दाम्पत्य जीवन में सप्तमेश की स्थिति के फल
दाम्पत्य जीवन में सप्तमेश की स्थिति के फल

दाम्पत्य जीवन में सप्तमेश की स्थिति के फल  

अनंत शर्मा
व्यूस : 30544 | अप्रैल 2015

लगभग सभी ज्योतिष ग्रन्थों के अनुसार शुभ भाव के स्वामी शुभ भावों में स्थित होने पर शुभ फल करते हैं। यहाँ शुभ भाव से अभिप्राय है केन्द्र व ़ित्रकोण के भाव। दाम्पत्य जीवन पर सप्तमेश की स्थिति का प्रभाव सबसे अधिक पड़ता है। यदि सप्तमेश केन्द्र त्रिकोण में स्थित हो तो दाम्पत्य जीवन सुखमय तथा सप्तमेश त्रिक भावों में होने पर वैवाहिक जीवन दुःखमय होना चाहिये। यद्यपि सप्तम भाव पर शुभाशुभ प्रभाव तथा विवाह कारक शुक्र/गुरु की शुभाशुभ स्थिति का भी प्रभाव पड़ेगा किन्तु सप्तमेश से काफी कम होगा। जाया भाव फलं वक्ष्ये क्षृणु त्वं द्विजसतम्। जायाधिपे स्वभे स्वोच्चें स्त्रीसुखं पूर्णमादिषेत्।। कलत्रयो बिना स्वक्र्षं व्ययषष्ठाष्टमस्थितः।ं रोगिणों कुरूते नारीं तथा तुमादिकं बिना। बृहत्पाराशर होराशास्त्र अर्थात पराशर जी के अनुसार यदि सप्तमेश अपनी राशि में, अपनी उच्च राशि में हो तो जातक को पूर्ण दाम्पत्य सुख प्राप्त होगा। किन्तु यदि सप्तमेश व्यय, षष्ठ या अष्टम भाव में स्थित हो तो जातक का जीवनसाथी रोगी होगा अथवा वैवाहिक जीवन कष्टप्रद होगा। लग्न भाव सप्तम से सप्तम होने के कारण दाम्पत्य जीवन का वैकल्पिक भाव बनता है।

इसलिये जन्मकुंडली में ंलग्नेश की स्थिति का प्रभाव भी वैवाहिक जीवन पर पड़ता है। ग्रन्थों में सफल वैवाहिक जीवन के सैकड़ों योगों का उल्लेख मिलता है, इसी प्रकार असफल वैवाहिक जीवन पर अनेकानेक योगों का वर्णन किया गया है किन्तु मुख्य रूप से सभी का आधार दाम्पत्य या सप्तम भाव, सप्तममेश व विवाह कारक ग्रहों की शुभाशुभ स्थिति व उन पर अन्य ग्रहों का शुभाशुभ प्रभाव ही पाया जाता है। वास्तव में यह प्रभाव हमें लग्न, चन्द्र, सूर्य तथा नवमांश कुंडली में देखकर किसी उचित निर्णय पर पहुँचना चाहिये। इसके साथ ही दशा/अन्तर्दशा व गोचर का प्रभाव देखना भी आवश्यक है।


Get the Most Detailed Kundli Report Ever with Brihat Horoscope Predictions


दाम्पत्य जीवन की सफलता/ असफलता स्त्री-पुरुष दोनों की कुंड़लियों पर आध् ाारित होती है तथा उनमें विरोधाभास की स्थिति भी सम्भव है। इस प्रकार अनेक बिन्दुओं पर विचार करके ही अन्तिम निष्कर्ष पर पहुँचा जा सकता है। उपरोक्त सीमाओं के संदर्भ में ही शोध के परिणामों का आकलन करना आवश्यक है। शोध प्रक्रिया इस शोध के लिये हमने 1013 कुंडलियों का अघ्ययन किया। 552 कुंडलियां सफल दाम्पत्य जीवन तथा शेष 461 कुंडलियां असफल दाम्पत्य जीवन से सम्बन्धित थी। लग्न राशि को आधार बनाकर हमने सभी ग्रहों की स्थिति देखी किन्तु इस शोध के लिये हमने सप्तमेश व लग्नेश की स्थिति का ही अवलोकन किया। सफल वैवाहिक जीवन व असफल वैवाहिक जीवन की कुंडलियों का अलग- अलग अध्ययन किया तथा उनमें सप्तमेश व लग्नेश की स्थिति भावानुसार देखी। इस प्रकार लग्नों में सफल तथा असफल दाम्पत्य जीवन में सप्तमेश व लग्नेश की स्थिति प्राप्त की। यद्यपि सभी 12 लग्नों के लिये भावानुसार आंकड़े उपलब्ध हैं। किन्तु उनमें से प्रथम तीन भावों को ही प्राथमिकता दी गई जिनमें अधिक संख्या अथवा प्रतिशत मिली। यानि प्रथम तीन भाव सफल विवाह तथा प्रथम तीन भाव असफल विवाह के, जिनमें लग्नेश /सप्तमेश स्थित मिले। इन सफल / असफल विवाह की 1013 कुंडलियों में हमने मंगलीक दोष का भी अध्ययन किया।

बारह लग्नों में प्रत्येक लग्न में तीन भावों में सप्तमेश की उच्चतम, उच्चतर तथा उच्च स्थिति को देखा। बारह लग्न ग 3 स्थितियां कुल 36 भाव (स्थान हुआ)। इन 36 स्थानों में से कुछ स्थान ऐसे हैं जिन्हें हम अशुभ भाव कहते हैं जैसे (6, 8, 12) उन बारह स्थानों में बैठकर सप्तमेश ने अच्छे फल दिए हैं। लेकिन शास्त्रों की बात मानें तो इनका विवाह असफल होना चाहिए था। किन्तु 12 » 36 ग100 त्र 33.33ः प्रतिशत लोगों की कुंडलियों में सप्तमेश दुःस्थान होकर भी शुभ फल दे रहा है। अब उसी प्रकार से दूसरी श्रेणी अर्थात असफल विवाह की बात करते हैं। आज तक हमने ये जाना था कि जिनकी कुंडलियों में सप्तमेश केन्द्र या त्रिकोण मंे होता है तो शुभ फल देता है। किन्तु परिणाम यहां भी विपरीत मिले। आइये देखें एक दृष्टि मंे इस चार्ट में हमने असफल विवाह वाले जातकों को तीन हिस्से में बाँटा। किस जातक को सप्तमेश ने कहाँ बैठकर सबसे ज्यादा बुरे फल दिए इसे देखने के लिए हमने तीन प्रकार में 1.निकृष्ट, 2. अति अशुभ, 3 अशुभ इन्हें रखा। यहां भी बारह लग्नों में तीन-तीन भावों में सप्तमेश का फल जाना। शुभ स्थानों मंे सप्तमेश ने 36 में से 20 बार ंिस्थत होकर अशुभ फल दिया। ये 20 स्थान केन्द्र या त्रिकोण के हंै। 55.55ः जातकों की कुंडली में सप्तमेश के केन्द्र या त्रिकोण में स्थित होने से भी विवाह असफल रहा। निष्कर्ष: . मेष लग्न में सप्तमेश यदि 10, 2, 8 भावों में स्थित होगा तो विवाह सफल होगा। यदि 5, 4, 8 भावों म होगा तो विवाह असफल होगा। - तुला लग्न में सप्तमेश यदि 12, 11, 4, 1 भावों में होगा तो विवाह सफल होगा। यदि 2, 10, 9 भावों मे होगा तो विवाह असफल होगा। - मकर लग्न में सप्तमेश यदि 8, 3, 10 भावों में होगा तो विवाह सफल होगा। यदि 6, 2, 9 भावों में होगा तो विवाह असफल होगा। . शेष लग्नों में विभिन्न भावों में सप्तमेश की स्थिति से मिश्रित फल प्राप्त हुए हैं।


करियर से जुड़ी किसी भी समस्या का ज्योतिषीय उपाय पाएं हमारे करियर एक्सपर्ट ज्योतिषी से।


सभी विवाहों में सप्तमेश व लग्नेश की स्थिति हमने दो तरह से सफल-असफल विवाह की कुंडलियों में लग्नानुसार अलग-2 सप्तमेश की स्थिति का आकलन किया। अब हमने सभी 1013 कुंडलियों का एक साथ फल जानने के उद्देश्य से सप्तमेश, लग्नेश तथा पंचमेश की स्थितियों का निरीक्षण किया तो भी परिणाम उपरोक्त प्रकार से ही प्राप्त हुए। इन्हें एक दृष्टि में देखते हैं। सप्तमेश के शुभाशुभ फल - सभी लग्नों में सप्तमेश 10 दुःस्थानों पर स्थित होकर शुभ फल दे रहा है जो कि 27.77ः हुआ। क्योंकि प्रत्येक लग्न के तीन भावों को हमने लिया है अर्थात 12ग3=36य ;10 » 36द्धग100 = 27.77ः - सभी लग्नों में सप्तमेश शुभ स्थानों पर बैठकर अशुभ फल दे रहा है। हमने यहां शुभ स्थान केवल केन्द्र तथा त्रिकोण को ही लिया है। 58.33ः मामलों में शुभ स्थान पर स्थित होकर सप्तमेश ने अशुभ फल दिए। लग्नेश का शुभाशुभ फल - सभी लग्नों में लग्नेश ने 9 स्थानों में स्थित होकर शुभ फल दिया है। अशुभ स्थानों में हमने 6, 8, 12 को लिया है। लग्नेश ने अशुभ स्थानों पर बैठकर 25. 00ः मामलों में शुभ फल दिया है। Û सभी लग्नों में लग्नेश ने 20 शुभ स्थानों पर बैठकर अशुभ फल दिया है जो कि 55.55ः है।

सफल विवाहों में मंगलीक दोष शास्त्रों के अनुसार 1, 2, 4, 7, 8, 12 भावों में मंगल होने से मंगलीक दोष होता है। चाहे वह मंगल लग्न, चन्द्र या शुक्र से उपरोक्त भावों में से कहीं भी हो। पति-पत्नी दोनों में से एक मांगलीक तथा दूसरा गैर मंगलीक होगा तो विवाह असफल होगा। पूर्व पृष्ठों मे मंगल के बहुत प्रकार के परिहार बताए गए तथा बहुत सी जन्मपत्रियों के सर्वेक्षण से मंगल से जुड़ी धारण् ााओं को आधारहीन पाया। अभी हमने 1013 जातकों की कुंडलियां एकत्र करके उन्हें दो भागों मे बांटा 1. सफल 2. असफल। सफल विवाह की श्रेणी में 552 तथा असफल विवाह की श्रेणी में 462 जातकों को दाम्पत्य जीवन पर मंगल का शुभाशुभ फल जानने का प्रयास किया। पहले हमने सफल विवाह के जातकों की जन्मपत्रियों में 1, 2, 4, 7, 8, 12 भाव के फलों का सभी बारह लग्नों में अलग-2 विवेचन किया तो पाया कि संबंधित भावों में बैठकर मंगल ने किसी लग्न में 42ः तो किसी लग्न में 53ः तक शुभ फल दिए क्योंकि ये सभी जातक मंगलीक नहीं हैं फिर भी फल लगभग 47ः शुभ फल रहे। इसी प्रकार हमने असफल विवाह वाले जातकों की कंुडलियों में लग्न अनुसार मंगल के दुष्प्रभाव को जानने का प्रयास किया।

यहां भी मंगल का असर लगभग 43ः रहा। अर्थात् इस प्रकार से म ंगल के प्रति धारणाएं ध्वस्त होती दिखाई दीं। सफल या असफल विवाह के लिए मंगल को दोषकारी कहना न्यायसंगत नहीं होगा। दोनों प्रकार के जातकों पर मंगल का जो अध्ययन किया गया उन्हें दो अलग-2 चार्टों के माध्यम से दर्शाने का प्रयास किया गया है। सफल विवाह - मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, वृश्चिक, कुम्भ व मीन लग्नों में सप्तमेश की 12 वें भाव में स्थिति शुभ फल कारक रही। - मेष व मकर लग्नों में ही सप्तमेश की दशम भाव में स्थिति के शुभ फल मिले। - तुला, मेष व कुंभ लग्नों में ही सप्तमेश ने सप्तम भाव में स्थित होकर वैवाहिक सुख में वृद्धि की।


अपनी कुंडली में सभी दोष की जानकारी पाएं कम्पलीट दोष रिपोर्ट में


- मिथुन, कर्क, मकर लग्नों में लग्नेश ने अष्टम भाव में होकर दाम्पत्य सुख दिया। - वृश्चिक, धनु, वृष, मिथुन, कर्क तथा कुंभ लग्नों में लग्नेश ने पंचम भाव में स्थित होकर शुभ फल दिये। 6. मिथुन, कर्क व मकर लग्नों में लग्नेश ने अष्टम भाव में स्थित होकर दाम्पत्य सुख की वृद्धि की। असफल विवाह Û मेष, वृष, कर्क, धनु लग्नों में मुख्य रूप से तथा कन्या, तुला, वृश्चिक व मीन लग्नों में गौण रूप से सप्तमेश की पंचम भाव में स्थिति वैवाहिक सुख में बाधक बनी। - मिथुन, वृश्चिक व कुंभ लग्नों म ंे सप्तमेश अष्टम भाव में स्थित होकर वैवाहिक सुख में हानिकारक सिद्ध हुआ। - मकर, मीन व वृष लग्नों में सप्तमेश की षष्ठ भाव में स्थिति अशुभ रही। - मिथुन, कर्क व तुला लग्नों में लग्नेश ने सप्तम भाव में स्थित होकर अशुभ फल प्रदान किये। - कन्या, तुला व धनु लग्नों में लग्नेश ने एकादश भाव में स्थित होकर विवाह सुख की हानि की। - कुम्भ, मीन व वृष लग्नों में लग्नेश की नवम् भाव में स्थिति अशुभ रही।

मंगलीक दोष - सफल विवाहों में वृष, वृश्चिक, मकर लग्नों में सप्तम भाव का मंगल शुभ किन्तु मिथुन लग्न में अशुभ रहा। - मिथुन, कन्या, तुला व मीन लग्नों में चतुर्थ भाव का मंगल शुभ किन्तु कर्क तथा कन्या लग्नों में अशुभ रहा। यहाँ कन्या लग्न में शुभ व अशुभ दोनों प्रकार की स्थिति रही। - असफल विवाहा े ं म े ं म ेष, व ृष, सि ंह, धन ु, मकर, क ुम्भ व मीन लग्ना े ं म े ं म ंगल की अष्टम भाव म े ं स्थिति विश ेष रूप म े ं अश ुभ फलकारी सिद्ध र्ह ुइ । - सफल विवाहों में लगभग 47 कुंडलियों में तथा असफल विवाहों में लगभग 44 कंुडलियों में मंगलीक दोष मिला। अतः मंगलीक दोष की वैवाहिक सुख में कोई भूमिका सिद्ध नहीं हुई।



Ask a Question?

Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

  • Health

  • Family

  • Marriage

  • Career

  • Finance

  • Business


.