ग्रह स्थिति एवं व्यापार दिव्यदीप गौडमासारंभ में 1 मार्च को तुला राशि स्थित वक्री गति के शनि व राहु ग्रहों के साथ मंगल का भी वक्री गति में रहना क्षेत्रीय दलों का विशेष राजनैतिक प्रभाव बढ़ना तथा जनता के द्वारा इनकी आलोचना का योग भी बनाता है।... और पढ़ेंज्योतिषज्योतिषीय विश्लेषणविविधग्रहभविष्यवाणी तकनीकगोचरमार्च 2014व्यूस: 6178
शिक्षा सी. एल. अस्थानाजातक की शिक्षा भी अन्य चीजों की तरह उस जातक के पूर्वजन्मों के संचित कर्मों के ही अनुसार ही प्राप्त होती है और जन्म समय भिन्न-भिन्न भावों में ग्रहों की स्थिति उसकी शिक्षा में रुचि और बुद्धि की क्षमता को दर्शाती है।... और पढ़ेंज्योतिषअकतूबर 2010व्यूस: 6630
राजभंग योग भारती राकयनज्योतिष शास्त्र में जन्म कुंडली में पाए गए राजयोगों का महत्व सर्वदा सर्वमान्य है। उच्च ग्रह व केंद्र त्रिकोण का संबंध होने से राजयोग मिलता है व इनसे लाभान्वित होकर अनेक जातक अपने जीवनकाल में सफलता के शिखर पर पहुंचे हैं। भाग्य की व... और पढ़ेंज्योतिषज्योतिषीय योगभविष्यवाणी तकनीकजनवरी 2008व्यूस: 6201
गंड अरिष्टादि फ्यूचर पाॅइन्टआश्लेषा, ज्येष्ठा, रेवती, अश्विनी, भरणी, कृत्तिका ये छह नक्षत्र ‘मूल संज्ञक’ नक्षत्र कहलाते हैं। 27 नक्षत्र को तीन भागों में बांटने पर 9 नक्षत्रों का एक भाग प्राप्त होता है जिनमें प्रत्येक नक्षत्र 9 ग्रहों से प्रत्येक का अधिपत्य र... और पढ़ेंज्योतिषजुलाई 2011व्यूस: 5603
शादी में मंगल की भूमिका आर. के. शर्माहमारे देश में विवाह (शादी) के समय वर-वधू की कुंडली में मंगलीक-दोष का बहुत विचार किया जाता है। आमतौर पर मंगल के वर के लिए मंगल की वधू ठीक समझी जाती है अथवा गुरु और शनि का बल देखा जाता है। मांगलिक दोषानुसार पति या पत्नी की मृत्यु... और पढ़ेंज्योतिषज्योतिषीय विश्लेषणकुंडली व्याख्याविवाहग्रहभविष्यवाणी तकनीकजुलाई 2015व्यूस: 6614
2017 में सूर्य व चंद्र ग्रहण सीताराम सिंहब्रह्मांड में सभी ग्रह तथा पृथ्वी अपने निर्धारित पथ पर सूर्य की निरंतर परिक्रमा करते हैं। जब चंद्रमा गोचर करते हुए सूर्य और पृथ्वी के मध्य आकर अपनी छाया से सूर्य को ढंक लेता है तो सूर्य ग्रहण होता है और जब पृथ्वी चंद्र और सू... और पढ़ेंज्योतिषखगोल-विज्ञानभविष्यवाणी तकनीकजनवरी 2017व्यूस: 5720
थैलेसीमिया: एक रक्ताल्पता रोग एम. के रस्तोगीथैलेसीमिया एक ऐसा रोग है जो विरासत में बच्चे को माता-पिता से मिलता है। इसे समझने और इसके कारणों का ज्योतिषीय आधार जानने के लिए बुनियादी विषय में बुनियादी ज्ञान का होना आवश्यक है। भिन्न-भिन्न समूहों की वंशानुगत अव्यवस्थाओं के कारण... और पढ़ेंज्योतिषस्वास्थ्यज्योतिषीय योगचिकित्सा ज्योतिषअप्रैल 2005व्यूस: 6038
योजनापूर्वक इच्छित संतान कैसे प्राप्त करें ? दलीप कुमारप्रत्येक नवविवाहित जोड़े को विवाह के पश्चात एक स्वस्थ, दीर्घायु, बलशाली, विद्यावान, उच्च शिक्षित, बलशाली, ओजस्वी, यशस्वी व वंश वृद्धि करने वाली संतान की इच्छा सदैव रहती है। प्रत्येक व्यक्ति के मन में एक इच्छा रहती है। इस संसार से ज... और पढ़ेंज्योतिषउपायबाल-बच्चेजनवरी 2012व्यूस: 5864
ज्योतिष के आईने में द्विविवाह एवं बहुसंबंध विना त्रिवेदीआज विश्व की काफी बड़ी जनसंख्या विवाहेतर संबंधों के कारण एड्स जैसी भयंकर बीमारी से प्रभावित हो चुकी है। ऐसे में इस ज्वलंत विषय पर ज्योतिष के आईने में बहु संबंध और द्विविवाह पर परिचर्चा तथा एक सही मार्गदर्शन एवं सराहनीय कार्य है। भार... और पढ़ेंज्योतिषज्योतिषीय योगविवाहभविष्यवाणी तकनीकजनवरी 2007व्यूस: 5733
संतान विचार फ्यूचर पाॅइन्टकरियर बनाने एवं पढ़ाई के चलते ज्यादातर लड़कियां देर से शादी करना पसंद करती हैं। लेट शादी से प्रेग्नेंसी में भी देरी होती है। शादी की उम्र बढ़ने के साथ प्रजनन की क्षमता कम होती है। लाइफ स्टाइल, स्ट्रेस और पाॅल्यूशन प्रजनन क्षमता पर ... और पढ़ेंज्योतिषज्योतिषीय विश्लेषणबाल-बच्चेकुंडली व्याख्याभविष्यवाणी तकनीकजनवरी 2015व्यूस: 6192
मानसिक विकृति का अंजाम आभा बंसलआज के समाज में व्यक्तिगत ख्वाहिश और हर मनचाही वस्तु को हड़पने की इच्छा ने नौजवान पीढ़ी की संस्कृति और संस्कारों को तार-तार कर दिया है। अपनी वासना पूर्ति के लिए वे किसी भी हद तक जा सकते हैं और अपने धर्म अथवा खून के रिश्... और पढ़ेंज्योतिषज्योतिषीय विश्लेषणकुंडली व्याख्याभविष्यवाणी तकनीकगोचरअकतूबर 2014व्यूस: 6240
जन्म दशा से जुड़ा पंचम, नवम व द्वादश भावों का संबंध नीलम शर्माहिंदू ज्योतिष कर्म तथा पुनर्जन्म के सिद्धांत पर आधारित है। यह तथ्य प्रायः सभी ज्योतिषी तथा ज्ञानीजन अच्छी तरह से जानते हैं। मनुष्य जन्म लेते ही पूर्व जन्म के परिणामों को भोगने लगता है। जैसे फल फूल बिना किसी प्रेरणा के अपने आप बढ़ते... और पढ़ेंज्योतिषज्योतिषीय योगदशाकुंडली व्याख्याघरभविष्यवाणी तकनीकअकतूबर 2007व्यूस: 5832