गजाननम्भूतगणादिसेवितं कपित्थ जम्बू फलचारुभक्षणम्। उमासुतं शोक विनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपंकजम्।। दीपावली यानी धन और समृद्धि का त्यौहार। इस त्यौहार में गणेश और माता लक्ष्मी के साथ धनाधिपति भगवान कुबेर, सरस्वती और काली माता की भी पूजा की जाती है। दीपावली की रात गणेश जी की पूजा से सद्बुद्धि और ज्ञान मिलता है जिससे व्यक्ति में धन कमाने की प्रेरणा आती है। व्यक्ति में इस बात की भी समझ बढ़ती है कि धन का सदुपयोग किस प्रकार करना चाहिए। माता लक्ष्मी अपनी पूजा से प्रसन्न होकर धन का वरदान देती हैं और धनाधिपति कुबेर धन संग्रह में सहायक होते हैं। इन उद्देश्यों की पूर्ति के लिए ही दीपावली की रात गणेश लक्ष्मी के साथ कुबेर की भी पूजा की जाती है। - सर्वप्रथम घर का गंगाजल छिड़कते हुए शुद्धिकरण करें। - घर के मुख्य द्वार पर रंगोली बनाएं। - घर के द्वार पर दोनों ओर फूलों और आम के पत्तों का बंधन-वार लगाएं। - तिजोरी और आभूषण के डिब्बों पर ऊँ लिखें व स्वास्तिक का चिह्न बनाएं। गजाननम्भूतगणादिसेवितं कपित्थ जम्बू फलचारुभक्षणम्। उमासुतं शोक विनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपंकजम्।। एवं शुभ मुहूर्त पूजन सामग्री - घर में नये लक्ष्मी गणेश की मिट्टी की प्रतिमा स्थापित करें। - गंगाजल से शुद्धिकरण करें। - पूजा की थाली सजाएं और उसमें गुंजा, रोली, मौली, अक्षत, माला, धूप, दीया, इत्र, गंगाजल, कपूर, पान, सुपारी, लौंग-इलायची, मिश्री, यज्ञोपवीत, चंदन, लघु नारियल, कौड़ी, गोमती चक्र रख दें। - लक्ष्मी-गणेष की मूर्ति के सामने रोली से ऊँ लिखें और स्वास्तिक का चिह्न बनाएं। व अहोई अष्टमी का चित्र लगाएं। - पंचामृत बनाएं और पंचमेवा, खीर व बेसन के लड्डू का प्रसाद रखें। - कलश स्थापित करें। - चावल की ढेरी पर घी का और गेहूं की ढेरी पर तेल का दीपक जलाएं। - लक्ष्मी गणेश जी का सिक्का एक अलग थाली में रख लें। आसन बिछाकर गणपति एवं लक्ष्मी की मूर्ति के सम्मुख बैठ जाएं। इसके बाद अपने आपको तथा आसन को इस मंत्र से शुद्ध करें -ऊं अपवित्रः पवित्रोवा सर्वावस्थां गतोऽपिवा। यः स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तरः शुचिः। इस मंत्र से अपने ऊपर तथा आसन पर 3-3 बार कुशा या पुष्पादि से छींटें लगायें। फिर आचमन करें- ऊं केशवाय नमः, ऊं माधवाय नमः, ऊं नारायणाय नमः। फिर हाथ धोएं, पुनः आसन शुद्धि मंत्र बोलें:- ऊं पृथ्वी त्वयाधृता लोका देवि त्यम विष्णुनाधृता। त्वं च धारयमां देवि पवित्रं कुरु चासनम्।। शुद्धि और आचमन के बाद चंदन लगाना चाहिए। अनामिका उंगली से चंदन लगाते हुए यह मंत्र बोले - चन्दनस्य महत्पुण्यम् पवित्रं पापनाशनम्, आपदां हरते नित्यम् लक्ष्मी तिष्ठतु सर्वदा। गणपति पूजन किसी भी पूजा में सर्वप्रथम गणेश जी की पूजा की जाती है। इसलिए आपको भी सबसे पहले गणेश जी की ही पूजा करनी चाहिए। हाथ में पुष्प लेकर गणपति का ध्यान करें और ऊँ गं गणपतये नमः का 108 बार जाप करके गणेष जी को रोली, अक्षत व चन्दन से तिलक करें।