मंगल के अनेक रंग रूप
मंगल के अनेक रंग रूप

मंगल के अनेक रंग रूप  

फ्यूचर समाचार
व्यूस : 11755 | आगस्त 2007

सौर मंडल में सभी ग्रह सूर्य के चारांे ओर चक्कर लगाते हैं। हमारी पृथ्वी का परिभ्रमण पथ मंगल और शुक्र ग्रहों के बीच है। परिभ्रमण के दौरान मंगल ग्रह कभी पृथ्वी के बहुत निकट चला आता है और कभी काफी दूर पर चला जाता है। इसलिए यह कभी छोटा और कभी बड़ा दिखाई देता है।

यह लगभग 687 दिनों में सूर्य की प्रदक्षिणा करता है। मंगल का व्यास पृथ्वी से लगभग आधा है। सूर्य से दूर होने के कारण यह आकाश में सरलता से देखा जा सकता है। मंगल उदित होने के लगभग 10 माह बाद वक्री होता है। फिर लगभग दो माह के बाद मार्गी होता है और उसके लगभग दस माह बाद अर्थात् उदय होने के लगभग 22 माह बाद अस्त हो जाता है।

मंगल आग की तरह लाल, उष्ण, अग्नि तत्व तथा तमोगुणी प्रकृति का ग्रह है। यह मेष एवं वृश्चिक राशियों तथा मृगसिरा, चित्रा, धनिष्ठा नक्षत्रों का स्वामी है। मेष राशि इसकी मूल त्रिकोण राशि भी है। सूर्य, चंद्र व गुरु इसके मित्र हैं जबकि बुध से इसकी शत्रुता है। मकर राशि में यह उच्च का और कर्क में नीच प्रवृत्ति का होता है।

आकाशीय संसद में सूर्य को राजा एवं मंगल को सेनापति का पद दिया गया है। मंगल उदर से पीठ, पुट्ठे, नाक, कपाल, स्नायु, जननेन्द्रियों के बाह्य भाग का कारक माना गया है। यह कुष्ठरोग, रक्त विकार, ज्वर, व्रण, चोट, रक्तस्राव, विषपान, नेत्र रोग आदि का भी कारक है।

भाई, पृथ्वी, पुत्र सुख, निर्माण कार्य, झगड़ा ससुराल, आग आदि इसके प्रभावाधीन आते हैं। मंगल घोर स्वाभिमानी, अनुशासन प्रिय, अत्यधिक कठोर क्षत्रिय (सेनापति ) स्वभाव का कारक ग्रह है।

ऐसा स्वभाव सामान्य रूप में असहनीय होता है और इसीलिए मंगल को क्रूर, पापी स्वभाव और पुरुष प्रकृति का ग्रह माना गया है। जन्मकुंडली में मंगल अपने स्थान से चतुर्थ, सप्तम एवं अष्टम स्थान को देखता है। चतुर्थ स्थान सुख का, सप्तम स्थान जीवनसाथी एवं भागीदार का तथा अष्टम स्थान आयु व मृत्यु का है।

मंगल क्रोध, उत्तेजना एवं आवेश का द्योतक है। क्रोध व उत्तेजना की स्थिति में विवेक का साथ छूट जाता है, जातक सुख से वंचित हो जाता है और जीवन साथी व सहयोगी से अनबन या वैचारिक मतभेद के कारण उनका साथ व सहयोग छूट जाता है जिससे उसका जीवन कष्टमय बन जाता है और उसकी जीवन शक्ति आयु का ह्रास होता है।

मंगल जन्मकुंडली के तीसरे और छठे भाव का कारक ग्रह है। यदि मंगल अपनी राशि में या उच्च का होकर केंद्र भाव में स्थित हो, तो रुचक नामक योग बनता है जिसमें उत्पन्न जातक मजबूत, आकर्षक, बलवान, धनी और राजा या उसके समकक्ष होता है। मंगल का अर्थ शुभता, मांगलिकता, मधुरता, अनुकूलता से है।

यह पराक्रम, शौर्य, बल व साहस का प्रतीक है। यदि मंगल बली एवं शुभ प्रभाव में हो, तो यह शक्ति, सामथ्र्य, भू-सम्पत्ति एवं वैभव देता है और व्यक्ति को तेजस्वी, बलवान, निपुण, आत्मनिर्भर, स्वाभिमानी, स्पष्ट व्यवहारवादी, पराक्रमी नायक (अगुवा ) बनाता है।

किंतु यदि निर्बल व अशुभ प्रभाव में हो, तो जातक को क्रोधी, आलसी, धोखेबाज, मूर्ख, हठी, झगड़ालू और कुकर्मी बनाता है और जातक अपनी इन आदतों से अपना नुकसान कर जीवन को कष्टमय बना लेता है।

महान पराक्रमी एवं लोकप्रिय सम्राट पृथ्वीराज चैहान की जन्मकुंडली 1 में मंगल लग्नेश होकर सप्तम भाव में स्थित है और लग्न को पूर्ण दृष्टि से देख रहा है। मंगल पर दशमेश (राज्येश) व एकादशेश (लाभेश) शनि की तृतीय उच्च दृष्टि मंगल को और बल प्रदान कर रही है। पराक्रम स्थान (तृतीय भाव) में उच्च का राहु भी मंगल को पंचम दृष्टि से देख रहा है। पराक्रमेश बुध, धनेश शुक्र एवं भाग्येश गुरु दशम भाव (राज्य स्थान) में विराजमान हैं। उन पर लग्नेश मंगल की चतुर्थ उच्च दृष्टि ने उन्हें और बल प्रदान किया जिसके फलस्वरूप जातक महान पराक्रमी एवं योग्य शासक बने।

जन्मकुंडली 2 प्रसिद्ध दस्यु मानसिंह की है। यहां लाभेश मंगल अष्टम भाव में है। अष्टमेश बुध उच्च का होकर एकादश भाव में नीच के शुक्र (द्व ादशेश) के साथ है जिस पर मंगल की चतुर्थ दृष्टि है। मंगल की मूल त्रिकोण राशि मेष में षष्ठ भाव में राहु है जिस पर शनि (पराक्रमेश) की तृतीय नीच दृष्टि है जिसके कारण राहु का शनि युक्त प्रभाव मंगल ने अर्जित किया। मंगल की सप्तम दृष्टि द्वितीय (धन) भाव तथा अष्टम उच्च दृष्टि तृतीय (पराक्रम) भाव पर पड़ रही है और दूषित मंगल षष्ठेश होकर षष्ठ से षष्ठ अर्थात एकादश भाव को भी चतुर्थ दृष्टि से देख रहा है। फलस्वरूप जातक ने धन संचय हेतु डकैती, हिंसा और आतंक का सहारा लिया। शनि की दशम दृष्टि लग्नेश स्थित गुरु पर पड़ने से बुद्धि बल का दुरुपयोग हुआ और जातक के जीवन की दिशा भटक गई।

जन्मकुंडली 3 में मंगल षष्ठेश व एकादशेश (षष्ठम से षष्ठम) का स्वामी है और दोनों भाव हिंसा प्रधान हैं। मंगल लग्न में है जिस पर नीच शनि की तृतीय दृष्टि व केतु की नवम दृष्टि है जो उसके पाप प्रभाव को और बढ़ा रही है। दूषित मंगल की चतुर्थ दृष्टि चंद्र (मन) एवं गुरु (बुद्धि) को भी दूषित कर रही है। मंगल बुध की राशि में लग्न में है जिससे लग्न व लग्नेश बुध दूषित हो रहे हैं। लग्नेश बुध द्वादश भाव में है जो मंगल से तो दूषित है ही, एक ओर शनि व दूसरी ओर मंगल के होने के कारण पापकर्तरी योग में भी है। बुध स्वयं भी सूर्य व राहु के साथ है। इस प्रकार मन, बुद्धि व विवेक के दूषित होने से जातक ने (नाथूराम गोडसे) महात्मा गांधी जैसे महापुरुष की हत्या का दुष्कर्म किया।

कुंडली 4 जर्मनी के तानाशाह शासक हिटलर की है। मंगल स्वराशि का सप्तम (कंेद्र) स्थान में स्थित होकर रुचक योग बना रहा है। उच्च के सूर्य (एकादशेश लाभेश), बुध (नवमेश भाग्येश) व शुक्र (लग्नेश) के साथ होने से मंगल बली है। गुरु अपनी राशि धनु में तृतीय (पराक्रम) भाव में है जहां दशमेश (राज्येश) चंद्र भी विराजमान है। उच्च राशि (धनु) स्थित केतु गुरु एवं चंद्र के बल में अतिशय वृद्धि कर रहा है। फलस्वरूप जातक एक साधारण सैनिक से जर्मनी का शासक एवं पराक्रमी योद्धा बना। मंगल पर शुभ प्रभाव के अतिरिक्त अशुभ प्रभाव भी है। मंगल पर शनि की दशम नीच दृष्टि तथा केतु की पंचम दृष्टि है। मंगल पर अष्टमेश शुक्र व द्वादशेश बुध का भी प्रभाव है। इन अशुभ प्रभवों ने उसके पराक्रम एवं बुद्धि को दूषित किया और उस पर विध्वंसकारी प्रभाव डाला। फलस्वरूप जातक की विचारधारा एवं प्रवृत्ति तानाशाह शासक की हो गई और उसकी निष्ठुरता व विनाशकारी प्रवृत्ति उसे पतन की ओर ले गई।

जन्मकुंडली 5, जो कि योगिराज अरविंद घोष की है, में पंचमेश व दशमेश मंगल लग्न में नीच का है जहां गुरु (षष्ठेश व भाग्येश) उच्च के होकर विराजमान है। फलस्वरूप मंगल का नीचत्व भंग हो गया और उसे गुरु का शुभत्व भी मिला। चंद्र (मन) और गुरु (ज्ञान) की प्रतिस्थिति है क्योंकि गुरु चंद्र की राशि कर्क एवं चंद्र व गुरु की राशि धनु में है। यह योग श्रेष्ठ फलदायक होकर मन से ज्ञान प्राप्ति की स्थिति दर्शाता है।

If you are facing any type of problems in your life you can Consult with Astrologer In Delhi



Ask a Question?

Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

  • Health

  • Family

  • Marriage

  • Career

  • Finance

  • Business


.