आज के मशीनी युग में जब नये-नये आने-जाने के साधन, मोटर गाड़ियां, हवाई जहाज आदि ने जीवन की रफ्तार बढ़ा दी है, वहीं बढ़ती उम्र के लोगों के चलने की रफ्तार कम होती जा रही है। कारण है देश में वयस्कों एवं प्रौढ़ों की बढ़ती जनसंख्या और उनमें चलने से मोहताज लोग। जी हां, आप ने ठीक समझा। हमारा आशय घुटने के दर्द से है जिससे शहरों में बहुत लोग पीड़ित हैं।
शहरों तथा कस्बो में कम ही घर होंगे जहां कम से कम एक व्यक्ति घुटने के दर्द से पीड़ित न हो। घुटने का दर्द पुरुष या स्त्री को किसी भी उम्र में हो सकता है जैसे काॅलेज के छात्र, खिलाड़ी, उद्योगों में काम करने वाले मजदूर, दफ्तर में कार्यरत लोग, माली, खेतों में मजदूर/किसान, काम करने वाली बाई या फिर घर के मालिक, मालकिन, बूढ़े लोग। कारण: घुटने में दर्द अलग-अलग उम्र तथा अलग-अलग व्यवसायों में कार्यरत व्यक्तियों को भिन्न-भिन्न कारणों से होता है, जैसे बच्चों एवं खिलाड़ियों में यह दर्द घुटने के इर्दगिर्द मांसपेशियो ंमें अत्यधिक खिंचाव या चोट लगने, मोच से होता ही रहता है।
कम समय में घुटने का अत्यधिक इस्तेमाल घुटने के दर्द का मुख्य कारण है, खासकर जब रोजाना व्यायाम का कोई नियम न हो। सांस फुलाने वाले व्यायाम (एरोबिक्स) करना, सख्त फर्श/धरती/ सड़क पर व्यायाम करना, ऊबड़-खाब़ड़ जमीन पर दौड़ना, सीढ़ियों पर ऊपर-नीचे भागना इस दर्द के जवानो एवं खिलाड़ियों में होने के मुख्य कारण हैं। जब सीढ़ियों पर चढ़ते हैं तो घुटने पर शरीर भार का चार गुना दबाव पड़ता है और अगर सीढ़ी पर दौड़ते जाएं तो घुटने पर शरीर भार का आठ गुना दबाव पड़ता है। इन सभी से मांसपेशी ख्ंिाच जाना, टेनडेनाइटिस ;ज्मदकपदपजपेद्ध और बरसाईटिस ;ठनतेपजपेद्ध नामक व्याधियां हो जाती हैं।
गठिया ;व्ेजमवंतजीतपजपेद्ध वयस्कों एवं बूढ़ों में घुटने के दर्द का सबसे महत्वपूर्ण कारण है। इस रोग में घुटने की कार्टिलेज (उपास्थि) का क्षय हो जाता है। कभी कभी तो कार्टिलेज घिस-घिस कर लगभग खत्म हो जाती है और फीमर ;थ्मउनतद्ध हड्डी टिबिया ;ज्पइपंद्ध हड्डी से टकराती रहती है। लिगामेंट (अस्थि तंतुओं) की चोटः खिलाड़ियों के लिगामेन्ट के क्षतिग्रस्त होने पर घुटने का दर्द अक्सर हो जाता है।
इन चोटों में ए. सी. एल. चोट ;।ण्ब्ण्स्ण् प्दरनतलद्धए पी. सी. एल. चोट ;च्ण्ब्ण्स्ण् प्दरनतलद्धए मीडियल क्लेट्रल चोट ;डमकपंस ब्वससंजमतंस प्दरनतल द्धए कार्टिलेज की चोट, मेनिस्कस का फट जाना, पैटेला के टेन्डेन की सूजन या फिर इन्फेक्शन प्रमुख हैं। रूमेटाइड आर्थराइटिस ;त्ीमनउंजवपक ।तजीतपजपेद्ध: इस रोग में घुटने के अतिरिक्त अन्य जोड़ों में भी दर्द-सूजन होती रहती है।
इससे परिवार के अन्य लोग भी पीड़ित हो सकते हैं। इस रोग में सुबह -सुबह जोड़ों में सूजन और दर्द रहता है। मधुमेह रोगी ज्यादातर घुटने के दर्द से भी पीड़ित रहते हैं। बरसाइटिस ;ठनतेपजपेद्ध रोग उन लोगों में अधिक रहता है जो घुटने के बल बैठकर काम करते हैं जैसे घरों में पोछा लगाने वाले लोग, माली या गलीचा बिछाने वाले मजदूर इत्यादि। जंपर्स नी ;श्रनउचमतश्े ज्ञदममद्ध उन लोगों में होता हैं जो कि ज्यादा उछल-कूद करते हैं। उदाहरण के लिए बास्केटबाल, वाॅलीबाल के खिलाड़ी या फिर मैराथन दौड़ जैसे खेलों के खिलाड़ी। ये लोग जब कूदते हैं
तभी सबसे अधिक दर्द होता है। गाउट: यह रोग यूरिक एसिड के क्रिस्टल (खे) जोड़ों में आ जाने से होता है। रक्त में यूरिक एसिड जांच द्वारा इस रोग का आसानी से पता लगाया जा सकता है। इस रोग का पता लगने पर इसकी दवा जीवनपर्यन्त खाएं अन्यथा इस रोग में उत्पन्न यूरिक एसिड के क्रिस्टल गुर्दे को क्षतिग्रस्त कर सकते हैं। संक्रमण: गोनोरिया ;ळवदवततीवमंद्ध नामक रोगाणु के इन्फेक्शन से भी घुटने में दर्द हो सकता है। इस रोग में दर्द के साथ-साथ सूजन भी हो जाती है।
इस रोग की खास पहचान यह है कि बुखार सर्दी के साथ आता है।
निदान: खून की जांच: मधुमेह, गाउट, रूमेटाइड आर्थराइटिस या इन्फेक्शन के लिए रक्त जांच द्वारा रोगों का निदान हो जाता है। घुटनों का एक्सरे: इससे जोड़ों की हड्डियों के बीच की दूरी और अन्य बातों का पता लगाया जाता है। कभी-कभी दूरबीन द्वारा जोड़ के अंदर देखकर भी बीमारी का निदान किया जाता है जिसे आर्थोस्कोपी कहते हैं।
कभी-कभी सी. टी. स्केन ;ब्ण्ज्ण् ैबंदद्ध या फिर एम. आर. आई. स्केन ;डण्त्ण्प्ण् ैबंदद्ध भी करवाना पड़ सकता है। एम. आर. आई से केवल कुछ ही रोगों की स्थिति का पता लगता है जबकि एक्सरे से ज्यादा बीमारियों का पता लगाना आसान होता है।
कब मिलें हड्डी विशेषज्ञ से
- जब आराम से चलना दूभर हो जाए।
- जब चोट से पैर में/घुटने मंे टेढ़ापन आ जाए।
- जब घुटने का दर्द आराम करते हुए भी रहे या फिर रात को दर्द हो।
- जब दर्द काफी दिनों से रहता हो।
- घुटना लाॅक हो जाए।
- घुटने में सूजन आ जाए या पिंडलियों में सूजन आ जाए।
चोट लगने के उपरांत होने वाली क्रियाएं:
जब किसी खिलाड़ी को दौड़ के उपरांत मांसपेशी खिंच जाने से दर्द होता है तो कारण होता है उस स्थान की मांसपेशियांे एवं ऊतकों का क्षतिग्रस्त होना। इस दौरान टंेडन या लिगामेंट के रेशे भी प्रभावित हो जाते हैं।
नतीजतन छोटी-छोटी रक्त शिराएं टूट जाने से रक्तस्राव शुरु हो जाता है और चोट के स्थान पर सूजन हो जाती है। फिर यही सूजन पहले से लगी चोट के दर्द को और बढ़ा देती है। हड्डी में चोट लगने के पश्चात भी ठीक इसी प्रकार का क्रम रहता है।
अक्सर लोग इस चोट वाले स्थान को गर्म सेंक लगाने लगते हैं। इस कारण दर्द और सूजन बढ़ते जाते हैं और फिर लोग दौड़ पड़ते हैं किसी मालिश करने वाले के पास या समझदार लोग चिकित्सक के पास जाते हैं।
प्राथमिक उपचार:
- आराम: इससे विस्थापित मांशपेशियों को आराम मिलने से रक्तस्राव कम होगा जिससे दर्द और सूजन में कमी आएगी।
- घुटने को आराम देने के लिए अगर बैसाखी की जरूरत पडे़ तो जरूर इस्तेमाल कर लेनी चाहिए।
- ठंडा सेंक करें: बर्फ को तोड़कर किसी थैली में डालकर या रबड़ की बोतल में डालकर चोट के स्थान पर गीला तौलिया रखने के बाद ऊपर बर्फ की थैली रखें।
इससे क्षतिग्रस्त रक्त की शिराएं ;ब्ंचपससंतपमेद्ध बंद हो जाएंगी और सूजन तथा दर्द दोनों में आराम मिलेगा। याद रहे, केवल 20 मिनट तक एक बार सेंक करें एवं फिर 20-40 मिनट बाद दोबारा संेक करें जिससे कि चोट ग्रस्त भाग के ऊपर की त्वचा का रक्तसंचार कम न हो जाए। जितना भी रक्त या सीरम ;ैमतनउद्ध चोट वाली जगह में इकट्ठा हो जाएगा, यह उतना ही इन्फ्लेमेशन (जलन) को जन्म देगा और इसके ठीक होने में उतना ही अधिक समय लगेगा।
कम्प्रेस करना ;ब्वउचतमेेद्ध: हल्के दबाव देती हुई पट्टी बांधे जिससे रक्त शिराएं बंद की जा सकें और सूजन भी कम रहे। रोगी को घुटने को ऊंचा करके रखना चाहिए ताकि सूजन पैदा करने वाला रक्त आराम से हृदय में वापस जा सके। यह कोशिश करें कि पैरों को ज्यादा देर तक लटकाकर न रखें। चार पांच दिनों के पश्चात चोट के स्थान की गर्म सिंकाई शुरु कर सकते हैं। इससे सूजन तथा दर्द को जल्दी ठीक करने में सहायता प्राप्त होती है।
इसी प्रकार जिन्हें जोड़ों से अधिक काम लेना होता है वे प्रतिदिन सुबह गर्म सिंकाई करें तो उनकी मांसपेशियां खुल जाएंगी और जोड़ों की कार्यक्षमता बढ़ जाएगी। शाम को पूरे दिन की भागदौड़ एवं थकान के पश्चात जोड़ों में हल्की चोटांे के कारण जो सूजन आने का खतरा बढ़ जाता है
उसे ठंडा सेंक खत्म कर देगा। इन सबके अतिरिक्त जो अन्यत्र उपाय किये जाते हैं वे निम्नलिखित हैं: फिज़ियोथेरेपी ;च्ीलेपवजीमतंचलद्ध: फिज़ियोथेरेपी के तहत कई प्रकार के व्यायाम एवं उपकरणों द्वारा रोगी की मांसपेशियों में ताकत बढ़ाने के उपाय किए जाते हैं ताकि घुटनों को बार-बार लगने वाली चोटों से बचाया जा सके और उन्हें पूरी तरह स्वस्थ बनाया जा सके। क्वाड्रीेसेप्स मांसपेशी ;फनंकतपबमचे उनेबसमद्ध की ताकत बढाने वाली कसरत कभी न भूलें। केवल दो व्यायाम, पहला कमर के बल लेटकर घुटने मोड़े बिना पैरों को उठाना और दूसरा लेटे-लेटे ही पैरों को सीधा करना, इनके द्वारा घुटने के दर्द को कम किया जा सकता है।
दवाएं: एन्टी इन्फ्लेमेट्री दवाएं ;।दजप पदसिंउउंजवतल कतनहेद्ध एन. एस. ए. आई. डी ;छै।प्क्द्ध नामक दर्द निवारक दवाएं सबसे अधिक इस्तेमाल की जाती हैं, दर्द चाहे किसी भी कारण से होता हो। काॅर्टिसोन इन्जेक्शन: यह अति प्रभावशाली एन्टीइनफ्लेमेटरी दवा है। परंतु यह निर्णय कि काॅर्टिसोन इन्जेक्शन घुटने में लगाया जाए, हड्डी रोग विशेषज्ञ करे तो अति उत्तम होगा।
कैसे बचें घुटने की चोट/दर्द से
- वजन को कम और काबू में रखंे। इससे आर्थराइटिस, टेन्डन ;ज्मदकवदद्ध एवं लिगामेंट ;स्पहंउमदजद्ध की चोटों से बहुत हद तक बचा जा सकता है।
- निरंतर चलते रहें ;ज्ञममच स्पउइमतद्ध। कई घुटने के रोग मांसपेशियों में खिंचाव या टाईट रहने से ही उत्पन्न होते हैं। इसीलिए स्ट्रेचिंग व्यायाम करते रहें।
- व्यायाम नियमित एवं सोच समझकर करें।
- तैरना या पानी में व्यायाम करना अति लाभदायक रहता है।
- हो सके तो बास्केटबाल, वालीबाल और दौड़ने जैसे खेल कम खेलें या फिर सप्ताह में दो दिन से ज्यादा किसी कीमत पर न खेलें।
- क्वाड्रीेसेप्स मांसपेशी ;फनंकतपबमचे डनेबसमद्ध की ताकत बढ़ाने वाली कसरत कभी न भूलें।
घुटने को नी पैड ;ज्ञदमम च्ंकेद्ध द्वारा बचा कर रखना लाभकारी है, खासकर घरों में पोछा लगाने वाली औरत और कालीन बिछाने वाले मजदूरों के लिए। भोजन में अंकुरित अनाज एवं दालें, अंकुरित मेथी, कम से कम तीन प्रकार के फल, दो प्रकार की मेवा (सूखे फल), तीन प्रकार की हरी सब्जियां, सलाद (प्रतिदिन कम से कम 600 ग्राम) और 10 से 12 गिलास शीतल जल लें।
धूम्रपान, मदिरा, मांस-मछली, अंडा कभी न खाएं। तले हुए मैदायुक्त भोजन से परहेज करें। सप्ताह में एक से दो दिन उपवास अवश्य रखें। जिन लोगों को दवाओं के कारण आमाशय में अम्ल ;।बपकद्ध उत्पन्न हो जाता है या फिर पेप्टिक अल्सर रोग से ग्रस्त हैं वे विजयसार की लकड़ी का बुरादा तथा अर्जुन की छाल की चाय का सेवन साधारण चाय के स्थान पर करें। ऐसा करने पर दर्द निवारक दवाओं की जरूरत कम होगी या पड़ेगी ही नहीं। जौ के जवारे/गेहूं के जवारे प्रतिदिन 3 से 4 औंस (100 ग्राम) अवश्य लें। जिन लोगों को गठिया ;व्ेजमवंतजीतपजपेद्ध की वजह से इतना दर्द रहता है
कि रोजमर्रा का काम दूभर हो गया हो और हड्डी रोग विशेषज्ञ ने घुटने के जोड़ को ही बदलने ;ज्वजंस ादमम त्मचसंबमउमदजद्ध की सलाह दे दी हो तब शल्य चिकित्सा ;व्चमतंजपवदद्ध करवाने से पहले निम्न आजमाकर देखें। भोजन में बकरी का दूध, मौसम के अनुसार फल, हरी सब्जी में लौकी, तौरई, टिंडा तथा रामदाना/चैलाई का साग, सूखे मेवों में अखरोट की गिरी प्रतिदिन 30 ग्राम तक तथा 10 ग्राम तक अलसी के बीज खाएं। जौ/गेहूं के जवारे चबा कर खाएं।
अगर दांत ठीक न हों तो इनका रस निकालकर पिएं। सावधानी बरतें: आलू, टमाटर, बैंगन, हरी मिर्च, लाल मिर्च, शिमला मिर्च ;ब्ंचेपबनउद्धए रसभरी कभी न खाएं। अगर मुमकिन हो सके तो अन्न का सेवन न करें। अगर करें भी तो अंकुरित अनाज का सेवन करें वह भी कम मात्रा में।
किसी फिज़ियोथैरेपिस्ट की निगरानी में मांसपेशी की ताकत बढ़ाने वाली कसरत प्रतिदिन करते रहें। इतिहास गवाह है कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जो कि बकरी का दूध, फलाहार, सब्जियों का सेवन एवं उपवास करते थे, पूरे देश में लाठी लेकर घूमते ही रहते थे।