महक वाले तीखे तथा चिरमिरे अदरक को हिंदुस्तान ही नहीं एशिया के भी सभी लोग जानते होंगे। यह अदरक हल्दी, मूली आदि की तरह जमीन के नीचे उपजता है। इसका गूदा सफेद, पीला या फिर लाल रंग का होता है। इसके गूदे के ऊपर की त्वचा पतली या मोटी हो सकती है। इसका मोटा या पतला होना इस पर निर्भर करता है कि जड़ को किस अवस्था में जमीन से निकाला गया है। स्वास्थ्य के लिए उपयोगी: उल्टी, मितली आदि में अदरक बहुत लाभदायक है। खासकर उन लोगों के लिए जिन्हें समुद्र में जहाज पर चक्कर और उल्टी आती हो या फिर पहाड़ों की सैर पर जाने वाले सैलानियों के लिए जिन्हें सर्पाकार रास्ते से गुजरने से ऐसा होता हो। अदरक का असर इस लक्षण के लिए उपयोग की जा रही दवाओं से भी बेहतर होता है।
कुछ गर्भवती महिलाओं को पहली तिमाही में बार-बार चक्कर और मितली आती है। इस अवस्था में भी अदरक अत्यंत लाभकारी है। खासकर ऐसी अवस्था में जबकि अस्पताल में ही भर्ती कर इलाज करना पड़े ;भ्लचमतमउमेपे ळतंअपकंतनउद्ध । यही नहीं दवाओं के अनचाहे प्रभाव या उनसे होने वाले नुकसान से भी बचा जा सकता है। ओस्टियोआथ्र्राइटिस ;व्ेजमवंतजीतपजपेद्ध रोग में इसके नियमित इस्तेमाल से दर्द, सूजन, और उठने, बैठने, शौच जाने में होने वाले कष्ट से बचा जा सकता है। इसके सेवन के साथ-साथ थोड़ी हिम्मत कर पका हुआ भोजन धीरे-धीरे कम कर कच्चे भोजन किया करें और चमत्कार देखें। जिन्हें पिंडलियों में, शरीर में, कमर मंे, या अन्य कहीं मांसपेशी में दर्द रहता हो, वे भी अदरक के सेवन से लाभ पा सकते हैं।
जिन लोगों को मानसिक तनाव या माइग्रेन की वजह से सिर दर्द रहता हो, उनके लिए भी अदरक का नियमित सेवन लाभदायक है। इन सभी लाभकारी गुणों के पीछे अदरक में पाया जाने वाला रसायन जिन्जेरोल है। यह रसायन ऐसे फ्री रेडिकल, जो कि नाइट्रिक आक्साइड से बनता है पेरोक्सीनाइट्राईट, ;च्मतवगलदपजतपजमद्ध को निष्क्रिय करने में अति सक्षम है। साथ ही फ्री रेडिकल से रक्त में स्थित चर्बी को भी आक्सीकृत ;व्गपकपेमद्ध होने से बचाता है और ग्लुटाथियाॅन ;ळसनजंजीपवदद्ध नामक एन्टीआक्सीडेंट के स्तर को भी सामान्य रखता है। कैंसर रोधी: अदरक कैंसर, खासकर आंत के कैंसर, रोगियों को तथा जो कैंसर का इलाज किरणों से करा रहे हैं, उन्हें किरणों से होने वाले दुष्प्रभाव से बचाने में अत्यंत सक्षम है।
मिन्नेसोटा विश्वविद्यालय ने तो कैंसर के इलाज के लिए 6. जिंजेराॅल के पेटेंट के लिए आवेदन भी कर दिया है। त्वचा रोगों का रक्षक अदरक: यह कार्य अदरक पसीना बढ़ाकर करता है। ज्यादा पसीना आने से त्वचा के ऊपर डरमिसाइडिन नामक प्रोटीन आ जाता है और त्वचा के ऊपर कीटाणुओं के संक्रमण को रोकता है। अदरक को ज्यादा खाने की जरूरत नहीं है। चाय के साथ केवल एक से दो ग्राम अदरक पर्याप्त है। जोड़ों के दर्द से पीड़ित लोगों के लिए इसका दिन में तीन बार भोजन के साथ सेवन फायदेमंद होता है। अदरक का संस्कृत नाम ‘शृंगवेर’ है जिसका अर्थ सींग आकार है।
इतिहासकारों के अनुसार अदरक का सेवन मनुष्य हजारों वर्ष पूर्व से करता आ रहा है। रोम वासी इसे करीब 2000 वर्ष पूर्व चीन से आयात किया करते थे और यह अत्यंत कीमती होता था। अब इसे वेस्ट इंडीज, भारत, मेक्सिको और दक्षिणी अमेरिका जैसे देशों में भी उगाया और निर्यात किया जाता है। आस्ट्रेलिया, जमैका, फिजी, इन्डोनेशिया और भारत इसके प्रमुख उत्पादक हंै। भोजन बनाते समय अदरक को शुरू में डालने से बहुत हल्की महक आती है जबकि अंत में डालने से तीखी महक और स्वाद आता है।
जिन खाद्य पदार्थों के सेवन से पेट फूल जाता है और गैस ज्यादा बनती है, उनमें अदरक डालने से यह समस्या खत्म हो जाती है। इसी कारण से फूलगोभी, पत्तागोभी, छोले, राजमा, उड़द की दाल और सूखे मटर आदि में घरांे के बड़े बूढ़े पकाते समय अदरक अवश्य डालते हैं। गन्ने के रस में नीबू, अदरक और पुदीने का रस डालकर पीना, या फिर शहद या पानी में भी नीबू, अदरक और पुदीने का रस डालकर पीना आजकल बाजार में पाए जाने वाले कृत्रिम पेय पदार्थों से हजार गुना स्वास्थ्यकर एवं कम खर्चीला है।
अदरक को कद्दूकस कर सलाद में भी डालकर खाना लाभदायक होता है। शकरकंद को भूनकर अदरक और संतरे के रस के साथ खाएं, अत्यंत आनंद आएगा।