शेयर बाजार में लाभ कमाने के लिए पंचम भाव सबसे महत्वपूर्ण है। पंचम से पंचम भाव नवम भाव है। जिसका शेयर मार्किट में बहुत योगदान है। इसके अलावा 2 व 11वां भाव भी जातक के जीवन में उसकी धन व लाभ की स्थिति को दर्शाता है। ग्रहों के मंगल तथा राहु का शेयर बाजार में विशेष योगदान है। बृहस्पति ग्रह द्वितीय, पंचम, नवम एवं एकादश भाव का स्थिर कारक है। अतः कुंडली में गुरु की स्थिति शेयर बाजार में लाभ दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
शेयर बाजार में उन्नति प्राप्ति के योग यदि कर्क तथा धनु लग्न वाले जातकों का मंगल लाभ भाव या भाग्य भाव में हो तो ऐसे जातक शेयर बाजार में खूब लाभ कमाते हैं।
1. यदि मंगल व राहु लाभ भाव में हो और इनका संबंध पंचम तथा नवम भाव के स्वामियों से हो तो जातक इस क्षेत्र में बहुत लाभ कमाते हैं।
2. यदि द्वितीय भाव में मंगल तथा राहु हो और लाभ भाव में गुरु व शुक्र हो तो जातक इस क्षेत्र में बहुत लाभ कमाता है।
3. यदि राहु का संबंध लग्नेश व पचंमेश से किसी भी केंद्र या त्रिकोण में बनता हो तो जातक बहुत धन कमाता है।
4. यदि वृष लग्न हो बुध द्वितीय या पंचम भाव में हो तथा शनि 11वें भाव में हो तो जातक शेयर बाजार में खूब लाभ कमाता है।
5. यदि कुंडली में चंद्र मंगल योग हो तथा बुध, गुरु राहु 11वें भाव में हो तो जातक बहुत लाभ कमाता है।
6. द्वितीय तथा लाभ भाव के स्वामियों का यदि पंचम तथा नवम भाव के स्वामियों से राशि परिवर्तन योग हो तो जातक खूब धन कमाता है।
7. यदि डी/9 में चंद्रमा, बुध कन्या राशि में हो तो बहुत अच्छा होता है।
8. यदि सर्वाष्टक वर्ग के द्वितीय तथा पंचम 11वें भाव में सबसे अधिक बिंदू हो तो जातक खूब धन कमाता है।
9. यदि महादशा लाभ का संबंध 2, 5, 9, 11 भाव से हो तो उस दशा में जातक खूब धन कमाता है।
10. सूर्य के भिन्नाष्टक वर्ग में सूर्य को लग्न मानकर, चार-चार राशि के बिंदु आयें जिन चार राशियों में अधिक बिंदु आयें उस पहर में यदि शेयर खरीदे व बेचे जायें तो जातक को खूब लाभ होता है।
11. यदि गुरु, ........सब भाव, बुध, गुरु, व चंद्रमा की राशि के हो तो जातक इस क्षेत्र में खूब धन कमाता है।
12. यदि लग्नेश बली हो तथा पंचम या नवमेश अपनी उच्च या स्वराशि के केंद्र या त्रिकोण में स्थित हो तो जातक खूब धन कमाता है।
13. चंद्रमा के भिन्नाष्टक वर्ग के जिस राशि में इससे अधिक बिंदु हो वह समय शेयर खरीदने तथा बेचने में अच्छा रहता है। शेयर बाजार में नुकसान के योग
14. यदि 8वें भाव का स्वामी 4, 5, 9, 10 भाव में हो तो जातक को नुकसान होता है।
15. यदि सूर्य$राहु 1, 5, 9 में स्थित हो तथा लग्नेश गुरु से दृष्ट न हो तो जातक को नुकसान होता है।
16. यदि अष्टमेश बलवान होकर 10वें भाव में हो तथा चंद्रमा मकर राशि में हो तो नुकसान होता है।
17. यदि 5वें, 9वें या 11वें भाव के स्वामी 12वें भाव में हो तो शेयर में नुकसान होता है।
18. यदि 6ठे तथा 11वें भाव का स्वामी वक्री होकर 12वें भाव में हो तो शेयर में नुकसान होता है।
19. यदि द्वितीय भाव के स्वामि का संबंध 3, 6, 8, 12 भाव के स्वामियों से हो जाय तो जातक को शेयर बाजार में नुकसान होता है।
20. यदि जातक की कुंडली में केंद्र भाव रिक्त हों और चंद्रमा 6, 8, 12 भाव में हो तो जातक को शेयर बाजार में नुकसान होता है।
21. यदि तीसरे, छठे, आठवें तथा बारहवें भाव के स्वामियों का राशि परिवर्तन अन्य भावों से हो जाय तो जातक को शेयर बाजार में हानि की संभावना होती है और जातक अपना सारा धन लुटाकर कंगाल हो जाता है। शेयर में तेजी के योग
22. यदि तुला राशि में वक्री शनि स्थित हो तो शेयर बाजार में तेजी होने की संभावना बनती है।
23. यदि वक्री शनि-बुध एक राशि में युति करें तो शेयर बाजार में तेजी आती है।
24. यदि बुध वक्री हो तो शेयर बाजार में तेजी आती है। कुंभ राशि का शनि शेयर बाजार में तेजी देता है।
25. यदि शुक्र कर्क राशि में स्थित हो तो शेयर बाजारों में तेजी आती है।
26. यदि मेष या सिंह राशि में शनि-मंगल की युति होती हो तो शेयरों में तत्काल तेजी आती है।
27. धनु राशि में शुक्र जब तक रहता है तब तक शेयर में तेजी लाता है।
28. जब शनि वृश्चिक राशि में ज्येष्ठा नक्षत्र से गोचर करे तो उस समय चांदी की खरीददारी करना भविष्य में फायदे का सौदा होता है। शेयर में मंदी के योग गोचर का गुरु जब भी सिंह राशि में प्रवेश करता है तो सोना, चांदी, लोहा और तांबे पर अत्यधिक मंदी आती है।
29. जब भी शनि मार्गी होता है तो शेयर बाजार में मंदी आती है।
30. बुध, गुरु और शुक्र जब भी ये आपस में युति संबंध बनाते हैं तो शेयर बाजार में मंदी जरूर होता है
शेयर बाजार में इन्वेस्ट करने से पहले देश, काल, परिस्थिति तथा वातावरण का ध्यान रखते हुए कुंडली में चल रही दशा, गोचर एवं कुंडली में विद्यमान शुभ एव एवं अशुभ योग का अध्ययन आवश्यक है।