राहुल गांधी का राजनीतिक भविष्य
राहुल गांधी का राजनीतिक भविष्य

राहुल गांधी का राजनीतिक भविष्य  

फ्यूचर समाचार
व्यूस : 9540 | नवेम्बर 2007

केरत के इतिहास में नेहरू एवं गांधी जी का बलिदान सभी को मालूम है। 1964 में नेहरू जी के स्वर्गवास के बाद लाल बहादुर शास्त्री सिर्फ 18 महीने के लिए भारत के प्रधानमंत्री बने। फिर इंदिरा गांधी 18 साल 1984 तक प्रधान मंत्री पद पर रहीं। इस बीच सन् 1977 से सन् 1979 तक सत्ता उनके हाथ नहीं रही।

इंदिरा ने जो भारत के लिए किया, उनके बाद जो भी इस पद पर आए, नहीं कर पाए। इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राजीव गांधी ने देश की बागडोर संभाली और पूरी सूझबूझ के साथ शासन चलाया। पर दुःख की बात है कि जब सब कुछ ठीक चल रहा था, पेरुंबुदूर में उनकी निर्मम हत्या कर दी गई।

उनके बाद सोनिया गांधी को अलग रखकर नरसिंह राव ने यह पद संभाला पर वह कुछ खास नहीं कर पाए। फिर वाजपेयी आए और पांच वर्षों का कार्यकाल पूरा किया किंतु अपने सहयोगियों के असहयोग के कारण शासन सुचारू रूप से नहीं चला पाए।

उनके बाद डाॅ. मनमोहन सिंह ने गद्दी संभाली और अभी बने हुए हैं किंतु देश के राजनीतिक मानचित्र पर सोनिया गांधी हर तरफ छाई हुई हैं और यह लगभग तय है कि उनकी छत्रछाया में बढ़ रहे युवा नेता और कांग्रेस महासचिव रहे युवा नेता और कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी आने वाले समय में देश के प्रधानमंत्री बनेंगे। इस देश में गांधी परिवार के बलिदान को इतिहास सदैव याद रखेगा।

सोनिया गांधी इसी परिवार की बहू हैं और वर्तमान समय में अपने कई सहयोगियों के साथ परोक्ष रूप से शासन चला रही हैं। परंतु समय आएगा जब भारत की जनता सोनिया जी को ही आगे देखना पसंद करेगी क्योंकि भारत एक धर्म निरपेक्ष देश है और वि.ि भन्न धर्मों और जातियों को जो सुचारु रूप से संभाल पाए वही शासन कर सकता है।

यह कार्य नेहरू जी, इंदिरा जी और राजीव जी ने बखूबी निभाया था। वर्तमान समय में सोनिया जी पर भी लोगों की आस्था है। सोनिया के पुत्र राहुल गांधी जी राजनीति में तब परिपक्व होंगे जब उनकी राहु की महादशा आएगी और यह महादशा 2024 से शुरू होगी। वर्तमान समय में सूर्य की दशा में उन्होंने राजनीति में प्रवेश किया है।

पिछले दिनों चंद्र की महादशा और चंद्र की अंतर्दशा में ही वह कांग्रेस के महासचिव बने हैं। अभी इससे ऊंचा पद नहीं मिल पाएगा बल्कि उनकी कुछ आलोचना होगी क्योंकि जब कोई ग्रह अपनी दशा अंतर्दशा में फल दे देता है तो वह अपनी आगे की दशा में उचित फल नहीं दे पाता।

इसका एक कारण यह भी है कि कुंडली में चंद्रमा नीच का है और नीच भंग नहीं हो रहा है। चंद्र की महादशा में चंद्र की अंतर्दशा 3.2.2008 तक चलेगी। फिर चंद्र में मंगल की दशा की दशा 3.9.2008 तक चलेगी किंतु इस दौरान भी शुभ फल नहीं मिलेगा। फिर चंद्र में राहु की दशा 3.3.2010 तक चलेगी जो शुभ होगी।

इस तरह चंद्र की महादशा और मंगल की महादशा में उतार-चढ़ाव चलता रहेगा। वर्तमान समय में चंद्र की महादशा में चंद्र की अंतर्दशा 3.2. 2008 तक चलेगी जैसा कि ऊपर कहा गया है। यह समय उनके लिए बहुत अच्छा समय है। इसलिए उनके दल का लोकसभा में दबदबा बना रहेगा। जनता के बीच विश्वास बढ़ेगा, जहां भी जाएंगे लोग सम्मान देंगे। परंतु 4‑4.2007 से चंद्र की महादशा शुरू हुई।

चंद्र की दशा 2017 तक रहेगी। चंद्र की महादशा में काफी उतार-चढ़ाव के साथ जीवन बीतेगा क्योंकि नीच का चंद्रमा छठे स्थान में है, इस दौरान उनके विरोधियों की संख्या में वृद्धि होगी। षष्ठेश मंगल लग्न में अस्त होकर बृहस्पति की दृष्टि में है इसलिए मंगल की महादशा में मंगल की अंतर्दशा में अप्रैल 2017 से अगस्त 2017 के मध्य शारीरिक कष्ट, कोर्ट कचहरी और आलोचना का सामना करना पड़ सकता है।

अगस्त 2017 के पश्चात मंगल की महादशा में राहु की अंतर्दशा उनके लिए लाभकारी रहेगी। फिर भारत की बागडोर उनके हाथ आएगी और वह प्रधानमंत्री बनेंगे क्योंकि भाग्य स्थान में राहु और शनि पर बृहस्पति की दृष्टि यह सारी ग्रह स्थिति उनको चमकाएगी। वैसे मिथुन लग्न की कुंडली में नीच का एकादशस्थ का शनि राजयोग देता है।

If you are facing any type of problems in your life you can Consult with Astrologer In Delhi



Ask a Question?

Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

  • Health

  • Family

  • Marriage

  • Career

  • Finance

  • Business


.