26 दिसंबर, 2004 को इंडोनेशिया के समीप भूकंप के कारण उठी सुनामी लहरों ने दक्षिण एशिया में 1.5 लाख से अधिक लोगों की जान ले ली एवं कितने ही लापता हो गए। ज्योतिष में पूर्वानुमान लगाने के लिए कुछ योग हैं, जिनके द्वारा समय एवं स्थान का कुछ आकलन किया जा सकता है।
भूकंप गुरुत्वाकर्षण में परिवर्तन के कारण आते हैं। सभी ग्रह सूर्य के चारों ओर चक्कर लगा रहे हैं और इनकी गति व पथ दोनों ही पूर्णतया गुरुत्वाकर्षण शक्ति के द्वारा निर्धारित होते हैं। उनकी स्थिति की गणना का केप्लर ;ज्ञमचसमतद्ध सिद्धांत भी इसी गुरुत्वाकर्षण नियम पर आधारित है। जब अधिसंख्य ग्रह एक ओर एकत्रित हो जाते हैं, तो उनका आकर्षण एक ओर को बढ़ जाता है और फिर चंद्रमा, जो शीघ्रगामी ग्रह है और समीप होने के कारण सबसे अधिक आकर्षित करता है एवं समुद्र में भी ज्वार भाटा का कारण है, जैसे ही विपरीत दिशा में पहुंचता है, गुरुत्वाकर्षण का संतुलन बदल जाता है और पृथ्वी पर जो भाग खिंचाव में था उसका खिंचाव खत्म हो जाता है। और यह प्रक्रिया भूगर्भ में तोड़-फोड़ उत्पन्न करती है, जिसके फलस्वरूप भूकंप आते हैं।
उपरोक्त कारणों से यह पाया गया है कि अधिसंख्य भूकंप शुक्ल पक्ष की द्वितीया एवं तृतीया तिथियों को आते हैं। इसके अतिरिक्त शुक्ल पक्ष की अमावस्या से तृतीया तक या पूर्णिमा से द्वितीया तक केवल 5-6 दिनों की अवधि में 75 प्रतिशत से अधिक भूकंप आते हैं। क्योंकि ग्रहण पूर्णिमा या अमावस्या के दिन होते हैं, अतः ग्रहणों का सीधा संबंध भूकंपों से होता है एवं ग्रहण के एक या दो दिन बाद अक्सर गंभीर भूकंप आते पाए गए हैं।
पृथ्वी का भूमध्यवर्ती भाग अपने पथ के इक्लिप्टिक प्लेन में रहता है एवं सभी ग्रह इसी प्लेन में सूर्य के चारों ओर भ्रमण करते हैं। अतः उनके गुरुत्वाकर्षण का प्रभाव भूमध्य भाग पर सबसे अधिक पड़ता है और धु्रवों पर न्यून हो जाता है। इसीलिए भूकंप अक्सर भूमध्य भाग में ही आते हैं। क्योंकि पृथ्वी की अधिकांश जनसंख्या उत्तरी गोलार्ध में रहती है और पृथ्वी का अधिकांश भू-भाग 350 से 400 के बीच पड़ता है, अतः भूकंप भी सर्वाधिक इन्हीं अंशों के बीच आते हैं। पृथ्वी के सबसे नजदीक ग्रह सूर्य, चंद्र, बुध, मंगल एवं शुक्र हैं। इन्हीं पांचों ग्रहों के गुरुत्वाकर्षण का सर्वाधिक प्रभाव भी पृथ्वी पर रहता है। ये पांचों ग्रह जब भी एक दिशा में, अर्थात् $450 के मध्य आ जाते हैं, तो सर्वाधिक भूकंप की स्थिति बन जाती है।
इसी प्रकार बहुचर्चित ज्योतिष योग - कालसर्प भी भूकंप की स्थिति को प्रबल बनाता है। कालसर्प योग में सभी ग्रह राहु और केतु के बीच स्थित हो जाते हैं एवं आंशिक काल सर्प योग में एक या दो ग्रह इस रेखा से बाहर निकल जाते हैं। अतः जब भी कालसर्प योग की स्थिति बनती है, तो पृथ्वी के ऊपर एक ओर गुरुत्वाकर्षण अधिक हो जाता है और दूसरी ओर क्षीण, जिसके कारण भूकंप की स्थिति बनती है।
इसके अतिरिक्त चंद्रमा के स्थिर राशियों वृष, सिंह, वृश्चिक तथा कुंभ में से गोचर का भी भूकंप से संबंध पाया गया है। भूकंप के अधिकेंद्र की स्थिति की जानकारी ग्रहण काल के ग्रह एवं भाव स्पष्ट द्वारा प्राप्त की जा सकती है - ऐसा संहिता ग्रंथों में बताया गया है। पृथ्वी पर सर्वाधिक भयंकर भूकंपों के एक तुलनात्मक अध्ययन के अनुसार यह पाया गया कि 90 प्रतिशत से अधिक भूकंपों में सूर्य, बुध, शुक्र, चंद्र एवं मंगल एक दिशा में स्थित थे, या चंद्रमा सूर्य से विपरीत दिशा में स्थित होकर कृष्ण पक्ष में विद्यमान था। साथ ही काल सर्प योग भी पूर्ण या आंशिक रूप से आकाश मंडल में विद्यमान था।
ऐतिहासिक भयंकर भूकंप
क्रमांक |
तारीख |
प्रभावित क्षेत्र |
तिथि |
एक दिशा में स्थित ग्रह |
1. |
893, मार्च 23 |
ईरान |
शुक्ल - 2 |
सूर्य, चंद्र, बुध्र, शुक्र |
2. |
1138, सितंबर 8 |
सीरिया |
शुक्ल - 2 |
सूर्य, बुध, गुरु, शुक्र |
3. |
1201, जुलाई 5 |
मिस, सीरिया्र |
शुक्ल - 3 |
सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, शुक्र |
4. |
1290, सितंबर 27 |
चीन |
कृष्ण - 8 |
सूर्य, बुध, शुक्र |
5. |
1556, जून 23 |
चीन |
शुक्ल - 12 |
सूर्य, मंगल, बुध, शुक्र |
6. |
1631, नवंबर 30 |
चीन |
शुक्ल - 1 |
सूर्य, चंद्र, बुध, शुक्र |
7. |
1693, जनवरी 9,11 |
सिसिली |
शुक्ल - 3 |
सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध्र, शुक्र |
8. |
1730, सितंबर 29 |
चीन |
कृष्ण - 3 |
सूर्य, मंगल, बुध, शुक्र |
9. |
1730, दिसंबर 30 |
जापान |
कृष्ण - 6 |
सूर्य, मंगल, बुध, शुक्र |
10. |
1737, अक्टूबर 11 |
भारत |
कृष्ण - 2 |
सूर्य, मंगल, बुध, शुक्र |
11. |
1850, सितंबर 22 |
चीन |
कृष्ण - 1 |
सूर्य, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र |
12. |
1908, दिसंबर 28 |
इटली |
शुक्ल - 6 |
सूर्य, मंगल, बुध, शुक्र |
13. |
1920, दिसंबर 16 |
चीन |
शुक्ल - 6 |
सूर्य, मंगल, बुध, शुक्र |
14. |
1923, सितंबर 1 |
जापान |
कृष्ण - 6 |
सूर्य, मंगल, बुध, शुक्र, शनि |
15. |
1927, मई 22 |
चीन |
कृष्ण - 6 |
सूर्य, मंगल, बुध, शुक्र |
16. |
1976, जुलाई 27 |
चीन |
अमावस्या |
सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, शुक्र, शनि |
17. |
2004, दिसंबर 26 |
इंडोनेशिया |
पूर्णिमा |
सूर्य, मंगल, बुध, शुक्र |
26 दिसंबर, 2004 को आए भूकंप एवं सुनामी लहरों के समय भी पूर्णिमा का दिन था और सूर्य, मंगल, बुध तथा शुक्र चारों ग्रह लगभग 350 के अंदर विद्यमान थे और सारे ही ग्रह सूर्य से चंद्रमा की रेखा के अंदर स्थित थे, अर्थात् चंद्रमा मिथुन में, सूर्य धनु में एवं शेष सभी ग्रह शनि, गुरु, शुक्र, मंगल और बुध मिथुन से धनु राशियों के अंदर थे। कुल मिलाकर ज्योतिष अवश्य ही भूकंप का पूर्वानुमान देने में सक्षम है, लेकिन शोध इसको और उपयोगी बना सकते हैं। कहा जाता है कि पूर्व काल में श्री कृष्ण की द्वारिका पुरी भी शायद इसी प्रकार की सुनामी लहरों की भेंट चढ़ गई थी, लेकिन उस समय ज्योतिष विज्ञान बहुत विकसित था। उन्होंने पहले से ही जान लिया था कि ऐसी स्थिति आने वाली है और योजनानुसार पूरा द्वीप पहले से ही खाली करके मुख्य भू-क्षेत्र पर स्थानापन्न हो गए थे और किसी भी व्यक्ति का नुकसान नहीं हुआ था। इतना ही नहीं, उन्होंने ऊंचे स्थान पर खड़े होकर द्वारिका के डूबने का पूर्ण दृश्य भी देखा जिसकी चर्चा भागवत पुराण में की गई है।