भगवान श्री गणेश और उनका मूलमंत्र फ्यूचर समाचारहिंदुओं के सभी कार्यों का श्रीगणेश अर्थात शुभारंभ भगवान गणपति के स्मरण एवं पूजन से किया जाता है। भगवान श्री गणेश की सबसे बड़ी विशेषता यह है की उनके पूजन एवं स्मरण का यह क्रम जीवन भर लगातार चलता रहता है। चाहे कोई व्रत, पर्व, उत्सव, ... moreदेवी और देवउपायअप्रैल 2007Views: 7545
कमला एकादशी व्रत फ्यूचर समाचारकमला एकादशी व्रत पुरुषोतम मास (अधिक मास या मल मास) में करने का विधान है। एक समय सत्यवती पांडुनंदन धर्मराज युद्धिष्ठिर ने गोपिका बल्लभ, चितचोर, जगत नियंता भगवान श्री कृष्ण से सादर पूछा – भगवन, मैं पुरुषोतम मास की... moreदेवी और देवअन्य पराविद्याएंमई 2007Views: 6264
बैजनाथ : शिव-शिवा का अनुपम धाम फ्यूचर समाचारप्रकृति के उन्मुक्त प्रांगण में बसे देवभूमि उतरांचल में शायद ही ऐसा कोई स्थल होगा जहां मंदिर न हो। कलकल करते झरने, अविरल बहती नदियां, प्रहरी की भूमिका में गर्व से सिर उठाए खड़े पहाड़, मुक्त हवा में झूमते हरे-भरे वृक्ष यहां आने वाले ... moreदेवी और देवअन्य पराविद्याएंस्थानमई 2007Views: 5983
जन-गण-मन के देवता संकटमोचन श्री हनुमान फ्यूचर समाचारमानव जीवन समस्या एवं संकटों की सत्यकथा है। वस्तुत: इसमें ऐसा कोई क्षण नहीं और ऐसा कोई स्थान नहीं जब मानव किसी न किसी समस्या या संकट से घिरा न हो। हमारे जीवन में दैहिक, दैविक एवं भौतिक दुखों का सिलसिला लगातार चलता रहता है इन सभी प्... moreदेवी और देवउपायमई 2007Views: 6406
कामदा एकादशी व्रत फ्यूचर समाचारकामदा एकादशी व्रत पुरुषोतम मास (अधिकमास या मलमास) में करने का विधान है। इसे पदमिनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। एक समय धर्मावतार धर्मराज युधिष्ठर ने भगवान श्रीकृष्ण को सानंद सिंहासनरुढ देखकर उनके चरणों में नतमस्तक हो पूछा – ह... moreदेवी और देवअन्य पराविद्याएंउपायअध्यात्म, धर्म आदिजून 2007Views: 6211
भीमकाली मंदिर फ्यूचर समाचारहिमाचल की राजधानी शिमला से २०० किमी. सरहन की सुंदर वादियों में गगनचुंबी देवदार वृक्षों के बीच सतलुज नदी के तट पर बसा है। प्रसिद्द भीमकाली मंदिर। यह मंदिर देश के भव्य एवं वैभवशाली मंदिरों में से एक है। संपूर्ण मंदिर परिसर पुरातत्व ... moreदेवी और देवस्थानउपायजून 2007Views: 5904
श्री संतोषी माता व्रत फ्यूचर समाचारश्री संतोषी माता व्रत शुक्रवार व्रत के नाम से भी प्रसिद्द है। यह व्रत माह में पडने वाले किसी भी शुक्रवार या प्रत्येक शुक्रवार को किया जाता है। यह एक परम पवित्र व्रत है। जिसके श्रद्धा भक्ति पूर्वक करने और कथा श्रवण से सद्गृहस्थ प्र... moreदेवी और देवजुलाई 2007Views: 12954
सावन में सोमवारी व्रतों का महात्म्य फ्यूचर समाचारबारह मासों में सावन मास में ही शिवपूजन सबसे अधिक होता है। सावन मास में देश भर के शिवालय श्रदालुओं से पट जाते है। भगवान शंकर ने स्वयं अपने श्री मुख से ब्रह्माजी के मानस पुत्र सनतकुमार सावन मास की महिमा इस प्रकार बताई थी।... moreदेवी और देवअन्य पराविद्याएंउपायजुलाई 2007Views: 14645
बारह महीनों में विशेष है श्रावण मास फ्यूचर समाचारश्रावण मास में शिव की पूजा करने से प्राय: सभी देवताओं की पूजा का फल मिल जाता है। इस मास में काल के देवता भगवान शिव की पूजा करना, कथा सुनना तथा पुराणों का श्रवण करना चाहिए। इसके अतिरिक्त कुत्सित विचारों का त्याग कर स्वभाव में नम्रत... moreघटनाएँदेवी और देवअन्य पराविद्याएंउपायजुलाई 2007Views: 11195
युगयुगीन है नागपूजन फ्यूचर समाचारभारत वर्ष में पवित्र पुनीत श्रावण मास में संपादित होएं वाले पर्व त्योहारों में नाग पंचमी की अपनी अलग महिमा है। देश के अधिकतर भागों में यह पर्व श्रावण शुक्ल पंचमी को मनाया जाता है। किन्तु कुछ भागों में इसे कृष्णपक्ष में भी माने जान... moreदेवी और देवअन्य पराविद्याएंजुलाई 2007Views: 7498
शिव शक्ति रहस्य फ्यूचर समाचारनिराकार ब्रह्मा जब साकार रूप धारण करता है, जब वह धारण करता है, तो शिव कहलाता है। और उसकी शक्ति मान भगवती ही मूल आदि शक्ति के नाम से विख्यात है। जीव कई पाशों में बंधा है। वह आत्मा –परमात्मा के दर्शन की चाह रखता है।... moreदेवी और देवअन्य पराविद्याएंजुलाई 2007Views: 30629
लिंग पूजन का विधान एवं महत्व फ्यूचर समाचारशिव के विभिन्न नामों के साथ-साथ लिंगोपासना की महिमा का वर्णन शास्त्रों में मिलता है। लिंग शब्द का साधारण अर्थ चिंह अथवा लक्षण है। देव-चिंह के अर्थ में लिंग शब्द शिवजी के ही लिंग के लिए आता है। पुराण में लयानालिंगमुच्यते कहा गया है... moreदेवी और देवअन्य पराविद्याएंउपायजुलाई 2007Views: 10342