आदरणीय श्री एन. पी. थरेजा जी के जीवन का मिशन उर्दू भाषा में लिखी गई निम्न नज़म में स्पष्ट हो जाता है जो इस प्रकार है: लब पे आती है दुआ बन के तमन्ना मेरी। ज़िन्दगी शमा की सूरत हो खुदाया मेरी। दूर दुनिया का मेरे दम से अंधेरा हो जाए। हर जग मेरे चमकने से उजाला हो जाए। हो मेरे दम से यूँ ही मेरे वतन की ज़ीनत। जिस तरह फूल से होती है चमन की ज़ीनत। जिन्दगी हो मेरी परवाने की सूरत यारब। इल्म की शमा से हो मुझको मोहब्बत यारब।
हो मेरा काम गरीबों की हिमायत करना। दर्द मंदों से, जईफ़ों से मोहब्बत करना। मेरे अल्लाह बुराई से बचाना मुझको। नेक जो राह हो उस राह पे चलाना मुझको। गरीबी हटाओ से नरेगा (महात्मा गांधी नेशनल रूरल एम्प्लाॅयमेंट गारंटी एक्ट) तक हमारे देश ने गरीबी से छुटकारा पाने के उद्देश्य से निर्मित विभिन्न कार्यक्रमों को क्रियान्वित होते हुए देखा है। लेकिन गरीबी है कि देश का पीछा ही नहीं छोड़ती। कारण है इसे हटाने के कार्यक्रमों को क्रियान्वित करने वाले लोगों में प्रतिबद्धता की कमी, परजीवी मध्यस्थ, बढ़ता भ्रष्टाचार व वोट बैंक की राजनीति। गरीबी का कोई मजहब नहीं होता। यह हिंदू मुस्लिम सभी को समान रूप से ग्रसित करती है।
67 वर्षों की स्वतंत्रता के पश्चात् भी समाज के कई वर्गों के चेहरों पर गरीबी और पिछड़ापन साफ झलकता है। इससे अधिक शर्मनाक और क्या हो सकता है कि 21वीं सदी के मिसाइल, राॅकेट और अंतरिक्ष विज्ञान के युग में भी ऐसी स्थिति देखने को मिल रही है। इन परिस्थितियों में हमें एक योग्य व्यक्ति के प्रयासों की सराहना करते हुए इसलिए प्रसन्नता हो रही है क्योंकि न केवल इस शख्सियत के प्रयासों का उद्देश्य गरीबी को हटाना है अपितु गरीबी की रेखा के नीचे रहने वाले लोगों को उचित पोषण ्रदान करना भी है।
श्री एन. पी. थरेजा जी वास्तव में कर्मयोगी हैं जो पिछले 18 वर्षों से भ्नउंद ब्ंतम ब्ींतपजंइसम ज्तनेज के माध्यम से कमजोर और गरीब वर्ग के बच्चों, महिलाओं, युवा एवं वृद्ध सभी की सहायता कर रहे हैं और उनके जीवन को आर्थिक रूप से बेहतर बनाकर समाज के उत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
थरेजा जी का जन्म 12 दिसंबर 1925 को मियावाली (अब पाकिस्तान में हैं) में हुआ। 2 वर्ष की आयु में उनकी मां का देहांत हो गया और उनकी परवरिश उनके पिता ने ही की। मियावाली में उस समय जीवनशैली बहुत सरल थी। आपसी प्यार और भाईचारा में कमी नहीं थी सब कुछ बहुत सस्ता था। 1941 तक आपने अपनी मैट्रिक पास कर ली थी और फिर दो वर्ष तक हारमोनियम और भजन गाना सीखा और गुरुद्वारे में खास अवसरों पर गाया करते थे।
इन्होंने 8 अगस्त 1941 में 25 रूपये महीने पर मुनीम की नौकरी से अपना करियर शुरू किया और 1945 में प्उचमतपंस ठंदा व िप्दकपं में 45/- रूपये प्रति माह की नौकरी पर ज्वाइन किया लेकिन उनकी मेहनत, सूझबूझ और लग्न से वे शीघ्र ही सबसे प्रिय बन गये। 1947 में विभाजन के समय वे भी दिल्ली पहुंच गये और अपने मामा के घर पर रहे। अपनी कोशिशों से उन्होंने दिल्ली के ही प्उचमतपंस ठंदा व िप्दकपं पार्लियामेंट स्ट्रीट पर नौकरी प्राप्त कर ली और वहां अपनी ईमानदारी और मेहनत से वे 1985 में एसिस्टैंट जेनरल मैनेजर के पद से तमजपतम हुए।
1949 में आपका विवाह हुआ और इनके दो पुत्र और एक पुत्री हुई। थरेजा जी ने अपनी ईमानदारी, लगन और दूरदर्शिता से स्टेट बैंक आॅफ इंडिया की बहुत सी शाखाओं में काम किया और अपनी सूझबूझ से बैंक को अमूल्य सुझाव देकर बहुत लाभ कराया। सन् 1985 में रिटायरमेंट के बाद अपने अच्छे स्वास्थ्य के चलते थरेजा जी दुःख व निराशा से घिरे लोगों के लिए निरंतर कार्य कर रहे हैं।
हर वर्ष चैरिटी के लिए आर्थिक सहायता के रूप में प्राप्त होने वाली 19/20 लाख रूपये की राशि गरीब लोगों, मेहनती विद्यार्थियों, विधवाओं, अपंग, वरिष्ठ, नागरिकों व गरीबों को चिकित्सीय सहायता पहंुचाने व मोतियाबिंद आॅपरेशन इत्यादि जैसे लोकहित के कार्यों में खर्च की जाती है। थरेजा जी का ऐसा मानना है कि जीवन भर जो इन्होंने पूरी ईमानदारी, मेहनत व निष्ठा से कार्य किया उसी के परिणामस्वरूप जीवन की संध्या में इन्हें इनकी आज्ञाकारी संतान से अनन्य प्रेम, आर्थिक सहायता व सम्मान निरंतर प्राप्त हो रहा है।
अपनी रिटायरमेंट के तुरंत बाद लोगों को ज्योतिष व हस्तरेखा के आधार पर परामर्श देना भी आरंभ कर दिया था। इन्होंने भूतपूर्व राष्ट्रपति श्री के. एन. नारायणन को उनके राष्ट्रपति बनने से पूर्व ही उनके राष्ट्रपति बनने की भविष्यवाणी कर दी थी। श्री नारायणन के लिए लिए की गई इनकी भविष्यवाणियां अक्षरशः सत्य सिद्ध हुईं। श्री एन. पी. थरेजा जी से हजारों लोग अपना हाथ दिखाकर परामर्श लेते रहते हैं और उनकी कुछ भविष्यवाणियां अखबारों व पत्रिकाओं में भी प्रकाशित हुई हैं।
इन्होंने स्वर्गीय राजीव गांधी, विश्वनाथ प्रताप सिंह, चंद्रशेखर और अटलबिहारी वाजपेयी के अतिरिक्त अन्य अनेक महान् हस्तियों के लिए सटीक भविष्यवाणियां की हैं। श्री थरेजा जी के अनुसार ‘‘पराविद्याओं की उपयोगिता आने वाली घटनाओं के बारे में संकेत प्राप्त करना है और बुद्धिमान लोग इस लाभ का प्रयोग अपने आप को समय रहते आने वाली परिस्थितियों का सामना करने व बुरे वक्त से लड़ने के लिए तैयार कर लेते हैं तथा उचित उपाय करके बुरी घटनाओं के कुप्रभाव को काफी हद तक कम कर लेते हैं और यदि आने वाले समय के अच्छा होने की संभावनाएं बन रही हों तो वे इसका उपयोग और अधिक लाभ प्राप्त करने के लिए कर सकते हैं।’’
श्री थरेजा जी पूर्णतया सात्विक, शांत, हंसमुख, तो हैं ही साथ ही चाय व धूम्रपान का सेवन भी नहीं करते। यही इनके उŸाम स्वास्थ्य का राज है। श्री थरेजा जी का कहना है कि ‘‘यदि हम किसी को जीवन नहीं दे सकते तो हमें किसी के प्राण लेने का हक भी नहीं है।’’ इसलिए थरेजा जी पूर्ण शाकाहारी हैं। श्री थरेजा जी नियमित रूप से ईश्वर की आराधना करते हुए यही प्रार्थना करते हैं
कि भगवान उन्हें कुछ और वर्ष दे दे ताकि वे मानवता और देश के लिए कुछ और कार्य कर सकें। वर्ष 2006 में इनकी दांईं आंख के मोतियाबिंद का आॅप्रेशन हुआ था और मैक्स देवकी देवी अस्पताल में इनकी एन्ज्यिोप्लास्टी भी हुई। इन्होंने डाॅ. प्रवीण चंद्रा को इनकी आंखों की रोशनी व जीवन रक्षा हेतु विशेष धन्यवाद किया। 2008 में बाईं आंख के मोतियाबिंद का आॅप्रेशन हुआ तथा इनकी आंखों की रोशनी को बचा लिया गया।
गत एक वर्ष से इनकी किडनी का भी इलाज चल रहा है और इनकी यह दृढ़ इच्छा शक्ति ही है कि इनका ऐसा मानना है कि ये शीघ्र ही स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर सकेंगे। श्री थरेजा जी के भ्नउंद ब्ंतम ब्ींतपजंइसम ज्तनेज के माध्यम से दिल्ली में अब तक 346 लाख रूपये चैरिटी कार्य में खर्च किए जा चुके हैं। श्री थरेजा जी के कथनानुसार हमारे देश में स्वतंत्रता के 67 वर्ष पश्चात् भी 121 करोड़ की जनसंख्या में से बहुत सारे लोग गरीबी की रेखा के नीचे हैं।
सरकार चाहे कितने ही ठोस प्रयास करे परंतु जनकल्याण् ाकारी गतिविधियों में जुटे लोगों की स्थिति की गंभीरता को न समझने वाला रवैया अपनाने से लोगों को वांछित व आवश्यक लाभ नहीं मिल पाता। थरेजा जी का आगे यह कहना है कि सŸाा पर काबिज लोगों के अतिरिक्त पाॅवर और अथाॅरिटी रखने वाले लोगों को इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए तथा लाखों रिटायर्ड लोगों को भी सामाजिक उŸारदायित्व निभाते हुए थोड़ा सा योगदान अवश्य करना चाहिए। यदि कुछ हजारों की संख्या में दृढ़ निश्चयी लोग आगे बढ़कर प्रयास करें तो हम देश की सूरत बदल सकते हैं।
आओ हम सब जरूरतमंद लोगों की आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु मिल-जुलकर कार्य करके थोड़ा प्रयास करें। श्री थरेजा जी अपने समाज सुधार कार्यक्रमों जैसे निःशुल्क अस्पताल निर्माण आदि के लिए सरकार से निरंतर आग्रह करते रहते हैं। श्री थरेजा जी के अनुसार राजनीतिज्ञों, उच्च पदस्थ व प्रतिष्ठित वर्ग के लोगों को पुनर्चिन्तन करना होगा जिससे गरीबी, अशिक्षा और रोग आदि को राष्ट्र से जड़ से मिटाने की मुहिम में नये आयाम स्थापित किये जा सकें। 12 अगस्त 2014 को एच.सी.सी.टी. की अठारहवीं वर्षगांठ थी।
श्री थरेजा जी की आकर्षक शख्सियत के बारे में जितना भी लिखा जाए कम है। जीवन की संध्या में भी इनका मनोबल व साहस बढ़ता ही जा रहा है। लोगों का असीम प्रेम व गरीबों की दुआ इन्हें मिलती रहेगी। ईश्वर इन्हें लंबी आयु प्रदान करे। ज्योतिषीय विश्लेषण: श्री थरेजा जी की कुंडली में पांच ग्रहों का प्रभाव सामाजिक गतिविधियों के कारक तृतीय भाव पर है तथा तृतीयेश उच्च राशिस्थ होकर दान व परोपकार के कारक द्वादश भाव में वर्गोŸामी लग्नेश व धर्म भाव के स्वामी चंद्रमा के साथ संयुक्त है
जिसके फलस्वरूप इन्होंने अपनी सामाजिक गतिविधियों का केंद्र गरीबों के उत्थान व परोपकार को अपनाया। परोपकारी योग: यदि जन्मपत्री के द्वादश भाव में कोई ग्रह उच्च राशिस्थ या मित्र राशिस्थ होकर स्थित हो तो परोपकारी योग होता है। धैर्यवान योग: यदि जन्मकुंडली का तृतीयेश चंद्रमा से युक्त हो तो जातक मन से धैर्यवान होता है। दीर्घायु योग: यदि जन्मकुंडली में दशमेश स्वगृही, मित्रगृही या अपनी उच्च राशि में स्थित होकर शुभ भाव में हो तो जातक दीर्घायु होता है।
ज्योतिषीय योग: यदि बुध बली होकर 1, 4, 5, 7, 9, 10 में से किसी भाव में दशमेश सूर्य से युक्त होकर स्थित हो तो जातक ज्योर्तिविद बनता है। सुंदर भवन योग: यदि जन्मकुंडली के तृतीय भाव में शुभ ग्रह हों, चतुर्थेश उच्च राशि का हो और लग्नेश व शुभ ग्रह से युक्त हो तो जातक को सुंदर भवन प्राप्त होता है। शुभफल प्राप्ति योग: यदि जन्मकुंडली के तृतीय भाव में केतु बली होकर स्थित हो तो जातक को शुभ फल देता है अर्थात् वह सब दोषों का निवारण करता है। सुखी जीवन योग: यदि लाभेश दशम में व दशमेश लग्न में हो अथवा दोनों केंद्र में स्थित हों तो जातक का जीवन सुखी रहता है।
यज्ञादि शुभ कर्म योग: यदि जन्मपत्री में बुध दशमेश से युक्त हो तो जातक यज्ञादि कर्म अर्थात् धर्म व परोपकार के कार्य में लीन रहता है ध्यान समाधि योग: दशमेश जिस राशि में बैठा हो उस राशि के स्वामी नवमेश से संबंध बनता हो तो जातक जप ध्यान समाधि प्राप्त करने वाला होता है। इनकी जन्मकुंडली में उपरोक्त शुभ योगों के प्रभाव से इनकी सात्विक वृŸिा हुई तथा जन्म लग्न में राजकृपा के कारक दशमेश सूर्य की लाभेश बुध से युति के फलस्वरूप इन्हें नौकरी में भी सम्मान प्राप्त हुआ।
कुंडली के तीसरे भाव, द्वादश भाव व शनि के बली होने के कारण इन्होंने समाज, परोपकार व गरीब जनता की भलाई के मार्ग को चुना और इसी उद्देश्य की पूर्ति हेतु ह्यूमेन केयर चैरिटेबल ट्रस्ट की स्थापना की। आगे निकट भविष्य में शनि के वृश्चिक राशि में गोचर से इनके मान-सम्मान की वृद्धि तो होगी ही साथ ही इन्हंे अपने लक्ष्य प्राप्ति में भी आशातीत सफलता प्राप्त होगी।