- गुरु हमारे सोलर सिस्टम का विशालतम ग्रह है। यह इतना विशाल है कि इसमें 1300 पृथ्वियां समा सकती हैं। - गुरु का द्रव्यमान 18, 98, 130, 000, 000, 000, 000 विलियन किलोगा्रम (317.83, x Earth). गुरु का द्रव्यमान पृथ्वी के द्रव्यमान का 318 गुणा है। - गुरु के प्रधान उपग्रहों में लो, युरोपा गेनीमीड व कैलिस्टो प्रमुख हैं। - गुरु की सतह का तापमान 108 degree सैल्सियस है। - गुरु की कक्षा की लंबाई 778,340,821 कि.मी. है और इसे पूरा करने में गुरु को लगभग 12 वर्षों का समय लग जाता - गुरु का औसतन व्यास लगभग 138,346.5 कि.मी. है। - गुरु अपनी धुरी पर घूमने में केवल 9 घंटे और 55 मिनट का समय लेता है। अर्थात् गुरु ग्रह पर एक दिन का मान लगभग 10 घंटे होता है। - गुरु की आयु इतनी ही है जितनी सूर्य की अर्थात् 4.5 विलियन वर्ष। - गुरु की खोज कब हुई यह अनुमान नहीं है। गुरु का सबसे पुराना उल्लेख बेनिलियन जाति के लोगों की ईसा से 700 से 800 वर्ष पूर्व की पुस्तकों में मिलता है। - गुरु के 67 उपग्रह हैं। - गुरु की सतह इस पर आने वाले तुफानों के लिए प्रसिद्ध है, विशेष रूप से ‘द बिग रेड स्पौट’ जो सौर मंडल का सबसे बड़ा तूफान है। यह सबसे बड़ा तूफान इसकी प्रमुख पहचान है जो पिछले 350 वर्षों से लगातार इस प्रकार से पूजा करने से धीरे-धीरे मन पर नियन्त्रण होने लगता है क्योंकि संकल्प, विनियोग, न्यास, ध्यान व पूजा उपचारों का प्रपंच आपको एकाग्रता से कार्य करने के लिए बाध्य कर देता है। इन सभी प्रक्रियाओं में ध्यान के इधर उधर हो जाने पर पूरी पूजा का क्रम इधर-उधर हो जाता है इसलिए साधक एकाग्रता बनाए रखने के लिए मजबूर हो जाता है। जब यह मजबूरी आदत बनने लग जाती है तो पूजा कार्य का कुशलता से संपादन करना पूर्णतया सरल होने लगता है। पूजा का वास्तविक उद्देश्य है मन पर काबू पाकर मन को ईश्वरोन्मुख करके उनकी कृपा का पात्र बनना। सक्रिय है और इतना विशाल है कि इसमें दो पृथ्वियां समा सकती हैं तथा इसके थमने के कोई लक्षण नहीं दिखते। - गुरु सौरमंडल का तीसरा सर्वाधिक चमकीला ग्रह है। यह सौरमंडल के उन पांच ग्रहों में से एक है जिन्हें नग्न आंखों से देखा जा सकता है। अन्य वार बुध, शुक्र, मंगल व शनि हैं। - गुरु के गिर्द घूमने वाले उपग्रहों में चार प्लूटो से भी बड़े हैं। - गुरु का सबसे बड़ा उपग्रह गेनीमीड है जो सौरमंडल का सबसे बड़ा उपग्रह माना जाता है। इसका व्यास 5268 किमी. है और यह बुध ग्रह से भी बड़ा है। - सौरमंडल के सभी ग्रहों में गुरु का गुरुत्वाकर्षण बल सर्वाधिक है। यदि हम गुरु ग्रह की सतह पर खड़े हो सकें तो हमारा वजन हमारे वास्तविक वजन से तीन गुणा ज्यादा हो जाएगा।