भविष्यवाणी तकनीक


सफलता का प्रथम सोपान श्रेष्ठ मुहूर्त

सर्वार्थ सिद्धि योग, द्विपुष्कर योग, त्रिपुष्कर योग शुभ योग मुहूर्त की श्रेणी में आते हैं। कुछ कार्यों के लिए इन मुहूर्तों का चयन कर सफलता प्राप्त की जा सकती है।... और पढ़ें

ज्योतिषभविष्यवाणी तकनीकमुहूर्त

जून 2011

व्यूस: 12051

कैरियर निर्धारण में एकादशांश कुंडली का महत्व

ज्योतिष को वेदों की आंख की संज्ञा दी गई है। ज्योतिष शास्त्र मनुष्य के जीवन की वह ज्योति है जो उसके आने वाले समय के बारे में इंगित करता है। हमारा विषय है कैरियर निर्धारण इसके ज्ञान के लिए हमें कुंडली के 12 भावों का अध्ययन करना आवश्... और पढ़ें

ज्योतिषज्योतिषीय योगग्रहघरभविष्यवाणी तकनीककुंडली व्याख्याव्यवसाय

अप्रैल 2010

व्यूस: 11731

चंद्राष्टकवर्ग से सटीक फलकथन

भारतीय ज्योतिष में फलकथन हेतु अष्टकवर्ग विद्या की अचूकता व सटीकता का प्रतिशत सबसे अधिक है। अष्टकवर्ग विद्या में लग्न और सात ग्रहों (सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध् गुरु, शुक्र और शनि) को गणना में सम्मिलित किया जाता है।... और पढ़ें

ज्योतिषअष्टकवर्गग्रहघरभविष्यवाणी तकनीककुंडली व्याख्या

जनवरी 2009

व्यूस: 11857

सर्वतोभद्रचक्र से व्यापार की तेजी-मंदी का आकलन

विश्व के सभी देशों की अर्थव्यवस्था पर पदार्थों और वस्तुओं की तेजी-मंदी का विशेष असर पड़ता है। प्राचीन समय के वस्तु-विनिमय के सीमित दायरे ने अब बड़े-बड़े शेयर बाजारों का रूप ले लिया है। आजकल वस्तुओं से सम्बंधित कम्पनियों के शेयरों ... और पढ़ें

ज्योतिषभविष्यवाणी तकनीकमेदनीय ज्योतिष

जनवरी 2016

व्यूस: 15860

कुंडली में पितृ दोष: कारण व निवारण

वैदिक परंपरा के अनुसार प्रत्येक मनुष्य तीन प्रकार के ऋण से ग्रस्त होता है, पहला देव ऋण, दूसरा ऋषि ऋण और तीसरा है पितृ ऋण। महर्षि मनु और महर्षि याज्ञवल्क्य ने कहा है कि प्रत्येक मनुष्य को इन तीनों ऋणों से मुक्ति का प्रयास मोक्ष प... और पढ़ें

ज्योतिषभविष्यवाणी तकनीकविविध

सितम्बर 2015

व्यूस: 12340

सुख लक्ष्मी तथा राज योग

मनुष्य के जीवनकाल में इस सुख के लिए अनेकानेक रीतियाँ देखने में आती हैं कोई मनुष्य राजा सम्मत बन सम्मान, ऐश्वर्य प्राप्त करता है, कितने ही लोग व्यापार आदि में प्रवीण होकर कई देशों का वाणिज्य सूत्र अपने हाथ में लेकर अगाध ध् ान प्राप... और पढ़ें

ज्योतिषज्योतिषीय योगग्रहघरभविष्यवाणी तकनीककुंडली व्याख्यामेदनीय ज्योतिष

जनवरी 2014

व्यूस: 11604

कारकांश लग्न और आप

कारकांश लग्न और आप

किशोर घिल्डियाल

कारकांश लग्न के आधार पर व्यक्ति विशेष के बारे में फलादेश आज के युग में समयानुसार परिवर्तन के साथ समझे जा सकते हैं। (1) कारकांश लग्न में सूर्य व राहु की युति हो व शुभ ग्रह की दृष्टि हो तो व्यक्ति विषवैद्य अर्थात चिकित्सक होता है। (... और पढ़ें

ज्योतिषज्योतिषीय योगजैमिनी ज्योतिषग्रहघरभविष्यवाणी तकनीककुंडली व्याख्या

जुलाई 2012

व्यूस: 13355

भारत के सभी प्रधानमंत्रियों की कुण्डलियां

जन्मपत्री भविष्य बताने के लिए बेहतर उपकरण होता है। ज्योतिर्विदों के अनुसार श्रेष्ठ कुंडली के कुछ विशेष लक्षण होते हैं जो जातक को जीवन में ऊँचा उठाने में सहायक होते हैं। शुभाशुभ ग्रह योगों व दशा क्रम पर ग्रहों के गोचरीय प्रभाव का... और पढ़ें

ज्योतिषज्योतिषीय योगभविष्यवाणी तकनीककुंडली व्याख्याज्योतिषीय विश्लेषण

दिसम्बर 2014

व्यूस: 13730

काल सर्प योग की अशुभता को बढ़ा देता है ग्रहण योग

शास्त्रों के अनुसार ग्रहण नामक ज्योतिषीय योग अनेक प्रकार से बनता है। इस योग का विस्तृत फल भी प्राप्त होता है क्योंकि यह योग कालसर्प योग की अशुभता को बढ़ा देता है।... और पढ़ें

ज्योतिषज्योतिषीय योगभविष्यवाणी तकनीक

मई 2011

व्यूस: 13163

मंगल-मंगल भी, अमंगल भी

मंगल-मंगल भी, अमंगल भी

शिव प्रसाद गुप्ता

मंगलकारी ग्रह 'मंगल' को जन्मकुंडली के प्रथम, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम एवं द्वादश भावों में होने पर अमंगली होने का दोष लग जाता है। भारतीय ज्योतिष में मांगलिक दोष सर्वाधिक चर्चा का विषय है। क्योंकि यह दोष जातक के विवाह में विलंब, तलाक य... और पढ़ें

ज्योतिषज्योतिषीय योगग्रहभविष्यवाणी तकनीककुंडली व्याख्या

अप्रैल 2011

व्यूस: 12185

पारिवारिक कलह: कारण एवं निवारण

ज्येतिष में सप्तम भाव अपने साथी का भाव माना गया है- वह जीवन साथी हो या व्यापार मंे साझेदार। सप्तम भावेश लग्नेश का सर्वदा शत्रु होता है। जैसे मेष, लग्न के लिए लग्नेश हुआ मंगल एवं सप्तमेश हुआ शुक्र और दोनों में आपस में शत्रुता है... और पढ़ें

ज्योतिषभविष्यवाणी तकनीकज्योतिषीय विश्लेषण

जुलाई 2006

व्यूस: 6621

पितृ ऋण, मातृ ऋण आदि की व्याख्या एवं फलादेश

पितृ ऋण अर्थात् पितरों (पूर्वजों) का ऋण। पिता का ऋण (कर्ज) बाद में पुत्र ही चुकाता है, यही परंपरा है। श्रवण के माता-पिता ने दशरथ को शाप दिया, ‘‘जैसे हम पुत्र वियोग में मर रहे हैं वैसे ही आप भी पुत्र वियोग में मरेंगे।’’ महाराज दश... और पढ़ें

ज्योतिषभविष्यवाणी तकनीकलाल किताब

सितम्बर 2015

व्यूस: 14125

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