वास्तु ज्ञान

प्रश्न- ईशान क्षेत्र में शयन कक्ष क्या प्रभाव देता है ? उत्तर- ईशान क्षेत्र की दिशा परम पिता परमेश्वर की दिशा है जिस पर देव गुरु बृहस्पति का आधिपत्य होता है। अतः इस दिशा में शयन-कक्ष नहीं बनाना चाहिए क्योंकि भोग विलास और शयन सुख प... और पढ़ें

फ़रवरी 2014

व्यूस: 8104

शरीर शुभाशुभ लक्षणम

विद्धान व्यक्ति कों शुभ मुहूर्त के मध्याहन में शरीर के लक्षणों कों देखकर उनका फल कथन करना चाहिए. पहले जातक की आयु देखकर ही लक्षण देखना चाहिए. क्योकि कम आयु के जातक के सभी लक्षण सही एवं स्पष्ट परिलक्षित नहीं होते है........ और पढ़ें

जुलाई 2009

व्यूस: 12946

हस्तरेखाओं के दोष मिल भाग्य जगाए शंख

लोक मान्यता है की जिस घर में शंख होता है उसमें लक्ष्मी जी का स्थायी वास होता है. क्योकि लक्ष्मीजी व शंख दोनों की उत्पति समुद्र से हुई है. स्वर्ग लोक से प्राप्त आठ सिद्धियों एवं नौ निधियों में शंख कों विशेष स्थान प्राप्त है. यह भगव... और पढ़ें

आगस्त 2009

व्यूस: 8716

पितृतीर्थ गया एवं श्री गणेश

भारतवर्ष के सनातन देवी-देवताओं में विघ्नहर्ता मंगलदाता गणेश को प्रथम पूजनीय देव के रूप में स्वीकार किया गया है। प्रायः प्रत्येक धर्मग्रन्थों, पुरा-साहित्यों व काव्य कृतियों में इनका प्रारम्भिक गुणगान समाज में गणेश की प्रतिष्ठा प्र... और पढ़ें

सितम्बर 2013

व्यूस: 7663

एक थी आरुषि भाग-3

प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में अक्सर ऐसी परिस्थितियां उत्पन्न हो जाती हैं जब मनुष्य क्षण्क आवेग या आवेश में आकर कुछ ऐसा कर बैठता है जिसका परिणाम भयंकर और भयावह होता है। लेकिन ऐसा हो जाने पर इंसान केवल पश्चप ही कर सकता है क्योंकि क्ष... और पढ़ें

जनवरी 2014

व्यूस: 9327

सामुद्रिक शास्त्र एवं शनि

हाथ में मध्यमा उंगली को शनि की उंगली कहते हैं। मध्यमा उंगली भाग्य की सूचक है। हथेली में भाग्य रेखा इसी पर्वत पर आकर समाप्त होती है। भाग्य रेखा अथवा शनि रेखा द्वारा जातक के जीवन पर शनि का प्रभाव जाना जा सकता है।... और पढ़ें

नवेम्बर 2011

व्यूस: 14220

चिकित्सा में रत्नों का योगदान

मानव जीवन पंच महाभूतों अर्थात अग्नि, जल, वायु, पृथ्वी एवं आकाश नाम के पंचमहा तत्वों से मिलकर निर्मित हुआ हैं. इनमें न्यूनता या अधिकता आ जाने से ही उस तत्व विशेष से सम्बंधित विकार, रोग या कमी आ जाती हैं. क्यों की इन पंचतत्वों ... और पढ़ें

मई 2012

व्यूस: 10301

सर्वोपयोगी कृपा यंत्र

श्री गणेश कृपा यंत्र सर्व सिद्धिदायक व् नाना प्रकार की उपलब्धियां व् सिद्धियाँ देने वाला यंत्र हैं. इस यंत्र का पूजन करते समय देवताओं के प्रधान गणाध्यक्ष गणपति का ध्यान किया जाता हैं. इस यंत्र में श्री गणेश एक हाथ में पाश, एक हाथ ... और पढ़ें

सितम्बर 2012

व्यूस: 8620

टैरो  कार्ड प्रयोग विधि

टैरो एक प्राचीन ध्यानस्थ साधना है, जिससे साधना करने वाला चेतना के ऊपरी सतहों तक पहुंच सकता है. टैरो के पत्तों के रहस्य में ज्योतिष, अंक ज्योतिष, प्रतीकवाद विद्या का मिश्रण है, जिससे भूत, भविष्य तथा ... और पढ़ें

मार्च 2012

व्यूस: 9326

दीपावली के पौराणिक प्रसंग

दीपावली का इतिहास अति प्राचीन है। वेद, पुराण ततः हिंदू धर्म के अन्य ग्रंथों में इसका उल्लेख तथा सौभाग्य की देवी लक्ष्मी के स्वरूप और महिमा का व्यापक विवरण मिलता है। प्राचीन काल में भारतीय जहां भी गए, दीपावली के प्रति अपनी आस्था, व... और पढ़ें

अकतूबर 2008

व्यूस: 9814

किस व्यवसाय में कौन सा रुद्राक्ष पहने

सभी मानव जो भाग में मोक्ष, दोनों की कामना करते है उन्हें रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए. रुद्राक्ष की उत्पति शिवजी के आंसुओं से हुई हैं. इसलिए रुद्राक्ष धारण करने से धारक का ध्यान आध्यात्मिकता की और बढ़ता है तथा धारक को स्वास्थ्य... और पढ़ें

अप्रैल 2012

व्यूस: 16639

जैन ज्योतिष में स्वप्न सिद्धांत

जैन ज्योतिशास्त्र में भी विभिन्न लक्षणों के आधार पर भूत तथा भविष्यत्: में घटित होने वाली घटना के निरूपण की परंपरा है और यह ज्ञान निमित कहा जाता हैं। ये आठ प्रकार के होते हैं। व्यंजन, अंग, स्वर, भौम, छिन्न, अंतरिक्ष, लक्षण तथा स्वप... और पढ़ें

जून 2012

व्यूस: 20645

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