यंत्र एवं मालाएं आचार्य रमेश शास्त्री संपूर्ण बाधामुक्ति यंत्र यह यंत्र ताम्रपत्र पर तेरह यंत्रों के संयुक्त मेल से निर्मित है, जिससे यह अधिक प्रभावी होता है। कार्यों में बार-बार बाधाओं का आना ही कार्य असफलता का मुख्य कारण होता है।
इस यंत्र के प्रभाव से आत्मबल में वृद्धि होती है, सकारात्मक सोच बनती है तथा यह साधक के मार्ग में आने वाली अड़चनों को दूर करता है। इसके अतिरिक्त ऊपरी हवा, भूत-प्रेत, जादू-टोना आदि से रक्षा होती है। इस यंत्र को अपने घर के पूजा स्थल में अथवा कार्यालय/ व्यवसाय स्थल पर उत्तर दिशा में स्थापित करें।
पूजन एवं स्थापना विधि: मंगलवार के दिन रात्रि के समय यंत्र को गंगाजल अथवा शुद्ध जल से पवित्र करके सभी तेरह यंत्रों पर रोली लगाएं, धूप, दीप से पू जन करक े श्रद्धा-विश्वास यु क्तहो कर स्थापित करें। जितना आपको यंत्र के प्रति विश्वास होगा उसी अनुपात में फलप्राप्ति होगी। यंत्र के सम्मुख बैठकर निम्न मंत्र का नित्य एक माला जप अवश्य करें। मंत्र:
सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो धनधान्यसमान्वितः।
मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशय।।
मानसिक शांति के लिए मोती और रुद्राक्ष की माला आज के समय में अधिकतर व्यक्ति मानसिक अशांति के शिकार होते हैं। इस कारण सारी भौतिक सुविधाएं होते हुए भी परेशानी बनी रहती है, छोटी-छोटी बातों में क्रोध आता है, धैर्य में कमी रहती है। यह माला मोती तथा रुद्राक्ष के दानों के संयुक्त मेल से बनाई जाती है। मोती और रुद्राक्ष से संयुक्त रूप से बनी माला को धारण करने से मानसिक शांति में वृद्धि होती है, आत्मविश्वास एवं धैर्य बना रहता है जिससे व्यक्ति मानसिक तथा शारीरिक रूप से बलवान बनता है।
धारण विधि: सोमवार के दिन इस माला को गंगाजल या शुद्ध जल से धोकर ह्रीं अक्षमालिकायै नमः इस मंत्र से माला का गंध, अक्षत, धूप, दीप से पूजन करें तथा निम्न मंत्र का रुद्राक्ष अथवा स्फटिक की माला पर एक माला नित्य जप करें। मंत्र:
¬ या देवी सर्वभूतेषु शांतिरूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः
श्वेत चंदन माला चंदन दो प्रकार के पाए जाते हैं। रक्त चंदन एवं श्वेत चंदन। चंदन शीतलता का प्रतीक है ।चंदन का उपयोग अनेक कार्यों में किया जाता है। श्वेत चंदन में विशेष मनमोहक सुगंध पाई जाती है, यह इसका प्रधान गुण है।
इसकी माला गले में धारण करने से व्यक्ति के अंदर सकारात्मक ऊर्जा का विकास होता है तथा नकारात्मक ऊर्जा का ह्रास होता है। मन में प्रफुल्लता बढ़ती है, मानसिक शांति में वृद्धि होती है, धार्मिक तथा सात्विक विचारधारा बनती है। इसके अतिरिक्त यह माला रक्तचाप, सिरदर्द, वात-पित्त-कफ आदि बीमारियों में भी लाभदायक होती है। धारण विधि: इस माला को बृहस्पतिवार के दिन पंचगव्य अथवा शुद्ध ताजे जल से प्रक्षालन करके धूप-दीप, गंध, अक्षत से पूजन करके गले में धारण करें।
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