रत्न पहनाएं, दोष भगाएं प्रो. बी.एल.गोयल रत्न अपना प्रभाव अवश्य दिखाते हैं। उनकी इस शक्ति का प्रयोग अपनी ग्रह स्थितियों के अनुसार किया जाए तो वे जीवन में कई सकारात्मक उपलब्धियां प्राप्त करने में सहायक सिद्ध होते हैं। बिना सोचे समझे रत्न धारण करने के दुष्परिणाम भी कम नहीं होते। इस आलेख में कौन सा रत्न किसे और कितने वजन का पहनना चाहिए इसकी विस्तृत जानकारी दी जा रही है...
अपने जीवन से संबंधित किसी अल्प सामथ्र्यवान ग्रह की शक्ति को बढ़ाने के लिए यदि कोई मनुष्य उससे संबंधित रत्न को धारण करता है तो वह रत्न अवश्य ही उसके लिए लाभकारी सिद्ध होता है। इन रत्नों को सही ढंग से नियमपूर्वक धारण करने से लाभ मिलता है और गलत ढंग से धारण करने से परेशानियांे का सामना करना पड़ता है, अतः सोच समझ कर नियमपूर्वक ही रत्न धारण करना चाहिए। माणिक्य: असली माणिक्य धारण करने वाले की वंश वृद्धि और ऐश्वर्यों तथा सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है। वह हर कष्ट और व्याधि से मुक्त रहता है।
माणिक्य किसे धारण करना चाहिए: जिनकी जन्मकुंडली में सूर्य की स्थिति खराब हो, उन्हें माणिक्य धारण करने से असीम सफलता मिलती है। सूर्य की स्थिति निम्नलिखित परिस्थितियों में दोषपूर्ण होती है। यदि जन्मकुंडली में सूर्य लाभेश, अष्टमेश तथा दशमेश होकर त्रिक स्थान में बैठा हो। यदि सूर्य जीव नक्षत्र का स्वामी हो। यदि सूर्य अपने भाव से अष्टम स्थान में स्थित हो। यदि सूर्य लग्न में हो।
यदि सूर्य तृतीय स्थान में हो कितने वजन का माणिक्य पहनें: माण् िाक्य कम से कम 3 रत्ती का पहनना चाहिए और इसके लिए सोना कम से कम 5 रत्ती उपयोग में लाएं।
मोती: मोती धारण करने से ज्ञान एवं बुद्धि में वृद्धि होती है, निर्बलता दूर होती है और शारीरिक तेज, रूप, बल एवं कांति में वृद्धि होती है। इतना ही नहीं, इससे यश, धन, सम्मान एवं प्रभ्¬ाुता की प्राप्ति तथा सभी अभिलाषाओं की पूर्ति भी हो जाती है।
मोती किसे को धारण करना चाहिएः जिस जातक की जन्मकुंडली में चंद्रमा की स्थिति अच्छी न हो, उसे मोती धारण करना चाहिए। जातक की जन्मकुंडली में चंद्रमा की निम्नलिखित स्थितियां दोषपूर्ण मानी जाती हंै। यदि चंद्रमा केंद्र में हो तो हल्के प्रभाव का माना जाता है। यदि चंद्रमा सूर्य के साथ हो तो चंद्रमा का प्रभाव क्षीण हो जाता है। यदि विंशोत्तरी के अनुसार चंद्रमा की महादशा बुरी चल रही हो तो मोती धारण करें। यदि चंद्रमा राहु के साथ बैठा हो यदि चंद्रमा नीच, वक्री तथा अस्तंगत हो। यदि चंद्रमा वृश्चिक राशि का होकर किसी भी भाव में स्थित हो। यदि चंद्रमा पर मंगल, शनि, राहु अथवा केतु की दृष्टि हो।
कितने वजन का मोती पहनें: अंगूठी में जड़वाने के लिए कम से कम 4 रत्ती वजन का मोती शुभ माना जाता है। यदि इससे भी अधिक वजन का मोती धारण कर सकें तो अधिक फलदायक होगा।
मूंगा: मंगल रत्न मूंगे की माला धारण करने से हृदय रोग, मिरगी तथा दृष्टि दोष से मुक्ति मिलती है। इसकी माला बालकों को धारण कराने से उन्हें सूखा रोग, पेट दर्द आदि से मुक्ति मिलती है। इतना ही नहीं जिस व्यक्ति के पास मूंगा हो उसे भूत-प्रेत आदि नहीं सताते तथा आंधी-तूफान, बिजली, छल, माया से भी उसकी रक्षा होती है।
मूंगा किसे धारण करना चाहिए: जिस जातक की जन्मकुंडली में मंगल की दशा खराब हो उसे मूंगा धारण करना लाभप्रद होता है। मंगल की निम्नलिखित स्थितियां दोषपूर्ण मानी गई हैं। जातक की जन्मकुंडली में मंगल वक्री या अस्त हो अथवा शत्रु ग्रहों के बीच विराजमान हो। यदि मंगल लग्न में बैठा हो। यदि मंगल चंद्रमा के साथ हो। यदि मंगल तृतीय अथवा चतुर्थ भाव में बैठा हो। यदि मंगल राहु अथवा शनि के साथ किसी भी स्थान में बैठा हो। यदि मंगल सप्तम या द्वादश भाव में विराजित हो। यदि मंगल अष्टमेश या षष्ठेश के साथ हो अथवा इन ग्रहों की उस पर पूर्ण दृष्टि पड़ रही हो।
कितने वजन का मूंगा धारण करें: मुद्रिका में जड़वाने हेतु मूंगे का वजन कम से कम 6 रत्ती से 8 रत्ती का होना चाहिए। इसे कम से कम 6 रत्ती सोने में जड़वाकर पहनें।
पन्ना: यदि जातक की जन्मकुंडली में बुध की स्थिति खराब हो तो उसे पन्ना धारण करने से लाभ होता है।
बुध की निम्नलिखित स्थितियों में पन्ना धारण करने का विधान है: अगर विंशोत्तरी में बुध की महादशा या अंतर्दशा चल रही हो। यदि जातक की जन्मकुंडली में बुध दूसरे, तीसरे, चैथे, पांचवें, सातवें, नौवें, दसवें अथवा ग्यारहवंे भाव का स्वामी होकर अपने छठे भाव में बैठा हो। यदि जन्म कुंडली में बुध मंगल, शनि, राहु अथवा केतु के साथ हो। यदि बुध छठे, आठवें या बारहवें भाव में स्थित हो। यदि बुध पर शत्रु ग्रहों की दिव्य दृष्टि हो। अगर बुध मीन राशि में हो।
यदि जातक का लग्न मिथुन या पुखराज: जो जातक पुखराज धारण करता है उसकी धन-संपत्ति, बल-बुद्धि, आयु तथा यश में वृद्धि होती है। इतना ही नहीं, यह भूत-प्रेत बाधाओं का नाशक भी है। यदि लड़की की शादी में विलंब हो रहा हो तो पुखराज धारण कराएं, शीघ्र प्रणय बंधन में बंध जाएगी। इसके प्रभाव से मानव आध्यात्मिक विचारों में भी लीन हो जाता है।
पुखराज किसे धारण करना चाहिएः निम्नलिखित स्थितियों में पुखराज धारण करना शुभ होगा। जिनकी जन्मकुंडली में धनु, कर्क अथवा मीन लग्न हो। यदि जन्मकुंडली में प्रधान ग्रह बृहस्पति हो। विंशोत्तरी के अनुसार जब किसी भी ग्रह की महादशा में गुरु का अंतर चल रहा हो। यदि गुरु के साथ बुध, चंद्र, मंगल या सूर्य बैठा हो। अगर जातक की जन्मकुंडली में पुर्वोक्त नक्षत्रों में बृहस्पति हो। यदि जन्म के दिन गुरुवार के साथ पुष्य नक्षत्र भी हो। यदि जन्म का नक्षत्र पुनर्वसु, विशाखा अथवा पूर्वाभाद्रपद हो।
कितने वजन का पुखराज धारण करना चाहिए: कम से कम 7 कैरट का पीला पुखराज सोने की मुद्रिका में जड़वाकर धारण करना चाहिए। हीरा: यदि जातक की जन्मकुंडली में शुक्र की महादशा खराब हो तो हीरा धारण करना शुभ होता है।
खास कर निम्नलिखित परिस्थितियों में हीरा धारण करना चाहिए। यदि जातक का जन्म तुला अथवा वृष लग्न में हुआ हो। अगर जातक की जन्मकुंडली में शुक्र वक्री, अस्तंगत अथवा पाप ग्रहों के साथ बैठा हो। अगर जातक की जन्मकुंडली में शुक्र शुभ भावों का स्वामी होकर अपने भाव से आठवें अथवा छठे स्थान में विराजमान हो। यदि किसी भी ग्रह की महादशा में शुक्र का अंतर चल रहा हो। कितने वजन का हीरा धारण करना चाहिए: हीरे का वजन कम से कम एक रत्ती का होना चाहिए।
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