जब से संसार में सभ्यता का विकास हुआ तब से ही प्रत्येक मनुष्य के मन में भविष्य को जानने की जिज्ञासा का भी जन्म हुआ। परिण् ाामतः भविष्य फलकथन की कई पद्ध तियों का भी जन्म हुआ। कोई ग्रह नक्षत्र को आधार मान कर भविष्य कथन करता है तो कोई हाथ की रेखाओं को देखकर, किसी ने अंकों का सहारा लिया तो किसी ने माथा या चेहरा देख कर ही भविष्य कथन कर डाला। फलकथन की पद्धति कोई भी हो लेकिन लक्ष्य सबका एक ही है -भविष्य फल कथन।
हमारे महर्षियों ने अपने अनुभवों और अनुसंधानों के आधार पर ही इन सभी पद्धतियों का निर्माण किया। इसी तरह एक बहुत ही पुरानी पद्ध ति है जिसे पंच पक्षी भविष्य कथन पद्धति कहा जाता है जो अपने आप में पूर्ण है। इस पद्धति के आधार पर हर प्रकार की भविष्यवाणी की जा सकती है।
चाहे वह व्यक्ति विशेष की हो या अन्य कोई जिज्ञासा हर प्रकार के फल कथन में यह पद्धति सक्ष्म हैं। भविष्य कथन की पद्धति कोई भी हो सब में एक बात सामान्य है कि सभी में ग्रहों के आधार पर ही फल कथन किया जाता है।
ज्योतिष अर्थात कुंडली तो ग्रहों पर आधारित है ही, हस्त रेखा विज्ञान, अंक ज्योतिष, सामुद्रिक शास्त्र आदि भी नवग्रहों को ही आधार मानकर फल कथन करते हैं। इसी प्रकार पंच पक्षी पद्धति का आधार ग्रह एवं नक्षत्र ही हंै।
प्रश्न: पंच पक्षी पद्धति में पंच पक्षी से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर: पंच पक्षी अर्थात पांच पक्षी। पाचं पक्षिया ंे की गतिविधिया ंे को आधार मान कर फलकथन की पद्धति को पांच पक्षी का नाम दिया गया है।
प्रश्न: यह पांच पक्षी कौन-कौन से हैं ?
उत्तर: ये हैं- गिद्ध, उल्लू, कौआ, मुर्गा और मोर।
प्रश्न: ये पांच पक्षी फलकथन में किस तरह से सहायक होते हैं ?
उत्तर: प्रत्येक जातक का एक जन्म पक्षी होता है जो इन्हीं पांच में से एक होता है। उसी पक्षी को आधार मान कर जातक के हर पहलू के प्रश्नों के उत्तर दिए जा सकते हैं।
प्रश्न: किस जातक का जन्म पक्षी कौन सा है यह कैसे जाना जाता है?
उत्तर: प्रत्येक जातक के जन्म समय चंद्र जिस नक्षत्र में रहता है, उसी नक्षत्र के आधार पर जातक के जन्म पक्षी का निर्धारण किया जाता है।
प्रश्न: नक्षत्र के आधार पर जन्म पक्षी कैसे निर्धारित करते हैं ?
उत्तर: ज्योतिष के सिद्धांत के अनुसार राशि चक्र को 27 नक्षत्रों में विभक्त किया गया है। पंच पक्षी पद्धति में प्रत्येक पक्षी किसी न किसी नक्षत्र का प्रतिनिधित्व करता है जो शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष पर आधारित है।
जातक का जन्म जिस नक्षत्र और पक्ष में होता है, उसी के आधार पर पक्षी का निर्धारण किया जाता है। जैसे मान लें जातक का जन्म ज्येष्ठा नक्षत्र और कृष्ण पक्ष में हुआ, तो उसका जन्म पक्षी मुर्गा हुआ और यदि जन्म ज्येष्ठा नक्षत्र और शुक्ल पक्ष में हुआ तो जातक का जन्म पक्षी उल्लू हुआ।
प्रश्न: किस पक्ष में किस नक्षत्र का प्रतिनिधित्व कौन सा पक्षी करता है?
उत्तर: शुक्ल पक्ष में 1 से 5 नक्षत्र का प्रतिनिधित्व गिद्ध करता है, 6 से 11 का उल्लू, 12 से 16 का कौआ, 17 से 21 का मुर्गा और 22 से 27 का मोर।
प्रश्न: क्या जन्म पक्षी जातक को हमेशा शुभ फल देता है?
उत्तर: इसमें कोई शक नहीं कि जातक का जन्म पक्षी उसके लिए शुभ फलदायी होता है, लेकिन हर समय एक सा नहीं होता अर्थात कभी समय अच्छा तो कभी खराब होता है। यह जातक के जन्म पक्षी की गतिविधि पर निर्भर होता है।
यदि जन्म पक्षी शुभ गतिविधि में हो, तो जातक का समय शुभ होगा अर्थात हर कार्य में सफलता और यदि गतिविधि अशुभ हो तो असफलता मिलेगी।
प्रश्न: जन्मपक्षी की गतिविधि से क्या अभिप्राय है?
उत्तर: पांचों पक्षियों में से प्रत्येक पक्षी की पांच गतिविधियां मानी गई हैं जो इस प्रकार हैं: भोजन करता, भ्रमण करता या चलता, नेतृत्व करता या शासन करता, सोया , मरा हुआ या शव अवस्था। प्रत्येक पक्षी प्रतिदिन इन पांच गतिविधियांे अर्थात अवस्थाओं से गुजरता है।
इन पांच गतिविधियों में सब से अधिक ताकत शासन, उससे कम चलने या कार्य करने, उस से कम भोजन करने, उससे कम सोने और सबसे कम ताकत अर्थात शून्य शव की अवस्था में होती है। मरन अवस्था अशुभ और शासन अवस्था सबसे शुभ मानी गई है।
प्रश्न: क्या जन्म पक्षी की जन्म कालीन गतिविधि के अनुसार जातक को भविष्य में फल मिलता है ?
उत्तर: हां, यदि जन्म पक्षी जन्म के समय शासन की गतिविधि में हो, तो जातक जीवन भर हर प्रकार के सुख आसानी से प्राप्त करेगा, किंतु यदि पक्षी मृत अवस्था में हो, तो जीवन भर संघर्षरत और सभी सुखों से वंचित रहेगा।
प्रश्न: यदि किसी जातक को अपना जन्म समय मालूम न हो तो उसका जन्म पक्षी कैसे ज्ञात करेंगे ?
उत्तर: यदि किसी जातक को अपनी जन्म तारीख, समय, स्थान नहीं मालूम हो तो उसके नामाक्षर के आधार पर जन्म पक्षी ज्ञात किया जा सकता है। पक्षी के चयन का यह कार्य हिंदी वर्णमाला के अक्षरों के आधार पर किया जा सकता है।
प्रश्न: ये पांच पक्षी प्रतिदिन किस तरह से कार्य करते हैं?
उत्तर: प्रत्येक दिन को दो भागों में बांटा गया है, सूर्य उदय से सूर्य अस्त तक और सूर्य अस्त से आगामी सूर्य उदय तक अर्थात दिन और रात। फिर दिन और रात को पांच -पांच भागों में बांटा गया है।
इस प्रकार प्रत्येक भाग 2 घंटे और 24 मिनट का हुआ जिसे यम की संज्ञा दी गई है। पांच पक्षी प्रत्येक भाग में अपनी किसी न किसी गतिविधि में रहते हैं अर्थाात कोई पक्षी मरण अवस्था में रहता है, कोई सोने की अवस्था में, कोई भोजन कर रहा होता है, कोई भ्रमण कर रहा तो कोई नेतृत्व या शासन कर रहा होता है।
जैसे शुक्ल पक्ष में रविवार की प्रातः 6.00 बजे से 8.24 तक गिद्ध भोजन करता है, इसी काल में उल्लू भ्रमण करता है, कौआ शासन करता है, मुर्गा सोता है और मोर मरा हुआ होता है। इसी प्रकार आगामी अवधियों में अर्थात 8‑24 से 10.48 तक, 10.48 से 1.12 तक , 1‑12 से 3.36 तक, 3.36 से 6.00 तक प्रत्येक पक्षी किसी न किसी गतिविधि में रहता है।
रात्रि काल में भी अवधि के अनुसार पक्षी अपनी किसी न किसी गतिविधि को जारी रखते हैं। हर 2 घंटे 24 मिनट की गतिविधि को पक्षी की मुख्य गतिविधि कहा जाता है। लेकिन इस 2 घंटे 24 मिनट की अवधि में हर पक्षी अपनी सब गतिविधि को भी करता है।
अर्थात 2 घंटे 24 मिनट को भी पांच भागों में बांट कर प्रत्येक पक्षी की गतिविधि पक्ष के अनुसार निर्धारित की गई है। ठीक उसी तरह जैसे दशा और फिर अंतर्दशा आदि को ज्योतिष में लिया गया है।
शुक्ल पक्ष में दिन और रात में प्रत्येक पक्षी की गतिविधि का समय इस प्रकार निश्चित किया गया है। दिन के समय अर्थात सूर्य उदय से सूर्य अस्त तक पक्षी के भोजन की अवधि 30 मिनट, भ्रमण की 36, शासन की 48 सोने की 18 और मरण की अवधि 12 मिनट मानी गई है।
इसी तरह रात्रि काल अर्थात सूर्य अस्त से आगामी सूर्य उदय तक पक्षी के भोजन की अवधि 30 मिनट, शासन की 24 मरा रहने की 36, भ्रमण करने की 30 और सोने की अवधि 24 मिनट मानी गई है। इ
स प्रकार ये पक्षी अपनी अवधि के अनुसार मुख्य गतिविधि और अपनी सब गतिविधि में दिन और रात कार्य करते हैं जिसके अनुसार यह जाना जा सकता है कि जातक के लिए कौन सा समय शुभ और कौन सा अशुभ होगा।
प्रश्न: किसी भी जातक के शुभ और अशुभ समय को कैसे जानें?
उत्तर: सर्व प्रथम जातक के जन्म नक्षत्र के अनुसार जातक का जन्म पक्षी निकाल लें। जिस वार का शुभ और अशुभ समय जानना चाहते हैं, सारणी के अनुसार उस पक्षी की गतिविधि को जानें। गतिविधि के अनुसार जातक का शुभ और अशुभ समय आ जाएगा। अर्थात यदि पक्षी मरण या सोई हुई गतिविधि में हो, तो यह अशुभ मानी जाती है। भ्रमण और भोजन सामान्य और शासन गतिविधि अति शुभ मानी जाती है।
प्रश्न: क्या पंच पक्षी पद्धति से वर वधू मिलान भी किया जा सकता है?
उत्तर: पंच पक्षी पद्धति वर वधू मिलान करने में भी सक्ष्म है। यदि वर वधू दोनों के जन्म पक्षियों में आपस में मित्रता हो तो मिलान उत्तम होता है।
प्रश्न: कौन पक्षी किसी से मित्रता और किसी से शत्रुता रखता है यह कैसे जानें?
उत्तर: पक्षियों में आपसी दोस्ती उनके स्वभाव पर निर्भर करती है लेकिन फिर भी यह शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष के अनुसार बदल जाती है। जैसे शुक्ल पक्ष में गिद्ध, मोर और उल्लू से मित्रता रखता है और कौए और मुर्गे से शत्रुता। वहीं कृष्ण पक्ष में गिद्ध , मोर और कौए से मित्रता और उल्लू और मुर्गे से शत्रुता रखता है।
इसी प्रकार उल्लू शुक्ल पक्ष में गिद्ध और कौए से मित्रता और मुर्गे और मोर से शत्रुता और कृष्ण पक्ष में कौए और मुर्गे से मित्रता तथा गिद्ध और मोर से शत्रुता रखता है। कौआ शुक्ल पक्ष में मुर्गे और उल्लू से मित्रता और गिद्ध और मोर से शत्रुता तथा कृष्ण पक्ष में गिद्ध और उल्लू से मित्रता और मोर और मुर्गे से शत्रुता रखता है।
मुर्गा शुक्ल पक्ष में उल्लू और मोर से मित्रता और गिद्ध और उल्लू से शत्रुता और कृष्ण पक्ष में मोर और उल्लू से मित्रता और गिद्ध और कौए से शत्रुता रखता है। मारे शुक्ल पक्ष म ंे गिद्ध और मुर्गे से मित्रता और उल्लू और कौए से शत्रुता तथा कृष्ण पक्ष में मोर, गिद्ध और मुर्गे से मित्रता तथा उल्लू और कौए से शत्रुता रखता है।
प्रश्न: पंच पक्षी पद्धति कैसे-कैसे भविष्य कथन में सक्षम है ?
उत्तर: पंचपक्षी पद्धति सभी प्रकार के भविष्य कथन के लिए उपयुक्त है इसकी सहायता से जहां प्रतिदिन का शुभ और अशुभ समय जाना जा सकता है वहीं यात्रा का मुहूर्त भी निकाला जा सकता है। इसी प्रकार यह प्रश्नों के उत्तर देने में भी सक्षम है।
प्रश्न: प्रश्नों के उत्तर देने के लिए पंच पक्षी पद्धति में किन बातों पर ध्यान देना चाहिए ?
उत्तर: इस पद्धति में प्रश्नों के उत्तर देने के लिए पक्षियांे की गतिविधियांे, उनके आपसी संबंध और दिशाओं पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
प्रश्न: पक्षियों का दिशाओं से क्या संबंध है?
उत्तर: पांचों पक्षी पक्ष के अनुसार अपनी गतिविधियां किसी खास दिशा में करते हैं। जैसे शुक्ल पक्ष में गिद्ध पूर्व में भोजन, दक्षिण में भ्रमण और पश्चिम में शासन करता है तथा उत्तर में सोता है और उत्तर पूर्व में मरता है।
उल्लू: दक्षिण में खाता है पश्चिम में भ्रमण और उत्तर में शासन करता है पूर्व में सोता और दक्षिण पश्चिम में मरता है।
कौआ: पश्चिम में खाता है, उत्तर में भ्रमण पूर्व में शासन करता है और पश्चिम दक्षिण में सोता और मरता है।
मुर्गा: उत्तर में खाता है, पूर्व में भ्रमण और दक्षिण में शासन करता है, दक्षिण पश्चिम में सोता और उत्तर पश्चिम में मरता है।
मोर: उत्तर में खाता है, दक्षिण म ंे भ्रमण और पश्चिम म ंे शासन करता है, दक्षिण पश्चिम में सोता है और पूर्व में मरता है। कृष्ण पक्ष में दिशाओं में अंतर आ जाता है।
प्रश्न: यदि प्रश्न बच्चे के जन्म से संबंधित हो तो पंच पक्षी पद्धति से कैसे बताएंगे?
उत्तर: जिस वक्त प्रश्न पूछा गया हो यदि उस वक्त जातक का जन्म पक्षी यदि शासन या भोजन करने की गतिविधि में हो तो जन्म लेने वाला बालक होगा और यदि जन्म पक्षी भ्रमण या सुप्त गतिविधि में हो तो जन्म लेने वाली बालिका होगी और यदि जन्म पक्षी मरण गतिविधि से संबंधित हो तो जन्म लेने वाला मरा हो सकता है।
प्रश्न: यदि प्रश्न खोई हुई वस्तु का हो तो पंच पक्षी पद्धति का प्रयोग कैसे करेंगे?
उत्तर: प्रश्न के वक्त यदि जन्म पक्षी भोजन करने की गतिविधि में हो तो समझना चाहिए कि खोई हुई वस्तु घर पर ही है। यदि भ्रमण गतिविधि में हो तो समझें कि वस्तु किसी ने चुराई है और उसे किसी दूर स्थान पर ले गया है।
यदि जन्म पक्षी शासन गतिविधि में हो तो समझना चाहिए कि वस्तु पड़ोस के घर में है। यदि सोई गतिविधि में हो तो इसका अर्थ है कि वस्तु घर में आने वाले किसी व्यक्ति ने चुराई है और उसे दूर ले गया है। वहीं यदि मरण गतिविधि में हो तो खोई हुई वस्तु के मिलने की कोई संभावना नहीं है।
खोई हुई वस्तु का मिलना या न मिलना जन्म पक्षी की गतिविधि के अतिरिक्त प्रश्न के समय जो पक्षी शासन गतिविधि में हो उस पर निर्भर करता है। यदि पक्षी गिद्ध, उल्लू या कौआ हो तो खोई हुई वस्तु मिल जाएगी और यदि मुर्गा या मोर हो तो खोई हुई वस्तु के मिलने की संभावना नहीं रहती।
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