देवी और देव (पृष्ठ-11)
भगवान श्री गणेश और उनका मूलमंत्र

हिंदुओं के सभी कार्यों का श्रीगणेश अर्थात शुभारंभ भगवान गणपति के स्मरण एवं पूजन से किया जाता है। भगवान श्री गणेश की सबसे बड़ी विशेषता यह है की उनके पूजन एवं स्मरण का यह क्रम जीवन भर लगातार चलता रहता है। चाहे कोई व्रत, पर्व, उत्सव, ... और पढ़ें

देवी और देवउपाय

अप्रैल 2007

व्यूस: 7523

कमला एकादशी व्रत

कमला एकादशी व्रत

फ्यूचर समाचार

कमला एकादशी व्रत पुरुषोतम मास (अधिक मास या मल मास) में करने का विधान है। एक समय सत्यवती पांडुनंदन धर्मराज युद्धिष्ठिर ने गोपिका बल्लभ, चितचोर, जगत नियंता भगवान श्री कृष्ण से सादर पूछा – भगवन, मैं पुरुषोतम मास की... और पढ़ें

देवी और देवअन्य पराविद्याएं

मई 2007

व्यूस: 6230

बैजनाथ : शिव-शिवा का अनुपम धाम

प्रकृति के उन्मुक्त प्रांगण में बसे देवभूमि उतरांचल में शायद ही ऐसा कोई स्थल होगा जहां मंदिर न हो। कलकल करते झरने, अविरल बहती नदियां, प्रहरी की भूमिका में गर्व से सिर उठाए खड़े पहाड़, मुक्त हवा में झूमते हरे-भरे वृक्ष यहां आने वाले ... और पढ़ें

देवी और देवअन्य पराविद्याएंस्थान

मई 2007

व्यूस: 5953

जन-गण-मन के देवता संकटमोचन श्री हनुमान

मानव जीवन समस्या एवं संकटों की सत्यकथा है। वस्तुत: इसमें ऐसा कोई क्षण नहीं और ऐसा कोई स्थान नहीं जब मानव किसी न किसी समस्या या संकट से घिरा न हो। हमारे जीवन में दैहिक, दैविक एवं भौतिक दुखों का सिलसिला लगातार चलता रहता है इन सभी प्... और पढ़ें

देवी और देवउपाय

मई 2007

व्यूस: 6383

कामदा एकादशी व्रत

कामदा एकादशी व्रत

फ्यूचर समाचार

कामदा एकादशी व्रत पुरुषोतम मास (अधिकमास या मलमास) में करने का विधान है। इसे पदमिनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। एक समय धर्मावतार धर्मराज युधिष्ठर ने भगवान श्रीकृष्ण को सानंद सिंहासनरुढ देखकर उनके चरणों में नतमस्तक हो पूछा – ह... और पढ़ें

देवी और देवअन्य पराविद्याएंउपायअध्यात्म, धर्म आदि

जून 2007

व्यूस: 6183

भीमकाली मंदिर

भीमकाली मंदिर

फ्यूचर समाचार

हिमाचल की राजधानी शिमला से २०० किमी. सरहन की सुंदर वादियों में गगनचुंबी देवदार वृक्षों के बीच सतलुज नदी के तट पर बसा है। प्रसिद्द भीमकाली मंदिर। यह मंदिर देश के भव्य एवं वैभवशाली मंदिरों में से एक है। संपूर्ण मंदिर परिसर पुरातत्व ... और पढ़ें

देवी और देवस्थानउपाय

जून 2007

व्यूस: 5879

श्री संतोषी माता व्रत

श्री संतोषी माता व्रत

फ्यूचर समाचार

श्री संतोषी माता व्रत शुक्रवार व्रत के नाम से भी प्रसिद्द है। यह व्रत माह में पडने वाले किसी भी शुक्रवार या प्रत्येक शुक्रवार को किया जाता है। यह एक परम पवित्र व्रत है। जिसके श्रद्धा भक्ति पूर्वक करने और कथा श्रवण से सद्गृहस्थ प्र... और पढ़ें

देवी और देव

जुलाई 2007

व्यूस: 12923

सावन में सोमवारी व्रतों का महात्म्य

बारह मासों में सावन मास में ही शिवपूजन सबसे अधिक होता है। सावन मास में देश भर के शिवालय श्रदालुओं से पट जाते है। भगवान शंकर ने स्वयं अपने श्री मुख से ब्रह्माजी के मानस पुत्र सनतकुमार सावन मास की महिमा इस प्रकार बताई थी।... और पढ़ें

देवी और देवअन्य पराविद्याएंउपाय

जुलाई 2007

व्यूस: 14610

बारह महीनों में विशेष है श्रावण मास

श्रावण मास में शिव की पूजा करने से प्राय: सभी देवताओं की पूजा का फल मिल जाता है। इस मास में काल के देवता भगवान शिव की पूजा करना, कथा सुनना तथा पुराणों का श्रवण करना चाहिए। इसके अतिरिक्त कुत्सित विचारों का त्याग कर स्वभाव में नम्रत... और पढ़ें

घटनाएँदेवी और देवअन्य पराविद्याएंउपाय

जुलाई 2007

व्यूस: 11161

युगयुगीन है नागपूजन

युगयुगीन है नागपूजन

फ्यूचर समाचार

भारत वर्ष में पवित्र पुनीत श्रावण मास में संपादित होएं वाले पर्व त्योहारों में नाग पंचमी की अपनी अलग महिमा है। देश के अधिकतर भागों में यह पर्व श्रावण शुक्ल पंचमी को मनाया जाता है। किन्तु कुछ भागों में इसे कृष्णपक्ष में भी माने जान... और पढ़ें

देवी और देवअन्य पराविद्याएं

जुलाई 2007

व्यूस: 7469

शिव शक्ति रहस्य

शिव शक्ति रहस्य

फ्यूचर समाचार

निराकार ब्रह्मा जब साकार रूप धारण करता है, जब वह धारण करता है, तो शिव कहलाता है। और उसकी शक्ति मान भगवती ही मूल आदि शक्ति के नाम से विख्यात है। जीव कई पाशों में बंधा है। वह आत्मा –परमात्मा के दर्शन की चाह रखता है।... और पढ़ें

देवी और देवअन्य पराविद्याएं

जुलाई 2007

व्यूस: 30602

लिंग पूजन का विधान एवं महत्व

शिव के विभिन्न नामों के साथ-साथ लिंगोपासना की महिमा का वर्णन शास्त्रों में मिलता है। लिंग शब्द का साधारण अर्थ चिंह अथवा लक्षण है। देव-चिंह के अर्थ में लिंग शब्द शिवजी के ही लिंग के लिए आता है। पुराण में लयानालिंगमुच्यते कहा गया है... और पढ़ें

देवी और देवअन्य पराविद्याएंउपाय

जुलाई 2007

व्यूस: 10312

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