दीपावली पर लक्ष्मी प्राप्ति एवं सुख-समृद्धि
दीपावली पर लक्ष्मी प्राप्ति एवं सुख-समृद्धि

दीपावली पर लक्ष्मी प्राप्ति एवं सुख-समृद्धि  

फ्यूचर समाचार
व्यूस : 11914 | नवेम्बर 2007

प्रश्न: दीपावली पर लक्ष्मी प्राप्ति एवं सुख-समृद्धि के लिए कौन-कौन से तांत्रिक प्रयोग किए जा सकते हैं?

संपूण्र् ा विधि एवं प्राप्त होने वाले लाभों का विस्तार से विवरण दें। श्रीसंवत् 2064 सन् 2007 में दीपावली पर्व 9 नवंबर दिन शुक्रवार को मनाया जाएगा। इस दिन स्थिर लग्न में सुख-समृद्धि व वैभव दात्री श्री महालक्ष्मी का पूजन प्रत्येक घर में किया जाना चाहिए।

दीपावली के अवसर पर मात्र एक दिन का समय माता लक्ष्मी, माता सरस्वती, माता गायत्री, गणेश जी, हनुमान जी आदि को समर्पित करने से घर में वर्ष पर्यंत सुख, शांति, धन, समृद्धि, ऐश्वर्य, वैभव बना रहता है। माता लक्ष्मी उसी घर में वास करती है, जहां साज-सफाई रहती है, माता-पिता, गुरुजन व सभी पूज्यों का सम्मान होता है, बच्चों पर स्नेह की वर्षा होती है, पूर्वजों को विशेष समय, उत्सवादि पर स्मरण किया जाता है तथा नित्य प्रातः व सायं कुल देवी-देवता, इष्ट देवी-देवता और नवग्रहों का पूजन किया जाता है।

समय-समय पर भजन, कीर्तन, कथा आदि होते रहते हैं। यज्ञ से सुख शांति, धन समृद्धि व वैभव की प्राप्ति होती है। संध्या के पश्चात काली उड़द के दो साबुत पापड़ लेकर उस पर थोड़ा सा दही और सिंदूर डाल दें और उसे पीपल के पेड़ के नीचे रख दें। तिल के तेल से युक्त आटे से बना चैमुखी दीपक भी पीपल के पेड़ के नीचे जड़ के पास जला दें। अपनी मनोकामना कहें तथा कष्ट, परेशानियों को वहीं छोड़ जाने की बात कहें। सीधे घर आकर अपने हाथ-पैर धो लें। ध्यान रहे आने-जाने में कोई टोके नहीं। मनोकामना पूर्ण होगी। धन, सुख, समृद्धि में वृद्धि होगी।

रात्रि के प्रारंभ में तेल का एक दीपक घर के दरवाजे पर एक कौड़ी डालकर रखें। ग्यारह या इक्कीस दीपक अपने घर के समीप के मंदिर में रखें। तेल के ही एक सौ आठ दीपक अपने घर के खुले स्थान में चारों ओर रखें। तेल का एक बड़ा दीपक व घी के ग्यारह दीपक अपने पूजा स्थल पर रखें। पूजा स्थल पर रखे दीपक तभी प्रज्वलित करें जब पूजा का समय हो।

दरवाजे पर रखे दीपक में से कौड़ी ब्रह्म मुहूर्त तक कभी भी निकाल कर अपनी तिजोरी में रखें, धन की वृद्धि होगी। सरसों के तेल से दरिद्रता दूर भागती है, सुख समृद्धि में वृद्धि होती है और भूत-प्रेत, ऊपरी बलाएं आदि पास नहीं आ पाते। एक दीपक तुलसी के समीप अवश्य रखें। रात्रि को मुख्य पूजन में अपने बही खाते, कलम, पर्स, सोना-चांदी, रत्न, आभूषण, धन आदि रखें। विद्यार्थीगण अपनी पुस्तकें अवश्य रखें। इससे सभी कामनाएं पूरी होती हैं।

इसके अतिरिक्त श्री यंत्र, एकाक्षी नारियल, श्रीफल, शंख मालाओं और सभी देवी देवताओं की मूर्तियों का भी पूजन अवश्य करें। रात्रि को ग्यारह से एक बजे के मध्य निम्नलिखित मंत्र का कमलगट्टे या स्फटिक की माला से ग्यारह बार जप करें तथा हर एक माला पूरी होने पर अपनी मनोकामना कहें। ¬ ह्रीं क्लीं महालक्ष्म्यै नमः ध्यान रहे इस दिन संपूर्ण घर या व्यावसायिक स्थल प्रकाशवान रहे।

किसी भी कमरे में अंधेरा न रहे। ऊपर वर्णित कार्य पूजादि करने से सुख, शांति, धन, संपत्ति, वैभव, ऐश्वर्य आदि की प्राप्ति होती है। आध्यात्मिक वस्तुओं की पूजा महालक्ष्मी के पूजन में श्री यंत्र, कनकधारा यंत्र, कुबेर यंत्र, एक मुखी रुद्राक्ष, एकाक्षी नारियल, श्रीफल, कौड़ी, दक्षिणावर्ती शंख, गोमती चक्र, उच्छिष्ट, गणपति, श्वेतार्क गणपति, हत्था जोड़ी, एकाक्षी नारियल, बिल्ली की जेर, कुंकुम, काली हल्दी, मोती शंख, कमलगट्टे की माला, हकीक पत्थर, लघु शंख, इत्र, स्फटिक की माला, पारदेश्वरी महालक्ष्मी, कमल पुष्प, धनदा यंत्र, लक्ष्मी बीसा यंत्र आदि विभिन्न आध्यात्मिक वस्तुओं का प्रयोग होता है।

मंत्र सिद्ध और प्राण प्रतिष्ठित एकाक्षी नारियल साक्षात लक्ष्मी का प्रतीक होता है। चैकी पर लाल वस्त्र बिछाकर, लाल या पीले चावल (चंदन एवं हल्दी मिश्रित) के आसन पर स्थापित करें। नारियल पर घी और सिंदूर का लेप तथा स्वर्ण या रजत वर्क लगाकर मौली लपेटें। फिर गंध, अक्षत, पुष्प, गुलाब, गुग्गुल, दीप और नैवेद्य से उसकी पूजा करें। अब निम्न मंत्र का यथासंभव जप करें।

¬ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं महालक्ष्मी स्वरूपाय एकाक्षी

नारिकेलाय नमः सर्वसि(ि कुरु कुरु स्वाहा।

इसके अतिरिक्त हत्थाजोड़ी, बिल्ली की जेर और सिंयार सिंगी इन तीनों तांत्रिक वस्तुओं को चांदी की एक डिब्बी में रखकर उसे सिंदूर से पूरा भर दें। फिर उसे घर या पूजा कक्ष में रख दें और नित्य प्रातः काल स्नानादि कर उस डिब्बी को धूप, दीप, अगरबत्ती दिखाएं। ऐसा करने से घर या व्यापारिक प्रतिष्ठान में किया गया हर तांत्रिक प्रयोग सदा के लिए दूर हो जाएगा और स्थिर लक्ष्मी का वास होगा। शाबर मंत्र साधना दीपावली की रात्रि में शाबर मंत्र सहज ही सिद्ध हो जाते हैं।

इस अवसर पर धूप, दीप और अगरबत्ती जलाकर इस मंत्र का जप करें। भंवर वीर तू चेला मेरा, खोल दुकान कहा कर मेरा, उठे जो डंडी बिके जो माल भंवर वीर सो नहीं जाय। अपने आगे काले उड़द रख कर मंत्र का यथासंभव जप करें। सुबह उस उड़द को अपने व्यापार स्थल पर डाल दें। यह क्रिया 3 रविवार करें।

इससे आपके व्यापार में बिक्री बढ़ जायेगी। सर्वकार्य सिद्धि शाबर मंत्र किसी भी प्रकार की सफलता प्राप्त करनी हो तो इस मंत्र का प्रयोग करें। इसका 31 माला जप करें तो यह सिद्ध हो जाता है। ¬ नमो महादेवी सर्वकार्य सिद्धकरणी जो पाती पूरे ब्रह्म, विष्णु, महेश तीनों देवतन मेरी भक्ति गुरु की शक्ति श्री गोरखनाथ की दुहाई फुरो मंत्र ईश्वरो वाचा। पद्मावती साधना श्री महालक्ष्मी का दूसरा नाम पद्मावती है। इनकी साधना में पूर्ण सिद्धिप्रद एवं प्राण प्रतिष्ठित पद्मावती यत्रं एव ं अभिमंि त्रत स्फटिक माला की आवश्यकता होती है।

एक स्टील की थाली में चंदन से ¬ पद्मावत्यै नमः लिखकर उस पर श्वेत पुष्प और चावल की ढेरी पर श्री पद्मावती यंत्र को स्थापित करें। फिर मंत्र का 7 माला जप करें। पद्मावती साधना की कोई भी सामग्री विसर्जित नहीं की जाती है। भगवती पद्मावती श्रीमहालक्ष्मी का दिव्यतम रूप हैं। जिनकी साधना से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। भगवती पद्मावती अपने साधकों को ऐश्वर्य प्रदान करती हैं और उनकी कृपा से व्यापार में वृद्धि, घर में सुख शांति तथा सभी प्रकार के लाभ की स्थिति बनती है। ¬ नमो भगवती पद्मावती सर्वजन मोहिनी सर्वकार्य कारिणी मम विकट संकट संघारिणी मम महामनोरथ पूरणी मम सर्व चिंता चूरणी ¬ पद्मावत्यै नमः स्वाहा। दीपावली के बाद इस मंत्र का नित्य एक माला जप करें।

स्थायी लक्ष्मी प्राप्ति के लिए इस साधना को अहोई की मध्य रात्रि से आरंभ करे, दीपावली की मध्य रात्रि तक करें। साधना काल में यह कामना करें कि लक्ष्मी मेरे घर में स्थायी रूप से निवास करे। लक्ष्मी का पजू न सगु ध्ं ा, कमु कमु , अक्षत, पष्ु प, केसर, खील और गौ दुग्ध के नैवेद्य तथा तांबुल एवं सुपारी से करें। प्रसाद रूप में इलायची, मिश्री, पीली बरफी अर्पित करें। कमलगट्टे की माला से निम्न मंत्र की 21 माला जप करें।

जप की संपूर्णता पर कर्पूर से लक्ष्मी जी की आरती कर क्षमस्व महालक्ष्मी कहकर स्थान छोड़ें। ¬ ह्रां ह्रीं ह्रौं महालक्ष्मी मम गृहे आगच्छ स्थापना कुरु कुरु। दीपावली की रात्रि के बाद इस मंत्र का जप नित्य करें। अगर साधना काल में घर से बाहर जाना पड़े, तो बाहर भी यह साधना निरंतर कर सकते हैं। दीपावली के अवसर पर श्री सूक्त का पाठ करें।

श्री सूक्त की ऋचाओं का हवन करने से भी मां लक्ष्मी अपने साधकों पर प्रसन्न होती है। इस प्रकार दीपावली पर विभिन्न तांत्रिक साधनाओं के द्वारा साधक जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकता है। निम्नलिखित मंत्र का जप एवं पूजा आदि दीपावली की रात्रि से प्रारंभ करके आगे भविष्य में करें तो वर्ष भर लक्ष्मी प्राप्ति के साथ-साथ समृद्धि की प्राप्ति होती रहती है। प्रचुर धन हेतु निम्नलिखित मंत्र का 72 दिनों में सवा लाख जप और उसका सवा हजार आहुति द्वारा हवन करंे। इस क्रिया में धूप, दीपक, नैवेद्य का प्रयोग भी करें।

मंत्र: ¬ श्रीं ह्रीं क्लीं त्रिभुवन महालक्ष्म्यै मम दारिद्र नाशय प्रचुर धन देहि देहि क्लीं ह्रीं श्रीं ¬। धन लाभ हेतु दीपावली की रात्रि महालक्ष्मी जी के पूजन के पश्चात् वैभव लक्ष्मी का संकल्प लेकर पूजन करें और प्रत्येक शुक्रवार को व्रत करें। ऐसा 21 शुक्रवार तक करें, धन लाभ होगा।

समृद्धि हेतु: दीपावली की रात्रि महालक्ष्मी जी का पूजन करते समय लाल हकीक की पूजा भी करें और फिर इसे धारण करें। ऐसा करने से वर्षपर्यन्त समृद्धि प्राप्त होगी।

व्यवसाय से अधिक लाभ हेतु : रोज कार्यस्थल पर जाने के पूर्व निम्नलिखित एक माला जप करें, अदभुत लाभ होगा।

¬ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं क्रीं क्लीं श्रीं महालक्ष्मी मम गृहे

धनं पूरय पूरय चिन्तायै दूरय दूरय स्वाहा

कार्य स्थल पर जाएं तो वहां बैठ कर धूप एवं दीप जलाकर गुरु गोरखनाथ का ध्यान करते हुए निम्न मंत्र का एक माला जप करें। यह प्रयोग दीपावली से प्रारंभ करें। श्री शुक्ले महा शुक्ले। कमल दल निवासे श्री महालक्ष्मी नमो नमः लक्ष्मी माई सत की सवाई। आओ चेतो करो भलाई। भलाई ना करो तो सात समुद्रों की दुहाई। ऋद्धी रखोगे तो नौ नाथ चैरासी सिद्धों गुरु गोरखनाथ की दुहाई। 

दीपावली की रात निम्नलिखित महालक्ष्मी मंत्र का कमलगट्टे की माला पर कम से कम 51 बार जप और 5 माला हवन करें। फिर नित्य एक माला पढ़ कर कार्य स्थल पर जाएं। मंत्र: ¬ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ¬ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः 

दीपावली से प्रारंभ करके नित्य इस मंत्र का एक माला जप करें। मंत्र: ¬ महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णुपत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मीः प्रचोदयात्।। संपत्ति वैभव के लिए मां भगवती कमला जी का यंत्र लेकर उसकी विधिवत प्राण प्रतिष्ठा करें। फिर एक थाली में केसर से श्रीं लिखकर इस यंत्र को उसमें स्थापित कर उसकी धूप, दीप, पुष्प, मिठाई, रोली, कुमकुम, केसर से पूजा करें। संभव हो तो दीप मंे चमेली का तेल डालें।

फिर निम्नलिखित मंत्र का कमलगट्टे की माला से नित्य 21 माला लगातार जप करें। यह क्रिया दीपावली की रात्रि से आरंभ करें। मंत्र: ¬ ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं ह्रसौः जगत्प्रसूत्यै नमः इस क्रिया के बाद यंत्र को लाल वस्त्र में लपेट कर तिजोरी में रखें एवं माला को लक्ष्मी विष्णु के मंदिर में अर्पित या नदी में प्रवाहित कर दें। आर्थिक अनुकूलता के लिए इस साधना के लिए किसी थाली में चावल बिछाएं।

फिर एक जटा नारियल पर कुमकुम से ‘श्री’ लिखकर उसे चावल के ऊपर स्थापित कर दें। अब महालक्ष्मी यंत्र ले कर नारियल के आगे रख दें। इसका पूजन रोली, कुमकुम, पुष्प, फल, मिठाई, दूध, धूप दीप से करें। यह साधना दीपावली की रात्रि से आरंभ करके लगातार 7 दिनों तक करें। इसमें निम्नलिखित मंत्र का कमलगट्टे की माला से नित्य जप करें। जप के अंतिम दिन किसी ब्राह्मण को भोजन करा कर चावल, नारियल एवं कुछ दक्षिणा दें। मंत्र: ¬ ऐं श्रीं महालक्ष्म्यै कमल धारिण्यै गरुड़ वाहिन्यै श्रीं ऐं नमः। दरिद्रता दूर करने के लिए निम्नलिखित सारे प्रयोग दीपावली की रात्रि में करें। 

एक लकड़ी के पटरे या चैकी पर गेहूं के सात ढेर रखें। फिर सात श्रीफल रख कर चंदन, रोली, कुमकुम पुष्प, अक्षत, कलश, धूप, दीप, पैसे आदि चढ़ा कर निम्नलिखित मंत्र का स्फटिक या सफेद हकीक की माला से जप करें। जप की समाप्ति पर समस्त सामग्री को नदी में प्रवाहित करें। मंत्र: ¬ नमः कमलवासिन्यै स्वाहा 

एक कटोरी में 5 श्रीफल रखें फिर उसे गंगा जल से स्नान करा कर उसके ऊपर कलावा लपेट दें और कुमकुम, लौंग, इलायची, कपूर, अक्षत, नैवेद्य, धूप, दीप, पुष्प से उसकी पूजा करके निम्नलिखित मंत्र का कमलगट्टे की माला से जप एवं इसी मंत्र से दो माला हवन करें। जप के समाप्त होने पर श्रीफलों को अपने पूजा स्थान में रख दें। मंत्र: ¬ श्रीं श्रियै नमः 

पीले रंगे हुए चावल के ढेर पर एक मोती शंख स्थापित कर पूजा केसर, पीले अक्षत, पीले फूल, धूप, दीप, मिठाई एवं फल से उसकी करें। फिर निम्नलिखित मंत्र का स्फटिक या कमलगट्टे की माला से जप एवं दो माला हवन करें। जप के बाद समस्त सामग्री को जल में प्रवाहित कर दें। मंत्र: ¬ श्रीं ह्रीं क्रों ऐं।

एक चैकी पर पीला वस्त्र बिछाकर उस पर चावल की ढेरी बनाएं। फिर उस पर लघु दक्षिण् ाावर्ती शंख रख कर उसका केसर, पीले अक्षत, इत्र, फूल, धूप, दीप एवं पैसे से पूजन करें। फिर निम्नलिखित मंत्र का कमलगट्टे की माला से जप करें। जप के बाद सामग्री को नदी में प्रवाहित कर दें। मंत्र: ¬ ह्रीं श्रीं क्लीं त्रौलोक्य व्यापी ह्रीं श्रीं क्लीं धन वृ(िं कुरु कुरु स्वाहा। 

निम्नलिखित महालक्ष्मी मंत्र का कमलगट्टे की माला से एक माला जप नित्य करें। यह क्रिया दीपावली से आरंभ करें। मंत्र: ¬ श्रीं ह्रीं ऐं महालक्ष्म्यै कमल धारिण्यै सिंहवाहिन्यै स्वाहा।। दीपावली की रात्रि ¬ श्रीं ऐश्वर्यलक्ष्म्यै ह्रीं नमः मंत्र को भोजपत्र पर अष्टगंध से लिखें। फिर इस भोजपत्र को लक्ष्मी जी के चित्र के आगे रखकर इस मंत्र का कमल गट्टे की माला पर जप करें। फिर रोली, अक्षत, धूप, दीप, इत्र, शहद से इसका पूजन कर के भोजपत्र को ताबीज में भर दाहिनी भुजा में धारण करें।

सौभाग्य के लिए : दीपावली की रात्रि एक चैकी पर लाल वस्त्र बिछा कर उस पर गेहूं से स्वस्तिक बनाएं। फिर इस स्वस्तिक पर एक थाली रखें एवं कुमकुम से ‘गं’ लिख कर इसके ऊपर श्वेतार्क गणपति और एक श्रीफल रख दें। फिर उसके सामने कुमकुम की 7 बिंदिया बनाएं। इन बिंदियों पर 7 कौड़ियां रख कर उन पर कुमकुम का तिलक लगाएं। फिर रोली, लाल चंदन, अक्षत, इत्र, धूप, दीप, मिठाई व फूल चढ़ाए और लाल चंदन की माला से निम्नलिखित मंत्र का 5 माला जप करें। मंत्र: ¬ सर्व सि(ि प्रदोयसि त्वं सि(ि बु(िप्रदो भवः श्रीं। इसके अगले दिन कुछ कन्याओं को पीली मिठाई का भोजन कराएं और दान दक्षिणा देकर विदा कर दें। श्वेतार्क को पूजा स्थान में रख दें और बाकी पूजन सामग्री को जल में प्रवाहित कर दें। 

एक चैकी पर पीला वस्त्र बिछाकर उस पर एक थाली रखें। थाली के बीच में कुमकुम से श्रीं अक्षर लिखें। फिर श्रीं के ऊपर महालक्ष्मी यंत्र रख कर पांच कौडियां रख कर। कुमकुम, रोली, चंदन, धूप, दीप, अक्षत, फल, फूल एवं कुछ पैसे चढ़ा कर पूजा करें। पूजन के बाद निम्नलिखित मंत्र का कमलगट्टे की माला से 5 माला जप करें। मंत्र: ¬ श्रीं श्रीं ह्रीं ह्रीं ऐश्वर्य महालक्ष्म्यै पूर्ण सि(ि देहि देहि नमः। यह प्रयोग अगले दो दिनों तक करें। चैथे दिन सभी समानों को नदी में प्रवाहित कर दें। 

दीपावली की रात्रि चैकी पर लाल वस्त्र बिछाकर उस पर चावल से षट्कोण बनाएं। अब उस पर तांबे की एक प्लेट रख दें। फिर प्लेट में पारद लक्ष्मी स्थापित कर। कुमकुम, हल्दी, लाल चंदन रोली, कसे र, अष्टगध्ं ा, इत्र, धपू , दीप, अक्षत, नैवेध, फल, फूल, मिठाई आदि से उसकी पूजा करें। इसके बाद एक शंख में अष्टगंध वाला जल रखें और निम्नलिखित मंत्र का कमल गट्टे की माला से एक माला जप करें। जप पूरा हो जाने पर शंख में रखा जल पारद लक्ष्मी जी के ऊपर चढ़ाएं। इस तरह जप 21 बार करें। और बचा जल घर म ंे सभी स्थाना ंे म ंे छिडक़ द।ंे मंत्र: ¬ ऐं ह्रीं विजय वरदाय देवी ममः 

एक चैकी पर लाल वस्त्र बिछाकर उस पर पारद लक्ष्मीजी को स्थापित करें। फिर 7 कौडियों को लक्ष्मीजी के ऊपर से उतारते हुए उनके चरणो में रखें। कौडियो को उतारने के समय निम्न मंत्र का जप करें। मंत्र: ¬ श्रीं ह्रीं महालक्ष्मी मम गृहे आगच्छ स्थिर पफट्। तंत्र शास्त्र में ऐसी अनेक साधनाओं का उल्लेख है जिनका लक्ष्मी प्राप्ति के लिए दीपावली के असवर पर अनुष्ठान किया जा सकता है। इस पावन अवधि में 4 या 5 घंटे की साधना साधक के जीवन में चमत्कारिक परिवर्तन ला सकती है।

किंतु इसमें शुद्धता, श्रद्धा और विश्वास आवश्यक है। सर्वोन्नति हेतु साधनाएं ध्यान दाडिमीपुष्पसंकाशां चतुर्बाहुसमन्वितां। रक्तांबरधरां नित्यां रक्तालंकार भूषितां। एवं ध्यात्वा गकारं तु तन्मन्त्रं दशधा जपेत। पंचप्राणमंय वर्ण सर्वशक्त्यात्मकं प्रिये। गले रेखास्तिस्रो गतिगमकगीतैकनिपुण् ो। विवाह व्यानद्धप्रगुणगुणसंख्या प्रतिभुवः विराजन्ते नानाविधमधुररागाकर भुवां। त्रयाणां ग्रामाणां स्थितिनियम सीमान इव ते।। विधि: यह मंत्र एवं यंत्र अत्यंत चमत्कारी है। इससे जीवन के हर क्षेत्र में उन्नति होती है।

सुख, समृद्धि एवं शांति कारक यंत्र विधि: इस यंत्र को लेकर तीन दिनों तक चंडीपाठ श्री दुर्गाशप्तशती का पाठ करें। तीन दिनों तक लगातार धूप, दीप, नैवेद्य, अक्षत, पुष्प, मिष्ठान्न, रोली, कुमकुम और इत्र से यंत्र भी पूजन करें। फिर इस यंत्र को लोहे, चांदी या तांबे से बने ताबीज में डालकर गले में या भुजा पर धारण करें। इससे सुख एवं समृद्धि की प्राप्ति होती है एवं अनिष्टों का नाश होता है।

स्वर्णाकर्षण भैरव यंत्र एवं मंत्र साधना विधि: इस यंत्र की धूप, दीप, रोली, लाल चंदन, कुमकुम, इत्र, अक्षत और मिष्ठान्न से प्राण प्रतिष्ठा करके निम्नलिखित मंत्र का दस हजार बार जप करके एक हजार बार खीर से हवन करें। मंत्र: ¬ ऐं क्लां क्लीं क्लूं ह्रां ह्रीं ह्रूं सः वं आपदुद्धारणाय अजामलवद्ध ाय लोकेश्वराय स्वर्णाकर्षण भैरवाय मम दारिद्र्य विद्वेषणाय ¬ श्रीं महा भैरवाय नमः। यह पूजा दीपावली से दो तीन दिन पहले रात्रि में करें एवं दीपावली वाले दिन रात्रि में हवन करें। इससे धनाभाव समाप्त हो जाता है। गोपालसुंदरी पूजन यंत्रम भगवान श्री कृष्ण की इस साधना से समस्त मनोकामनाएं एवं भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है।

विधि: इस यंत्र को लेकर स्नान कराएं। फिर वस्त्र चढ़ा कर धूप, दीप, अक्षत, रोली, मिश्री, फल एवं फूल से पूजा करने के बाद दीपावली की रात्रि में ‘ह्रीं’ श्रीं क्लीं कृष्णाय गोविन्दाय गोपीजनबल्लभाय स्वाहा’ मंत्र का दस हजार बार जप करके एक हजार बार खीर से हवन करें। फिर नित्य एक माला का जप करते रहें, आर्थिक लाभ मिलेगा और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी।

सूर्य पूजन यंत्रम दीपावली के दिन भगवान सूर्य के यंत्र के पूजन का बहुत महत्व है। यंत्र की स्थापना से भौतिक उन्नति, कार्यों में सफलता एवं आर्थिक समृद्धि प्राप्त होती है। यंत्र की प्राण प्रतिष्ठा करके उसे जल एवं पंचामृत से स्नान कराकर धूप, दीप, लाल पुष्प, लाल चंदन, रोली, केसर, कुमकुम, इत्र एवं मिष्ठान्न से पूजा करें। मंत्र: ¬ घृणिः सूर्याय नमः।

फिर मूल मंत्र का कम से कम दस हजार बार जप करें। इसके बाद गुड़, जौ एवं घी से मदार या आक की लकड़ी पर एक हजार बार हवन करें। फिर यंत्र को एक तांबे के लोटे में जिसमें सवा लीटर पानी आता हो, तिल, तंडुल, कुशाग्रभाग, साठीधान, श्यामाक, राई, लाल कनेर या लाल पुष्प, लाल चंदन, श्वेत चंदन, गोरोचन, कुमकुम, जौ और वेणुजव डाल कर अघ्र्य दें। फिर मूल मंत्र का नित्य एक माला जप करके इसी लोटे से भगवान सूर्य को अघ्र्य दें।

ऐसा करने से लक्ष्मी, यश, विद्या और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। मंगल पूजन यंत्र मंगल यंत्र की स्थापना से दुख, दारिद्र्य, ऋण, रोग आदि का नाश होता है एवं हर तरफ से कल्याण होता है। विधि: सर्वप्रथम यंत्र की प्राण प्रतिष्ठा करवाकर उसे स्नान कराएं। फिर निम्न मंत्र पढ़ते हुए 21 बार लाल चंदन, कुमकुम, रोली एवं इत्र के तिलक लगाकर 21 लाल फूल या परपुड़ियां चढ़ाकर 21 दीपक जलाएं और धूप दिखा कर मिष्ठान चढ़ाएं।

मंत्रा: ¬ मंगलाय नमः। ¬ भूमिपुत्राय नमः। ¬ ऋणहत्रे नमः। धनप्रदाय नमः। ¬ स्थिरासनाय नमः। ¬ महाकायाय नमः। ¬ सर्वकर्मावरोधकाय नमः। ¬ लोहिताय नमः। ¬ लोहिताक्षाय नमः। ¬ सामगानां कृपाकराय नमः। ¬ धरात्मजाय नमः। ¬ कुजाय नमः। ¬ भौमाय नमः। ¬ भूतिदाय नमः। ¬ भूमिनन्दनाय नमः। ¬ अंगारकाय नमः। ¬ यमाय नमः। ¬ सर्वरोगापहारकाय नमः। ¬ वृष्टिकत्र्रे नमः। ¬ वृष्टिहत्रे नमः। ¬ सर्वकामफलप्रदाय नमः। मूल मंत्र: ¬ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः।

फिर मूल मंत्र का लाल चंदन या मूंगे की माला पर 25 माला जप करके उसका दशांश हवन करें। फिर नित्य का पूजन करके मंत्र का एक माला जप करें। श्री महालक्ष्मी सर्वतोभद्र यंत्र यह यंत्र वर्ष में केवल एक बार दीपावली की रात्रि में लाल आसन पर रखकर प्राण प्रतिष्ठित करें। इसके बाद धूप, दीप, रोली, कुमकुम, इत्र, अक्षत, पुष्प एवं मिष्ठान से यंत्र का पूजन करें।

इसके बाद ‘¬ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ¬ महालक्ष्म्यै नमः।’ मंत्र का कमलगट्टे की माला पर 11 माला जप करके इसी मंत्र में स्वाहा जोड़ कर एक माला का हवन करें। फिर नित्य इस यंत्र को धूप दीप दिखा कर मंत्र का एक माला जप करें।

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