विविध (पृष्ठ-23)
मनुष्य की अबोध अवस्था एवं सुप्त कुंडलिनी

मनुष्य जानता ही नहीं कि जितनी बड़ी सृष्टि हमारे समक्ष है इससे बड़ी सृष्टि हमारी देह में भी हो सकती है। जिन देवों के लिये या जिस चंद्र, सूर्य आदि नक्षत्रों को देख हमारा मन प्रफुल्लित हो जाता है, वे सब हमारी देह के अंदर ही वि... और पढ़ें

अन्य पराविद्याएंअध्यात्म, धर्म आदिविविध

जून 2017

व्यूस: 5261

क्यों?

क्यों?

फ्यूचर पाॅइन्ट

अनादि काल से ही हिंदू धर्म में अनेक प्रकार की मान्यताओं का समावेश रहा है। विचारों की प्रखरता एवं विद्वानों के निरंतर चिंतन से मान्यताओं व आस्थाओं में भी परिवर्तन हुआ।... और पढ़ें

देवी और देवअध्यात्म, धर्म आदिविविध

मई 2013

व्यूस: 4456

विघ्नहर्ता का स्वरूप

विघ्नहर्ता का स्वरूप

फ्यूचर पाॅइन्ट

प्रत्येक मांगलिक कार्य में श्रीगणपति का प्रथम पूूजन होता है। पूजन की थाली में मंगलस्वरूप श्रीगणपति का स्वस्तिक-चिह्न बनाकर उसके ओर-छोर अर्थात् अगल-बगल में दो-दो खड़ी रेखाएं बना देते हैं।... और पढ़ें

देवी और देवविविध

सितम्बर 2013

व्यूस: 4567

रावण ने राम को श्रीराम बनाया

वाल्मीकि जी ने रामायण में रावण के दरबार में हनुमान जी के प्रवेश के समय का वर्णन इस प्रकार किया है: अहो रूपमहो धैर्यमहोत्सवमहो द्युतिः। अहो राक्षसराजस्य सर्वलक्षणयुक्तता ।। ‘रावण को देखते ही राम मुग्ध हो जाते हैं और कहते हैं कि र... और पढ़ें

देवी और देवविविध

अकतूबर 2016

व्यूस: 6013

‘सबका मालिक एक’

‘सबका मालिक एक’

फ्यूचर पाॅइन्ट

श्रद्धा और सबूरी के साथ-साथ विश्व शांति के लिए बाबा ने परम वाक्य दिया वह है- ‘सबका मालिक एक’। यह भी कोई नया वाक्य नहीं है। वैदिक काल से हमारे ऋषिगण कहते आ रहे हैं- एकदम् सद् बहुधाः विप्राः वहन्ति यानी सत्य एक है उसे विद्... और पढ़ें

देवी और देवविविध

मई 2015

व्यूस: 5210

षोडश संस्कारों में की जाने वाली क्रियाएं

गृह प्रवेश, भूमि पूजन व षोडश संस्कारों हेतु शुभ कार्यों में मुहूर्तकाल के समय क्या-क्या क्रियाएं करना आवश्यक है। अलग-अलग मुहूर्त के लिए अलग-अलग क्रिया का स्पष्टीकरण दें।... और पढ़ें

अध्यात्म, धर्म आदिविविध

नवेम्बर 2016

व्यूस: 6197

भगवान श्रीकृष्ण और गौ सेवा

गौ सर्वोत्तम माता गाय को सुरभि, कामधेनु, अच्र्या, यज्ञपदी, कल्याणी, इज्या, बहुला, कामदुघा, विश्व की आयु, रुद्रों की माता व वसुओं की पुत्री कहा गया है। अथर्ववेद, उपनिषदों, महाभारत, रामायण, पुराण व स्मृतियां में गौ का महिमा ग... और पढ़ें

देवी और देवविविध

आगस्त 2016

व्यूस: 5407

क्यों?

क्यों?

फ्यूचर पाॅइन्ट

अनादि काल से ही हिंदू धर्म में अनेक प्रकार की मान्यताओं का समावेश रहा है। विचारों की प्रखरता एवं विद्वानों के निरंतर चिंतन से मान्यताओं व आस्थाओं में भी परिवर्तन हुआ।... और पढ़ें

देवी और देवअध्यात्म, धर्म आदिविविध

सितम्बर 2013

व्यूस: 4345

झूठ में जीते हैं लोग

जब कोई तुम्हें तुम्हारी आदतों से जगाता है तो और पीड़ा होती है। सुबह तुम बड़ी गहरी नींद में सो रहे हो, बड़े मजे के सपने देख रहे हो- और कोई हिलाने लगता है कि उठो! और यह भी हो सकता है कि रात तुम कहकर सोए होगे कि मुझे उठा देना, कि मुझे ... और पढ़ें

अध्यात्म, धर्म आदिविविध

सितम्बर 2010

व्यूस: 4840

भूतों संबंधी कुछ अविस्मरणीय अनुभव

विश्व में अनेक ऐसे स्थान हैं जहां पर निरंतर होने वाली रहस्यमयी घटनाएं भूत-प्रेतों के अस्तित्व के बारे में जिज्ञासा को और अधिक बढ़ाती हंै।... और पढ़ें

अध्यात्म, धर्म आदिविविध

सितम्बर 2012

व्यूस: 3441

श्री गणेश जी के प्रमुख स्थल

प्रायः समस्त श्री शक्ति-शिव मंदिरों में श्री गणेश के मंगल विग्रह प्रतिष्ठित हैं। अन्य देव स्थलों में भी भगवान श्री गणेश रक्षणार्थ विद्यमान हैं।... और पढ़ें

देवी और देवअध्यात्म, धर्म आदिविविध

सितम्बर 2013

व्यूस: 3763

स्वामी ज्ञानानन्द सरस्वती

आत्मा की स्वयंसिद्धिता का विचार, वेदांत की भारतीय दर्शन को एक अप्रतिम देन है। आत्म तत्व के निरूपण के उपरांत आचार्य शंकर मोक्ष के साधन की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए कहते हैं कि जीव अपने स्वरूप के विषय में मिथ्या ज्ञान के कारण ही ... और पढ़ें

देवी और देवअध्यात्म, धर्म आदिविविध

मार्च 2006

व्यूस: 4631

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