द्वादश ज्योतिर्लिंग एवं प्रमुख शिव धाम
द्वादश ज्योतिर्लिंग एवं प्रमुख शिव धाम

द्वादश ज्योतिर्लिंग एवं प्रमुख शिव धाम  

फ्यूचर समाचार
व्यूस : 6769 | अप्रैल 2007

वपुराण में उल्लेख है कि भगवान शंकर प्राणियों के कल्याणार्थ विभिन्न तीर्थों में लिंग रूप में वास करते हैं। जिस किसी पुण्य स्थान में भक्तजनों ने उनकी अर्चना की, उसी स्थान में वे आविर्भूत हुए और ज्योतिर्लिंग के रूप में सदा के लिए अवस्थित हो गए।

यों तो शिवलिंग असंख्य हैं, फिर भी इनमें द्वादश ज्योतिर्लिंग सर्वप्रधान हैं। शिवपुराण के अनुसार ये ज्योतिर्लिंग निम्नलिखित हैं-

सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्।

उज्जयिन्यां महाकालमोंकारं परमेश्वरम्।।

केदारं हिमवत्पृष्ठे डाकिन्यां भीमशंकरम्।

वाराणस्यां च विश्वेशं त्रयम्बकं गौतमीतटे।।

वैद्यनाथं चिताभूमौ नागेशं दारुकावने।

सेतुबन्धे च रामेशं घुश्मेशं च शिवालये।।

अर्थात् (1) सौराष्ट्र प्रदेश (काठियावाड़) में श्रीसोमनाथ, (2) श्रीशैल पर श्रीमल्लिकार्जुन, (3) उज्जयिनी (उज्जैन) में श्रीमहाकाल (4) उज्जैन के समीप ही श्री ओंकारेश्वर अथवा अमरेश्वर (नर्मदा के बीच) (5) हिमाच्छादित केदारखंड में श्रीकेदारनाथ (6) डाकिनी नामक स्थान में श्रीभीमशंकर (7) वाराणसी (काशी) में श्रीविश्वनाथ (8) गौतमी (गोदावरी) तट पर श्रीत्रयंबकेश्वर (9) चिताभूमि में श्रीवैद्यनाथ (10) दारुकावन में श्रीनागेश्वर (11) सेतुबंध पर श्रीरामेश्वर और (12) शिवालय में श्रीघुश्मेश्वर।

जो कोई नित्य प्रातः काल उठकर इन नामों का पाठ करता है, उसके सात जन्मों के पाप दूर हो जाते हैं। और सारी कामनाएं पूरी हो जाती हैं। इनके दर्शनमात्र से पापों का नाश हो जाता है। इन ज्योतिर्लिंगों सहित अनेकानेक शैव स्थलों का उल्लेख पुराणों में मिलता है। यहां कुछ प्रमुख शैव क्षेत्रों का वर्णन किया जा रहा है। कैवेल्य शैल पर भगवान शिव श्रीकंठ नाम से विराजमान हैं।

वे हिमालय पर्वत पर केदार नाम से तथा काशीपुरी में विश्वनाथ नाम से विख्यात हैं। श्रीशैल पर मल्लिकार्जुन, प्रयाग में नीलकंठेश, गया में रुद्र, कालेश्वर में नीलकंठेश्वर, द्राक्षाराम में भीमेश्वर तथा मायूरम् (मायवरम्) में वे अम्बिकेश्वर नाम से स्थापित हैं। वे ब्रह्मावर्त में देवलिंग के रूप में, प्रभास में शशिभूषण, श्वेतहस्तिपुर में वृषध्वज, गोकर्ण में गोकर्णेश्वर, सोमनाथ में सोमेश्वर, श्रीरूप में त्याग राज तथा वेद में वेदपुरीश्वर के नाम से विख्यात हैं।

भगवान शंकर भीमराम में भीमेश्वर, मंथन में कालिकेश्वर, मधुरा में चोक्कनाथ, मानस में माधवेश्वर, श्रीवांछक में चंपकेश्वर, पंचवटी में वटेश्वर, गजारण्य में वैद्यनाथ तथा तीर्थाचल में तीर्थकेश्वर नाम से प्रसिद्ध हैं। वे कुंभकोणम् में कुंभेश, लेपाक्षी में पापनाशन, कण्वपुरी में कण्वेश तथा मध्य में मध्यार्जुनेश्वर नाम से प्रतिष्ठित हैं। वे हरिहरपुर में शंकर-नारायणेश्वर, विरिंचिपुरी में मार्गेश, पंचनद में गिरीश्वर, पंपापुरी में विरूपाक्ष, सोमगिरि पर मल्लिकार्जुन, त्रिमकूट में अगस्त्येश्वर तथा सुब्रह्मण्य में अहिपेश्वर नाम से विराजमान हैं।

महाबल पर्वत पर वे महाबलेश्वर नाम से, दक्षिणावर्त में साक्षात् सूर्य के द्वारा पूजित अर्केश्वर, वेदारण्य में वेदारण्येश्वर, सोमपुरी में सोमेश्वर, उज्जैन में रामलिंगेश्वर, कश्मीर में विजयेश्वर, महानंदिपुर में महानंदिपुरेश्वर, कोटितीर्थ में कोटीश्वर, वृद्धक्षेत्र में वृद्धाचलेश्वर तथा ककुद्पर्वत पर गंगाधरेश्वर नाम से स्थापित हैं।

भगवान शिव चामराज नगर में चामराजेश्वर, नंदिपर्वत पर नन्दीश्वर, वधिराचल पर चंडेश्वर, गरपुर में नंजुंडेश्वर, शतशृंगपर्वत पर अधिपेश्वर, घनानंद पर्वत पर सोमेश्वर, नल्लूर में निर्मलेश्वर, नीडानाथपुर में नीडानाथेश्वर, एकांत में रामलिंगेश्वश्र तथा श्रीनाग में कुंडलीश्वर रूप में विराजते हैं। वे श्रीकन्या में त्रिभंगीश्वर, उत्संग में राघवेश्वर, मत्स्य तीर्थ में तीर्थेश्वर, त्रिकूट पर्वत पर तांडवेश्वर, प्रसन्न पुरी में मार्गसहायेश्वर, गंडकी में शिवनाभ, श्रीपति में श्रीपतीश्वर, धर्मपुरी में धर्मलिंग, कान्यकुब्ज में कलाधर, वाणिग्राम में विरिंचेश्वर तथा नेपाल में नकुलेश्वर नाम से स्थापित हैं।

जगन्नाथपुरी में वे मार्कंडेश्वर, नर्मदा तट पर स्वंभू, धम.र् स्थल में मन्जुनाथ, त्रिरूपक में व्यासेश्वर, स्वर्णावती में कलिंगेश्वर, निर्मल में पन्नगेश्वर, पुंडरीक में जैमिनीश्वर, अयोध्या में मधुरेश्वर, सिद्धवटी में सिद्धेश्वर, श्रीकूर्माचल पर त्रिपुरांतक, मणिकुंडल तीर्थ में मणिमुक्ता नंदीश्वर, वटाटवी में कृत्तिवासेश्वर, त्रिवेणी तट पर संगमेश्वर, स्तनिता तीर्थ में मल्लेश्वर तथा इंद्रकील पर्वत पर अर्जुनेश्वर रूप में विराजमान हैं।

वे शेषाचल पर कपिलेश्वर, पुष्पगिरि पर पुष्पगिरीश्वर, चित्रकूट में भुवनेश्वर, उज्जैन में कालिकेश्वर (महाकाल), ज्वालामुखी में शूलटंक, मंगली में संगमेश्वर, तंजापुरी (तंजौर) में बृहदीश्वर, पुष्कर में रामेश्वर, लंका में मत्स्येश्वर, गन्धमादन पर कूर्मेश्वर, विन्ध्य पर्वत पर वराहेश्वर और अहोबिल में नृसिंहरूप में विराजमान हैं।

If you are facing any type of problems in your life you can Consult with Astrologer In Delhi



Ask a Question?

Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

  • Health

  • Family

  • Marriage

  • Career

  • Finance

  • Business


.