आरुषि एक बच्ची थी जो यौवन की दहलीज पर खड़ी थी और उसमें बहुत कुछ जानने व समझने की उत्कंठा थी। राजेश और नूपुर तलवार हाई प्रोफाइल डाक्टर थे और उन्हें पार्टियां का काफी शौक था। अक्सर उनके घर में रात को पार्टी चला करती थी जिनमें काफी खुलापन था और इसी खुलेपन का शिकार हुई आरुषि। कहते हैं न बच्चे को जैसे संस्कार दिये जायेंगे वैसे ही उनके संस्कार बनेंगे। नतीजन आरुषि अपने बालपन में ऐसी हरकत कर बैठी जैसी उसके माता-पिता ने कल्पना भी नहीं की थी और उस काली रात में अचनाक उसे हेमराज के साथ देखकर राजेश तलवार अपना आपा खो बैठे और आवेश में उन्होंने हेमराज के सिर पर अपनी गोल्फ स्टीक से वार किया। पर दूसरी बार हेमराज के हट जाने से वह वार आरुषि के सिर पर हो गया और उसकी मौत हो गई। यह वास्तव में उनके क्षणिक आवेश का ही परिणाम था जो हर किसी शख्स के साथ हो सकता है लेकिन कानूनन यह जघन्य अपराध है क्योंकि माता-पिता बच्चे को जन्म तो अपनी इच्छा से दे सकते हैं पर उसके प्राण अपनी मर्जी से नहीं ले सकते हैं। सीबीआई कोर्ट के जज श्री एस. लाल ने अपना निर्णय देते हुए कहा कि ‘‘धर्मो रक्षित रक्षितः’’ अर्थात जब हम धर्म की रक्षा करेंगे तभी धर्म हमारी रक्षा करेगा। यानि हम कानून का पालन करेंगे तभी वह हमारी हिफाजत करेगा मगर तलवार दंप ने कानून का उल्लंघन किया है। बाइबिल में कहा गया है कि मां-बाप ईश्वर का स्वरूप होते हैं। किसी को भी ईश्वर की दी हुई जिंदगी खत्म करने का कोई हक नहीं। कुरान में कहा गया है कि जिंदगी पवित्र होती है उसे लेने का किसी को भी कोई हक नहीं है। लेकिन तलवार दम्प ने इसका ख्याल नहीं रखा और आरुषि, हेमराज की हत्या कर दी फिर तलवार दम्प ने न केवल दोहरे हत्याकांड को अंजाम दिया बल्कि पुलिस को गुमराह करने की भी कोशिश की और सारे तथ्यों को पुलिस से छिपाया और इसी अपराध के लिए अब कोर्ट ने उन्हें आजीवन कारावास का दण्ड सुनाया है। इस मुद्दे को लेकर आजकल टीवी. के हर चैनल पर चर्चा हो रही है कि यह फैसला ठीक है या नहीं। जहां एक ओर बहुत से लोग इसे कानून की जीत बता रहे हैं वहीं दूसरी ओर तलवार दम्प के रिश्तेदार इस फैसले से सहमत नहीं हैं और वे हाईकोर्ट में अपील करना चाहते हैं। फिलहाल तलवार दम्प डासना जेल में बंद हैं और अब उनका नसीब क्या गुल खिलाएगा हम जानने की कोशिश करेंगे ज्योतिषीय दृष्टिकोण से। राजेश, नूपुर और अभागी आरुषि की कुंडलियों पर हम पहले भी चर्चा कर चुके हैं। देखिए सत्यकथाएं एक थी आरुषि भाग-1 और भाग-2 और अब कोर्ट का अंतिम फैसला आने के पश्चात् इन्हीं पत्रियों का ज्योतिषीय विश्लेषण दुबारा प्रस्तुत किया जा रहा है। राजेश तलवार राजेश की कुंडली में कुटुम्बेश व पंचमेश बृहस्पति क्रूर ग्रह मंगल तथा अष्टमेश बुध के साथ शनि की नीच राशि में शनि की दृष्टि से युक्त होकर छठे भाव में स्थित हैं। बृहस्पति की इस प्रकार की दयनीय स्थिति के कारण ही इन्हें संतान पक्ष से इतना कष्ट झेलना पड़़ा। छठे भाव से नौकरी का भी विचार किया जाता है और शनि ग्रह भी नौकर का कारक होता है और जिस समय इनके द्वारा अपने नौकर व बेटी की हत्या हुई उस समय भी इनकी शनि की ढैय्या चल रही थी और पंचमेश बृहस्पति की महादशा तथा अष्टमेश बुध की अंतर्दशा चल रही थी और अब भी गुरु मारकेश होकर अष्टम भाव में गोचर कर रहे हैं जिसने मृत्यु तुल्य कष्ट देकर आजीवन कारावास का दण्ड दे दिया। राजेश की कुंडली में लग्न पर सभी पाप ग्रहों अर्थात् सूर्य मंगल तथा शनि की भी दृष्टि है और लग्न, केंद्र व त्रिकोण में किसी भी शुभ ग्रह की न तो स्थिति है और न ही दृष्टि है इसीलिए वे लाख कोशिश करने के बावजूद अपना बचाव नहीं कर पाए। संतान के लिए पंचम से पंचम भाव अर्थात नवम भाव, भावेश पर भी विचार करें तो चंद्रमा पाप राशि म अष्टम भाव से अष्टम अर्थात् तृतीय भाव में स्थित है तथा पापकर्Ÿारी योग से ग्रसित है। नवम भाव पर भी क्रूर ग्रह मंगल की दृष्टि है। इन सभी अशुभ योगों के कारण इन्हें संतान के आरोप में आजीवन कारावास का दण्ड मिला है। वर्मान समय में इनकी बृहस्पति की महादशा में शुक्र की अंतर्दशा चल रही है। शुक्र प्रबल मारकेश होकर अष्टम भाव में अशुभ ग्रह राहु के साथ स्थित है तथा बृहस्पति भी गोचर में चंद्रमा से छठे भाव तथा लग्न से अष्टम भाव में गोचर कर रहे हैं जिसके फलस्वरूप इन्हें मुख्य आरोपी बनकर जेल जाना पड़ा। आगे भविष्य में भी इनका हाईकोर्ट में मुकदमा चलेगा। अप्रैल 2016 तक इनकी सूर्य एवं चंद्रमा की अंतर्दशा चलेगी जब जून 2014 में बृहस्पति कर्क राशि में आयेंगे तब कुछ राहत मिलने की उम्मीद नजर आती है पर पूरी छूट मिलने की संभावना नहीं है क्योंकि सूर्य मारक भाव में है तथा चंद्रमा बाधकेश होकर पापकर्री योग से ग्रसित है। 2016 से 2017 में बृहस्पति में मंगल की अंतर्दशा में हाईकोर्ट से इन्हें संभवतः राहत मिल जाए। नूपुर नूपुर की कुंडली में पंचमेश ग्रह शुक्र मारक भाव (द्वितीय) भाव में स्थित है। संतान कारक ग्रह बृहस्पति व्यय भाव में मारकेश चंद्रमा तथा अशुभ ग्रह राहु के साथ स्थित है। पंचम भाव पापकर्री योग से पीड़ित है जिसके कारण भाव, भावेश एवं कारक सभी अशुभ अवस्था में होने से इन्हें भी संतान तथा पारिवारिक सुख नहीं मिल रहा है और यह भी अपने पति के साथ संतान की हत्या में आरोपी बन गई हं। वर्तमान समय में इनकी शनि की महादशा में शुक्र की अंतर्दशा चल रही है। हालांकि शुक्र इस लग्न के लिए योग कारक ग्रह होता है। परंतु सूक्ष्मता से विचार करें तो शनि और शुक्र अर्थात दशानाथ व अंतर्दशा नाथ की षडाष्टक स्थिति बन रही है और शुक्र मारक भाव में है तथा प्रत्यंतर्दशा नाथ गुरु भी द्वादश भाव में राहु व मारकेश चंद्र के साथ है जिसके फलस्वरूप पति के कारण पति के साथ जेल जाना पड़ा। नूपुर की शुक्र की अंतर्दशा फरवरी 2015 में समाप्त हो जाएगी और फिर सूर्य की अंतर्दशा प्रारंभ होगी उस समय शायद इन्हें हाईकोर्ट से राहत मिल सकती है।