देवी और देव (पृष्ठ-13)
क्यों वर्जित है, देवशयन में मांगलिक कार्य

श्रीमदभागवत आदि ग्रंथों में वर्णन है की भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकर बलि से तीन पग भूमि मांगी। दो पग में पृथ्वी और स्वर्ग को नापा और जब तीसरा पग रखें लगे तब बलि ने अपना आगे कर दिया। तब भगवान ने बलि को पाताल भेज दिया तथा उसकी... और पढ़ें

देवी और देवअन्य पराविद्याएंअध्यात्म, धर्म आदि

सितम्बर 2007

व्यूस: 7044

खजराना के गणेश मंदिर में घटते दर्शनार्थी

जब भी कोई स्थान वैभव एवं प्रसिद्धि पाता है तो निश्चितरूप से वह वास्तु के अनुकूल होता है। इसका एक सुंदर उदाहरण हा इंदौर सहित प्रसिद्ध खजराना गणेश मंदिर। यह मंदिर इंदौर और उसके आसपास के क्षेत्रों में बहुत प्रसिद्द है इस प्रसिद्धि का... और पढ़ें

देवी और देवअन्य पराविद्याएंउपाय

सितम्बर 2007

व्यूस: 5506

भगवान श्रीकृष्ण और उनका द्वादशाक्षर मंत्र

अवतारों में श्रीराम एवं श्रीकृष्ण का नाम पूरे हिंदू समाज में बड़ी श्रद्धा, भक्ति एवं आस्था के साथ लिया जाता है। दोनों भगवान के अवतार माने जाते है, किन्तु इन दोनों के स्वभाव एवं चरित्र में एक-दूसरे से नितांत भिन्नता दिखलाई देती है इ... और पढ़ें

देवी और देव

सितम्बर 2007

व्यूस: 9717

नवरात्र व्रत

नवरात्र व्रत

फ्यूचर समाचार

आश्विन शुक्ल प्रतिपदा से नवमी तिथि तक नवरात्र व्रत होता है। एक समय जनमेजय ने वेदव्यास जी से पूछा – हे द्विजवर, नवरात्र आने पर क्या करना चाहिए? विशेष रूप से शरत्काल के नवरात्र का क्या विधान है। इसे सविस्तार बताने की कृपा करें। व्या... और पढ़ें

देवी और देव

अकतूबर 2007

व्यूस: 7678

उखीमठ : शीतकालीन केदारनाथ

भगवान शिव शंकर ने नदी पर्वत जैसे प्रकृति के दूरस्थ स्थानों को हमेशा अपना निवास चुना। ऐसा ही एक ज्योतिर्लिंग केदारनाथ है। केदारनाथ की चल मूर्ति सर्दियों में उखीमठ आ जाती है। इसलिए यहाँ की विशेष प्रसिद्धि है। ऋषिकेश से लगभग १८५ किमी... और पढ़ें

देवी और देव

सितम्बर 2007

व्यूस: 5668

राहू केतु जन्य ज्योतिषीय योग

मानव के शरीर पर उसके व्यक्तित्व पर और उसके जीवन पर ग्रहों का पूरा असर पडता है। प्राचीन ऋषि महारिशियों ने केवल सात ग्रहों की परिकल्पना की है, उन्होंने राहू और केतु को ग्रह नहीं मानकर छाया गृह की संज्ञा दी है। इस वाक्य को समझने के ल... और पढ़ें

ज्योतिषदेवी और देव

सितम्बर 2007

व्यूस: 14746

भक्तों को आकर्षित करता वैष्णोदेवी मंदिर का वास्तु

पवित्र भारत भूमि का कण-कण देवी-दवताओं के चरण राज से पवित्र है। इसलिए भारत ही नहीं पूरे विश्व धर्मपरायण लोगों अपनी और आकर्षित करते है। इन तीर्थों के दर्शन हर वर्ष लाखों स्त्री पुरुष करते है, और वांछित फल पाते है। इनमें से ही एक तीर... और पढ़ें

देवी और देवउपाय

अकतूबर 2007

व्यूस: 7279

कालजयी धरोहर – सेतुबंध रामेश्वरम

रामेश्वर शंख के आकार में द्वीप के रूप में तमिलनाडु प्रदेश में दक्षिण भारत में लगभग ६२ वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। रामेश्वरम को दक्षिण भारत का बनारस माना जाता है। हिंदू धर्म में यह धारणा है की काशी की यात्रा तब तक अधू... और पढ़ें

देवी और देवअन्य पराविद्याएं

अकतूबर 2007

व्यूस: 8624

श्री विष्णु सहस्त्रनाम वैभवम

महाभारत युद्ध की विभीषिका से क्षुब्ध धर्मराज युधिष्ठिर अपने भाइयों तथा पत्नी सहित शरशय्या पर लेटे भीष्म पितामह के सन्निकट गए और उनसे अनेक प्रकार की शंकाओं का समाधान करने का आग्रह किया। ज्योंही पितामह ने उपदेश देना प्रारभ किया त्यो... और पढ़ें

देवी और देव

अकतूबर 2007

व्यूस: 11729

समृद्धिदायक मालाएं एवं गणपति

वैजयंती माला के बीजों से निर्मित की जाती है। इस माला का प्राचीनकाल से विशेष महत्त्व रहा है, स्वयं भगवान विष्णु भी इस माला को धारण करते है। इसकों धारण करने से नई शक्ति तथा आत्म विश्वास में वृद्धि होती है। मानसिक शांति प्राप्त होती ... और पढ़ें

देवी और देवउपाय

अकतूबर 2007

व्यूस: 8689

नरक चतुर्दशी व्रत

नरक चतुर्दशी व्रत

फ्यूचर समाचार

कार्तिक मॉस के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी नरक चतुर्दशी के नाम से प्रसिद्द है। इस दिन अरुणोदय से पूर्व प्रत्यूष काल में स्नान करने से मनुष्य को यमलोक के दर्शा नहीं करने पड़ते है। शास्त्रानुसार कार्तिक मास में तेल नहीं लगाना चाहिए। फिर भ... और पढ़ें

देवी और देवअन्य पराविद्याएंअध्यात्म, धर्म आदि

नवेम्बर 2007

व्यूस: 6807

राम और राम सेतु

राम और राम सेतु

डॉ. अरुण बंसल

हिंदू धर्म में एक ही आदर्श एवं मर्यादा पुरुष है- पुरुषोतम श्री राम। श्री राम का जन्म रामनवमी के दिन पुनर्वसु नक्षत्र में अभिजीत मुहूर्त में अयोध्या में हुआ। उस समय अधिकांश ग्रह उच्च या स्वराशि में स्थित थे। श्री राम की जीवन लीला क... और पढ़ें

देवी और देवयशसुखविविध

नवेम्बर 2007

व्यूस: 10914

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