मंडुआ बाजरे के परिवार का एक सदस्य है। इसके दाने राई के रंग के या फिर काले रंग के होते हैं। इसका आटा काले रंग का होता है। यह अनाज अफ्रीका में प्राकृतिक रूप से उगता है। भारत में इसका आगमन करीब 3000 वर्ष पहले हुआ था। यह भारत के हर राज्य में उगाया जाता है। हिमालय में भी इसको करीब 7000 फुट की ऊंचाई पर उगाया जाता है। मंडुआ को लंबे समय तक बिना खराब हुए रख सकते हैं। इस पर कीड़ों और फफूंदी आदि का असर नहीं होता है। किसानों के लिए यह अनाज खासकर उपयोगी है। विशेषकर तब जब अन्य अनाजों की कमी हो या अकाल पड़े। उस समय यह बहुत बहमूल्य आहार बन जाता है। मंडुआ को उगाने के लिए न तो बहुत उपजाऊ जमीन की जरूरत है
और न ही अधिक पानी की। जब से हमारे देश के किसानों एवं अन्य लोगों ने मंडुआ को उगाना कम कर दिया है और रोजाना के भोजन में इसका उपयोग करना बंद कर दिया है, तब से देशवासी इसकी भारी कीमत चुका रहे हंै। भोजन में इसे प्रयोग करने के फायदों से भारत के उत्तरी भागों में पहाड़ों के बड़े-बूढ़े परिचित हैं। देश के बुद्धिजीवी, चिकित्सक, वैद्य, हकीम इस अनाज के गुणों से अनभिज्ञ हैं। मंडुआ को 6 माह के शिशु, बढ़ते हुए बच्चे, छात्र एवं छात्राएं, गर्भवती महिलाएं और रोगों से पीड़ित व्यक्ति और 100 वर्ष के बूढे़ सभी नियमित प्रयोग कर सकते हैं। मंडुआ के लाभ मंडुआ को खाने से मानव को निम्न रोगों में लाभ होता है:
- इसमें कार्बोज जटिल किस्म के होते हंै जिनका पाचन आमाशय एवं आंत में धीरे-धीरे होता है। यह खूबी मधुमेह (क्पंइमजमेद्ध के रोगियों की रक्त शर्करा (ठसववक ैनहंतद्ध सामान्य करती है।
- इसके सेवन से रक्त में हानिकारक चर्बी ;ब्ीवसमेजमतवसए ज्तपहसलबमतपकमे स्क्स्द्ध कम और अच्छी चर्बी ;भ्क्स्द्ध बढ़ जाती है। इस खूबी के कारण मंडुआ हृदय रोग, अधिक रक्तचाप के रोगियों के लिए भी लाभदायक है।
- केवल इस अनाज में कैल्सियम और फास्फोरस का उचित अनुपात 2ः1 है जो कि बढ़ते हुए बच्चों के विकास और कमजोर अस्थियों ;व्ेजमवचवतवेपेद्ध की बीमारी जो कि दिनों-दिन बढ़ती ही जा रही है से बचाव के लिए बहुत लाभकारी है।
- इसमें अन्य अनाजों, चावल, गेहूं, बाजरा, ज्वार, आदि से अधिक फाइबर (रेशा) 3-6 ग्राम प्रति 100 ग्राम पाया जाता है। यह रेशा हमारे शरीर में कोलेस्ट्रोल की मात्रा को सीमित करने और सामान्य मल निष्कासन के लिए अत्यन्त जरूरी है।
यह खूबी बवासीर, ;च्पसमेद्धए नासूर ;।दंस थ्पेेनतमद्ध जैसे रोगों से बचाती है।
- मंडुआ खाने से आमाशय में अल्सर नहीं बनता, क्योंकि यह एक क्षारीय अनाज है।
- मंडुआ में आयोडीन पाया जाता है। मंडुआ के व्यंजन अलग-अलग प्रदेशों में अलग-अलग प्रकार से बनाये जाते हंै जैसे- रोटी, दोसा, मुड्डो सांभर के साथ, मंडुआ और गेहूं दोसा, सफेद तिल, गुड़ डालकर इडली की तरह भाप द्वारा पकाकर देसी घी के साथ इलायची और भुने हुए काजू के साथ खाया जाता है। गुड़ और मेवा डालकर इसके लड्डू भी खाये जाते हैं।
इसका हलवा भी बनाया जाता है। मंडुआ को इडली की तरह भाप से पकाकर दही के साथ खाएं। मंडुआ में कैल्सियम की मात्रा चावल से 34 गुना गेहूं से 9 गुना मैदे की डबल रोटी से 16 गुना