मंगलकारी मंगल से भयभीत न हो
मंगलकारी मंगल से भयभीत न हो

मंगलकारी मंगल से भयभीत न हो  

फ्यूचर समाचार
व्यूस : 11323 | आगस्त 2007

‘मयंक’ मंगल के कुछ अशुभ फल हैं, लेकिन वह शुभ फल देने वाला ग्रह भी है - चाहे वह कुंडली में कारक हो अथवा अकारक। मंगल कुंडली में किसी भी भाव में हो लेकिन अपनी राशि मेष या वृश्चिक का हो, उच्च राशि मकर अथवा नीच राशि कर्क में हो तो व्यक्ति किसी न किसी क्षेत्र में निश्चित रूप से प्रसिद्धि पाता है।

गल का अर्थ शुभ एवं कल्याण होता है। फिर क्या हम मंगल ग्रह को अशुभ या क्रूर कहकर मंगल शब्द का उपहास नहीं कर रहे हैं? ज्योतिष विज्ञान में मंगल को पराक्रम का कारक माना गया है। सौर परिवार में इसे सेनापति का दर्जा दिया गया है।

सामान्यतः लोग मंगल के नाम से भयभीत रहते हैं -विशेषकर जब कुंडली को मंगली कह दिया जाता है। किंतु मंगल मंगलकारी ग्रह है। कहा गया है-

धरणी गर्भ संभूतं विद्युत्कान्तिसमप्रभम्।

कुमारं शक्ति हस्तं तं मंगलं प्रणमाम्यहम्।।

अर्थात् जो धरती के गर्भ से उत्पन्न हुए हैं जिनकी प्रभा बिजली के समान लाल है, जो कुमार हैं तथा अपने कर में शक्ति लिए हुए हैं उन मंगल को मैं नमस्कार करता हूं। मंगल से बनने वाले सुनफा और अनफा योग, चंद्र, मंगल, शनि व शुक्र से बनने वाला इंद्र योग, पंचमहापुरुष योगों में से मंगल से बनने वाला रुचक योग, चंद्र-मंगल योग आदि व्यक्ति को संपन्न, सुखी, स्वस्थ, पराक्रमी एवं राजनीतिज्ञ बनाते हैं।

कई महापुरुषों की कुंडलियों में ये योग विद्यमान हैं। इतने अच्छे योग देने वाला मंगल कितना अमंगल कारी हो सकता है यह ज्योतिर्विदों के लिए शोध का विषय है। मंगल पृथ्वी के समीप का ग्रह है। इसे अंग्रेजी भाषा में मार्स, अरबी में मिरीख और फारसी में बेहराम के नाम से जाना जाता है।

यह सामान्यतः डेढ़ महीने में एक राशि को भोग लेता है। इसे मेष और वृश्चिक राशि का स्वामित्व प्राप्त है। मकर इसकी उच्च और कर्क नीच राशि है। यह नक्षत्रों में मृगशिरा, चित्रा और धनिष्ठा का स्वामी है। यह सिंह, धनु और मीन राशिया ंे स े मित्रवत व्यवहार रखता ह।ै

यह कन्या और मिथुन के साथ शत्रुता तथा वृष, तुला, मकर और कुंभ के साथ सम भाव रखता है। मंगल को पापी ग्रह माना गया है। जन्मांग का तीसरा और छठा भाव दोनों इसके कारकत्व में आते हंै। मंगल को युद्ध के देवता कार्तिकेय का ही स्वरूप माना गया है। यह जन्मांग में अपने स्थान से भाव 4, 7 एवं 8 पर पूर्ण दृष्टि रखता है क्योंकि इन भावों की रक्षा का भार सेनापति पर ही होता है।

यह भाव 3, 6, 10 व 11 में शुभ, 1, 2, 5, 7, 9 में अरिष्टकारक एवं भाव 4, 8, 12 में अति अरिष्टकारक माना गया है। यह ग्रह लाल रंग का है अतः इसे लोहितांग के नाम से भी जाना जाता है। जिस व्यक्ति के जन्मांग में मंगल ग्रह का सर्वाधिक प्रभाव होता है, वह औसत कद का, पतली कमर वाला, चिर युवा और स्थिर चित्त होता है। ऐसे व्यक्ति में बदला लेने की भावना तीव्र होती है।

मंगल जब अशुभ स्थिति में होता है, तो व्यक्ति को झूठा, चुगलखोर, कठोर, हिंसक, झगड़ालू आदि बना देता है। यह व्यक्ति के जीवन में 28 से 32 वें वर्ष की उम्र तक विशेष प्रभाव देता है। इसका मूलांक 9 है। मंगल और केतु मिलकर व्यक्ति को अहंकारी बना देते हैं और वह अपने अहंकार की तुष्टि करने के लिए दूसरों की हत्या करने से भी नहीं चूकता है। जब लग्न में मंगल व केतु बैठे हों

अथवा लग्न पर उनकी पूर्ण दृष्टि हो तथा पांचवें भाव पर शनि व राहु का प्रभाव हो, तो यह स्थिति बनती है। जब लग्न, लग्नेश, चंद्र लग्न, चंद्र लग्नेश, सूर्य लग्न आदि के अनुसार कुंडली पर मंगल का प्रभाव सर्वाधिक हो, तो व्यक्ति निम्नलिखित कार्यों में से कोई एक अपनाएगा।

नागरिक प्रशासन, सैन्य प्रशासन, वैधानिक प्रशासन, वकालत, विधिवेत्ता, भवन निर्माण, कृषि कार्य, खनिज, खनिज विज्ञान, भू-गर्भ विज्ञान, भूगोल, युद्ध कौशल, क्रीड़ा, चिकित्सा सर्जरी, कैंसर, रक्तचाप, उदर रोग, रति रोग आदि पशुपालन, वाहन विशेषज्ञता, शस्त्रनिर्माण, पुलिस सेवा, आभूषण निर्माण, अश्वारोहण, वास्तुकला स्थापत्यकला, प्राचीन कलाकृति विशेषज्ञता, भू उत्खनन आदि। मंगल और स्वास्थ्य: अशुभ स्थिति का मंगल स्नायुविकार, दुर्बलता, अल्सर, टाईफाॅइड, चर्म रोग, उदरविकार, गुप्तरोग, सिरदर्द आदि रोग देता है।

उसकी इस स्थिति के कारण व्यक्ति के जलने, गिरने, उसे चोट लगने की संभावना रहती है। यद्यपि मंगल के कुछ अशुभ फल हैं, लेकिन वह शुभ फल देने वाला ग्रह भी है - चाहे वह कुंडली में कारक हो अथवा अकारक। मंगल की निम्नलिखित स्थितियों पर विचार करना अत्यंत आवश्यक है जिन्हें उदाहरण कुंडलियों द्वारा स्पष्ट किया जा रहा है।

मंगल कुंडली में किसी भी भाव में हो लेकिन अपनी राशि मेष या वृश्चिक का हो, उच्च राशि मकर अथवा नीच राशि कर्क में हो, अथवा किसी भी राशि में होकर मेष, वृश्चिक, कर्क या मकर पर पूर्ण, चतुर्थ, सप्तम या अष्टम दृष्टि डालता हो, तो व्यक्ति ऊपर वर्णित किसी न किसी क्षेत्र में निश्चित रूप से प्रसिद्धि पाता है। ये क्षेत्र साहस व पराक्रम से संबंधित हैं और मंगल पराक्रम का कारक है।

किंतु कुंडली में कारक ग्रहों या उनकी राशियों पर मंगल का प्रभाव होना आवश्यक है। यह प्रभाव राशियों के साथ युति या उन राशियों में मंगल के स्थित होने से या उन पर पूर्ण दृष्टि होने से या उन राशियों के स्वामियों पर पूर्ण दृष्टि होने से पड़ता है।

कुंडली नं-1 एक सफल अभिनेता एवं राजनीतिज्ञ शत्रुघ्न सिन्हा की है। इन्हें सफलता दिलाने में मंगल की प्रमुख भूमिका का अवलोकन करें। मंगल अपने अनुकूल भाव तृतीय में अपनी नीच राशि में वृष लग्न के प्रबल कारक ग्रह शनि के साथ स्थित है। तृतीय भाव पराक्रम का भाव है। मंगल की पूर्ण दृष्टि लग्नेश एवं षष्ठेश शुक्र की तुला राशि पर तथा अपनी उच्च राशि स्थित चंद्र अर्थात मकर राशि पर है। वृष लग्न के लिए यह भाग्य भाव है। वहीं मंगल की अष्टम पूर्ण दृष्टि कुंभ राशि पर अर्थात दशम कर्म भाव पर है।

इस प्रकार वृष लग्न के लिए कारक ग्रहों बुध, शुक्र, शनि में से शनि एवं शनि की दोनों राशियां मंगल के पूर्ण प्रभाव में हैं। वहीं शुक्र और बुध मंगल की वृश्चिक राशि में हैं। सूर्य भी मंगल की राशि में है। चंद्र व शनि के बीच राशि परिवर्तन योग भी है। इस प्रकार कारक ग्रह, लग्नेश, चंद्र लग्न और सूर्य लग्न किसी न किसी रूप में मंगल के प्रभाव में हैं। मंगल के इस प्रभाव ने शत्रुघ्न सिन्हा को सफलता के शिखर तक पहुंचा दिया जबकि सामान्यतः वृष लग्न के लिए मंगल द्वादशेश एवं सप्तमेश होने के कारण प्रबल अकारक माना जाता है।

कुंडली नं-2 अर्जुन सिंह की है। वह एक सफल राजनीतिज्ञ हैं। वर्तमान में 75 वर्ष की उम्र में भी केंद्र की यू. पी. ए. सरकार में मानव संसाधन विकास मंत्रालय संभाले हुए हैं। अर्जनु सिंह की मिथुन लग्न की कुंडली में उन्हें इस ऊंचे ओहदे तक पहुंचाने में सर्वाधिक भूमिका मंगल ने निभाई है। मिथुन लग्न के लिए षष्ठेश एवं एकादशेश होने से प्रबल अकारक भी है। किंतु इस कुंडली में कारक ग्रह बुध, शुक्र व शनि हैं और इन तीनों पर मंगल का प्रभाव है।

If you are facing any type of problems in your life you can Consult with Astrologer In Delhi



Ask a Question?

Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

  • Health

  • Family

  • Marriage

  • Career

  • Finance

  • Business


.