हृदय रोगियों के लिए वरदान मुद्राविज्ञान
हृदय रोगियों के लिए वरदान मुद्राविज्ञान

हृदय रोगियों के लिए वरदान मुद्राविज्ञान  

कौलाचार्य जगदीशानन्द तीर्थ
व्यूस : 3148 | फ़रवरी 2010

ये मुद्राएं हृदय संबंधी रोगों के लिए अत्यंत चमत्कारिक व लाभकारी हंै।

- वायु मुद्रा: वायु (गैस) हृदय रोग का एक अहम कारण है। जब हमारे शरीर में वायु अधिक मात्रा में बनने लगती है और उसकी निकासी नहीं हो पाती तो उसका दबाव हमारे हृदय पर पड़ता है, जिससे हृदय की कार्यक्षमता क्षीण होने लगती है। ऐसे में वायु की निकासी का शीघ्र प्रबंध करना अत्यंत आवश्यक होता है। इसके लिए चित्र के अनुसार दोनों हाथों की तर्जनी (अंगूठे के साथ वाली उंगली) को अंगूठे की जड़ में लगाकर उस पर अंगूठे का यथासंभव दबाव दें। ऐसा करने से वायु डकार या गैस के रूप में निकलने लगेगी जिससे हृदय पर उसका दबाव कम हो जाएगा। इस मुद्रा का प्रयोग कभी भी, कहीं भी और किसी भी स्थिति में समयानुसार सहजता से कर सकते हैं।

- अपान मुद्रा: चित्र के अनुसार दोनों हाथों की मध्यमा और अनामिका को मिलाकर हथेली के मध्य भाग तक मोड़ लें व उसके अग्र भाग पर अपने अंगूठे का हल्का सा दबाव बनाएं। तर्जनी व कनिष्ठा सीधी रहनी चाहिए। वायु मुद्रा की भांति इस मुद्रा का प्रयोग भी कभी भी, कहीं भी, किसी भी स्थिति में समयानुसार सहजता से कर सकते हैं। इससे हृदय पर वायु से बनने वाला दबाव सहजता से कम हो जाता है।


Book Online 9 Day Durga Saptashati Path with Hawan


- अपान वायु मुद्रा: जैसा कि चित्र में दिखाया गया है, दोनों हाथों की तर्जनी (अंगूठे के साथ वाली उंगली), को अंगूठे के मूल यानी जड़ से लगाएं और मध्यमा व अनामिका को भी हथेली के मध्य तक साथ-साथ मोड़ लें। फिर अनामिका पर अंगूठे का यथासंभव हल्का दबाव बनाएं। ऐसा करते समय कनिष्ठा (सबसे छोटी उंगली) सीधी रखें। इस मुद्रा का प्रयोग प्रतिदिन प्रातःकाल यथासंभव करें। सोरबिट्रेट की गोली की तरह यह मुद्रा हृदयाघात से बचाव के लिए रामबाण का कार्य करती है।

पद्मासन लगाकर बैठें और नाक से सांस खींच कर सरलता से जितनी देर तक रोक सकें रोकें। फिर धीरे-धीरे मुंह से सांस छोड़ें तथा फिर सामथ्र्यानुसार कुछ क्षण के लिए रुकें। यह क्रिया प्रतिदिन प्रातःकाल 45 मिनट अथवा कम से कम 15 मिनट तक करें। इससे धमनियों में रक्त का संचार निर्बाध रूप से होने लगेगा और हृदय में रक्त का संचार सुचारु रूप से होता रहेगा। हृदय रोगी को सीढ़ियां चढ़ने, भारी वजन उठाकर चलने, गाड़ी में धक्का लगाने या सांस फूल जाने वाले कार्य करने से काफी हानि हो सकती है।

ऐसी स्थिति में कार्य प्रारंभ करने से पहले 10 मिनट अपान मुद्रा कर लें या यह मुद्रा बनाकर सीढ़ियां चढ़ें या पैदल चलें, कार्य से होने वाली हानि से बचाव होगा। किसी कारणवश कार्य से पहले करना भूल भी जाएं, तो उसके बाद, जैसे सीढ़ियां चढ़ने के बाद सांस फूलने लगे तब, थोड़ी देर के लिए यह मुद्रा कर लें, शीघ्र लाभ होगा। नोट: उक्त मुद्राओं के अधिक से अधिक लाभ के लिए इनका प्रयोग प्रतिदिन प्रातःकाल पद्मासन में बैठकर 45 अथवा कम से कम 15 मिनट तक अवश्य करें। स्वच्छ व सादा आहार लें और व्यसनों से दूर रहें। साथ ही अनुशासन बनाएं व उनका कठोरता से पालन करें।


करियर से जुड़ी किसी भी समस्या का ज्योतिषीय उपाय पाएं हमारे करियर एक्सपर्ट ज्योतिषी से।




Ask a Question?

Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

  • Health

  • Family

  • Marriage

  • Career

  • Finance

  • Business


.