कौलाचार्य जगदीशानन्द तीर्थ
जिस प्रकार देवता हैं, तो दानव भी हंै, अच्छाई है, तो बुराई भी है, मनुष्य हंै, तो राक्षस भी हंै, प्रत्यक्ष है, तो अप्रत्यक्ष भी है, उसी प्रकार षटकर्मों अर्थात आकर्षण, वशीकरण, उच्चाटन, स्तंभन, विद्वेषण और मारण आदि में अच्छे कर्म भी ह... और पढ़ें
ज्योतिष