अमेरिका के साथ परमाणु समझौते का े लके र जो वार्ता चल रही है, देश की प्रभुसत्ता को प्रभावित करने वाले इस वार्ता को लेकर भारत सरकार एवं लोकसभा के सदस्यों के बीच जो संघर्ष चल रहा है उसका परिणाम लोगों की समझ से बाहर है। यह एक महत्वपूर्ण मामला है लेकिन अभी शुरुआती चरण में है।
इस समझौते को अंतिम रुप दिए बिना भारत सरकार गिर सकती है क्योंकि वर्तमान समय में भारत की कुंडली के चतुर्थ भाव (सुख भाव) में शनि और केतु की युति है। इसके अतिरिक्त 16 अक्तूबर 2007 से 22 नवंबर 2007 तक शनि एवं केतु बराबर अंश में रहेंगे जो देश के लिए हितकारी नहीं है क्योंकि उन पर गुरु की दृष्टि नहीं है इसलिए इस अवधि के अंदर देश में कुछ अनहोनी घटनाएं हो सकती हैं और चुनाव की संभावना भी बन सकती है।
22 नवंबर 2007 के बाद गुरु धनु राशि में प्रवेश करेगा और शनि व केतु पर दृष्टि डालेगा। इस ग्रह स्थिति से देश में शांति आ सकती है और चुनाव सुचारु रूप से हो सकते हैं। मंगल, शनि एवं केतु गोचर में भारत की जन्म राशि के दोनों तरफ पापकर्तरी योग में हैं इसलिए भारत का चिंतित होना आवश्यक है।
भारत की जन्म कुंडली में वर्तमान समय में शुक्र की महादशा में बुध की अंतर्दशा चल रही है और शुक्र एवं बुध कर्क राशि में चंद्र के साथ बैठे हैं। गोचर में गुरु की दृष्टि 22 नवंबर 2007 तक जन्म राशि पर रहेगी, इसलिए तब तक परिस्थितियां जटिल होने के बावजूद देश चुनाव से बच सकता है। उसके बाद गुरु की दृष्टि हट जाएगी और परिस्थितियां काबू से बाहर हो जाएंगी। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जी की कुंडली भी कर्क राशि की है।
उन पर राहु की महादशा केतु की अंतर्दशा 7 फरवरी 2007 से चल रही है और 25 फरवरी 2008 तक चलेगी। इस अवधि के दौरान उनकी स्थिति अधिक जटिल होगी क्योंकि कर्क राशि से अष्टम भाव कुंभ राशि में राहु गोचर में स्थित है जो कि शुभ नहीं है और शनि की साढ़ेसाती का अंतिम चरण चल रहा है।
उनके भाग्य स्थान में गोचर में शनि एवं केतु सिंह राशि में स्थित हैं और मिथुन राशि में मंगल पापकर्तरी योग में चंद्र राशि को पीड़ित कर रहा है। इसलिए 25 फरवरी 2008 के मध्य उनके हाथों से सत्ता निकलना प्रायः निश्चित है। वर्तमान समय में सोनिया जी की बुध की महादशा गुरु की अंतर्दशा 14 दिसंबर 2009 तक चलेगी।
इसलिए उनका समय पहले से अधिक अनुकूल है। गुरु लग्न से सुख भाव में सुखेश शुक्र के साथ और बुध लग्न से पंचम भाव में स्थित है। वह शनि की साढ़ेसाती से मुक्त हो चुकी हैं इसलिए अगले चुनाव में अधिक बलशाली होकर उभरेंगी। उनका समय अच्छा होने के कारण लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी की स्थिति मजबूत होगी।
परंतु गोचर में गुरु लग्न से छठे और राशि से सप्तम भाव में चलन करेगा। योगकारक ग्रह मंगल लग्न से छठे भाव में, जो कि पंचमेश और दशमेश है। भाग्येश बृहस्पति गोचर में मंगल के ऊपर 22 नवंबर 2007 से चलन करेगा। शत्रु स्थान में प्राकृतिक पाप ग्रह मंगल शत्रुओं का दमन करेगा। भाग्येश कर्मेश मंगल एवं गुरु का संबंध एवं उनकी एक दूसरे पर दृष्टि है। मिथुन राशि से मंगल धनु राशि में गुरु को देखेगा।
यह योग 30 अप्रैल 2008 तक रहेगा इसलिए उनको शत्रुओं पर विजय सूबुकेप्राप्त होगी और प्रधानमंत्री बनने का सौभाग्य भी मिल सकता है। जहां तक अमेरिका के साथ परमाणु समझौता का सवाल है, यह खटाई में पड़ सकता है। चुनाव के पश्चात जो दूसरी सरकार आएगी वही इस समझौते को आगे बढ़ाएगी या उसमें कुछ संशोधन भी हो सकता है।
वर्तमान समय में एशिया महाद्व ीप में भारत, पाकिस्तान, चीन, नेपाल, बंग्लादेश और श्रीलंका में राजनीतिक परिस्थितियों में उथल पुथल इसलिए हो रही है कि शनि सिंह राशि में केतु के साथ अग्नि तत्व राशि में बैठा है और मंगल पृथ्वी तत्व राशि वृष में बैठकर शनि व केतु को देख रहा है। इसी स्थिति के कारण नेपाल में सत्ता में परिवर्तन हुआ। पाकिस्तान की स्थिति भी नाजुक है।
मुशर्रफ एवं नवाज शरीफ का संघर्ष जगजाहिर है। भारत में कम्युनिस्टों के साथ समझौते में भी दरार सी आ गई है। श्रीलंका में भी यही स्थिति बनी हुई है परंतु पश्चिम दिशा का स्वामी शनि पूर्व दिशा की राशि सिंह में गोचर में बैठा है।
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