विशिष्ट अंकों के द्वारा प्रदर्शित बल अथवा ऊर्जा सामान्य अंकों की तुलना में ज्यादा महत्वपूर्ण हैं तथा यही व्यक्ति के चारित्रिक विवरण का आधार बनते हैं। फिर भी, किस प्रकार से इन बलों का प्रयोग किया जाय, यह जानना आवश्यक है। जैसी कि पहले ही चर्चा की जा चुकी है, दो व्यक्ति जिनका भाग्यांक समान 7 हैं, अलग-अलग व्यवहार कर सकते हैं, यद्यपि कि दोनों में ही 7 के ही गुण तथा तत्व मौजूद हैं। उदाहरण के लिए, मान लीजिए कि उनमें से एक का स्वभाव व्यावहारिक है तो वह वैज्ञानिक शोधशाला की स्थापना करने, औजारों की खरीद-बिक्री के प्रति जिज्ञासु होंगे। दूसरा व्यक्ति जिसका स्वभाव बौद्धिक अथवा अन्तज्र्ञान के धरातल पर है वह शोध तथा खोज एवं अन्वेषण के प्रति जिज्ञासु होगा। दूसरा उदाहरण, मान लीजिए दो व्यक्ति हैं जिनका योग्यता अंक 6 है। इनके व्यवहार में भी अन्तर देखने को मिलेगा। उनमें से एक जिनका स्वभाव व्यावहारिक धरातल पर है, वे घर का निर्माण करने तथा परिवार की देखभाल करने में दिलचस्पी रखेंगे। वहीं दूसरा व्यक्ति जिसका स्वभाव भावुकता के धरातल से प्रेरित है वह प्रेम के आदर्ष की स्थापना करने, विवाह तथा मौज मस्ती में दिलचस्पी रखेंगे। कोई और व्यक्ति जिसका योग्यता अंक भी 6 ही है किन्तु उसका स्वभाव अन्तज्र्ञान के धरातल से प्रेरित है तो उसका रूझान आध्यात्मिक प्रगति की ओर होगा और वह स्वयं के आध्यात्मिक उत्थान के लिए कार्य करेगा। 6 योग्यता अंक वाला कोई अन्य व्यक्ति जो पूर्णतः भौतिक धरातल से प्रेरित है वह बागवानी, फलोत्पादन अथवा चिड़ियाघर की देखभाल जैसे कार्यों में दिलचस्पी रखेगा। जिस प्रकार से मानव शरीर को चार भागों- स्थूल शरीर, मस्तिष्क, हृदय तथा आत्मा में बाँटा गया है उसी प्रकार स्वभाव को भी चार भागों में बाँटा गया है। इन चारों अवयवों के बीच संतुलन की मात्रा जैसी होगी वैसा ही व्यक्ति का स्वभाव होगा। स्वभाव के चार धरातल निम्नलिखित हैं भौतिक धरातल भौतिक धरातल शरीर के द्वारा निर्दिष्ट होता है तथा इसकी मुख्य विशेषता भौतिकता, व्यावहारिकता, पंक्ति एवं क्रम, भौतिक साहस, संसाधनांे का मितव्ययी उपयोग है। ऐसे लोग काफी विनम्र होते हैं, निर्माणकत्र्ता होते हैं तथा इनका झुकाव कल्पना एवं भावना की ओर नहीं होता है। बौद्विक धरातल बौद्धिक धरातल मस्तिष्क द्वारा निर्दिष्ट होता है तथा इसकी मुख्य विशेषता तर्क, न्याय तथा वास्तविकता है। सकारात्मक बौद्धिक सोच एवं चिन्तन, व्यवसाय, राजनैतिक मामलों में इनका प्रयोग तथा सही कार्यान्वयन अच्छे पद तथा सत्ता दिलाने में सक्षम होते हैं। भावनात्मक धरातल भावनात्मक धरातल हृदय द्वारा निर्दिष्ट होता है तथा इसकी मुख्य विशेषता भावना, प्रेम, कल्पना, प्रेरणा, सृजनात्मकता तथा कलात्मक अभिरूचि है। भौतिक सच्चाई तथा बौद्धिक तर्क का कोई स्थान नहीं होता, हर चीज पर भावना का नियंत्रण होता है। सभी कार्य प्रेम, दया, सहानुभूति, सौन्दर्य तथा कल्पना द्वारा प्रेरित होते हैं। अन्तज्र्ञानात्मक धरातल अन्तज्र्ञानात्मक धरातल आत्मा द्वारा निर्दिष्ट होता है तथा इसकी मुख्य विशेषता आन्तरिक जागृति, अभौतिकता, धर्म, मन, चित्त, दया, भविष्यवाणी तथा पूजा आदि हैं। भौतिक सच्चाई, बौद्धिक तर्क तथा भावना के ऊपर आन्तरिक निर्देश अर्थात् ईश्वरीय ज्ञान का वर्चस्व होता है। इन चारों धरातलों के सापेक्षिक महत्व की गणना उन्हें अंक निर्धारित करके किया जाता है। भौतिक धरातल की पहचान अंक 4 एवं 5 से की जाती है। अंक 4 व्यावहारिक एवं भौतिक है जो अंक 5 को भौतिक संसार में सफलता के लिए सहायता करता है। अतः नाम में अक्षर D,M,V तथा E N, W भौतिक धरातल को इंगित करते हैं। बौद्धिक धरातल की पहचान अंक 1 एवं 8 से की जाती है। अंक 1 कल्पनाशील एवं निर्धारक है जबकि अंक 8 तर्कशील एवं प्रशासक है तथा मस्तिष्क की शक्ति को प्रदर्शित करता है। अतः नाम में अक्षर A,J,S तथा H, Q,Z बौद्धिक धरातल को इंगित करते हैं। भावनात्मक धरातल की पहचान अंक 2, 3, 6 से की जाती है। तीनों अंकों का सम्बन्ध हृदय से है तथा ये भावना, अहसास, कल्पना, प्रेरणा तथा संवेदना जैसे भावों से जुड़े हैं। अतः नाम में अक्षर B,K,T; C, L, U, तथा F,O,X भावनात्मक धरातल को इंगित करते हैं। अन्तज्र्ञानात्मक धरातल की पहचान अंक 7 एवं 9 से की जाती है। अंक 7 विश्लेषक, वैज्ञानिक तथा साधक है जबकि अंक 9 कल्पनाशील, प्रभाव्य, लोकोपकारी तथा संवेदनशील है। दोनों अंक आन्तरिक निर्देश पर कार्य करते हैं। अतः नाम में अक्षर G,P,Y तथा I, R अन्तज्र्ञानात्मक धरातल को इंगित करते हैं। नाम में स्थित अक्षरों के आधार पर हम इन चारों धरातलों का निर्धारण करते हैं तथा फिर इनका सापेक्षिक अध्ययन करते हैं। जिस धरातल को उच्चतम अंक प्राप्त होते हैं, वे निर्दिष्ट करते हैं कि व्यक्ति अपने विशिष्ट अंकों की ऊर्जा का उपयोग उस धरातल को ध्यान में रखकर करेगा। दूसरा उच्च अंक अगला होगा तथा इसी प्रकार क्रम चलेगा। किसी धरातल में कम अंक अथवा '0' अंक का तात्पर्य यह कदापि नहीं है कि व्यक्ति में उस प्रकार के गुणों का सर्वथा अभाव है परन्तु इतना तो निश्चित है कि वह उस धरातल की चेतना में कार्य करना पसन्द नहीं करेगा। कृपया निम्नांकित उदाहरणों पर गौर करें उदाहरण 1. पिछले अंक में हमने ळंदकीप के नाम का विश्लेषण किया था, शारीरिक श्रम कर प्राप्त करने की प्रेरणा देती थी। उन्होंने भावना के लिए भावनात्मक अथवा अन्तज्र्ञान का सहारा लेकर कार्य नहीं किया बल्कि हमेशा बौद्धिक एवं शारीरिक श्रम को महत्व दिया। उन्होंने इंग्लैंड में कानून की पढ़ाई की तथा वकालत की। किन्तु यह उनके जीवन का उद्देश्य नहीं था। (2,6,9) की भावना एवं 3 की दोहरी ऊर्जा से अभिभूत होकर उन्होंने वकालत छोड़ दी तथा मानवता की शान्ति एवं कल्याण के लिए कार्य किया। उन्होंने बुद्धि का इस्तेमाल कर योजनाएँ बनाईं तथा शारीरिक श्रम कर उन्हें कार्यरूप प्रदान किया। इन्होंने इसमें भावना को कहीं नहीं आने दिया। दक्षिण अफ्रीका में उन्होंने अपने सत्याग्रह का सफल प्रयोग किया तथा उसके परिणाम से उत्साहित होकर सफलतापूर्वक भारत में भी तब तक इसका सफल प्रयोग किया जब तक कि भारत 1947 में स्वतंत्र नहीं हो गया। श्रीमती गाँधी का भाग्यांक 8 एवं हृदय अंक 2 था। यही कारण था कि उनके जीवन का लक्ष्य शांति, सहयोग एवं सद्भावना के साथ प्रबन्धन, संगठन तथा प्रशासन था। फलतः वे एक विशाल लोकतंत्र की महान एवं सफल नेत्री साबित हुईं। उनके उच्चतम अंक अन्तज्र्ञान धरातल पर 5 तथा भौतिक धरातल पर 4 हैं। यह सर्वविदित है कि उन्होंने हमेशा आन्तरिक निर्देश अथवा अन्तज्र्ञान से निर्णय लिए। उन्हें ज्योतिष में काफी विश्वास था। ज्योतिषियों का एक समूह हमेशा उनके इर्द-गिर्द रहता था तथा वे हमेशा उनसे सलाह लिया करती थीं। उन्होंने हमेशा व्यावहारिक रूप से ;च्त्र4द्ध अपनी योजनाओं को क्रियान्वित किया। यहाँ ध्यातव्य है कि उनके भावनात्मक धरातल पर ‘0’ अंक थे। इसका तात्पर्य यह कदापि नहीं है कि उनमें भावनाओं का बिल्कुल अभाव था, किन्तु यह सच है कि उन्होंने किसी धरातल पर भावनाओं को कभी भी हावी नहीं होने दिया। उन्होंने सदैव अन्तज्र्ञान से निर्देश लिया तथा व्यावहारिक रूप से भावनाओं को अलग रखकर कार्य किया। शायद उन्हें अपनी मृत्यु का भी अन्तज्र्ञान हो गया था इसलिए उन्होंने अपनी हत्या से पूर्व कई बार इसकी अभिव्यक्ति की थी। वह कहा करती थीं कि किसी भी समय उनकी हत्या हो सकती है किन्तु अन्त तक वह अपनी योजनाओं पर कार्य करती रहेंगी और ऐसा ही हुआ भी l