27 जुलाई की रात 12 बजे के आसपास कानपुर स्वरूप नगर थाने में पीयूष शिवदासानी का फोन आता है कि उसकी पत्नी ज्योति को अचानक अगवा कर लिया गया है और उसके साथ बहुत मारपीट की गई है। पुलिस अपनी कार्यवाही तुरंत शुरू कर देती है क्योंकि पीयूष के पिता ओम प्रकाश स्वाति बिस्कुट कंपनी के मालिक हैं
और लगभग एक डेढ़ घंटे में ही पुलिस को ज्योति का शव पनकी थाने के पीछे वाली गली में कार के अंदर मिल जाता है। पीयूष के अनुसार रात को जब वह ज्योति के साथ रेस्तरां से खाना खाकर निकला तो चार बाईक पर सवार आठ युवकों ने उन्हें घेर लिया और उसे कार से बाहर फेंक कर पत्नी को अगवा कर लिया। पुलिस ने उसकी बात मानकर तफ्तीश शुरू कर दी लेकिन ज्योति के पिता शंकर नागदेव ने पीयूष पर संदेह जताया और ज्योति की मां कंचन ने भी अपने दामाद पर बेटी की हत्या का आरोप लगाया और उसने बताया कि पीयूष के किसी और महिला से संबंध हैं
और ज्योति ने कई बार इस बारे में उनसे जिक्र किया था। ज्योति के अनुसार पीयूष उसे अपना मोबाइल फोन कभी भी छूने नहीं देता था और दो घंटे बाथरूम बंद कर किसी से बात करता था। पुलिस ने जब इस पक्ष के बारे में खोजबीन की तो उन्हें पीयूष पर पूरा शक हो गया क्योंकि वरांडा रेस्तरां की सीसीटीवी फुटेज में वह शर्ट पहने था जबकि स्वरूप नगर थाने की फुटेज में वह टी शर्ट में दिखा। घटना वाले दिन शाम को भी सात बजे पीयूष के मोबाईल की लोकेशन पनकी में मिली जहां ज्योति का शव बरामद हुआ था। इन सभी कारणों की वजह से पीयूष को पूछताछ के लिए पुलिस कस्टडी में ले लिया गया और पुलिस उसके फोन रिकार्ड चेक करने लगी।
उसी से पता चला कि पीयूष ने मनीषा मखीजा को सैकड़ों फोन किये हैं और उससे उसके अवैध संबंध हैं। मनीषा कानपुर के एक बड़े पान मसाला बनाने वाली कंपनी के मालिक की बेटी है और जब उसको भी रिमांड पर लिया गया तो उसने बताया कि ज्योति ने पीयूष को उससे छीन लिया था और वह किसी भी कीमत पर पीयूष को छोड़ना नहीं चाहती थी। अब घर वाले उसकी शादी कहीं और कर रहे थे तो उन्होंने ज्योति को मरवा दिया ताकि वह आपस में विवाह कर सकें। पीयूष ने ज्योति को मारने की कोशिश तीन बार की।
दो प्रयासों में वह असफल रहा लेकिन तीसरे प्रयास में अपने आॅफिस के लड़के रेनू और सोनू को सख्त हिदायत देकर ज्योति को मारने का प्लान बनाया था और जब रेनू और सोनू ज्योति को छूरे घोप रहे थे तब वह उसकी चीखें सुन रहा था। यह उसकी अमानवीयता की हद थी। पीयूष और मनीषा अभी फिलहाल पुलिस रिमांड में जेल में बंद हंै और मनीषा के अनुसार वह मरते दम तक पीयूष का साथ देगी और उसे अपने किये पर भी कोई पछतावा नहीं है। ज्योतिषीय विश्लेषण हमें इस केस में केवल मनीषा की जन्मपत्री ही उपलब्ध हो पाई इसलिए हम केवल उसी की पत्री के ऊपर घटनाओं का आकलन करेंगे। चतुर्थ भाव से जातक की माता व माता-पिता द्वारा प्रदत्त संस्कारों, शिक्षा आदि का विचार किया जाता है
जिससे जातक के आचार-विचार, व्यवहार तथा चरित्र का निर्माण होता है। चतुर्थ भाव से ही इस बात का आकलन किया जाता है कि जातक का मन कैसा होगा तथा वह संवेदनाओं व भावनाओं के स्तर पर कितना परिपक्व होगा। यदि चतुर्थ भाव व अन्य केंद्रों पर केवल पाप ग्रहों का प्रभाव पड़ता हो तथा मन व आत्मा के कारक ग्रह नीच राशिस्थ हों तो ऐसे जातक से इन सद्गुणों की अपेक्षा नहीं की जा सकती तथा ऐसा जातक करूणा, सहानुभूति, दया व मानवता जैसे गुणों के मामले में पूर्णतया नगण्य ही होगा।
मनीषा की कुंडली में सर्वाधिक पापी ग्रह राहु चतुर्थ भाव में काल सर्प योग का निर्माण कर रहा है जिसके कारण उसकी कुंडली नीचता, धूत्र्तता, तामसिकता, क्रूरता और मायावी भावनाओं से ओत-प्रोत है क्योंकि आत्मा कारक भाग्येश सूर्य और मन कारक चंद्रमा भी नीच राशियों में स्थित हैं साथ ही कुंडली के केंद्र स्थानों में कोई भी शुभ ग्रह न होने से मनीषा में सौम्यता, शालीनता, विवेक और संस्कारों की कमी है, उसके मन में दूसरों के प्रति कोई सहानूभूति नहीं है और वह इतनी कठोर हृदय है
किअर्थ के लिए उसने ज्योति की हत्या में पीयूष का पूरा साथ दिया। इस कुंडली में सप्तमेश बुध बारहवें भाव में नीच चंद्रमा तथा शनि के साथ स्थित होने व राहु से दृष्ट होने से इसे दूसरों के साथ अय्याशी का जैसे रोग लग गया था। इसके अतिरिक्त दूसरी ओर पंचमेश मंगल, शनि की राशि में उच्च का होकर मारक भाव में स्थित है तथा उस पर मारकेश शनि की दृष्टि है जिसके कारण इन्हें अपने प्रेम में असफलता मिली। पीयूष से उसका विवाह चाहते हुए भी नहीं हो सका और उसने बदला लेने के लिए यह खूनी साजिश रची। कंुडली में दशा और अंतर्दशा का विचार करें तो वर्तमान में इसकी सूर्य की महादशा में चंद्र की अंतर्दशा चल रही है।
नीच राशिस्थ सूर्य की पंचम भाव पर पूर्ण दृष्टि है तथा चंद्रमा अष्टमेश होकर द्वादश भाव में नीच राशिस्थ है जिसके कारण मनीषा ने अपने ईमान धर्म को छोड़ कर अपनी जिद की पूर्ति के लिए इस हत्या कांड में हिस्सा लिया और इसीलिए उसे जेल भी जाना पड़ा। मनीषा के लाभ और धन स्थान में उच्च ग्रह तथा स्वगृही शुक्र स्थित हैं जिससे इसके जीवन में धन की कमी नहीं है। धन तो प्रचुर मात्रा में है लेकिन कमी है
तो नैतिक शिक्षा की और संस्कारों की। आजकल जन्म राशि पर शनि की साढ़ेसाती चल रही है और आगे भी शनि की साढ़ेसाती तक इसे जीवन में सुख शांति नहीं मिल सकेगी और कोर्ट के मामले भी चलते रहेंगे। पीयूष और मनीषा की कहानी पढ़ कर मन में यही विचार आता है कि इन दोनों बच्चों की परवरिश में कहीं न कहीं कुछ कमी है। कुंडली में बैठे ग्रह निश्चित रूप से व्यक्ति की सोच और कर्म को प्रभावित करते हैं परंतु हमारा आसपास का माहौल, समाज और संस्कृति भी इस पर गहन असर डालती है।
दोनों के माता-पिता ने अच्छी मेहनत कर बड़ी-बड़ी फैक्ट्री बनाई लेकिन चूंकि इन्हें सबकुछ विरासत में मिला और अच्छे संस्कार मिलने में कहीं़ कमी रह गई तभी इनके विचारों में विकृत मानसिकता समाविष्ट हो गई और इन्होंने अच्छे-बुरे परिणाम की चिंता किये बिना अपने कर्तव्य पर अपनी वासना को हावी होने दिया और इस खूनी वारदात को अंजाम दिया।
माता-पिता का भी कत्र्तव्य होता है कि बच्चे को उचित शिक्षा दंे और अच्छे बुरे की परख बताएं। जीवन में पैसा और खुदगर्जी ही सब कुछ नहीं होता। हमारा अपने परिवार, अपने समाज व अपने देश के लिए भी कुछ कत्र्तव्य होता है। यदि हम सब यह समझ जाएं तो शायद हमारे समाज का बढ़ता क्राइम रेट कुछ कम हो जाए।