दनिया की कोई भी इमारत प्रसिद्ध है तो यह तय है कि उसकी ब न ा व ट वास्तु के अनुकूल होगी। ताज महल की विश्व प्रसिद्धि का कारण इसकी सुंदर बनावट तो है ही, परंतु इस प्रसिद्धि में चार चांद लगा रहा है इसका वास्तु के अनुकूल भूखंड पर हुआ वास्तु के अनुकूल निर्माण कार्य। मुगल बादशाह शाहजहां ने अपनी प्यारी बेगम मुमताज महल की याद में यह इमारत बनवाई।
इसे बनाने में भारतीय फारसी और इस्लामी शिल्प का प्रयोग किया गया है जो मुगल वास्तुशास्त्र का सुंदर उदाहरण है। दिशाओं के समानांतर बनाई गई अष्टभुजाओं की संरचना वाला भवन ताज महल वास्तुशास्त्र का एक सुंदर उदाहरण है। इसी कारण यह ताज बन गया है सात अजूबों का सरताज। आइए देखते हैं कि ताज किस तरह से वास्तुशास्त्र एवं फेंगशुई के सिद्ध ांतों के अनुरूप है।
वास्तुशास्त्र की दृष्टि से ताज महल को दक्षिण में बने चार बगीचों के अंतिम छोर पर यमुना नदी के किनारे बनवाया गया है। इसकी पिछली दीवार यमुना नदी के तट पर जाकर ठहरती है। इसकी उत्तर दिशा में यमुना नदी पूर्वाभिमुख होकर बह रही है।
वास्तु सिद्धांत के अनुसार यह भौगोलिक स्थिति ताज महल को प्रसिद्धि दिलाने में अत्यंत सहायक है। जब किसी इमारत की उत्तर दिशा में किसी भी प्रकार की निचाई हो तथा वहां पानी का स्रोत हो, तो वह स्थान अवश्य प्रसिद्धि पाता है।
ताज महल 186 ग् 186 फुट के एक बड़े चैकोर भूखंड पर बना है जिसके चारों कोनों पर 162.5 फुट ऊंचाई की मीनार बनी है और मध्य में 213 फुट ऊंचा विशाल गुबंद बना हुआ है। ताज परिसर में बने इस भूखंड के पास पूर्व दिशा का थोड़ा भाग पश्चिम दिशा की तुलना में लगभग 4 से 5 फुट नीचे होकर वास्तु के अनुकूल है और ताज को स्थायित्व प्रदान करता है।
ताज महल की बनावट सुडौल एवं संतुलित है। इसमें दो तल हैं। तहखाने में मुमताज महल और शाहजहां की कब्र है और इसी की प्रतिकृति को ऊपर वाले हाॅल में लगाया गया है। ताज महल परिसर के मध्य उत्तर दिशा में बना यह तहखाना इसकी प्रसिद्धि को बढ़ाने में और अधिक सहायक है।
दक्षिण दिशा स्थित ताज का मुख्य प्रवेशद्वार वास्तु के अनुकूल स्थान पर है जो सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित करता है। फेंग शुई की दृष्टि से फेंग शुई का एक सिद्धांत है कि यदि पहाड़ के मध्य में कोई भवन बना हो, जिसक े पीछ े पहाड ़ की ऊर्चं ाइ हा,े आगे की तरफ पहाड़ की ढलान हो, और ढलान के बाद पानी का झरना, कडंु , तालाब, नदी इत्यादि हा,ंे ता े वह भवन प्रसिद्धि पाता है और सदियों तक बना रहता है।
फेंग शुई के इस सिद्धांत में दिशा का कोई महत्व नहीं है। ताज के उत्तर में पानी है, ऊंचाई पर चबूतरा है और उसके ऊपर मुख्य मकबरा बना है। ताज के मुख्य मकबरे की आकृति अष्टकोणीय है। फेंग शुई में अष्टकोण् ाीय आकृति को अत्यधिक शुभ माना जाता है।
फेंग शुई में संतुलित बनावट को बहुत महत्व दिया जाता है और ताज की बनावट पूर्णतः संतुलित है। इसके सामने दक्षिण दिशा में बने बगीचे और फव्वारे इसकी शुभता को और अध् िाक बढ़ाते हैं। वास्तु के इन्हीं सिद्धांतों की अनुकूलता के कारण ताज भारत ही नहीं बल्कि दुनियाभर में प्रसिद्ध है। इसी कारण इसे सात अजूबों में स्थान मिला है।
If you are facing any type of problems in your life you can Consult with Astrologer In Delhi