पकृति के उन्मुक्त प्रांगण में बसे देवभूमि उŸारांचल में शायद ही ऐसा कोई स्थल होगा जहां मंदिर न हो। कलकल करते झरने, अविरल बहती नदियां, प्रहरी की भूमिका में गर्व से सिर उठाए खड़े पहाड़, मुक्त हवा में झूमते हरे-भरे वृक्ष यहां आने वाले यात्रियों को प्रकृति की अनुपम सृष्टि से नैकट्य का आभास करा जाते हैं।
यह भूमि प्राकृतिक सौंदर्य से जितनी समृद्ध है उतनी ही आध्यात्मिक भावना से ओतप्रोत भी। मंदिरों के इस प्रदेश में अल्मोड़ा से लगभग 71 किलोमीटर की दूरी पर कौसानी में गोमती नदी के तट पर स्थित है बैजनाथ। यह मंदिर समुद्र तल से 1,126 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। बैजनाथ को एक प्रकार से मंदिरों की घाटी के रूप में जाना जाता है। मंदिरों की इस सुंदर घाटी को कत्यूरों की गरुड़ घाटी भी कहते हैं।
कहा जाता है कि इस प्राचीन मंदिर का निर्माण 12-13वीं शताब्दी में कत्यूरी राजाओं ने किया था। शिल्पकला की दृष्टि से भी ये मंदिर बेजोड़ हैं। यहां की नक्काशीदार मूर्तिकला सर्वश्रेष्ठ कला शिल्पों में से एक गिनी जाती है। बैजनाथ में शिव, लिंग रूप में अवस्थित हैं। यहां माता पार्वती की भव्य प्रस्तर मूर्ति दर्शनीय है।
कहा जाता है कि शिव-पार्वती का विवाह इसी स्थल पर संपन्न हुआ था। स्थानीय लोग बताते हैं कि आज भी इस घाटी में देर रात नगाड़ों की धुन सुनाई देती है। पुरातत्व की दृष्टि से महत्वपूर्ण यह मंदिर गोमती की अविरल धारा का साक्षी बना हुआ है। यहां का वातावरण बेहद शांत है।
यहां आकर लगता है कि सृष्टिकर्Ÿाा ईश्वर ने बड़े सोच विचार कर यहां की संरचना की है। स्थानीय पुजारी मंदिर में नियमित पूजा-अर्चना करते हैं। यहां शिवलिंग के चारों ओर के घेरे (शक्ति) पर चांदी की परत चढ़ी हुई है। कहते हैं किसी भक्त ने अपनी मनोकामना पूरी होने के बाद इसे बनवाया था। यहां पर अनेक मंदिर समूह हैं। शिवरात्रि के अवसर पर यहां बहुत भीड़ रहती है।
आसपास के दर्शनीय स्थल अनाशक्ति आश्रम: यहां राष्ट्रपिता महात्मा गांधी कुछ दिन रहे थे और उन्होंने यहां एक पुस्तक भी लिखी थी। आज भी चरखा, खद्दर आदि उनकी निशानी के रूप में यहां विद्यमान हैं। अनाशक्ति आश्रम में यात्रियों के रहने की व्यवस्था भी है। यहां एक पुस्तकालय भी है। आश्रम बहुत ऊंचाई पर है। यहां से सूर्योदय एवं सूर्यास्त के दृश्य देखने लोगों की भीड़ एकत्रित होती है।
सुमित्रानंदन पंत संग्रहालय: जाने माने छायावादी कवि सुमित्रानंदन पंत के जन्म स्थल पर एक संग्रहालय बनाया गया है। यहां उनके जीवन काल से जुड़ी कई वस्तुओं की प्रदर्शनी और उनके साहित्य की प्रतियां दर्शनार्थ रखी गई हैं।
लक्ष्मी आश्रम: अनाशक्ति आश्रम से एक किमी. की दूरी पर यह स्थान है। यहां गांधी जी की प्रेरणा से सरला बहन ने समाज सेवा केंद्र का संचालन किया था।
पिनाकेश्वर: कौसानी से 20 किमी किमीदूरी पर यह शिव मंदिर स्थित है। यहां से अनेक घाटियों का एवं पर्वत श्रेणियों का विहंगम दृश्य दिखाई देता है।
चैकोरी: कौसानी से 75 किमी. की दूरी पर यह सुंदर चोटी स्थित है। यहां बहुत निकट से हिमालय का नयनाभिराम दृश्य दिखाई देता है।
बाबा नीम करोली का आश्रम: अल्मोड़ा से कौसानी जाते समय मार्ग में कैंची धाम पड़ता है, जहां प्रसिद्ध संत बाबा नीम करोली का आश्रम है। बाबा बहुत सिद्ध पुरुष हैं। वे कई वर्षों से बालक रूप में ही दिखाई देते हैं।
कहा जाता है कि वे अमर हैं। उनकी उम्र कितनी है किसी को कुछ पता नहीं। पिछली कई पीढ़ियों से लोग उन्हें इसी रूप में देखते आ रहे हैं। स्थानीय भाषा में इन्हें ‘नानतिन बाबा’ के नाम से पुकारा जाता है। जिसके सिर पर एक बार बाबा हाथ फेर देते हैं, उसका हमेशा कल्याण ही कल्याण होता है।
दूर-दूर से कुछ लोग उत्सुकतावश तो कुछ लोग श्रद्ध ापूर्वक बाबा के दर्शनों को आते हैं। बाबा यहां हमेशा नहीं रहते इसलिए दूर से आने के बाद भी भाग्यशाली लोगों को ही उनके दर्शन हो पाते हैं।
सोमेश्वर: कौसानी से 15 किमीकी दूरी पर भगवान भोले शंकर का प्रसिद्ध मंदिर सोमेश्वर स्थित है। यहां प्रत्येक वर्ष मार्च में बहुत बड़ा मेला लगता है। इस मंदिर का निर्माण चंद्र वंश के शासक राजा सोमचंद ने किया था।
बागेश्वर: यह स्थान धार्मिक व पर्यटन दोनों दृष्टि से महत्वपूर्ण है। शिव पूजन की यह पावन स्थली बैजनाथ से 21 किमी. की दूरी पर स्थित है। यहां स्थित बागनाथ मंदिर बहुत प्रसिद्ध है। यहां स्थान-स्थान पर अनेक शिव मंदिर हैं। यहां उŸारायणी का मेला बहुत धूमधाम से आयोजित होता है।
कहा जाता है यहां मार्कण्डेय ऋषि ने कई सालों तक शिव साधना की थी। यह वह स्थान है जहां से पिंड्यारी और कफनी ग्लेशियर आदि की यात्रा प्रारंभ की जा सकती है। कहा ठहरें कौसानी में कुमाऊं विकास मंडल निगम, हिमालयन होटल तथा अनेक निजी होटल हैं, जहां रहने व भोजन की व्यवस्था सहज उपलब्ध हो जाती है।
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