। आप जिस कार्य को शुरू करते हैं उसी में लाभ होता है। आपका शौर्य दिन प्रतिदिन बढ़ता जाता है। रोग और कलह पास भी नहीं फटकते। ऐसा माना जाता है कि जिस परिवार में अधिकतर लोग सात्विक प्रवृत्ति वाले, धर्माचरण करने वाले व ईश्वर की नियमित रूप से प्रार्थना करने वाले होते हैं ऐसे सद्गुणी व संस्कारी लोगों के जीवन में अनहोनी घटनाएं जैसे अल्पमृत्यु, आदि की संभावनाएं कम रहती हैं तथा पितृ दोष आदि नहीं होते।

गुरु ग्रह हमारे पूर्वजों का कारक है। इसके अच्छा होने की स्थिति में हमें पिता, पितामह व उनके भी बुजुर्गों की अच्छी आत्माओं का स्नेह व शक्ति प्राप्त होती रहती है। यदि परिवार के अधिकतर सदस्यों के हाथ में गुरु पर्वत उभरा हुआ हो तो अधिकतर लोग सत्वगुणी होंगे तथा संतान सुख भी अच्छा रहेगा। ऐसे परिवारों में पितृ दोष नहीं होता तथा कुल की उन्नति निरंतर होती रहती है एवम् संतान खूब फलती फूलती है।


अपनी कुंडली में सभी दोष की जानकारी पाएं कम्पलीट दोष रिपोर्ट में


कुंडली में पितृ दोष

  1. लग्न में गुरु नीचराशिस्थ हो तथा उसपर पाप ग्रहों का प्रभाव रहने से पितृ दोष होता है।
  2. पंचम, नवम भाव में सूर्य या चंद्रमा के साथ राहु होने से पितृ दोष होता है।
  3. पंचमेश या नवमेश नीचराशिस्थ हों या अशुभ भावों में हों अथवा राहु/केतु आदि से संयुक्त हों तो भी पितृ दोष होता है।
  4. यदि राहु या केतु सूर्य के साथ दस अंशों से कम की दूरी पर स्थित हो तो पितृ दोष बढ़ जाता है और यदि राहु-केतु के नक्षत्र में सूर्य, चंद्र हों तो भी पितृ दोष और अधिक हो जाता है।
  5. लाल किताब के अनुसार यदि शुक्र, बुध अथवा राहु में से कोई एक, दो या तीनों ग्रह दूसरे, पांचवें, नवें या 12वें भाव में हों तो पितृ दोष होता है।

पितृ दोष लक्षण

  1. यदि परिवार में किसी बुजुर्ग के बाल सफेद होने के पश्चात् पीले होने लगें या काली खांसी हो जाए तो यह पितृ दोष के लक्षण हैं।
  2. माथे पर दुनिया की गंदी करतूतों का कलंक लग जाए तो यह पितृ दोष का लक्षण है।
  3. परिवार में अक्सर कलह रहती है।
  4. परिवार में कोई न कोई बीमारी बनी रहती है।
  5. परिवार में सदा आर्थिक तंगी रहती है और काम बनते-बनते बार-बार बिगड़ जाते हैं।
  6. संतान नहीं होती है या संतान मानसिक व शारीरिक रूप से कमजोर होती है।
  7. विवाह में अति विलम्ब होते हैं।

पितृ पूजा के लिए आवश्यक निर्देश

    1. पितरों को मांस वाला भोजन न अर्पित करें।
    2. पूजा के दिन स्वयं भी मांस भक्षण न करें।
pitra-dosha
  1. पितृ पूजा में स्टील, लोहा, प्लास्टिक, शीशे के बर्तन का प्रयोग न करें। मिट्टी या पŸाों के बर्तनों का ही प्रयोग करें।
  2. घंटी न बजाएं।
  3. पितृ पूजा करने वाले व्यक्ति की पूजा में व्यवधान न डालें।
  4. बुजुर्गों का सम्मान करें।

अब कहीं भी कभी भी बात करें फ्यूचर पॉइंट ज्योतिषाचार्यों से। अभी परामर्श करने के लिये यहां क्लिक करें।


पितृ की पहचान

  1. श्रीमद् भगवद् गीता के ग्यारहवें अध्याय का पाठ करें तो आपको कुछ दिनों में ही स्वप्न में पितृ दर्शन होंगे।
  2. रात को सोने से पहले हाथ पैर धोकर अपने मन में अपने पितृ से प्रार्थना करें कि जो भी मेरे पितृ हैं वे मुझे दर्शन दें।
  3. यदि आपका कोई कार्य अटक रहा है तो अपने पितृ को याद कीजिए और उन्हें कहें कि यदि आप हैं तो मेरा अमुक कार्य हो जाए। मैं आपके लिए शांति पाठ कराऊंगा। आपकी ऐसी प्रार्थना से कार्य सिद्धि हो जोने पर यह प्रमाणित हो जाएगा कि आपको पितृ शांति करवानी चाहिए।

पितृ दोष उपाय

  • श्राद्ध पक्ष में मृत्यु तिथि के दिन तर्पण व पिडं दान करो ब्राह्मण को भोजन कराएं व वस्त्र/दक्षिणा आदि दें।
  • यदि मृत्यु तिथि न मालमू हो तो श्राद्ध पक्ष की अमावस्या के दिन तपणर््ा व पिडंदानादि कर्म करंे।
  • पत््रयेक अमावस्या विशष्ेातः सोमवती अमावस्या को पितृभोग दंे। इस दिन गाबेर के कडें जलाकर उस पर खीर की आहुति दें। जल के छींटे देकर हाथ जोड़ें व पितृ को नमस्कार करें।
  • सूयोदय के समय सूर्य को जल दंे व गायत्री मत्रं का जप करंे।
  • पीपल के पडे ़ पर जल, पष्ुप, दूध, गगंाजल व काले तिल चढा़ कर पितृ को याद कर,ंे माफी और आशीष मागंे
  • रविवार क े दिन गाय का े गडु ़ या गेहंू खिलाएं।
  • लाल किताब के अनसुार परिवार मंे जहां तक खून का रिश्ता है जैसे दादा, दादी, माता, पिता, चाचा, ताया, बहन, बेटी, बुआ, भाई सबसे बराबर-बराबर धन 1, 5 या दस रुपए लेकर मंदिर में दान करने से पितृ ऋण से मुक्ति मिलती है।
  • हरिवंश पुरााण का श्रवण और गायत्री जप पितृ शांति के लिए लोक प्रसिद्ध है।
  • गया या त्रय्ंबकेश्वर मंे त्रिपिडीं श्राद्ध, नन्दी श्राद्ध करंे।
  • नारायणबलि पूजा करवाएं।
  • पितृ दाष्ेा निवारण उपायांे मंे गया मंे पिडंदान, गया श्राद्ध तथा पितृ भोग अपर्ण आदि क्रियाएं करते हुए निम्नांंिकत पितृ गायत्री का उच्चारण करना चाहिए। पितृ कर्म हेतु साल में 12 मृत्यु तिथि, 12 अमावस्या, 12 पूर्णिमा, 12 संक्रांति, 12 वैधृति योग, 24 एकादशी व श्राद्ध के 15 दिन मिलाकर कुल 99 दिन होते हैं।
  • पितृ गायत्री का अनष्ुठान करवाएं।

पितृ गायत्री मंत्र

ऊँ देवताभ्य पितृभ्यश्च महायोगिभ्येव च।
नमः स्वाहायै स्वधायैः नित्यमेव नमो नमः।।


अपनी कुंडली में राजयोगों की जानकारी पाएं बृहत कुंडली रिपोर्ट में




Ask a Question?

Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

  • Health

  • Family

  • Marriage

  • Career

  • Finance

  • Business


.