अक्टूबर के मध्य में पंडित गोपाल शर्मा जी को भाव नगर, गुजरात स्थित एक शिपिंग कम्पनी के कार्यालय में जाने का अवसर मिला। वहाँ कम्पनी के मालिक श्री अग्रवाल जी ने बताया कि जबसे हमने इस स्थान पर अपनी 20 साल पुरानी, अच्छी चलती हुई कम्पनी को लगभग1 साल पहले स्थानांतरित किया है, तब से सब कुछ उलट-पुलट हो गया है।
- किसी न किसी समस्या के कारण कार्यालय में बैढ़ना ही नहीं होता।
- बैंक, ग्राहक, वर्कर सब नाराज लग रहे हैं।
- सारे मैनेजर सुस्त से लग रहे हैं। भरसक प्रयत्न के बावजूद टारगेट तक पहुंचा ही नहीं जा रहा, लगता है उनका अपने अधीनस्थ कर्मचारियों से तालमेल ही खत्म हो गया है।
- सेफ में कुछ टिकता ही नहीं है।
उनके प्रधान कार्यालय को देखकर दिये गये वास्तु विश्लेषण व सुझाव ’फ्यूचर समाचार’ के प्रबुद्ध पाठको के लाभार्थ यहाँ दिये जा रहे हैं:
परीक्षण के दौरान पाये गये वास्तु दोष :
- मुख्य कक्ष में चेयरमैन/प्रबन्ध निदेशक दक्षिण-पश्चिम मुखी बैठे थे, कक्ष का दक्षिणी जोन बढ़ा हुआ था व उनके पीठ के पीछे शीशा था।
- नैर्ऋत्य मुखी होने से हर कार्य में रूकावट व विलम्ब होता रहता है तथा दक्षिण का द्वार व इसका विस्तार होने से खर्च अधिक बना रहता है। पीछे कांच होना स्थायित्व की कमी दिखलाता है। पिलर का कोना टोक का काम कर रहा है तथा दरवाजे के सामने आने से इस कक्ष का उपयोग ही बहुत कम हो पाता है।
- जनरल मैनेजर व अन्य मैनेजरों के बैठने की दिशा तो बहुत अच्छी है परन्तु लगभग सबके पीछे काँच होना एक न एक समस्या बनाये रखता है। सेफ वायव्य (हवा) कोण मंे होने से वहाँ धन हवा की तरह उड़ता रहता है।
इन सभी दोषों का परीक्षण करने के पश्चात् निम्नलिखित उपाय बताए गएः
1. मुख्य कक्ष में बैठने की कुर्सी को पश्चिम की तरफ 90 डिग्री घुमाया गया जिससे, पीठ पीछे दीवार हो गई। - दरवाजे के सामने पिलर के ऊपर पूरे नाप का दर्पण लगवाया गया तथा कोने के पास एक पौधा रखा गया। जीवन में अनावश्यक परेशानियों से बचने के लिए कैक्टस, रबर प्लांट, दूध वाले, बोनसाई पौधों का प्रयोग वर्जित है।
2. सेल्स, परचेज मैनेजरों को भी इस प्रकार 90 डिग्री घुमाया गया कि उनकी पीठ के पीछे कांच न हो के लकड़ी का पार्टीशन हो गया तथा दरवाजे से उनकी दूरी और बढ़ गयी, क्योंकि दरवाजे से जितना व्यक्ति दूर बैठेगा अथवा सोयेगा, उतना ही वो अपने काम में सफल हो सकेगा।
- समस्त कमरों में दक्षिण-पश्चिम की दीवार पर ऊंचे पहाड़ (जैसे कैलाश पर्वत) अथवा ऊँची बिना पानी वाली बिल्डिंग (जैसे कुआलालंपुर के जुड़वां टाॅवर) स्थान के अनुसार, अपने इन्टीरियर डिजाइनर की सलाह से लगाया जाय जिससे उनकी कार्यक्षमता बढ़ सके। जनरल मैनेजर के कक्ष में उत्तर-पूर्व की दीवार पर न्याग्रा फाॅल का चित्र, घड़ी लगाई जाए जिससे पैसे का प्रवाह बढ़ सके।
- वायव्य कोण से सेफ को हटाकर स्थायित्व की दिशा दक्षिण में इस प्रकार रखा जाए कि खुलते समय उसके दरवाजे पश्चिम की ओर खुलें। इससे गोपनीयता बढ़ेगी तथा धन के रूकने में मदद मिलेगी।
- रिसेप्शन में पिलर के पास एक छोटा पानी का फव्वारा लगाया जाए जो हमेशा चलता रहे। इससे कंपनी के कार्य में सराहनीय वृद्धि होगी।
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